जय हिन्द!
जय हिन्द!
जय हिन्द!
मंच पर विराजमान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बहन ममता बनर्जी जी, मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री प्रह्लाद पटेल जी, श्री बाबुल सुप्रियो जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के निकट संबंधी जन, भारत का गौरव बढ़ाने वाली आजाद हिंद फौज के जांबाज सदस्य, उनके परिजन, यहां उपस्थित कला और साहित्य जगत के दिग्गज और बंगाल की इस महान धरती के मेरे भाइयों और बहनों,
आज कोलकाता में आना मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला क्षण है। बचपन से जब भी ये नाम सुना- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मैं किसी भी स्थिति में रहा, परिस्थिति में रहा, ये नाम कान में पड़ते ही एक नई ऊर्जा से भर गया। इतना विराट व्यक्तित्व कि उनकी व्याख्या के लिए शब्द कम पड़ जाएं। इतनी दूर की दृष्टि कि वहां तक देखने के लिए अनेकों जन्म लेने पड़ जाएं। विकट से विकट परिस्थिति में भी इतना हौसला, इतना साहस कि दुनिया की बड़ी से बड़ी चुनौती ठहर न पाए। मैं आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चरणों में अपना शीश झुकाता हूं, उन्हें नमन करता हूं। और नमन करता हूं उस मां को, प्रभादेवी जी को जिन्होंने नेताजी को जन्म दिया। आज उस पवित्र दिन को 125 वर्ष हो रहे हैं। 125 वर्ष पहले, आज के ही दिन माँ भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आज़ाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी। आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आज़ादी मांगूंगा नहीं, आज़ादी छीन लूँगा। आज के दिन सिर्फ नेताजी सुभाष का जन्म ही नहीं हुआ था, बल्कि आज भारत के नए आत्मगौरव का जन्म हुआ था, भारत के नए सैन्य कौशल का जन्म हुआ था। मैं आज नेताजी की 125वीं जन्म-जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से इस महापुरुष को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं, उन्हें सैल्यूट करता हूं।
साथियों,
मैं आज बालक सुभाष को नेताजी बनाने वाली, उनके जीवन को तप, त्याग और तितिक्षा से गढ़ने वाली बंगाल की इस पुण्य-भूमि को भी आदरपूर्वक नमन करता हूँ। गुरुदेव श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, शरद चंद्र जैसे महापुरुषों ने इस पुण्य भूमि को राष्ट्रभक्ति की भावना से भरा है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, चैतन्य महाप्रभु, श्री ऑरोबिन्दो, मां शारदा, मां आनंदमयी, स्वामी विवेकानंद, श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जैसे संतों ने इस पुण्यभूमि को वैराग्य, सेवा और आध्यात्म से अलौकिक बनाया है। ईश्वरचंद्र विद्यासागर, राजा राममोहन राय, गुरुचंद ठाकुर, हरिचंद ठाकुर जैसे अनेक समाज सुधारक सामाजिक सुधार के अग्रदूतों ने इस पुण्यभूमि से देश में नए सुधारों की नींव भरी है। जगदीश चंद्र बोस, पी सी रॉय, एस. एन. बोस और मेघनाद साहा अनगिनत वैज्ञानिकों ने इस पुण्य-भूमि को ज्ञान विज्ञान से सींचा है। ये वही पुण्यभूमि है जिसने देश को उसका राष्ट्रगान भी दिया है, और राष्ट्रगीत भी दिया है। इसी भूमि ने हमें देशबंधु चितरंजन दास, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी और हम सभी के प्रिय भारत रत्न प्रणब मुखर्जी से साक्षात्कार कराया। मैं इस भूमि के ऐसे लाखों लाख महान व्यक्तित्वों के चरणों में भी आज इस पवित्र दिन पर प्रणाम करता हूँ।
साथियों,
यहाँ से पहले मैं अभी नेशनल लाइब्रेरी गया था, जहां नेताजी की विरासत पर एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस और आर्टिस्ट-कैम्प का आयोजन हो रहा है। मैंने अनुभव किया, नेताजी का नाम सुनते ही हर कोई कितनी ऊर्जा से भर जाते हैं। नेताजी के जीवन की ये ऊर्जा जैसे उनके अन्तर्मन से जुड़ गई है! उनकी यही ऊर्जा, यही आदर्श, उनकी तपस्या, उनका त्याग देश के हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। आज जब भारत नेताजी की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है, तो हम सबका कर्तव्य है कि उनके योगदान को बार-बार याद किया जाए। पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए। इसलिए, देश ने तय किया है कि नेताजी की 125वीं जयंती के वर्ष को ऐतिहासिक, अभूतपूर्व भव्यता भरे आयोजनों के साथ मनाए। आज सुबह से देशभर में इससे जुड़े कार्यक्रम हर कोने में हो रहे हैं। आज इसी क्रम में नेताजी की स्मृति में एक स्मारक सिक्का और डाक-टिकट जारी किया गया है। नेताजी के पत्रों पर एक पुस्तक का विमोचन भी हुआ है। कोलकाता और बंगाल, जो उनकी कर्मभूमि रहा है, यहाँ नेताजी के जीवन पर एक प्रदर्शनी और प्रॉजेक्शन मैपिंग शो भी आज से शुरू हो रहा है। हावड़ा से चलने वाली ट्रेन ‘हावड़ा-कालका मेल’ का भी नाम बदलकर ‘नेताजी एक्सप्रेस’ कर दिया गया है। देश ने ये भी तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे। हमारे नेताजी भारत के पराक्रम की प्रतिमूर्ति भी हैं और प्रेरणा भी हैं। आज जब इस वर्ष देश अपनी आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश करने वाला है, जब देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तब नेताजी का जीवन, उनका हर कार्य, उनका हर फैसला, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। उनके जैसे फौलादी इरादों वाले व्यक्तित्व के लिए असंभव कुछ भी नहीं था। उन्होंने विदेश में जाकर देश से बाहर रहने वाले भारतीयों की चेतना को झकझोरा, उन्होंने आज़ादी के लिए आज़ाद हिन्द फौज को मजबूत किया। उन्होंने पूरे देश से हर जाती, पंथ, हर क्षेत्र के लोगों को देश का सैनिक बनाया। उस दौर में जब दुनिया महिलाओं के सामान्य अधिकारों पर ही चर्चा कर रही थी, नेता जी ने ‘रानी झाँसी रेजीमेंट’ बनाकर महिलाओं को अपने साथ जोड़ा। उन्होंने फौज के सैनिकों को आधुनिक युद्ध के लिए ट्रेनिंग दी, उन्हें देश के लिए जीने का जज्बा दिया, देश के लिए मरने का मकसद दिया। नेता जी ने कहा था- “भारोत डाकछे। रोकतो डाक दिए छे रोक्तो के। ओठो, दाड़ांओ आमादेर नोष्टो करार मतो सोमोय नोय। अर्थात, भारत बुला रहा है। रक्त, रक्त को आवाज़ दे रहा है। उठो, हमारे पास अब गँवाने के लिए समय नहीं है।
साथियों,
ऐसी हौसले भरी हुंकार सिर्फ और सिर्फ नेताजी ही दे सकते थे। और आखिर, उन्होंने ये दिखा भी दिया कि जिस सत्ता का सूरज कभी अस्त नहीं होता, भारत के वीर सपूत रणभूमि में उसे भी परास्त कर सकते हैं। उन्होंने संकल्प लिया था, भारत की जमीन पर आज़ाद भारत की आज़ाद सरकार की नींव रखेंगे। नेताजी ने अपना ये वादा भी पूरा करके दिखाया। उन्होंने अंडमान में अपने सैनिकों के साथ आकर तिरंगा फहराया। जिस जगह अंग्रेज देश के स्वतन्त्रता सेनानियों को यातनाएं देते थे, काला पानी की सजा देते थे, उस जगह जाकर उन्होंने उन सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि दी। वो सरकार, अखंड भारत की पहली आज़ाद सरकार थी। नेताजी अखंड भारत की आज़ाद हिन्द सरकार के पहले मुखिया थे। और ये मेरा सौभाग्य है कि आज़ादी की उस पहली झलक को सुरक्षित रखने के लिए, 2018 में हमने अंडमान के उस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा। देश की भावना को समझते हुए, नेताजी से जुड़ी फाइलें भी हमारी ही सरकार ने सार्वजनिक कीं। ये हमारी ही सरकार का सौभाग्य रहा जो 26 जनवरी की परेड के दौरान INA Veterans परेड में शामिल हुए। आज यहां इस कार्यक्रम में आजाद हिंद फौज में रहे देश के वीर बेटे और बेटी भी उपस्थित हैं। मैं आपको फिर से प्रणाम करता हूं और प्रणाम करते हुए यही कहूंगा कि देश सदा-सर्वदा आपका कृतज्ञ रहेगा, कृतज्ञ है और हमेशा रहेगा।
साथियों,
2018 में ही देश ने आज़ाद हिन्द सरकार के 75 साल को भी उतने ही धूमधाम से मनाया था। देश ने उसी साल सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार भी शुरू किए। नेताजी ने दिल्ली दूर नहीं का नारा देकर लाल किले पर झंडा फहराने का जो सपना देखा था, उनका वो सपना देश ने लाल किले पर झंडा फहराकर पूरा किया।
भाइयों और बहनों,
जब आजाद हिंद फौज की कैप में मैंने लाल किले पर झंडा फहराया था, उसे मैंने अपने सर पर लगाया था। उस वक्त मेरे मन मस्तिष्क में बहुत कुछ चल रहा था। बहुत से सवाल थे, बहुत सी बातें थीं, एक अलग अनुभूति थी। मैं नेताजी के बारे में सोच रहा था, देशवासियों के बारे में सोच रहा था। वो किसके लिए जीवन भर इतना रिस्क उठाते रहे, जवाब यही है- हमारे और आपके लिए। वो कई-कई दिनों तक आमरण अनशन किसके लिए करते रहे- आपके और हमारे लिए। वो महीनों तक किसके लिए जेल की कोठरी में सजा भुगतते रहे- आपके और हमारे लिए। कौन ऐसा होगा जिसके जीवन के पीछे इतनी बड़ी अंग्रेजी हुकूमत लगी हो वो जान हथेली पर रखकर फरार हो जाए। हफ्तों-हफ्तों तक वो काबुल की सड़कों पर अपना जीवन दांव पर लगाकर एक एंबैसी से दूसरी के चक्कर लगाते रहे- किसके लिए? हमारे और आपके लिए। विश्व युद्ध के उस माहौल में देशों के बीच पल-पल बदलते देशों के बीच के रश्ते, इसके बीच क्यों वो हर देश में जाकर भारत के लिए समर्थन मांग रहे थे? ताकि भारत आजाद हो सके, हम और आप आजाद भारत में सांस ले सकें। हिंदुस्तान का एक-एक व्यक्ति नेताजी सुभाष बाबू का ऋणी है। 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के शरीर में बहती रक्त की एक-एक बूंद नेताजी सुभाष की ऋणी है। ये ऋण हम कैसे चुकाएंगे? ये ऋण क्या हम कभी चुका भी पाएंगे?
साथियों,
जब नेताजी सुभाष यहां कोलकाता में अपने अड़तीस बटा दो, एल्गिन रोड के घर में कैद थे, जब उन्होंने भारत से निकलने का इरादा कर लिया था, तो उन्होंने अपने भतीजे शिशिर को बुलाकर कहा था- अमार एकटा काज कोरते पारबे? अमार एकटा काज कोरते पारबे? क्या मेरा एक काम कर सकते हो? इसके बाद शिशिर जी ने वो किया, जो भारत की आजादी की सबसे बड़ी वजहों में से एक बना। नेताजी ये देख रहे थे कि विश्व-युद्ध के माहौल में अंग्रेजी हुकूमत को अगर बाहर से चोट पहुंचाई जाए, तो उसे दर्द सबसे ज्यादा होगा। वो भविष्य देख रहे थे कि जैसे-जैसे विश्व युद्ध बढ़ेगा, वैसे-वैसे अग्रेजों की ताकत कम पड़ती जाएगी, भारत पर उनकी पकड़ कम पड़ती जाएगी। ये था उनका विजन, इतनी दूर देख रहे थे वो। मैं कहीं पढ़ रहा था कि इसी समय उन्होंने अपनी भतीजी इला को दक्षिणेश्वर मंदिर भी भेजा था कि मां का आशीर्वाद ले आओ। वो देश से तुरंत बाहर निकलना चाहते थे, देश के बाहर जो भारत समर्थक शक्तियां हैं उन्हें एकजुट करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने युवा शिशिर से कहा था- अमार एकटा काज कोरते पारबे? क्या मेरा एक काम कर सकते हो?
साथियों,
आज हर भारतीय अपने दिल पर हाथ रखे, नेताजी सुभाष को महसूस करे, तो उसे फिर से ये सवाल सुनाई देगा- अमार एकटा काज कोरते पारबे? क्या मेरा एक काम कर सकते हो? ये काम, ये काज, ये लक्ष्य आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है। देश का जन-जन, देश का हर क्षेत्र, देश का हर व्यक्ति इससे जुड़ा है। नेताजी ने कहा था- पुरुष, ओर्थो एवं उपोकरण निजेराई बिजोय बा साधिनता आंते पारे ना. आमादेर अबोशोई सेई उद्देश्यो शोकति थाकते होबे जा आमादेर साहोसिक काज एवंम बीरतपुरनो शोसने उदबुधो कोरबे. यानि, हमारे पास वो उद्देश्य और शक्ति होनी चाहिए, जो हमें साहस और वीरतापूर्ण तरीके से शासन करने के लिए प्रेरित करे। आज हमारे पास उद्देश्य भी है, शक्ति भी है। आत्मनिर्भर भारत का हमारा लक्ष्य हमारी आत्मशक्ति, हमारे आत्मसंकल्प से पूरा होगा। नेता जी ने कहा था- “आज आमादेर केबोल एकटी इच्छा थाका उचित – भारोते ईच्छुक जाते, भारोते बांचते पारे। यानि, आज हमारी एक ही इच्छा होनी चाहिए कि हमारा भारत बच पाए, भारत आगे बढ़े। हमारा भी एक ही लक्ष्य है। अपना खून-पसीना बहाकर देश के लिए जीएं, अपने परिश्रम से, अपने innovations से देश को आत्मनिर्भर बनाएं। नेताजी कहते थे- “निजेर प्रोती शात होले सारे बिस्सेर प्रोती केउ असोत होते पारबे ना’ अर्थात, अगर आप खुद के लिए सच्चे हैं, तो आप दुनिया के लिए गलत नहीं हो सकते। हमें दुनिया के लिए बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट बनाने होंगे, कुछ भी कमतर नहीं, Zero Defect- Zero Effect वाले प्रॉडक्ट। नेताजी ने हमें कहा था- “स्वाधीन भारोतेर स्वोप्ने कोनो दिन आस्था हारियो ना। बिस्से एमुन कोनो शोक्ति नेई जे भारोत के पराधीनांतार शृंखलाय बेधे राखते समोर्थों होबे” यानी, आज़ाद भारत के सपने में कभी भरोसा मत खोओ। दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो भारत को बांधकर के रख सके। वाकई, दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो 130 करोड़ देशवासियों को, अपने भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने से रोक सके।
साथियों,
नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गरीबी को, अशिक्षा को, बीमारी को, देश की सबसे बड़ी समस्याओं में गिनते थे। वो कहते थे- ‘आमादेर शाब्छे बोरो जातियो समस्या होलो, दारिद्रो अशिकखा, रोग, बैज्ञानिक उत्पादोन। जे समस्यार समाधान होबे, केबल मात्रो सामाजिक भाबना-चिन्ता दारा” अर्थात, हमारी सबसे बड़ी समस्या गरीबी, अशिक्षा, बीमारी और वैज्ञानिक उत्पादन की कमी है। इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज को मिलकर जुटना होगा, मिलकर प्रयास करना होगा। मुझे संतोष है कि आज देश पीड़ित, शोषित वंचित को, अपने किसान को, देश की महिलाओं को सशक्त करने के लिए दिन-रात एक कर रहा है। आज हर एक गरीब को मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं। देश के किसानों को बीज से बाजार तक आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं। खेती पर होने वाला उनका खर्च कम करने के प्रयास किए जा रहा है। हर एक युवा को आधुनिक और गुणवत्ता-पूर्ण शिक्षा मिले, इसके लिए देश के education infrastructure को आधुनिक बनाया जा रहा है। बड़ी संख्या में देश भर में एम्स, IITs और IIMs जैसे बड़े संस्थान खोले गए हैं। आज देश, 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी लागू कर रहा है।
साथियों,
मैं कई बार सोचता हूँ कि आज देश में जो बदलाव हो रहे हैं, जो नया भारत आकार ले रहा है, उसे देख नेताजी को कितनी संतुष्टि मिलती। उन्हें कैसा लगता, जब वो दुनिया की सबसे आधुनिक technologies में अपने देश को आत्मनिर्भर बनते देखते? उन्हें कैसा लगता, जब वो पूरी दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों में, शिक्षा में, मेडिकल सैक्टर में भारतीयों का डंका बजते देखते? आज राफेल जैसे आधुनिक विमान भी भारत की सेना के पास हैं, और तेजस जैसे अत्याधुनिक विमान भारत खुद भी बना रहा है। जब वो देखते कि आज उनके देश की सेना इतनी ताकतवर है, उसे वैसे ही आधुनिक हथियार मिल रहे हैं, जो वो चाहते थे, तो उन्हें कैसा लगता? आज अगर नेताजी ये देखते कि उनका भारत इतनी बड़ी महामारी से इतनी ताकत से लड़ा है, आज उनका भारत vaccine जैसे आधुनिक वैज्ञानिक समाधान खुद तैयार कर रहा है तो वो क्या सोचते? जब वो देखते कि भारत वैक्सीन देकर दुनिया के दूसरे देशों की मदद भी कर रहा है, तो उन्हें कितना गर्व होता। नेताजी जिस भी स्वरूप में हमें देख रहे हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, अपना स्नेह दे रहे हैं। जिस सशक्त भारत की उन्होंने कल्पना की थी, आज LAC से लेकर के LOC तक, भारत का यही अवतार दुनिया देख रही है। जहां कहीं से भी भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की गई, भारत आज मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
साथियों,
नेताजी के बारे में बोलने के लिए इतना कुछ है कि बात करते-करते रातों की रातों बीत जाए। नेताजी जैसे महान व्यक्तित्वों के जीवन से हम सबको, और खासकर युवाओं को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। लेकिन एक और बात जो मुझे बहुत प्रभावित करती है, वो है अपने लक्ष्य के लिए अनवरत प्रयास। विश्व युद्ध के समय पर जब साथी देश पराजय का सामना कर चुके थे, सरेंडर कर रहे थे, तब नेताजी ने अपने सहयोगियों को जो बात कही थी, उसका भाव यही था कि- दूसरे देशों ने सरेंडर किया होगा, हमने नहीं। अपने संकल्पों को सिद्धि तक ले जाने की उनकी क्षमता अद्वितीय थी। वो अपने साथ भगवत गीता रखते थे, उनसे प्रेरणा पाते थे। अगर वो किसी काम के लिए एक बार आश्वस्त हो जाते थे, तो उसे पूरा करने के लिए किसी भी सीमा तक प्रयास करते थे। उन्होंने हमें ये बात सिखाई है कि, अगर कोई विचार बहुत सरल नहीं है, साधारण नहीं है, अगर इसमें कठिनाइयाँ भी हैं, तो भी कुछ नया करने से डरना नहीं चाहिए। अगर आप किसी चीज में भरोसा करते हैं, तो आपको उसे प्रारंभ करने का साहस दिखाना ही चाहिए। एक बार को ये लग सकता है कि आप धारा के विपरीत बह रहे हैं, लेकिन अगर आपका लक्ष्य पवित्र है तो इसमें भी हिचकना नहीं चाहिए। उन्होंने ये करके दिखाया कि आप अगर अपने दूरगामी लक्ष्यों के लिए समर्पित हैं, तो सफलता आपको मिलनी ही मिलनी है।
साथियों,
नेताजी सुभाष, आत्मनिर्भर भारत के सपने के साथ ही सोनार बांग्ला की भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। जो भूमिका नेताजी ने देश की आज़ादी में निभाई थी, आज वही भूमिका पश्चिम बंगाल को आत्मनिर्भर भारत अभियान में निभानी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान का नेतृत्व आत्मनिर्भर बंगाल और सोनार बांग्ला को भी करना है। बंगाल आगे आए, अपने गौरव को और बढ़ाए, देश के गौरव को और बढ़ाए। नेताजी की तरह ही, हमें भी अपने संकल्पों की प्राप्ति तक अब रुकना नहीं है। आप सभी अपने प्रयासों में, संकल्पों में सफल हों, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आज के इस पवित्र दिवस पर, इस पवित्र धरती पर आकर के, आप सबके आशीर्वाद लेकर के नेताजी के सपनों को पूरा करने का हम संकल्प करके आगे बढ़े, इसी एक भावना के साथ मैं आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ! जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द!
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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DS/SH/AV
India marks #ParakramDivas and pays homage to Netaji Subhas Chandra Bose. https://t.co/5mQh5GuAuk
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
His bravery and ideals inspire every Indian. His contribution to India is indelible.
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
India bows to the great Netaji Subhas Chandra Bose.
PM @narendramodi began his Kolkata visit and #ParakramDivas programmes by paying homage to Netaji Bose at Netaji Bhawan. pic.twitter.com/2DG49aB4vW
At Kolkata’s National Library, a unique tribute is being paid to Netaji Subhas Bose on #ParakramDivas, through beautiful art. pic.twitter.com/Mytasoq2n6
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
आज के ही दिन माँ भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आज़ाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी।
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आज़ादी मांगूंगा नहीं, छीन लूँगा: PM
देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे।
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
हमारे नेताजी भारत के पराक्रम की प्रतिमूर्ति भी हैं और प्रेरणा भी हैं: PM
ये मेरा सौभाग्य है कि 2018 में हमने अंडमान के द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा।
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
देश की भावना को समझते हुए, नेताजी से जुड़ी फाइलें भी हमारी ही सरकार ने सार्वजनिक कीं।
ये हमारी ही सरकार का सौभाग्य रहा जो 26 जनवरी की परेड के दौरान INA Veterans परेड में शामिल हुए: PM
आज हर भारतीय अपने दिल पर हाथ रखे, नेताजी सुभाष को महसूस करे, तो उसे फिर ये सवाल सुनाई देगा:
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
क्या मेरा एक काम कर सकते हो?
ये काम, ये काज, ये लक्ष्य आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है।
देश का जन-जन, देश का हर क्षेत्र, देश का हर व्यक्ति इससे जुड़ा है: PM
नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गरीबी को, अशिक्षा को, बीमारी को, देश की सबसे बड़ी समस्याओं में गिनते थे।
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
हमारी सबसे बड़ी समस्या गरीबी, अशिक्षा, बीमारी और वैज्ञानिक उत्पादन की कमी है।
इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज को मिलकर जुटना होगा, मिलकर प्रयास करना होगा: PM
नेताजी सुभाष, आत्मनिर्भर भारत के सपने के साथ ही सोनार बांग्ला की भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
जो भूमिका नेताजी ने देश की आज़ादी में निभाई थी, वही भूमिका पश्चिम बंगाल को आत्मनिर्भर भारत में निभानी है।
आत्मनिर्भर भारत का नेतृत्व आत्मनिर्भर बंगाल और सोनार बांग्ला को भी करना है: PM
Went to Netaji Bhawan in Kolkata to pay tributes to the brave Subhas Bose.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
He undertook numerous measures for the development of Kolkata. #ParakramDivas pic.twitter.com/XdChQG36nk
A spectacular Projection Mapping show underway at the Victoria Memorial. This show traces the exemplary life of Netaji Subhas Bose. #ParakramDivas pic.twitter.com/YLnCDcV8YY
— PMO India (@PMOIndia) January 23, 2021
Creating an Aatmanirbhar Bharat is an ideal tribute to Netaji Bose, who always dreamt of a strong and prosperous India. #ParakramDivas pic.twitter.com/laYP6braCt
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
Whatever Netaji Subhas Chandra Bose did, he did for India...he did for us.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
India will always remain indebted to him. #ParakramDivas pic.twitter.com/Iy96plu8TQ
Netaji rightly believed that there is nothing that constrain India’s growth.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
He was always thoughtful towards the poor and put great emphasis on education. #ParakramDivas pic.twitter.com/Pqmb5UvhzL
The positive changes taking place in India today would make Netaji Subhas Bose extremely proud. #ParakramDivas pic.twitter.com/mdemUH4tey
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
I bow to the great land of West Bengal. pic.twitter.com/fSPjnTsqSU
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
The National Library is one of Kolkata’s iconic landmarks. At the National Library, I interacted with artists, researchers and other delegates as a part of #ParakramDivas.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021
The 125th Jayanti celebrations of Netaji Bose have captured the imagination of our entire nation. pic.twitter.com/r3xVdTKFXf
Some glimpses from the programme at Victoria Memorial. #ParakramDivas pic.twitter.com/rBmhawJAwA
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2021