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दक्षिण एशियाई उपग्रह – मुख्‍य बातें

दक्षिण एशियाई उपग्रह – मुख्‍य बातें


आसमान में दक्षिण एशियाई पड़ोसियों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के अनोखे उपहार से अंतरिक्ष कूटनीति नई ऊंचाइयों पर।

बिना किसी कीमत पर पड़ोसी देशों के इस्‍तेमाल के लिए संचार उपग्रह के इस तोहफे का दुनियाभर में संभवत: कोई मिशाल नहीं है।

करीब 2 टन से अधिक वजन वाले इस उपग्रह को 230 करोड़ रुपये की लागत से तीन वर्षों में तैयार किया गया है।

इसका दायरा पूरे दक्षिण एशिया में विस्‍तृत है।

इस दक्षिण एशिया उपग्रह में 12 केयू बैंड के ट्रांसपोंडर हैं जिनका इस्‍तेमाल भारत के पड़ोसी देश अपनी संचार सेवाओं को बेहतर बनाने में कर सकते हैं।

प्रत्‍येक देश को कम से कम एक ट्रांसपोंडर तक पहुंच प्राप्‍त होगी जिसके माध्‍यम से वह अपनी खुद की प्रोग्रामिंग बीम कर सकेंगे।

यह उपग्रह डीटीएच टेलीविजन, वीएसएटी लिंक, टेली-एजुकेशन, टेली-मेडिसिन और आपदा प्रबंधन को सुविधाजन बनाने में मदद करेगा। यह भूंकप, चक्रवात, बाढ़ और सुनामी जैसी आपदाओं के समय महत्‍वपूर्ण संचार लिंक उपलब्‍ध कराएगा।

इस उपग्रह के लाभार्थी सभी सात दक्षिण एशियाई देशों के सरकार प्रमुखों ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से इसके सफल प्रक्षेपण के अनूठे समारोह में भाग लिया।