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कैबिनेट बहुधात्विक पिंड के अन्वेषण के लिए भारत और अंतर्राष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण के बीच अनुबंध के विस्तार को मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहुधात्विक पिंड के अन्वेषण के लिए भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण(आईएएस) के बीच अनुबंध के विस्तार को मंजूरी दी। यह मंजूरी पांच वर्षों 2017-22 तक के लिए दी गई है। इससे पहले हुआ अनुबंध 24 मार्च 2017 को समाप्त हो जाएगा।

अनुबंद के विस्तार से मध्य हिंद महासागर बेसिन के आवंटित क्षेत्र में भारत को बहुधात्विक पिंड के अन्वेषण का अधिकार मिल जाएगा। इससे भारत के लिए राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्र में वाणिज्यिक और सामरिक महत्व के संसाधनों के लिए नए अवसर के रास्ते खुलेंगे। इसके अलावा, यह हिंद महासागर में उपस्थिति को बढाने के मामले में भारत को सामरिक महत्व प्रदान करेगा, जहां अन्य अंतरराष्ट्रीय देश भी सक्रिय हैं।

पृष्टभूमिः

बहुधात्विक पिंड(इसे मैंगनीज पिंड के नाम से भी जाना जाता है) आलू के आकार का होता है, जो दुनिया के महासागरों के तल में बहुतायत में पाया जाता है। मैंगनीज के अलावा, निकल, कोबाल्ट और तांबा भी पाया जाता है जिनका आर्थिक एवं सामरिक महत्व है। भारत ने बहुधात्विक पिंड के अन्वेषण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण(आईएएस) के साथ 15 वर्ष के लिए 25 मार्च 2002 को अनुबंद किया था, जिसे कैबिनेट ने तब मंजूरी दी थी। भारत के पास इस समय 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है।

बहुधात्विक पिंड के अन्वेषण के तहत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सर्वेक्षण और अन्वेषण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन करता है। मंत्रालय से संबंद्ध तकनीकी विभाग(माइंनिंग एंड एग्ट्रैक्टिव) विभिन्न संस्थानों राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान(एनआईओ), राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला(एनएमएल), खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान(आईएमएमटी), राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीएओआर) एवं राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) आदि के साथ मिलकर बहुधात्विक पिंड के अन्वेषण कार्यक्रम के तहत इस काम को अंजाम देता है। करार के प्रावधानों के अनुसार भारत अनुबंध के सभी दायित्वों को पूरा कर रहा है।