प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज म्यांमार में कलादन मल्टी मोडल पारगमन परिवहन परियोजना के लिए 2904.04 करोड़ रुपए के संशोधित लागत अनुमान (आरसीई) को अपनी स्वीकृति दे दी।
इस परियोजना से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जाने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा। यही नहीं, यह परियोजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी खासा योगदान करेगी। यह कनेक्टिविटी से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजना है, अतः इसकी बदौलत भारत और म्यांमार के बीच आर्थिक, वाणिज्यिक एवं रणनीतिक संपर्कों को काफी बढ़ावा मिलेगा।
पृष्ठभूमिः-
भारत के पूर्वी बंदरगाहों से म्यांमार में और म्यांमार के जरिए भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में माल की ढुलाई हेतु परिवहन का एक मल्टी-मोडल साधन सृजित करने के लिए भारत और म्यांमार द्वारा संयुक्त रूप से कलादन मल्टी मोडल पारगमन परिवहन परियोजना चिन्हित की गई थी। यह परियोजना म्यांमार स्थित सितवे बंदरगाह को भारत-म्यांमार सीमा से जोड़ेगी और इसके द्वारा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास में खासा योगदान किए जाने की आशा है। विभिन्न उत्पादों के लिए समुद्री मार्ग के खुल जाने से ही यह संभव हो पाएगा। यह परियोजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए रणनीतिक संपर्क भी सुलभ कराएगी, जिससे सिलीगुड़ी कॉरीडोर पर दबाव काफी घट जाएगा। किसी वैकल्पिक मार्ग के अभाव में इस परियोजना के विकास से भारत के आर्थिक, वाणिज्यिक एवं रणनीतिक हितों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, यह परियोजना म्यांमार के विकास और भारत के साथ इसके आर्थिक एकीकरण में भी योगदान करेगी। चूंकि इस परियोजना की विशेष सियासी एवं रणनीतिक अहमियत है, इसलिए म्यांमार को भारत की ओर से अनुदान सहायता देते हुए इसे क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है।
बंदरगाह एवं अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल (आईडब्ल्यूटी) सहित जलमार्ग घटक (कंपोनेंट) के लिए अप्रैल 2003 में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने और मार्च 2005 में सड़क घटक के लिए डीपीआर तैयार करने के बाद रेल मंत्रालय के अधीनस्थ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम मेसर्स राइट्स लिमिटेड ने कलादन नदी के पास सितवे बंदरगाह से लेकर कलेत्वा (225 किलोमीटर) तक एक जलमार्ग बनाने और फिर इसके बाद कलेत्वा से भारत-म्यांमार सीमा (62 किलोमीटर) तक एक सड़क मार्ग बनाने का सुझाव दिया था। केन्द्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने मार्च, 2008 में आयोजित अपनी बैठक में 535.91 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना को मंजूरी दी थी।