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कैबिनेट ने मुख्य भूमि (चेन्नई) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के बीच पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी प्रावधान को मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुख्य भूमि (चेन्नई) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह एवं अन्य पांच द्वीपों के बीच सीधे संचार के लिए पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी(ओएफसी) प्रावधान को मंजूरी प्रदान कर दी। इन द्वीपों में लिटिल अंडमान, कार निकोबार, हैवलॉक, कामोर्टा और ग्रेट निकोबार शामिल हैं।

इस परियोजना पर अनुमानतः 1102.38 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें पांच वर्ष के लिए संचालन का खर्च भी शामिल है। इस परियोजना के दिसंबर 2018 तक पूरा होने की संभावना है।

इस मंजूरी के बाद अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (आईएएनएस) दूरसंचार कनेक्टिविटी और बैंडविड्थ से लैस होगा जिससे ई-गवर्नेंस पहल का कार्यान्वयन हो सकेगा और उद्यमों एवं ई-कॉमर्स सुविधाओं की स्थापना होगी।

इससे ज्ञान साझा करने, रोजगार के अवसरों की उपलब्धता के वास्ते शैक्षिक संस्थानों के लिए पर्याप्त समर्थन के प्रावधान को सक्षम बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा किया जा सकेगा।

पृष्टभूमिः-

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के लिए अपार सामरिक महत्व का स्थान है। भौगोलिक विन्यास और भारत के पूर्वी समुद्र तट की रक्षा के लिहाज से बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप श्रृंखला अहम स्थान रखता है। इन द्वीपों में सुरक्षित, विश्वसनीय, मजबूत और सस्ती दूरसंचार सुविधाओं का प्रावधान देश के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। साथ ही यह द्वीपों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

अभी मुख्य भूमि और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के बीच दूरसंचार कनेक्टिविटी प्रदान करने का एकमात्र माध्यम उपग्रह है, लेकिन बैंडविड्थ उपलब्धता एक जीबीपीएस तक सीमित है। उपग्रह के जरिये बैंडविड्थ का संचालन बहुत महंगा है। इसकी उपलब्धता आवश्यकता के अनुसार सीमित है और इसकी वजह से इस माध्यम से इसकी आवश्यकता को पूरी तरह से पूरा नहीं किया जा सकता है। फिर वहां संचार कनेक्टविटी की बाहुल्यता एक मुद्दा है, अर्थात किसी आपात स्थिति में वहां कोई वैकल्पिक मीडिया उपलब्ध नहीं है। बैंडविड्थ और दूरसंचार संपर्क की कमी भी इन द्वीपों के सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा है। इसलिए यह मुख्य भूमि भारत और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के बीच पनडुब्बी ओएफसी कनेक्टिविटी के लिए आवश्यक है। भविष्य में बैंडविड्थ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यही एकमात्र विकल्प है।