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कैबिनेट ने भारतीय डाक भुगतान बैंक की स्‍थापना को स्‍वीकृति दी


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार की 100 प्रतिशत इक्विटी के साथ डाक विभाग के अंतर्गत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) की स्‍थापना को अपनी स्‍वीकृति दे दी है।

इस परियोजना का कुल व्‍यय 800 करोड़ रुपये है। देश में औपचारिक बैंकिंग की परिधि से बाहर जनसंख्‍या के करीब 40 प्रतिशत नागरिक इस परियोजना से लाभान्वित होंगे। परियोजना को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा। आईपीपीबी मार्च 2017 तक भारतीय रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्‍त कर लेगा और सितंबर 2017 तक इसकी सेवाएं 670 भुगतान बैंक शाखाओं के माध्‍यम से देशभर में उपलब्‍ध होंगी और यह शाखाएं मोबाइल, एटीएम, पीओएस/एम-पीओएस उपकरणों एवं साधारण डिजिटल भुगतानों सहित अत्‍याधुनिक तकनीकों के साथ डाक घरों और वैकल्पिक चैनलों से संबद्ध होंगी।

इस प्रस्‍ताव से मूल बैंकिंग, भुगतान और प्रेषण सेवाएं प्रदान करने के द्वारा वित्‍तीय समावेशन और बीमा, म्‍युचुअल फंड, पेंशन और ग्रामीण क्षेत्रों एवं बैंक रहित और बैंक के अंतर्गत कार्य करने वाले क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्‍यान देते हुए तीसरे पक्ष के वित्‍तीय प्रदाताओं के साथ समन्‍वय के माध्‍यम से ऋण तक पहुंच जैसी वित्‍तीय सुविधाएं भी मिलेंगी। इससे कुशल बैंकिंग पेशेवरों के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे और देशभर में वित्‍तीय साक्षरता के प्रचार के अवसर पैदा होंगे। इससे पहुंच और समय के संदर्भ में दुनिया में सबसे बड़े बैंक की सुविधा का सृजन होगा।

पृष्‍ठभूमि

वर्ष 2015-16 के दौरान वित्‍तीय समावेशन के रूप में आईपीपीबी की स्‍थापना भी बजटीय घोषणाओं का एक अंग था। डाक विभाग ने भारतीय डाक भुगतान बैंक की स्‍थापना के लिए सितंबर 2015 में भारतीय रिजर्व बैंक की ‘सैद्धांतिक रूप में स्‍वीकृति’ प्राप्‍त कर ली थी। भारतीय डाक भुगतान बैंक से देशभर में उपभोक्‍ताओं के लिए आसान, कम कीमतों, गणवत्‍ता युक्‍त वित्‍तीय सेवाओं की आसानी से पहुंच के लिए विभाग के नेटवर्क और संसाधनों का लाभ मिलेगा।