परियोजना की कुल रूट लंबाई 16.6 किलोमीटर है जिसमें 12 स्टेशन है
यह परियोजना कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जा रही है जो रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक सीपीएसई है
परियोजना से यातायात में आसानी होगी, शहरी संपर्क बढ़ेगा और लाखों दैनिक यात्रियों को एक सुविधाजनक परिचालन सुविधा मिलेगी
परियोजना की अनुमानित पूर्ण लागत 8575 करोड़ रु है और इस काम को पूरा होने का लक्ष्य दिसंबर 2021 रखा गया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोलकाता ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर परियोजना के निर्माण के लिए अनुमानित संशोधित लागत को मंजूरी दे दी है।
कार्यान्वयन रणनीतियां और लक्ष्य:
• यह परियोजना कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जाएगी
जो रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक सीपीएसई है।
• परियोजना की अनुमानित पूर्ण लागत है 8575 करोड़ रुपये है। इसमें से रेल मंत्रालय ने 3268.27 करोड़ रुपया, आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने 1148.31 करोड़ रुपया शेयर किया है और जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) ने 4158.40 करोड़ रुपये का ऋण दिया है।
• 5.3 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर पहले ही 14.02.2020 से चालू है।
• आगे के 1.67 किमी पर 05.10.2020 को काम शुरू किया गया है।
• संपूर्ण परियोजना के पूरा होने की निर्धारित तिथि दिसंबर 2021 है।
गहरा प्रभाव :
मेगा परियोजना कोलकाता के व्यापारिक जिले के बीच पश्चिम में हावड़ा के औद्योगिक शहर और पूर्व में साल्ट लेक सिटी के बीच एक सुरक्षित, सुलभ और आरामदायक परिवहन प्रणाली के माध्यम से कुशल पारगमन संपर्क का निर्माण करेगी। परियोजना से यातायात में आसानी होगी और शहरवासियों के लिए एक सुरक्षित परिवहन साधन उपलब्ध होगा। यह कोलकाता शहर को एक आर्थिक, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल पारगमन सुविधा प्रदान करेगा। यह कोलकाता क्षेत्र की बड़े पैमाने पर परिवहन समस्या को दूर करेगा जिससे परिवहन में कम समय लगेगा और उत्पादकता और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस इंटरचेंज हब का निर्माण करके मेट्रो, उप-नगरीय रेलवे, नौकायान और बस परिवहन जैसे परिवहन के कई तरीकों को एकीकृत हो सकेगा। यह लाखों दैनिक यात्रियों के लिए परिवहन के सुचारू और निर्बाध प्रणाली सुनिश्चित करेगा।
परियोजना के लाभ:
• एक सुरक्षित, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली प्रदान कर लोगों को लाभान्वित करना।
• परिवहन के समय में कमी।
• ईंधन की कम खपत।
• सड़क बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत खर्च में कमी।
• प्रदूषण और दुर्घटना में कमी।
• ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) को बढ़ाना।
• गलियारे में भूमि बैंक के मूल्य में वृद्धि और अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करना।
• नौकरियों का सृजन।
• “आत्मनिर्भर भारत” और “लोकल फॉर वोकल” की भावना को शामिल करना।
पृष्ठभूमि:
कोलकाता ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना कोलकाता शहर और आसपास के शहरी इलाके के लाखों दैनिक यात्रियों के सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह रेल-आधारित जन रैपिड ट्रांजिट प्रणाली के माध्यम से कोलकाता, हावड़ा और साल्ट लेक में निर्बाध संपर्क प्रदान करेगा। यह कुशल और निर्बाध परिवहन इंटरचेंज हब का निर्माण करके मेट्रो, रेलवे और बस परिवहन जैसे परिवहन के अन्य सभी साधनों को भी एकीकृत करेगा। इस परियोजना में हुगली नदी के नीचे सुरंग सहित 16.6 किलोमीटर लंबे मेट्रो रेलवे कॉरिडोर के निर्माण की परिकल्पना की गई है जो कि हावड़ा स्टेशन के साथ साथ किसी प्रमुख नदी के नीचे भारत में पहला परिवहन टनल है जो भारत में सबसे गहरा मेट्रो स्टेशनों में से एक है।
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वीआरआरके/एएम/बीएम/सीकेसी
Today’s Cabinet decision will further ‘Ease of Living’ for my sisters and brothers of Kolkata. It will also give an impetus to local infrastructure and help commerce as well as tourism in the city. https://t.co/ozHmwwMNQu
— Narendra Modi (@narendramodi) October 7, 2020