प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने झारखंड और बिहार में उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के बकाया काम को परियोजना के फिर से प्रारंभ होने के तीन वर्षों में 1,622.27 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च से पूरा करने की मंजूरी दे दी है. मंत्रिमंडल ने बांध के जल स्तर को पहले के परिकल्पित स्तर के मुकाबले सीमित करने का भी फैसला किया ताकि कम इलाका बांध के डूब क्षेत्र में आए और बेतला राष्ट्रीय उद्यान और पलामू टाइगर रिजर्व को बचाया जा सके।
2. यह परियोजना सोन नदी की सहायक उत्तरी कोयल नदी पर स्थित है जो बाद में गंगा नदी में जाकर मिलती है. उत्तरी कोयल जलाशय झारखंड राज्य में पलामू और गढ़वा जिलों के अत्यंत पिछड़े जनजातीय इलाके में स्थित है. इसका निर्माण कार्य मूलत: 1972 में प्रारंभ हुआ और 1993 में बिहार सरकार के वन विभाग ने इसे रुकवा दिया. तब से बांध का निर्माण कार्य ठप्प पड़ा हुआ था. परियोजना के प्रमुख घटकों में शामिल हैं: 67.86 मीटर ऊंचे और 343.33 मीटर लम्बे कंक्रीट बांध का निर्माण जिसे पहले मंडल बांध नाम दिया गया था. इसकी क्षमता 1160 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) जल संग्रह करने की निर्धारित की गयी थी. इसके अलावा परियोजना के तहत नदी के बहाव की निचली दिशा में मोहनगंज में 819.6 मीटर लंबा बैराज और बैराज के दांये और बांये तट से दो नहरें सिंचाई के लिए वितरण प्रणालियों समेत बनायी जानी थीं. बांध की ऊंचाई घटाकर 341 मीटर किये जाने से मंडल बांध की जल संग्रहण क्षमता अब 190 एमसीएम होगी. परियोजना के पूरा हो जाने पर झारखंड के पलामू और गढ़वा जिलों के साथ-साथ बिहार के औरंगाबाद और गया जिलों के सबसे पिछड़े और सूखे की आशंका वाले इलाकों में 111,521 हैक्टेयर जमीन की सिंचाई की व्यवस्था की जा सकेगी. फिलहाल अधूरी परियोजना से 71,720 हैक्टेयर जमीन की पहले ही सिंचाई हो रही है. पूर्ण हो जाने पर इससे 39,801 हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि की सिंचाई होने लगेगी. इस परियोजना के जरिए दोनों राज्यों में सिंचाई क्षमता इस प्रकार होगी:
कुल सिंचाई क्षमता – 1,11,521 हेक्टेयर
बिहार में सिंचाई क्षमता – 91,917 हेक्टेयर
झारखंड में सिंचाई क्षमता – 19,604 हेक्टेयर
परियोजना की कुल लागत अभी तक 2391.36 करोड़ रुपये आंकी गई है। अभी तक 769.09 करोड़ रुपये की राशि इस परियोजना पर खर्च की गई है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने तीन वित्त वर्षों के दौरान 1622.27 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से झारखंड और बिहार में उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष बचे कार्यों को पूरा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
शेष बचे कार्यों के 1013.11 करोड़ रुपये के सामान्य घटकों का वित्त पोषण केन्द्र सरकार द्वारा पीएमकेएसवाई कोष से अनुदान के रूप में किया जाएगा। इनमें शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) तथा प्रतिपूरक वनीकरण (सीए) की लागत शामिल हैं, जो क्रमशः 607 करोड़ और 43 करोड़ रुपये है। केन्द्र सरकार बिहार और झारखंड राज्यों से अनुदान के रूप में प्राप्त पीएमकेएसवाई के तहत दीर्घकालिक सिंचाई कोष (एलटीआईएफ) से 365.5 करोड़ रुपये तक (बिहार-318.64 करोड़ रुपये और झारखंड-46.86 करोड़ रुपये) के शेष बचे कार्यों की कुल लागत के 60 प्रतिशत का भी वित्त पोषण करेगी। बिहार और झारखंड राज्य उस दर पर नाबार्ड के जरिए एलटीआईएफ से ऋण के रूप में 243.66 करोड़ रुपये (बिहार-212.43 करोड़ रुपये और झारखंड-31.23 करोड़ रुपये) के शेष बचे कार्यों की शेष लागत के 40 प्रतिशत की व्यवस्था करेंगे, जिस पर कोई सब्सिडी नहीं होगी और वह बगैर किसी ब्याज सब्सिडी के बाजार उधारी लागत से संबंधित है।
कैबिनेट ने परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) के रूप में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीनस्थ एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसयू) मेसर्स वापकॉस लिमिटेड द्वारा टर्नकी आधार पर परियोजना के शेष बचे कार्यों के क्रियान्वयन को भी मंजूरी दी। परियोजना के क्रियान्वयन पर नजर नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता वाली भारत सरकार की उच्चाधिकार प्राप्त समिति रखेगी।