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कैबिनेट ने आम बजट के साथ रेल बजट विलय को मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त मंत्रालय के बजट में सुधार से संबंधित प्रस्तावों को अनुमति प्रदान कर दी। इसके तहत (1) आम बजट के साथ रेल बजट का विलय कर दिया गया, (2) फरवरी के अंतिम दिन से बजट पेश करने की तारीख और (3) योजना के विलय एवं बजट व लेखा में गैर-योजना वर्गीकरण को भी अनुमति दे दी गई। ये सभी बदलाव बजट 2017-18 में स्वतः शामिल हो जाएंगे।

आम बजट के साथ रेल बजट का विलयः

आम बजट के साथ रेल बजट के विलय की व्यवस्था को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद प्रशासनिक और वित्तीय व्यवस्था को अनुमोदित किया गया है जो निम्न हैः
I. रेलवे मौजूदा व्यवस्था की तरह विभागीय तौर पर वाणिज्यिक काम करता रहेगा।
II. मौजूदा दिशा निर्देशों के अनुसार रेलवे अपने कार्यात्मक स्वायत्तता और वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन आदि को बनाए रखेगा।
III. मौजूदा वित्तीय व्यवस्था जारी रहेगी, जिसमें रेलवे साधारण संचालन व्यय सहित अपने सभी राजस्व व्यय, वेतन एवं भत्तों और पेंशन आदि को पूरा करेगा तथा अपने राजस्व प्राप्तियों से इनको पूरा करेगा।
IV. रेलवे के पास अनुमानतः 2.27 लाख करोड़ रुपये की पूंजी है, जिस पर सालाना लाभांश रेलवे द्वारा भुगतान किया जाता है। अब इसे बंद कर दिया जाएगा। नतीजतन, 2017-18 से रेलवे के लिए कोई लाभांश नहीं होगा और रेल मंत्रालय को सकल बजटीय समर्थन मिल जाएगा। इसके साथ ही रेलवे को भारत सरकार को लगभग 9,700 करोड़ रुपये के वार्षिक लाभांश के भुगतान का दायित्व से मुक्ति मिल जाएगी।

अलग से रेल बजट को पेश करने का सिलसिला वर्ष 1924 में शुरू हुआ था, जो प्रावधानों के मुताबिक आजादी के बाद भी जारी रहा
विलय से निम्नलिखित मदद मिलेगीः
· एक एकीकृत बजट की प्रस्तुति चरण और रेलवे के मामलों को केंद्र में लाने के लिए सरकार की वित्तीय स्थिति को लेकर एक समग्र तस्वीर को पेश करेंगे।
· वितरण और सुशासन के पहलुओं को ध्यान में लाने के बजाय विलय से प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को कम होने की उम्मीद है।
· विलय से रेलवे के लिए विनियोग मुख्य विनियोग विधेयक का हिस्सा बनेगी।

बजट प्रस्तुति के लिए एडवांसमेंटः

मंत्रिमंडल ने सैद्धांतिक रूप से बजट से संबंधित अन्य सुधारों को भी मंजूरी दी है जिसमें बजट को पेश करने की तारीख को फरवरी के अंतिम दिन की बजाय सुविधानुसार करने संबंधी बदलाव शामिल हैं। राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए 2017-18 के लिए बजट की प्रस्तुति की सही तारीख को तय किया जाएगा।

इससे निम्न तरह की मदद मिलेगीः
· 31 मार्च से पहले विधायी व्यापार से संबंधित एक महीने और बजट के पूरा होने से बजट प्रस्तुति की उन्नति के बजट चक्र को पूरा करने के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। इससे वित्त वर्ष की शुरुआत से बेहतर योजना बनाने और योजनाओं के क्रियान्वयन सुनिश्चित करने में मंत्रालयों और विभागों को सक्षम बनाया जा सकेगा। साथ ही इससे पहली तिमाही सहित चालू सत्रों का पूरा उपयोग किया जा सकेगा।
· विलय से ‘लेखानुदान’ के माध्यम से विनियोग की मांग के लिए जरूरत रोकना होगा और कर में विधायी परिवर्तन के कार्यान्वयन के लिए सक्षम बनाया जा सकेगा। साथ ही वित्त वर्ष की शुरुआत से नए कराधान उपायों के लिए कानून बनाए जा सकेंगे।

बजट और लेखा में योजना और गैर योजना वर्गीकरण का विलयः

तीसरे प्रस्ताव में 2017-18 के बजट में योजना और गैर योजना वर्गीकरण के विलय के अनुमोदन से संबंधित है, जिसे मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसके तहत अनुसूचित जाति के लिए उप-योजना औऱ जनजातीय समूह को लेकर उप-योजना के लिए धन का निर्धारण शामिल है।

इससे निम्नलिखित मुद्दों को सुलझाया जा सकेगाः
· खर्चों को बांटने के मकसद से योजना/गैर योजना का विचार विभिन्न योजनाओं के आवंटन के संसाधनों के उपयोग के लिए किया गया। एक सेवा को पहुंचाने की लागत का पता लगा मुश्किल ही नहीं, बल्कि परिणामों के लिए परिव्यय से जोड़ना भी कठिन था।
· इस कदम ने केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों की ओर से योजना व्यय के लिए आवश्यक सामाजिक सेवाएं प्रदान करने को लेकर संपत्ति और अन्य प्रतिष्ठान संबंधित व्यय के रखरखाव पर आवश्यक व्यय को दरकिनार करने के लिए प्रेरित किया है।
· बजट में योजना और गैर-योजना का विलय उचित बजटीय ढांचे के राजस्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कर रहे हैं। इससे पूंजीगत व्यय प्रदान करने की उम्मीद है।