प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आधार अधिनियम 2016, काला धन शोधन रोकथाम 2005 और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश के प्रख्यापन को मंजूरी दी है। प्रस्तावित संशोधन वैसे ही हैं जैसे 4 जनवरी, 2019 को लोकसभा द्वारा पारित विधेयक में निहित हैं।
प्रभाव:
ये संशोधन यूआईडीएआई को जनहित की सेवा करने एवं आधार के दुरुपयोग को सीमित करने के लिए अधिक मजबूत तंत्र की स्थापना करने में सक्षम बनायेंगे। इस संशोधन के बाद किसी भी व्यक्ति को अपनी पहचान स्थापित करने के प्रयोजन से सत्यापन की प्रक्रिया के लिए आधार संख्या रखने का प्रमाण उपलब्ध कराने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, जबतक कि संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून द्वारा ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया जाता।
इन संशोधनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
-आधार नंबर धारक की सहमति से ऑफलाइन सत्यापन के प्रमाणीकरण द्वारा भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग का प्रावधान करता है
– किसी व्यक्ति के वास्तविक आधार नंबर को छुपाने के लिए 12 संख्या के आधार नंबर एवं इसकी वैकल्पिक आभासी पहचान के उपयोग का प्रावधान करता है
-उन बच्चों को, जो आधार कार्डधारी हैं, 18 वर्ष पूरे हो जाने पर अपना आधार नंबर रद्द करने के विकल्प का प्रावधान करता है
-संस्थाओं को केवल तभी प्रमाणीकरण करने की अनुमति देता है जब वे प्राधिकारी द्वारा निर्दिश्ट गोपनीयता एवं सुरक्षा मानदंडों के अनुपालक हों, और प्रमाणीकरण की अनुमति संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून के तहत दी जा सकती है या वे केंद्र सरकार द्वारा देश के हित में अनुशंसित हो
– स्वैच्छिक आधार पर प्रमाणीकरण के लिए आधार संख्या के उपयोग की अनुमति देता है जैसाकि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 एवं काला धन शोधन रोकथाम अधिनियम 2002 के तहत केवाईसी दस्तावेज के रूप में स्वीकार्य है
-निजी संस्थाओं द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 57 के विलोपन का प्रस्ताव रखता है
-यूनिक आईडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया फंड की स्थापना के लिए प्रावधान करता है
-आधार पारिस्थितिकी तंत्र में कंपनियों द्वारा आधार अधिनियम एवं प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में नागरिक दंड, इसके अधिनिर्णय एवं संबंधित अपील का प्रावधान करता है।
पृष्ठभूमि:
सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 के डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 494 में दिनांक 26.09.2018 के अपने निर्णय एवं अन्य चिन्हित याचिकाओं में आधार को संवैधानिक रूप से वैध माना। तथापि, इसने आधार अधिनियम एवं विनियमनों के कुछ हिस्सों को वैध नहीं माना एवं गोपनीयता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए कई अन्य निर्देश दिए।
इसके बाद, यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी दुरुपयोग की स्थिति में आधार धारकों के व्यक्तिगत डाटा की रक्षा हो और आधार योजना संविधान के अनुरूप बनी रहे, सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों एवं डाटा सुरक्षा पर न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्णा (सेवानिवृत्त) की रिपोर्ट के अनुसार आधार अधिनियम, भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और काला धन शोधन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया।
इस दिशा में, आधार एवं अन्य कानून (संशोधनों) विधेयक, 2018 को लोकसभा द्वारा 4 जनवरी, 2019 को आयोजित इसकी बैठक में पारित कर दिया गया। तथापि, इससे पहले कि राज्य सभा द्वारा इस पर विचार किया जाता और पारित किया जाता, राज्य सभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई।