प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज अगले पांच वर्षों के दौरान दो नए शहरी मिशनों के तहत केन्द्र सरकार की ओर से शहरी विकास पर तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने को अपनी स्वीकृति दे दी। कैबिनेट ने ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ और ‘500 शहरों के कायाकल्प एवं शहरी रूपांतरण के लिए अटल मिशन (अमरूत)’ को मंजूरी दी है, जिनके लिए परिव्यय क्रमश: 48,000 करोड़ तथा 50,000 करोड़ रुपये है। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों को और ज्यादा रहने लायक तथा समावेशी बनाने के साथ-साथ आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करने हेतु देश के शहरी परिदृश्य में व्यापक बदलाव लाना है।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत हर चयनित शहर को अगले पांच वर्षों के दौरान हर साल 100 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता दी जाएगी। स्मार्ट सिटी की आकांक्षा रखने वालों का चयन एक ‘सिटी चैलेंज कंपटीशन’ के जरिए किया जाएगा, जिसके तहत मिशन के लक्ष्यों को पाने की दिशा में शहरों की क्षमता को वित्त पोषण से जोड़ा जाएगा। हर राज्य तय नियमों के मुताबिक स्मार्ट सिटी की आकांक्षा रखने वालों की एक खास संख्या का चयन करेगा और वे इस दिशा में आगे के मूल्यांकन के लिए स्मार्ट सिटी से जुड़े प्रस्ताव तैयार करेंगे, ताकि केन्द्रीय सहायता सुलभ कराई जा सके।
100 स्मार्ट शहरों के निर्माण के इस मिशन का उद्देश्य उपलब्ध परिसंपत्तियों, संसाधनों एवं बुनियादी ढांचे के कारगर इस्तेमाल के लिए स्मार्ट सोल्यूशन को अपनाने के लिए बढ़ावा देना है, ताकि शहरी जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके और स्वच्छ एवं टिकाऊ माहौल सुलभ हो सके। इसके तहत शहरी नियोजन में नागरिकों की भागीदारी पर विशेष जोर दिया जाएगा।
स्मार्ट सिटी पहल के तहत प्रमुख बुनियादी ढांचागत सेवाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा, जिनमें पर्याप्त एवं स्वच्छ जल की आपूर्ति, साफ-सफाई, ठोस कचरे का प्रबंधन, शहरों में आवागमन और सार्वजनिक परिवहन की कारगर व्यवस्था, गरीबों के लिए सस्ते मकान, बिजली की आपूर्ति, सुदृढ़ आईटी कनेक्टिविटी, गवर्नेंस खासकर ई-गवर्नेंस एवं नागरिकों की भागीदारी, नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और टिकाऊ शहरी माहौल शामिल हैं।
स्मार्ट सिटी से जुड़ी कार्य योजनाओं को विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) के जरिए क्रियान्वित किया जाएगा। हर शहर के लिए एसपीवी बनाया जाएगा और राज्य सरकारें एसपीवी के लिए संसाधनों का सतत प्रवाह सुनिश्चित करेंगी।
दोनों मिशन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ‘अमरूत’ में परियोजना से जुड़ा रुख अपनाया गया है, ताकि जलापूर्ति, सीवरेज, पानी की निकासी, परिवहन, हरित स्थलों एवं पार्कों के विकास से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें। इसके तहत बच्चों की जरूरतों को पूरा करने का विशेष प्रावधान होगा। इस मिशन के क्रियान्वयन को ई-गवर्नेंस, धनराशि के हस्तांतरण एवं शहरी स्थानीय निकायों के कामकाज, प्रोफेशनल नगरपालिका कैडर, शहरी स्थानीय निकायों की साख रेटिंग जैसे शहरी सुधारों को बढ़ावा देने से जोड़ा जाएगा।
बजट आवंटन का 10 फीसदी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को बतौर प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो पिछले वर्ष के सुधारों से जुड़ी उपलब्धि पर आधारित होगा।
इस मिशन को ऐसे 500 शहरों एवं कस्बों में क्रियान्वित किया जाएगा, जहां की आबादी एक लाख या उससे ज्यादा है।
राज्य इस मिशन के तहत चिन्हित शहरों की जरूरतों के आधार पर योजनाएं तैयार कर सकेंगे। यही नहीं, राज्यों को इन योजनाओं के क्रियान्वयन एवं निगरानी में भी लचीलापन सुलभ होगा। केन्द्र सरकार परियोजनाओं का अलग-अलग आकलन नहीं करेगी, जो जेएनएनयूआरएम की व्यवस्था से अलग हटकर है।
10 लाख तक की आबादी वाले शहरों एवं कस्बों के लिए जो केन्द्रीय सहायता दी जाएगी वह परियोजना लागत का 50 फीसदी तक होगी। वहीं, 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों एवं कस्बों के लिए परियोजना लागत के एक तिहाई के बराबर केन्द्रीय सहायता दी जाएगी। केन्द्रीय सहायता को 20:40:40 के अनुपात में तीन किस्तों में जारी किया जाएगा, जो राज्यों की वार्षिक कार्य योजनाओं में उल्लेखित लक्ष्यों की प्राप्ति पर आधारित होगी।