प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को छोड़कर अन्य सभी राज्य सरकारों राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (विधानमंडल सहित) को 01 अप्रैल, 2016 से राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) में निवेश से बाहर करने को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने एनएसएसएफ से भारतीय खाद्य निगम (एससीआई) को इसकी सब्सिडी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 45,000 करोड़ रुपये के ऋण को भी मंजूरी दी है।
इसका विवरण निम्न प्रकार हैः
a)अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को छोड़कर अन्य सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (विधानमंडल सहित) एनएसएसएफ में निवेश से बाहर हो गए हैं। अरुणाचल प्रदेश अपने क्षेत्र के अंदर के एनएसएसएफ संग्रह में से 100 प्रतिशत ऋण प्राप्त कर सकेगा, जबकि दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को संग्रह का 50 प्रतिशत प्रदान किया जाएगा।
b)भारतीय खाद्य निगम के लिए बढ़ाए गए ऋण के ब्याज और मूलधन की अदायगी सार्वजनिक वितरण विभाग की बजट लाइन के अनुरूप होगी। एनएसएसएफ ऋण के संबंध में एफसीआई का कर्ज अदायगी का दायित्व भारतीय खाद्य निगम को जारी की गई सब्सिडी पर पहले शुल्क के तौर पर माना जाएगा। इसके अलावा, भारतीय खाद्य निगम एनएसएसएफ की ऋण राशि की सीमा तक बैकिंग संघ के साथ अपने वर्तमान नकद ऋण की सीमा को घटा सकता है।
c)वित्तमंत्री के अनुमोदन से एनएसएसएफ भविष्य में उन वस्तुओं में निवेश कर सकेगा जिनका व्यय अंततः भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है और जिसके मूलधन और ब्याज की अदायगी संघ के बजट से वहन की जाएगी।
d)अरूणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को छोड़कर सभी राज्य 01 अप्रैल 2016 से एनएसएसएफ में निवेश से बाहर रहेंगे। एफसीआई और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और वित्त मंत्रालय के बीच एनएसएसएफ की ओर से कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जोकि ब्याज दर की अदायगी के लिए तौर तरीकों पर और मूलधन तथा भारतीय खाद्य निगम के कर्ज के पुनर्गठन को 2 से 5 साल के भीतर संभव करने के प्रयास पर केंद्रित होंगे।
e)एक बार राज्यों के एनएसएसएफ में निवेश से अलग होने के बाद भारत सरकार के साथ एनएसएसएफ के निवेश योग्य धन में वृद्धि होगी। सरकार के पास एनएसएसएफ ऋण की बढ़ी हुई उपलब्धता भारत सरकार की बाजार उधारी को कम कर सकती है। हालांकि राज्यों की बाजार उधारी में वृद्धि देखने को मिल सकती है। केंद्र एवं राज्य द्वारा संयुक्त तौर पर बाजार से कर्ज योग्य फंड की मांग में बढ़ोत्तरी के कारण आय में होने वाला मुनाफा गैरमामूली होगा। एफसीआई की उधार लेने की लागत में कमी ब्याज में अंतर की सीमा के बराबर होगी। यह भारत सरकार के खाद्य सब्सिडी बिल में हुई बचत में दिखाई देगी।
f)एनएसएसएफ में निवेश से राज्यों को बाहर करने के निर्णय को लागू करने और ऋण देने की कोई अतिरिक्त लागत नहीं होगी। इसके बजाय भारत सरकार के खाद्य सब्सिडी बिल में कमी का अनुमान है।
अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश एनएसएसएफ से ऋण का लाभ उठाते रहेंगे। बाजार से उधार लेने के पात्र 26 अन्य राज्य एंव पुडुचेरी एनएसएसएफ से ऋण लेना बंद करना पसंद करेंगे।
पृष्ठभूमि
चौदहवें वित्त आयोग (एफएफसी) ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों को राष्ट्रीय लघु बचत कोष के निवेश के संचालन से बाहर रखा जा सकता है। एनएसएसएफ ऋण राज्य सरकार को एक अतिरिक्त कीमत पर मिलते हैं जबकि बाजार में इनकी दरें अपेक्षाकृत कम होती हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 फरवरी 2015 को आयोजित बैठक में यह स्वीकार किया और कहा कि इस सिफारिश की विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद जांच की जाएगी। अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश के सिवाए अन्य राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों ने एनएसएसएफ निवेश से बाहर किए जाने की इच्छा जताई थी। 01.04.2016 से राष्ट्रीय लघु बचत कोष के संचालन से बाहर हुए राज्यों की भागीदारी को केवल 31.03.2016 तक एनएसएसएफ के बकाया ऋण दायित्वों का निर्वहन करने के लिए सीमित किया जाएगा (एफएफसी सिफारिशें)। राज्यों द्वारा राष्ट्रीय लघु बचत कोष से 31.03.2016 तक अनुबंधित कर्ज को वित्तीय वर्ष 2038-39 तक पूरी तरह से चुकाया जाएगा।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की खाद्य सब्सिडी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एनएसएसएफ को अपने संग्रह का एक हिस्सा उसे भी देना चाहिए। यह एफसीआई को अपनी ब्याज लागत कम करने में मदद करेगा। एफसीआई वर्तमान में नकद ऋण सीमा (सीसीएल) के माध्यम से 10.01% की ब्याज दर पर कार्यशील पूंजी ऋण और 9.40% की ब्याज दर पर छोटी अवधि का कर्ज (एसटीएल) लेता है, वहीं एनएसएसएफ वर्तमान में अपने कर्ज पर प्रतिवर्ष 8.8% का ब्याज वसूलता है। ब्याज दर में यह बचत भारत सरकार के ऊपर से खाद्य सब्सिडी का बोझ कम करती है।