प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन पर क्योटो प्रोटोकॉल के दूसरी प्रतिबद्धता अवधि के अनुसमर्थन के लिए अपनी सहमति दे दी है। क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि को 2012 में अपनाया गया था। अभी तक, 75 देश दूसरी प्रतिबद्धता अवधि को मंजूरी दे चुके हैं।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय आम आम सहमति को बनाए रखने में भारत द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह फैसला पर्यावरण की रक्षा और जलवायु न्याय के वैश्विक उद्देश्य पर प्रतिबद्ध राष्ट्रों के समुदाय में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करता है। भारत द्वारा क्योटो प्रोटोकॉल को मंजूरी देने से दूसरे विकासशील देश भी इस पर सहमति जताने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इस प्रतिबद्धता अवधि के दौरान स्वच्छ विकास तंत्र (सीडीएम) को लागू करना सतत विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप होगा और इससे भारत में कुछ निवेश भी आकर्षित होगा।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मेलन (यूएनएफसीसी) में वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को स्थिर करने का आग्रह किया गया है ताकि जलवायु प्रणाली में कम से कम हस्तक्षेप हो। यह स्वीकार करते हुए कि वर्तमान में वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के ऊंचे स्तर के लिए मुख्यतः विकसित देश ही जिम्मेदार हैं, क्योटो प्रोटोकॉल विकसित देशों के सामने शमन लक्ष्यों को हासिल करने और विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन एवं तकनीकी हस्तांतरण उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता रखता है। भारत जैसे विकासशील देशों के समक्ष क्योटो प्रोटोकॉल के तहत कोई अनिवार्य दायित्य या शमन लक्ष्य नहीं है।
पृष्ठभूमि
क्योटो प्रोटोकॉल 1997 में अपनाया गया था और इसकी पहली प्रतिबद्धता अवधि 2008-2012 के बीच थी। दोहा में वर्ष 2012 में दूसरी प्रतिबद्धता अवधि (दोहा संशोधन) के लिए क्योटो प्रोटोकॉल में संशोधनों को वर्ष 2013-2020 की अवधि के लिए सफलतापूर्वक अपनाया गया था। दोहा संशोधन के ‘ऑप्ट-इन’ प्रावधान के तहत विकसित देशों ने अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू करना शुरू कर दिया है।
भारत हमेशा 2020 से पूर्व विकसित देशों द्वारा जलवायु कार्रवाई के महत्व पर जोर देता रहा है। इसके साथ ही, भारत ने सम्मेलन के प्रावधानों एवं सिद्धातों जैसे, निष्पक्षता एवं सामूहिकता लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारी एवं क्षमताओं के सिद्धांत (सीबीडीआरएंडआरसी) के अनुसार जलवायु कार्रवाई की वकालत की है।