प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के संबंध में अधिसूचित अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची में समावेशन/संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की सलाह पर 25 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अब तक कुल 2479 ‘प्रविष्टियां’ अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची में अधिसूचित की जा चुकी हैं। इन प्रविष्टियों में पर्यायवाची, उप-जातियां आदि शामिल हैं। इस तरह की अंतिम अधिसूचना सितम्बर, 2016 को जारी हुई थी। इस बीच, एनसीबीसी से असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड राज्य के लिए ओबीसी की मौजूदा सूची में जातियों/समुदायों के समावेशन और सुधार के लिए कई अन्य सलाह भी मिली हैं।
इसके अनुरूप अब जम्मू-कश्मीर समेत 8 राज्यों के संबंध में एनसीबीसी की सिफारिशों पर कुल 28 बदलावों (15 नई प्रविष्टियां, 9 पर्यायवाची/उप-जातियां और 4 संशोधन ) को अधिसूचित किया गया है।
पृष्ठभूमि:
एनसीबीसी का गठन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 के अनुरूप इंदिरा साहनी मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर हुआ था। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 की धारा 9 (‘आयोग के कार्य’) के अनुसार –
1. आयोग नागरिकों के किसी भी वर्ग को सूची में पिछड़े वर्ग के रूप में शामिल करने के आग्रह पर विचार करेगा और इस तरह की सूचियों को किसी पिछड़े वर्ग को समावेश से अधिक होने या समावेश से कम होने संबंधी शिकायतों को सुनेगा तथा अपने द्वारा उचित समझे गए माध्यम से केंद्र सरकार को सलाह देगा।
2. आयोग की सलाह साधारणत: केंद्र सरकार के लिए बाध्य होगी।