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एआईआईए में कई परियोजनाओं की आधारशिला रखने के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

एआईआईए में कई परियोजनाओं की आधारशिला रखने के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ


कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, मनसुख मांडविया जी, प्रताप राव जाधव जी, श्रीमती अनुप्रिया पटेल जी, सुश्री शोभा करंदलाजे जी, संसद में मेरे साथी इसी क्षेत्र के सांसद श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी जी, विभिन्न राज्यों से वर्चुअल माध्यम से जुड़े माननीय राज्यपाल गण, माननीय मुख्यमंत्रीगण, सांसद गण, विधायक गण, अन्य सभी सम्मानित जनप्रतिनिधि, देश के विभिन्न भागों से स्वास्थ्य संस्थानों से जुड़े डॉक्टर, वैद्य, आयुष और हेल्थ प्रोफेशनल्स…स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े लाखों भाई और बहनों, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के सभी डॉक्टर्स एवं कर्मचारी देवियों एवं सज्जनों!

आज पूरा देश धनतेरस और भगवान धन्वंतरि की जयंती का पर्व मना रहा है। मैं आप सबको धनतेरस और धन्वंतरि जयंती की बधाई देता हूँ। आज के दिन देश में बहुत बड़ी संख्या में लोग अपने घर के लिए कुछ ना कुछ नया खरीदते हैं। मैं विशेष रूप से देश के व्यापारी साथियों को भी शुभकामनाएँ देता हूँ। आप सभी को भी, दीपावली की भी अग्रिम शुभकामनाएँ। हम में से बहुत लोग हैं जिन्होंने बहुत दीवालियां देखीं हैं, लेकिन दीवालियां भले देखीं हों ये दीवाली ऐतिहासिक है, आपको लगेगा की भई इतनी दीवाली देखकर कर के तो बाल सफेद हो गए और मोदी जी ये ऐतिहासिक दीवाली कहाँ से लाए। 500 साल बाद ऐसा अवसर आया है…जब अयोध्या में रामलला की जन्मभूमि पर बने उनके मंदिर में भी हजारों दीप जलाए जाएंगे, एक अद्भुत उत्सव होगा। ये ऐसी दीपावली होगी, जब हमारे राम एक बार फिर अपने घर आए हैं। और इस बार ये प्रतीक्षा 14 वर्ष के बाद नहीं, 500 वर्षों के बाद पूरी हो रही है। 

साथियों, 

धनतेरस के दिन सौभाग्य और स्वास्थ्य का ये उत्सव….सिर्फ एक संयोग नहीं है। ये भारतीय संस्कृति के जीवन दर्शन का प्रतीक है। हमारे ऋषियों ने कहा है-आरोग्यम् परमम् भाग्यम्! यानी, आरोग्य ही परम भाग्य, परम धन है। कहते ही हैं- health is wealth. यही प्राचीन चिंतन, आज आयुर्वेद दिवस के रूप में पूरी दुनिया में छा रहा है। हम सबके लिए खुशी की बात है कि आज 150 से ज्यादा देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। ये प्रमाण है- आयुर्वेद को लेकर बढ़ रहे वैश्विक आकर्षण का! और ये प्रमाण है कि नया भारत अपने प्राचीन अनुभवों से विश्व को कितना कुछ दे सकता है। 

साथियों, 

बीते 10 वर्षों में देश ने आयुर्वेद के ज्ञान को मॉडर्न मेडिसीन के साथ जोड़कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। ‘ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद’ इसका एक बड़ा केंद्र बना है। 7 वर्ष पहले, आज ही के दिन मुझे इस इंस्टीट्यूट के पहले फेज को समर्पित करने का सौभाग्य मिला था। आज भगवान धन्वंतरि की जयंती पर ही मुझे इसके सेकंड फेज के लोकार्पण का अवसर मिल रहा है। अब यहाँ पंचकर्म जैसी प्राचीन पद्धतियों का आधुनिक टेक्नॉलॉजी के साथ fusion देखने को मिलेगा। आयुर्वेद और मेडिकल साइन्स की फ़ील्ड में एडवांस्ड रिसर्च भी होगी। और मैं इसके लिए सभी देशवासियों को बधाई देता हूँ। 

साथियों,

जिस देश के नागरिक, जितने स्वस्थ होंगे, उस देश की प्रगति की गति भी तेज होगी। इस सोच के साथ अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य नीति के पांच स्तंभ तय किए हैं। पहला- प्रिवेंटिव हेल्थकेयर, यानि बीमारी होने से पहले का बचाव…दूसरा- समय पर बीमारी की जांच…तीसरा- मुफ्त और सस्ता इलाज, सस्ती दवाएं…चौथा- छोटे शहरों में अच्छा इलाज, डॉक्टरों की कमी दूर करना…और पांचवां- स्वास्थ्य सेवा में टेक्नॉलॉजी का विस्तार। भारत अब health sector को holistic healthcare की नज़र से देखता है। आज इस कार्यक्रम में इन पांचों स्तंभों की मजबूत झलक दिखाई देती है। अभी यहाँ लगभग 13 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ है। आयुर-स्वास्थ्य योजना के तहत 4 center of excellence…ड्रोन के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार….एम्स ऋषिकेश में हेलीकाप्टर सर्विस…एम्स दिल्ली और एम्स बिलासपुर में नया इंफ्रास्ट्रक्चर….देश के 5 अन्य एम्स में सेवाओं का विस्तार…मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत…नर्सिंग कॉलेजों का भूमि पूजन….देश में स्वास्थ्य सेवाओं के कायाकल्प से जुड़े ऐसे अनेकों काम आज हुये हैं। मुझे खुशी है, इनमें से कई अस्पताल हमारे श्रमिक भाई-बहनों के इलाज के लिए बनाए गए हैं। ये अस्पताल हमारे श्रमिक वर्ग की सेवा के केंद्र बनेंगे। आज जिन pharma units का लोकार्पण हुआ है, उनसे देश में ही advanced medicines के साथ high quality stents और implants भी बनेंगे। ये units Pharma sector में भारत की ग्रोथ को आगे बढ़ाएँगी।

साथियों, 

हम में से अधिकतर लोग, उस पृष्ठभूमि से आए हैं…जहां बीमारी का मतलब होता है…पूरे परिवार पर मानो बिजली गिर गई हो। गरीब के घर में कोई एक अगर गंभीर रूप से बीमार होता है तो उसका असर घर के हर सदस्य पर पड़ता है। एक समय था…जब इलाज में लोगों को घर, जमीनें…गहने सब बिक जाते थे…गंभीर बीमारी के इलाज का खर्च सुनकर ही गरीब की आत्मा कांप जाती थी…बुजुर्ग मां सोचती थी कि अपना इलाज कराऊं या नाती-पोते की पढ़ाई…बुजुर्ग पिता सोचता था…अपना इलाज कराऊं या घर के खर्च देखूं…इसलिए गरीब परिवार के बड़े-बुजुर्गों को बस एक ही रास्ता दिखाई देता था…चुपचाप तकलीफ सहो…दर्द बर्दाश्त करो…चुपचाप मृत्यु का इंतजार करो…पैसे की कमी की वजह से इलाज ना करा पाने की वो बेबसी…वो बेचारगी…गरीब को तोड़कर रख देती थी।

मैं अपने गरीब भाई-बहनों को इस बेबसी में नहीं देख सकता था। इसलिए ही उस संवेदना में से, उस दर्द में से, उस पीड़ा में से मेरे देशवासियों के प्रति पूर्ण सर्मपण भाव में से आयुष्मान भारत योजना ने जन्म लिया है। सरकार ने तय किया कि गरीब के अस्पताल में भर्ती होने का खर्च…5 लाख रुपए तक के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। आज मुझे संतोष है कि देश में लगभग 4 करोड़ गरीबों ने आयुष्मान योजना का लाभ उठाया है। ये 4 करोड़ गरीब अस्पताल में भर्ती हुए, इनमें से कुछ तो अलग-अलग बीमारियों के लिए कई बार भर्ती हुए…अपनी बीमारी का इलाज कराया…और इन्हें एक भी रुपया खर्च नहीं करना पडा़। अगर आयुष्मान योजना ना होती…तो इन गरीबों को करीब-करीब सवा लाख करोड़ रुपए अपनी जेब से देने होते। मैं अक्सर देश के अलग-अलग राज्यों में आयुष्मान योजना के लाभार्थियों से मिलता हूं, उनसे सुख-दुख की बातें सुनता हूं, उनका अनुभव सुनता हूं और बात करते हुए उनकी आंखों में से जो खुशी के आंसू छलकते हैं, वो आयुष्मान योजना से जुड़े हर व्यक्ति के लिए…हर डॉक्टर के लिए…हर पैरामेडिकल स्टाफ के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं होते, इससे बड़ा आशीर्वाद नहीं हो सकता। 

आप विश्वास करिए…लोगों को ऐसे संकट से उबारने वाली योजना पहले कभी नहीं बनी…और आज मुझे इस बात का बहुत संतोष है कि आयुष्मान योजना का विस्तार हो रहा है। देश के हर बुजुर्ग की नजर इस कार्यक्रम पर है। चुनाव के समय मैंने गारंटी दी थी कि तीसरे कार्यकाल में 70 वर्ष से ऊपर के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाएगा…आज धन्वंतरि जयंती पर ये गारंटी पूरी हो रही है। अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के देश के हर बुजुर्ग को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा। ऐसे बुजुर्गों को आयुष्मान वय वंदना कार्ड दिया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि देश के हर बुजुर्ग…जिनकी आयु 70 वर्ष के ऊपर है, उनको जल्द से जल्द आयुष्मान वय वंदना कार्ड मिले। और ये ऐसी योजना है जिसमें आय की कोई पाबंदी नहीं…गरीब हो…मध्यम वर्ग का परिवार  हो..उच्च वर्ग का परिवार हो, हर कोई इसका लाभार्थी बन सकता है। जो इस योजना का लाभ लेना चाहता है, इस देश का नागरिक वो इसका लाभ अगर 70 साल से ज्यादा उम्र है…ले सकता है। 

हर बुजुर्ग चिंता से मुक्त हो, वो स्वस्थ जीवन जिये…स्वाभिमान के साथ जीवन जीये…ये योजना इसके लिए मील का पत्थर साबित होगी। घर के बुजुर्ग के पास आयुष्मान वय वंदना कार्ड होगा, तो परिवार के खर्चे भी कम होंगे, उनकी चिंता भी कम होगी। मैं इस योजना के लिए सभी देशवासियों को बधाई देता हूँ, और 70 साल के ऊपर के सभी बुजुर्गों को मैं भी यहां से प्रणाम करते हुए वय वंदना करता हूं। लेकिन साथ-साथ मैं दिल्ली के 70 साल  के ऊपर के जितने बुजुर्ग हैं और पश्चिम बंगाल के 70 साल  के ऊपर के जितने बुजुर्ग हैं उनसे क्षमा मांगता हूं कि मैं आपकी सेवा नहीं कर पाऊँगा। मैं उनसे क्षमा मांगता हूं कि मुझे पता तो चलेगा आपको कष्ट है, मुझे जानकारी तो मिलेगी लेकिन मैं आपको सहाय नहीं कर पाऊंगा, और कारण दिल्ली में जो सरकार है और पश्चिम बंगाल में जो सरकार है वो इस आयुष्मान योजना से जुड़ नहीं रही है, अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, अपने ही राज्य के बीमार लोगों के साथ जुल्म करने की ये वृत्ति, ये प्रवृत्ति मानवता की दृष्टी से किसी भी तराजू पर खरी नहीं उतरती है। और इसलिए मैं पश्चिम बंगाल के बुजुर्गों की माफी मांगता हूं, मैं दिल्ली के बुजुर्गों की माफी मांगता हूं। देशवासियों की जो सेवा कर पा रहा हूं लेकिन राजनीतिक स्वार्थ की वृत्ति की दीवारें मुझे दिल्ली के बुजुर्गों की सेवा करने से रोक रही है, पश्चिम बंगाल के बुजुर्गों की सेवा करने से रोक रही है। और मेरे लिए ये राजनीतिक पहलू से मैं बोल नहीं रहा हूं, भीतर एक दर्द होता है कि जिस दिल्ली से मैं बोल रहा है, दिल्ली के भी बुजुर्ग मेरी बात सुनते होंगे। मेरे दिल में कितना दर्द होता होगा… मैं शब्दों में बयान नहीं कर पाऊँगा।         

साथियों,

गरीब हो…मध्यम वर्ग हो…सभी के लिए इलाज का खर्च कम से कम हो…ये हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है। आज देश भर में 14 हजार से ज्यादा पीएम जन औधषि केंद्र…इस बात के साक्षी हैं कि हमारी सरकार कितनी संवेदनशीलता से काम कर रही है। जन औषधि केंद्रों पर 80 परसेंट डिस्काउंट पर दवाइयां मिलती हैं…अगर ये जन औषधि केंद्र ना होते तो गरीबों को…मध्यम वर्ग को अब तक जो दवाइयां बिकी हैं। उसके हिसाब से मैं कह सकता हूं कि 30 हजार करोड़ रुपया उनका दवाइयों के लिए ज्यादा खर्च हुआ होता, उनके 30 हजार करोड़ रूपये बचे क्योंकि जन औषधि केंद्र से दवाई मिली, 80 परसेंट डिस्काउंट में मिली। 

आप जानते हैं…हमने Stent और knee implant जैसे उपकरणों को सस्ता किया है। अगर ये निर्णय भी ना लिया होता…तो सामान्य मानवी पर जिन्होंने ये ऑपरेशन करवाएं हैं, उनको 80 हजार करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करना पड़ता, ये हमारे प्रयासों का परिणाम है कि उनके 80 हजार करोड़ रुपए बचे हैं। मुफ्त dialysis की योजना से भी लाखों मरीजों का हजारों करोड़ रुपए का खर्च बचा है। हमारी सरकार जानलेवा बीमारियों से रोकथाम के लिए मिशन इंद्रधनुष अभियान चला रही है। इससे ना सिर्फ गर्भवती महिलाओं की जिंदगी बच रही है…नवजात शिशुओं का जीवन बच रहा है…बल्कि वो गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से भी बच रहे हैं। मैं अपने देश के गरीब और मध्यम वर्ग को महंगे इलाज के बोझ से बाहर निकालकर ही रहूंगा और देश आज इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

आप जानते हैं…बीमारी से होने वाली परेशानी और रिस्क को कम करने के लिए सबसे जरूरी होती है- timely diagnosis…अगर कोई बीमार होता है, तो उसे जल्दी जांच की सुविधा मिले, जल्दी इलाज शुरू हो…इसके लिए देशभर में दो लाख से ज्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोले गए हैं। आज इन आरोग्य मंदिरों पर करोड़ों लोगों की कैंसर, ब्लड प्रेशर, डायबटिज जैसी बीमारियों की आसानी से जांच हो पा रही है। आसानी से जांच की वजह से लोगों का इलाज भी समय पर शुरू हो रहा है। और समय पर शुरू हुआ इलाज भी…लोगों के पैसे बचा रहा है। 

हमारी सरकार…स्वास्थ्य के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करके भी देशवासियों के पैसे बचा रही है। ई-संजीवनी योजना के तहत अब तक 30 करोड़ लोग, ये आंकड़ा छोटा नहीं है, 30 करोड़ लोग माननीय, प्रतिष्ठित डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श ले चुके हैं। डॉक्टरों से निशुल्क और सटीक परामर्श मिलने से भी उनके बहुत पैसे बचे हैं। आज हमने U-win प्लैटफ़ार्म भी लॉन्च किया है। इस प्लैटफ़ार्म के साथ ही भारत के पास अपना एक technologically advanced interface होगा। कोरोना के समय हमारे Co-win प्लैटफ़ार्म की सफलता को पूरी दुनिया ने देखा है। पेमेंट सिस्टम में UPI की सक्सेस भी आज एक ग्लोबल स्टोरी बन चुकी है। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर यानि DPI के जरिए वही सफलता भारत अब हेल्थ सेक्टर में दोहरा रहा है।

साथियों,

हेल्थ सेक्टर में आज़ादी के 6-7 दशकों में जो काम नहीं हुआ, वो बीते 10 वर्षों में हुआ है। बीते 10 साल में देश में रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स और मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। आज इस कार्यक्रम में ही…कर्नाटका, यूपी, एमपी और मध्य प्रदेश वहां कई हॉस्पिटल्स का शिलान्यास हुआ है। कर्नाटका के नरसापुर और बोम्मा-सांद्रा में…मध्य प्रदेश के पीथमपुर, आंध्रप्रदेश के अचितापुरम और हरियाणा के फरीदाबाद में नए मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास हुआ है। यूपी के मेरठ में नए ESIC हॉस्पिटल का काम भी शुरू हुआ है। इंदौर में भी अस्पताल का लोकार्पण हुआ है। अस्पतालों की बढ़ती हुई ये संख्या बताती है कि मेडिकल सीटें भी उतनी ही तेजी से बढ़ रही हैं…मैं चाहता हूं…किसी गरीब के बच्चे का, उसको जो डॉक्टर बनने का सपना है…वो सपना टूटना नहीं चाहिए। और मैं मानता हूं सरकार की सफलता उसमें भी है कि मेरे देश के किसी नौजवान का सपना टूटे नहीं। सपनों में भी अपना एक सामर्थ्य होता है, सपने भी कभी-कभी प्रेरणा का कारण बन जाते हैं। मैं चाहता हूं…किसी मध्यम वर्ग के बच्चे को मजबूरी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश ना जाना पड़े…इसलिए पिछले 10 साल से भारत में मेडिकल सीटे बढ़ाने का एक अभियान चल रहा है। बीते 10 साल में MBBS और MD की करीब कुल मिलाकर एक लाख नई सीटें जोड़ी गई हैं। और मैंने इसी साल लालकिले से घोषणा की है कि आने वाले 5 वर्षों में हम मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें और जोड़ेंगें…आप कल्पना कर सकते हैं…गांव-गांव तक डॉक्टरों की पहुंच कितनी ज्यादा बढ़ने वाली है।

साथियों,

आज देश में साढ़े 7 लाख से ज्यादा registered आयुष practitioners हमारे यहां हैं। हमें ये संख्या भी और बढ़ानी है। इसके लिए भी देश में काम चल रहा है। आज दुनिया भारत को मेडिकल और वेलनेस टूरिज़्म के एक बहुत बड़े सेंटर के रूप में भी देखती है। पूरी दुनिया से लोग योग, पंचकर्म और meditation के लिए भारत आते हैं। आने वाले समय में ये संख्या और तेजी से बढ़ेगी। हमारे युवाओं को, हमारे आयुष practitioners को इसके लिए तैयार होना होगा। Preventive cardiology….आयुर्वेदिक ऑर्थोपेडिक्स….आयुर्वेद स्पोर्ट्स मेडिसिन और आयुर्वेद रीहैब सेंटर्स….ऐसी कितनी ही फील्ड्स में भारत ही नहीं, बल्कि अलग-अलग देशों में भी आयुष practitioners के लिए अपार अवसर बन रहे हैं। हमारे युवा इन अवसरों के जरिए न केवल खुद आगे बढ़ेंगे, बल्कि मानवता की बहुत बड़ी सेवा भी करेंगे।

साथियों,

21वीं सदी में विज्ञान ने medicine की फ़ील्ड में अभूतपूर्व प्रगति की है। जिन बीमारियों को पहले असाध्य माना जाता था, आज उनके इलाज मौजूद हैं। दुनिया treatment के साथ ही wellness को महत्व दे रही है। और जब wellness की बात होती है, जब आरोग्यता की बात होती है, तो इसमें भारत के पास हजारों वर्ष पुराना अनुभव है। आज समय है, हम अपने इस प्राचीन ज्ञान को मॉडर्न साइन्स के नजरिए से भी प्रमाणित करें। इसीलिए, मैं लगातार evidence based आयुर्वेद की बात कर रहा हूँ। आयुर्वेद में personalized treatment protocols का इतना गंभीर ज्ञान है…लेकिन, आधुनिक विज्ञान के नजरिए से इस दिशा में पहले ठोस conclusive work नहीं हुए। मुझे खुशी है कि आज इस दिशा में देश एक अहम अभियान लॉन्च कर रहा है। ये अभियान है- प्रकृति परीक्षण अभियान!, ये प्रकृति परीक्षण अभियान! क्योंकि हम देखते हैं कोई पेशेंट होगा आयुर्वेद के कारण अच्छा हो गया, परिणाम दिखता है, प्रमाण अवेलेबल नहीं होता है, हमें परिणाम भी चाहिए, प्रमाण भी चाहिए। ताकि हमें दुनिया को दिखाना है कि हमारे पास विश्व के आरोग्य की जड़ी-बूटी पड़ी हुई है। इस अभियान के तहत आयुर्वेद के सिद्धांतों पर हम हर व्यक्ति के लिए ideal lifestyle डिज़ाइन कर सकते हैं। हम बीमारियों के आक्रमण से पहले ही उन लोगों के लिए risk analysis कर सकते हैं। मैं मानता हूँ, इस दिशा में सकारात्मक प्रगति हमारे health sector को पूरी तरह से re-define कर सकती है। हम पूरी दुनिया को healthcare का नया perspective दे सकते हैं।

साथियों,

आधुनिक मेडिकल साइन्स की सफलता का एक और बड़ा कारण है- हर principal का lab validation…हमारे traditional healthcare system को भी इस कसौटी पर खरा उतरना है। आप देखिए, अश्वगंधा, हल्दी, कालीमिर्च….ऐसी कितनी ही herbs हम पीढ़ी दर पीढ़ी अलग-अलग उपचारों के लिए इस्तेमाल करते आए हैं। अब High-impact studies में उनकी उपयोगिता साबित हो रही। इसलिए आज दुनिया में अश्वगंधा जैसी औषधियों की मांग तेजी से बढ़ी है। इस दशक के अंत तक अश्वगंधा extract की मार्केट करीब ढाई बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। आप कल्पना कर सकते हैं…Lab validation के जरिए हम इन herbs का valuation कितना बढ़ा सकते हैं! हम कितना बड़ा मार्केट खड़ा कर सकते हैं!

इसीलिए साथियों,

आयुष की सफलता का प्रभाव केवल हेल्थ सेक्टर तक सीमित नहीं है। इससे एक ओर भारत में नए अवसर बन रहे हैं, दूसरी ओर ग्लोबल wellbeing के प्रयासों को भी बल मिल रहा है। हमारे प्रयासों से, 10 साल के भीतर-भीतर, आयुष देश के fastest growing sectors में शामिल हो गया है। 2014 में आयुष से जुड़ा manufacturing sector three बिलियन डॉलर था, 3 बिलियन डॉलर…आज वो बढ़कर लगभग 24 बिलियन डॉलर हो गया है। यानी, 10 साल में 8 गुना ग्रोथ। इसीलिए, आज देश का युवा नए-नए आयुष स्टार्टअप्स लॉन्च कर रहा है। Traditional products…Technology driven नए products…नई सर्विसेस…..इन सबसे जुड़े 900 से ज्यादा आयुष स्टार्टअप्स आज देश में काम कर रहे हैं। आज भारत अब 150 देशों में कई बिलियन डॉलर के आयुष प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट कर रहा है। इसका सीधा लाभ हमारे किसानों को हो रहा है। जो herbs और super foods पहले स्थानीय बाज़ार तक सीमित रहते थे, अब वो ग्लोबल मार्केट में पहुँच रहे हैं।

साथियों,

इस बदलते परिदृश्य का ज्यादा से ज्यादा फायदा किसानों को मिले, इसके लिए सरकार herbs के उत्पादन को बढ़ावा भी दे रही है। नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा के किनारे नैचुरल फ़ार्मिंग और जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे राष्ट्र चरित्र की, हमारे सामाजिक ताने-बाने की आत्मा है- “सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः”। सब सुखी हों, सब निरामय हों। बीते 10 वर्षों में हमने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र पर चलकर इस भावना को देश की नीतियों से जोड़ा है। आने वाले 25 वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में हमारे ये प्रयास विकसित भारत का मजबूत आधार बनेंगे। मुझे भरोसा है, भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद से हम विकसित भारत के साथ-साथ निरामय भारत का सपना भी जरूर पूरा करेंगे।

और साथियों,

जब मैं परिणाम और प्रमाण की चर्चा करता था, हम एक काम की दिशा में बहुत ताकत लगाने वाले हैं और वो है हमारे देश में हस्थपृथ, manuscript बहुत बड़ी मात्रा में बिखरी पड़ी हुई है। आयुर्वेद से जुड़ी हुई ऐसी manuscript बहुत स्थानों पर बिखरी पड़ी हुई है। अब देश अपनी इस विरासत को संजोने के लिए मिशन मोड पर काम करने वाला है। ऐसे सारा ये जो ज्ञान का भंडार पड़ा हुआ है, कही शिलालेखों में होगा, कही ताम्रपत्र पर होगा, कही हस्थलिखित पत्रियों में होगा। इन सबको इकट्ठा करने का काम, और अब तो Artificial Intelligence का युग है, इसको हम उसी तरह टेक्नोलॉजी से जोड़ना चाहते हैं, उस ज्ञान में से क्या चीजें नई हम निकाल सकते हैं, तो उस दिशा में भी एक बहुत बड़ा काम करने के लिए जा रहे हैं।         

साथियों,

आज के अवसर पर मैं फिर एक बार देश के 70 साल के ऊपर के सभी महान बुजुर्गों को वय वंदना करते हुए, उनको प्रणाम करते हुए आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।   

धन्यवाद!

 

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MJPS/VJ/RK