नमस्ते, ओम शांति,
कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी, राजस्थान के गवर्नर श्री कलराज मिश्रा जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्रीमान अशोक गहलोत जी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल जी, केंद्रीय मंत्री-मंडल में मेरे साथी श्री किशन रेड्डी जी, भूपेंदर यादव जी, अर्जुन राम मेघवाल जी, पुरषोत्तम रुपाला जी, और श्री कैलाश चौधरी जी, राजस्थान विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाबचंद कटारिया जी, ब्रह्मकुमारीज़ के executive सेक्रेटरी राजयोगी मृत्युंजय जी, राजयोगिनी बहन मोहिनी जी, बहन चंद्रिका जी, ब्रह्मकुमारीज़ की अन्य सभी बहनें, देवियों और सज्जनों और यहां उपस्थित सभी साधक-साधिकाएँ!
कुछ स्थल ऐसे होते हैं, जिनमें अपनी एक अलग चेतना होती है, ऊर्जा का अपना ही एक अलग प्रवाह होता है! ये ऊर्जा उन महान व्यक्तित्वों की होती है, जिनकी तपस्या से वन, पर्वत, पहाड़ भी जाग्रत हो उठते हैं, मानवीय प्रेरणाओं का केंद्र बन जाते हैं। माउंट आबू की आभा भी दादा लेखराज और उन जैसे अनेकों सिद्ध व्यक्तित्वों की वजह से निरंतर बढ़ती रही है।
आज इस पवित्र स्थान से ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर, एक बहुत बड़े अभियान का प्रारंभ हो रहा है। इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं।
मैं देश के संकल्पों के साथ, देश के सपनों के साथ निरंतर जुड़े रहने के लिए ब्रह्मकुमारी परिवार का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूँ। आज के इस कार्यक्रम में दादी जानकी, राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी सशरीर हमारे बीच उपस्थित नहीं हैं। मुझ पर उनका बहुत स्नेह था। आज के इस आयोजन पर मैं उनका आशीर्वाद भी महसूस कर रहा हूं।
साथियों,
जब संकल्प के साथ साधना जुड़ जाती है, जब मानव मात्र के साथ हमारा ममभाव जुड़ जाता है, अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए ‘इदं न मम्’ यह भाव जागने लगता है, तो समझिए, हमारे संकल्पों के जरिए एक नए कालखंड का जन्म होने वाला है, एक नया सवेरा होने वाला है। सेवा और त्याग का यही अमृतभाव आज अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है। इसी त्याग और कर्तव्यभाव से करोड़ों देशवासी आज स्वर्णिम भारत की नींव रख रहे हैं।
हमारे और राष्ट्र के सपने अलग-अलग नहीं हैं, हमारी निजी और राष्ट्रीय सफलताएँ अलग-अलग नहीं हैं। राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है, और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। ये भाव, ये बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है।
आज देश जो कुछ कर रहा है उसमें सबका प्रयास शामिल है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ ये सब देश का मूल मंत्र बन रहा है। आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो, हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।
साथियों,
भारत की सबसे बड़ी ताकत ये है कि कैसा भी समय आए, कितना भी अंधेरा छाए, भारत अपने मूल स्वभाव को बनाए रखता है। हमारा युगों-युगों का इतिहास इस बात साक्षी है। दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहाँ गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियाँ समाज को ज्ञान देती थीं। कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं। और अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं। कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी।
आज देश लाखों स्वाधीनता सेनानियों के साथ आज़ादी की लड़ाई में नारीशक्ति के इस योगदान को याद कर रहा है, और उनके सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। और इसीलिए, आज सैनिक स्कूलों में पढ़ने का बेटियों का सपना पूरा हो रहा है, अब देश की कोई भी बेटी, राष्ट्र-रक्षा के लिए सेना में जाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ उठा सकती है, महिलाओं का जीवन और करियर दोनों एक साथ चलें, इसके लिए मातृ अवकाश को बढ़ाने जैसे फैसले भी किए गए हैं।
देश के लोकतन्त्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। 2019 के चुनाव में हमने देखा कि किस तरह पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया। आज देश की सरकार में बड़ी बड़ी जिम्मेदारियाँ महिला मंत्री संभाल रही हैं। और सबसे ज्यादा गर्व की बात है कि अब समाज इस बदलाव का नेतृत्व खुद कर रहा है। हाल के आंकड़ों से पता चला है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता से, वर्षों बाद देश में स्त्री-पुरुष का अनुपात भी बेहतर हुआ है। ये बदलाव इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि नया भारत कैसा होगा, कितना सामर्थ्यशाली होगा।
साथियों,
आप सभी जानते हैं कि हमारे ऋषियों ने उपनिषदों में ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतं गमय’ की प्रार्थना की है। यानी, हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें। मृत्यु से, परेशानियों से अमृत की ओर बढ़ें। अमृत और अमरत्व का रास्ता बिना ज्ञान के प्रकाशित नहीं होता। इसलिए, अमृतकाल का ये समय हमारे ज्ञान, शोध और इनोवेशन का समय है। हमें एक ऐसा भारत बनाना है जिसकी जड़ें प्राचीन परम्पराओं और विरासत से जुड़ी होंगी, और जिसका विस्तार आधुनिकता के आकाश में अनंत तक होगा। हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है, और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है।
देश के इन प्रयासों में आप सभी की, ब्रह्मकुमारी जैसी आध्यात्मिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि आप आध्यात्म के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे कई क्षेत्रों में कई बड़े-बड़े काम कर रहे हैं। और आज जिस अभियान को आरंभ कर रहे हैं, आप उसे ही आगे बढ़ा रहे हैं। अमृत महोत्सव के लिए आपने कई लक्ष्य भी तय किए हैं। आपके ये प्रयास देश को अवश्य एक नई ऊर्जा देंगे, नई शक्ति देंगे।
आज देश, किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए organic फ़ार्मिंग और नैचुरल फ़ार्मिंग की दिशा में प्रयास कर रहा है। खान-पान आहार की शुद्धता को लेकर हमारी ब्रह्मकुमारी बहनें समाज को लगातार जागरूक करती रहती हैं। लेकिन गुणवत्तापूर्ण आहार के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादन भी जरूरी है। इसलिए, ब्रह्मकुमारी नैचुरल फ़ार्मिंग को promote करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन सकती हैं। कुछ गांवों को प्रेरित करके ऐसे मॉडल खड़े किए जा सकते हैं।
इसी तरह, क्लीन एनर्जी के और पर्यावरण के क्षेत्र में भी दुनिया को भारत से बहुत अपेक्षाएँ हैं। आज क्लीन एनर्जी के कई विकल्प विकसित हो रहे हैं। इसे लेकर भी जनजागरण के लिए बड़े अभियान की जरूरत है। ब्रह्मकुमारीज ने तो सोलर पावर के क्षेत्र में, सबके सामने एक उदाहरण रखा है। कितने ही समय से आपके आश्रम की रसोई में सोलर पावर से खाना बनाया जा रहा है। सोलर पावर का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा लोग करें, इसमें भी आपका बहुत सहयोग हो सकता है। इसी तरह आप सभी आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी गति दे सकते हैं। वोकल फॉर लोकल, स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर, इस अभियान में मदद हो सकती है।
साथियों,
अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है। इसलिए आजादी के इस अमृत महोत्सव में हमारा ध्यान भविष्य पर ही केंद्रित होना चाहिए।
साथियों,
हमारे समाज में एक अद्भुत सामर्थ्य है। ये एक ऐसा समाज है जिसमें चिर पुरातन और नित्य नूतन व्यवस्था है। हालांकि इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि समय के साथ कुछ बुराइयां व्यक्ति में भी, समाज में भी और देश में भी प्रवेश कर जाती हैं। जो लोग जागृत रहते हुए इन बुराइयों को जान लेते हैं, वो इन बुराइयों से बचने में सफल हो जाते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में हर लक्ष्य प्राप्त कर पाते हैं। हमारे समाज की विशेषता है कि इसमें विशालता भी है, विविधता भी है और हजारों साल की यात्रा का अनुभव भी है। इसलिए हमारे समाज में, बदलते हुए युग के साथ अपने आप को ढालने की एक अलग ही शक्ति है, एक inner strength है।
हमारे समाज की सबसे बड़ी ताकत ये है कि समाज के भीतर से ही समय-समय पर इसे सुधारने वाले पैदा होते हैं और वो समाज में व्याप्त बुराइयों पर कुठाराघात करते हैं। हमने ये भी देखा है कि समाज सुधार के प्रारंभिक वर्षों में अक्सर ऐसे लोगों को विरोध का भी सामना करना पड़ता है, कई बार तिरस्कार भी सहना पड़ता है। लेकिन ऐसे सिद्ध लोग, समाज सुधार के काम से पीछे नहीं हटते, वो अडिग रहते हैं। समय के साथ समाज भी उनको पहचानता है, उनको मान सम्मान देता है और उनकी सीखों को आत्मसात भी करता है।
इसलिए साथियों,
हर युग के कालखंड के मूल्यों के आधार पर समाज को सजग रखना, समाज को दोषमुक्त रखना, ये बहुत अनिवार्य है और निरंतर करने वाली प्रक्रिया है। उस समय की जो भी पीढ़ी होती है, उसे ये दायित्व निभाना ही होता है। व्यक्तिगत तौर पर हम लोग, संगठन के तौर पर भी ब्रह्मकुमारी जैसे लाखों संगठन, ये काम कर रहे हैं। लेकिन हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना। बीते 75 वर्षों में हम सिर्फ अधिकारों की बात करते रहे, अधिकारों के लिए झगड़ते रहे, जूझते रहे, समय भी खपाते रहे। अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
भारत ने अपना बहुत बड़ा समय इसलिए गंवाया है क्योंकि कर्तव्यों को प्राथमिकता नहीं दी गई। इन 75 वर्षों में कर्तव्यों को दूर रखने की वजह से जो खाई पैदा हुई है, सिर्फ अधिकार की बात करने की वजह से समाज में जो कमी आई है, उसकी भरपाई हम मिल करके आने वाले 25 वर्ष में, कर्तव्य की साधना करके पूरी कर सकते हैं।
ब्रह्मकुमारी जैसी संस्थाएं आने वाले 25 वर्ष के लिए, एक मंत्र बनाकर भारत के जन-जन को कर्तव्य के लिए जागरूक करके बहुत बड़ा बदलाव ला सकती हैं। मेरा आग्रह है कि ब्रह्मकुमारी और आप जैसी तमाम सामाजिक संस्थाएं इस एक मंत्र पर जरूर काम करें और वो है देश के नागरिकों में कर्तव्य भावना का विस्तार। आप सभी अपनी शक्ति और समय जन-जन में कर्तव्य बोध जागृत करने पर जरूर लगाएं। और ब्रह्मकुमारी जैसी संस्थाएं, जिस तरह दशकों से कर्तव्य के पथ पर चल रही हैं, आप लोग ये काम कर सकते हैं। आप लोग कर्तव्य में रचे बसे, कर्तव्य का पालन करने वाले लोग हैं। इसलिए, जिस भावना के साथ आप अपनी संस्था में काम करते हैं, उस कर्तव्य भावना का विस्तार समाज में हो, देश में हो, देश के लोगों में हो, ये आजादी के इस अमृत महोत्सव पर आपका देश को सबसे उत्तम उपहार होगा।
आप लोगों ने एक कहानी जरूर सुनी होगी। एक कमरे में अंधेरा था तो उस अंधेरे को हटाने के लिए लोग अपने-अपने तरीके से अलग-अलग काम कर रहे थे। कोई कुछ कर रहा था, कोई कुछ कर रहा था। लेकिन किसी समझदार ने जब एक छोटा सा दीया जला दिया, तो अंधकार तुरंत दूर हो गया। वैसी ही ताकत कर्तव्य की है। वैसी ही ताकत छोटे से प्रयास की भी है। हम सभी को,देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया जलाना है।
हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा। भारत भूमि को प्यार करने वाला, इस भूमि को मां मानने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो देश को नई ऊंचाई पर ना ले जाना चाहता हो, कोटि-कोटि लोगों के जीवन में खुशहाली ना लाना चाहता हो। इसके लिए हमें कर्तव्यों पर बल देना ही होगा।
साथियों,
आज के इस कार्यक्रम में, मैं एक और विषय को उठाना चाहता हूं। आप सभी इस बात के साक्षी रहे हैं कि भारत की छवि को धूमिल करने के लिए किस तरह अलग-अलग प्रयास चलते रहते हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत कुछ चलता रहता है। इससे हम ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि ये सिर्फ राजनीति है। ये राजनीति नहीं है, ये हमारे देश का सवाल है। और जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ये भी हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जाने।
ऐसी संस्थाएं जिनकी एक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में दुनिया के कई देशों में उपस्थिति है, वो दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाएं, भारत के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उनकी सच्चाई वहां के लोगों को बताएं, उन्हें जागरूक करें, ये भी हम सबका दायित्व है। ब्रह्मकुमारी जैसी संस्थाएं, इसी काम को आगे बढ़ाने के लिए एक और प्रयास कर सकती हैं। जहां जहां, जिन देशों में आपकी ब्रांचेज हैं वहां कोशिश करनी चाहिए कि वहां की हर ब्रांच से हर वर्ष कम से कम 500 लोग भारत के दर्शन करने के लिए आएं। भारत को जानने के लिए आएं। और ये 500 लोग, जो हिंदुस्तान के लोग वहां रहते हैं, वो नहीं, उस देश के नागरिक होने चाहिए। मूल भारतीयों की मैं बात नहीं कर रहा हूं। आप देखिएगा अगर इस प्रकार से लोगों का आना हुआ, देश को देखेंगे, यहां की हर बात को समझेंगे तो अपने-आप भारत की अच्छाइयों को विश्व में ले करके जाएंगे। आपके प्रयासों से इसमें कितना बड़ा फर्क पड़ जाएगा।
साथियों,
परमार्थ करने की इच्छा तो हरेक की रहती है। लेकिन एक बात हम न भूलें कि परमार्थ और अर्थ जब एक साथ जुड़ते हैं तो सफल जीवन, सफल समाज, और सफल राष्ट्र का निर्माण अपने आप हो सकता है। अर्थ और परमार्थ के इस सामंजस्य की जिम्मेदारी हमेशा से भारत की आध्यात्मिक सत्ता के पास रही है। मुझे पूरा भरोसा है कि, भारत की आध्यात्मिक सत्ता, आप सभी बहनें ये ज़िम्मेदारी इसी परिपक्वता के साथ निभाएँगी। आपके ये प्रयास देश की अन्य संस्थाओं, अन्य संगठनों को भी आजादी के अमृत महोत्सव में नए लक्ष्य गढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। अमृत महोत्सव की ताकत, जन-जन का मन है, जन-जन का समर्पण है। आपके प्रयासों से भारत आने वाले समय में और भी तेज गति से स्वर्णिम भारत की ओर बढ़ेगा।
इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ओम शांति!
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DS/AKJ/AK/NS
Addressing the programme organised by the @BrahmaKumaris. Watch. https://t.co/6ecPucXqWi
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2022
ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’, कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है।
— PMO India (@PMOIndia) January 20, 2022
इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है।
इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं: PM @narendramodi
राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है।
— PMO India (@PMOIndia) January 20, 2022
हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है, और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है।
ये भाव, ये बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है।
आज देश जो कुछ कर रहा है उसमें ‘सबका प्रयास’ शामिल है: PM @narendramodi
आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो,
— PMO India (@PMOIndia) January 20, 2022
एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो,
हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं: PM @narendramodi
दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था।
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हमारे यहाँ गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियाँ समाज को ज्ञान देती थीं: PM @narendramodi
कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं।
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और अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं: PM @narendramodi
कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी: PM @narendramodi
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हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है,
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अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है,
और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है: PM @narendramodi
अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है।
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आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं।
सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है: PM
हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है।
— PMO India (@PMOIndia) January 20, 2022
ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना: PM @narendramodi
बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़े, जूझे, समय खपाते रहे।
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अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है: PM
I would like to appreciate the @BrahmaKumaris family for undertaking innovative activities as a part of ‘Azadi Ka Amrit Mahotsav.’
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2022
Such collective efforts will strengthen the resolve for national regeneration. pic.twitter.com/0wDOUfiUze
हमें एक ऐसा भारत बनाना है, जिसकी जड़ें प्राचीन परंपराओं और विरासत से जुड़ी होंगी, साथ ही जिसका विस्तार आधुनिकता के आकाश में अनंत तक होगा… pic.twitter.com/MzShIKbR9W
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2022
ब्रह्मकुमारी जैसी तमाम सामाजिक संस्थाओं से मेरा एक आग्रह है… pic.twitter.com/hEE12OBzad
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2022
जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ये भी हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जाने। ऐसी संस्थाएं, जिनकी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति है, वो भारत के बारे में फैलाई जा रही अफवाहों की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने का प्रयास कर सकती हैं। pic.twitter.com/khyllOJOdY
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2022