गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, संसद में मेरे सहयोगी श्री सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार में मंत्री भाई जगदीश पांचाल, हर्ष संघवी, अहमदाबाद के मेयर किरीट भाई, KVIC के चेयरमैन मनोज जी, अन्य महानुभाव, और गुजरात के कोने-कोने से आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,
साबरमती का ये किनारा आज धन्य हो गया है। आजादी के “पिचहत्तर” वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, ‘पिचहत्तर सौ’ 7,500 बहनों-बेटियों ने एक साथ चरखे पर सूत कातकर नया इतिहास रच दिया है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी कुछ पल चरखे पर हाथ आजमाने का, सूत कातने का सौभाग्य मिला। मेरे लिए आज ये चरखा चलाना कुछ भावुक पल भी थे, मुझे मेरे बचपन की ओर ले गए क्योंकि हमारे छोटे से घर में, एक कोने में ये सारी चीजें रहती थीं और हमारी मां आर्थिक उपार्जन को ध्यान में रखते हुए, जब भी समय मिलता था वो सूत कातने के लिए बैठती थी। आज वो चित्र भी मेरे ध्यान में फिर से एक बार पुन:स्मरण हो आया। और जब इन सारी चीजों को मैं देखता हूं, आज या पहले भी, कभी-कभी मुझे लगता है कि जैसे एक भक्त भगवान की पूजा जिस प्रकार से करता है, जिन पूजा की सामग्री का उपयोग करता है, ऐसा लगता है कि सूत कातने की प्रक्रिया भी जैसे ईश्वर की आराधना से कम नहीं है।
जैसे चरखा आजादी के आंदोलन में देश की धड़कन बन गया था, वैसा ही स्पंदन आज मैं यहां साबरमती के तट पर महसूस कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि यहां मौजूद सभी लोग, इस आयोजन को देख रहे सभी लोग, आज यहां खादी उत्सव की ऊर्जा को महसूस कर रहे होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव में देश ने आज खादी महोत्सव करके अपने स्वतंत्रता सेनानियों को बहुत सुंदर उपहार दिया है। आज ही गुजरात राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की नई बिल्डिंग और साबरमती नदी पर भव्य अटल ब्रिज का भी लोकार्पण हुआ है। मैं अहमदाबाद के लोगों को, गुजरात के लोगों को, आज इस एक नए पड़ाव पर आ करके हम आगे बढ़ रहे हैं तब, बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
साथियों,
अटल ब्रिज, साबरमती नदी को दो किनारों को ही आपस में नहीं जोड़ रहा बल्कि ये डिजाइन और इनोवेशन में भी अभूतपूर्व है। इसकी डिजाइन में गुजरात के मशहूर पतंग महोत्सव का भी ध्यान रखा गया है। गांधीनगर और गुजरात ने हमेशा अटल जी को खूब स्नेह दिया था। 1996 में अटल जी ने गांधीनगर से रिकॉर्ड वोटों से लोकसभा चुनाव जीता था। ये अटल ब्रिज, यहां के लोगों की तरफ से उन्हें एक भावभीनी श्रद्धांजलि भी है।
साथियों,
कुछ दिन पहले गुजरात सहित पूरे देश ने आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर बहुत उत्साह के साथ अमृत महोत्सव मनाया है। गुजरात में भी जिस प्रकार गांव-गांव, गली-गली हर घर तिरंगे को लेकर उत्साह, उमंग और चारों तरफ मन भी तिरंगा, तन भी तिरंगा, जन भी तिरंगा, जज्बा भी तिरंगा, उसकी तस्वीरें हम सबने देखी हैं। यहां जो तिरंगा रैलियां निकलीं, प्रभात फेरियां निकलीं, उनमें राष्ट्रभक्ति का ज्वार तो था ही, अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण का संकल्प भी रहा। यही संकल्प आज यहां खादी उत्सव में भी दिख रहा है। चरखे पर सूत कातने वाले आपके हाथ भविष्य के भारत का ताना-बाना बुन रहे हैं।
साथियों,
इतिहास साक्षी है कि खादी का एक धागा, आजादी के आंदोलन की ताकत बन गया, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया। खादी का वही धागा, विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का, आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणा-स्रोत भी बन सकता है। जैसे एक दीया, चाहे वो कितना ही छोटा क्यों ना हो, वो अंधेरे को परास्त कर देता है, वैसे ही खादी जैसी हमारी परंपरागत शक्ति, भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने की प्रेरणा भी बन सकती है। और इसलिए, ये खादी उत्सव, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास है। ये खादी उत्सव, भविष्य़ के उज्ज्वल भारत के संकल्प को पूरा करने की प्रेरणा है।
साथियों,
इस बार 15 अगस्त को लाल किले से मैंने पंच-प्राणों की बात कही है। आज साबरमती के तट पर, इस पुण्य प्रवाह के सामने, ये पवित्र स्थान पर, मैं पंच-प्राणों को फिर से दोहराना चाहता हूं। पहला- देश के सामने विराट लक्ष्य, विकसित भारत बनाने का लक्ष्य, दूसरा- गुलामी की मानसिकता का पूरी तरह त्याग, तीसरा- अपनी विरासत पर गर्व, चौथा- राष्ट्र की एकता बढ़ाने का पुरजोर प्रयास, और पांचवा- हर नागरिक का कर्तव्य।
आज का ये खादी उत्सव इन पंच-प्राणों का एक सुंदर प्रतिबिंब है। इस खादी उत्सव में एक विराट लक्ष्य, अपनी विरासत का गर्व, जनभागीदारी, अपना कर्तव्य, सब कुछ समाहित है, सबका समागम है। हमारी खादी भी गुलामी की मानसिकता की बहुत बड़ी भुक्तभोगी रही है। आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी ने हमें स्वदेशी का एहसास कराया, आजादी के बाद उसी खादी को अपमानित नजरों से देखा गया। आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी को गांधी जी ने देश का स्वाभिमान बनाया, उसी खादी को आजादी के बाद हीन भावना से भर दिया गया। इस वजह से खादी और खादी से जुड़ा ग्रामोद्योग पूरी तरह तबाह हो गया। खादी की ये स्थिति विशेष रूप से गुजरात के लिए बहुत ही पीड़ादायक थी, क्योंकि गुजरात का खादी से बहुत खास रिश्ता रहा है।
साथियों,
मुझे खुशी है कि खादी को एक बार फिर जीवनदान देने का काम गुजरात की इस धरती ने किया है। मुझे याद है, खादी की स्थिति सुधारने के लिए 2003 में हमने गांधी जी के जन्मस्थान पोरबंदर से विशेष अभियान शुरू किया था। तब हमने Khadi for Nation के साथ-साथ Khadi for Fashion का संकल्प लिया था। गुजरात में खादी के प्रमोशन के लिए अनेकों फैशन शो किए गए, मशहूर हस्तियों को इससे जोड़ा गया। तब लोग हमारा मजाक उड़ाते थे, अपमानित भी करते थे। लेकिन खादी और ग्रामोद्योग की उपेक्षा गुजरात को स्वीकार नहीं थी। गुजरात समर्पित भाव से आगे बढ़ता रहा और उसने खादी को जीवनदान देकर दिखाया भी।
2014 में जब आपने मुझे दिल्ली जाने का आदेश दिया, तो गुजरात से मिली प्रेरणा को मैंने और आगे बढ़ाया, उसका और विस्तार किया। हमने खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन इसमें खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन का संकल्प जोड़ा। हमने गुजरात की सफलता के अनुभवों का देशभर में विस्तार करना शुरु किया। देशभर में खादी से जुड़ी जो भी समस्याएं थीं उनको दूर किया गया। हमने देशवासियों को खादी के प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया। और इसका नतीजा आज दुनिया देख रही है।
आज भारत के टॉप फैशन ब्रैंड्स, खादी से जुड़ने के लिए खुद आगे आ रहे हैं। आज भारत में खादी का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है, रिकॉर्ड ब्रिकी हो रही है। पिछले 8 वर्षों में खादी की ब्रिक्री में 4 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। आज पहली बार भारत के खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर चला गया है। खादी की इस बिक्री के बढ़ने का सबसे ज्यादा लाभ आपको हुआ है, मेरे गांव में रहने वाले खादी से जुड़े भाई-बहनों को हुआ है।
खादी की बिक्री बढ़ने की वजह से गांवों में ज्यादा पैसा गया है, गांवों में ज्यादा लोगों को रोज़गार मिला है। विशेष रूप से हमारी माताओं-बहनों का सशक्तिकरण हुआ है। पिछले 8 वर्षों में सिर्फ खादी और ग्रामोद्योग में पौने 2 करोड़ नए रोज़गार बने हैं। और साथियों, गुजरात में तो अब ग्रीन खादी का अभियान भी चल पड़ा है। यहां अब सोलर चरखे से खादी बनाई जा रही है, कारीगरों को सोलर चरखे दिए जा रहे हैं। यानी गुजरात फिर एक बार नया रास्ता दिखा रहा है।
साथियों,
भारत के खादी उद्योग की बढ़ती ताकत के पीछे भी महिला शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। उद्यमिता की भावना हमारी बहनों-बेटियों में कूट-कूट कर भरी पड़ी है। इसका प्रमाण गुजरात में सखी मंडलों का विस्तार भी है। एक दशक पहले हमने गुजरात में बहनों के सशक्तिकरण के लिए मिशन मंगलम शुरु किया था। आज गुजरात में बहनों के 2 लाख 60 हज़ार से अधिक स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं। इनमें 26 लाख से अधिक ग्रामीण बहनें जुड़ी हैं। इन सखी मंडलों को डबल इंजन सरकार की डबल मदद भी मिल रही है।
साथियों,
बहनों-बेटियों की शक्ति ही इस अमृतकाल में असली प्रभाव पैदा करने वाली है। हमारा प्रयास है कि देश की बेटियां ज्यादा से ज्यादा संख्या में रोजगार से जुड़ें, अपने मन का काम करें। इसमें मुद्रा योजना बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। एक ज़माना था जब छोटा-मोटा लोन लेने के लिए भी बहनों को जगह-जगह चक्कर काटने पड़ते थे। आज मुद्रा योजना के तहत 50 हज़ार से लेकर 10 लाख तक रुपए तक बिना गारंटी का ऋण दिया जा रहा है। देश में करोड़ों बहनों-बेटियों ने मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर पहली बार अपना कारोबार शुरू किया है। इतना ही नहीं, एक-दो लोगों को रोजगार भी दिया है। इसमें से बहुत सारी महिलाएं खादी ग्रामोद्योग से भी जुड़ी हुई हैं।
साथियों,
आज खादी जिस ऊंचाई पर है, उसके आगे अब हमें भविष्य की ओर देखना है। आजकल हम हर वैश्विक प्लेटफॉर्म पर एक शब्द की बहुत चर्चा सुनते हैं- sustainability, कोई कहता है Sustainable growth, कोई कहता है sustainable energy, कोई कहता है sustainable agriculture, कोई sustainable products की बात करता है। पूरी दुनिया इस दिशा में प्रयास कर रही है कि इंसानों के क्रियाकलापों से हमारी पृथ्वी, हमारी धरती पर कम से कम बोझ पड़े। दुनिया में आजकल Back to Basic का नया मंत्र चल पड़ा है। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। ऐसे में sustainable lifestyle की भी बात कही जा रही है।
हमारे उत्पाद इको-फ्रेंडली हों, पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाएं, ये बहुत आवश्यक है। यहां खादी उत्सव में आए आप सभी लोग सोच रहे होंगे कि मैं sustainable होने की बात पर इतना जोर क्यों दे रहा हूं। इसकी वजह है, खादी, sustainable क्लोदिंग का उदाहरण है। खादी, eco-friendly क्लोदिंग का उदाहरण है। खादी से कार्बन फुटप्रिंट कम से कम होता है। ऐसे बहुत सारे देश हैं जहां तापमान ज्यादा रहता है, वहां खादी Health की दृष्टि से भी बहुत अहम है। और इसलिए, खादी आज वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। बस हमें हमारी इस विरासत पर गर्व होना चाहिए।
खादी से जुड़े आप सभी लोगों के लिए आज एक बहुत बड़ा बाजार तैयार हो गया है। इस मौके को हमें चूकना नहीं है। मैं वो दिन देख रहा हूं जब दुनिया के हर बड़े सुपर मार्केट में, क्लोथ मार्केट में भारत की खादी छाई हुई होगी। आपकी मेहनत, आपका पसीना, अब दुनिया में छा जाने वाला है। जलवायु परिवर्तन के बीच अब खादी की डिमांड और तेजी से बढ़ने वाली है। खादी को लोकल से ग्लोबल होने से अब कोई शक्ति रोक नहीं सकती है।
साथियों,
आज साबरमती के तट से मैं देशभर के लोगों से एक अपील भी करना चाहता हूं। आने वाले त्योहारों में इस बार खादी ग्रामोद्योग में बना उत्पाद ही उपहार में दें। आपके पास घर में भी अलग-अलग तरह के फैब्रिक से बने कपड़े हो सकते हैं, लेकिन उसमें आप थोड़ी जगह खादी को भी जरा दे देंगे, तो वोकल फॉर लोकल अभियान को गति देंगे, किसी गरीब के जीवन को सुधारने में मदद होगी। आप में से जो भी विदेश में रह रहे हैं, अपने किसी रिश्तेदार या मित्र के पास जा रहा हो तो वो भी गिफ्ट के तौर पर खादी का एक प्रोडक्ट साथ ले जाए। इससे खादी को तो बढ़ावा मिलेगा ही, साथ ही दूसरे देश के नागरिकों में खादी को लेकर जागरूकता भी आएगी।
साथियों,
जो देश अपना इतिहास भूल जाते हैं वो देश नया इतिहास बना भी नहीं पाते। खादी हमारे इतिहास का, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा है। जब हम अपनी विरासत पर गर्व करते हैं, तो दुनिया भी उसे मान और सम्मान देती है। इसका एक उदाहरण भारत की Toy Industry भी है। खिलौने, भारतीय परंपराओं पर आधारित खिलौने प्रकृति के लिए भी अच्छे होते हैं, बच्चों के स्वास्थ्य को भी नुकसान नहीं पहुंचाते। लेकिन बीते दशकों में विदेशी खिलौनों की होड़ में भारत की अपनी समृद्ध Toy Industry तबाह हो रही थी।
सरकार के प्रयास से, खिलौना उद्योगों से जुड़े हमारे भाई-बहनों के परिश्रम से अब स्थिति बदलने लगी है। अब विदेश से मंगाए जाने वाले खिलौनों में भारी गिरावट आई है। वहीं भारतीय खिलौने ज्यादा से ज्यादा दुनिया के बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारे छोटे उद्योगों को हुआ है, कारीगरों को, श्रमिकों को, विश्वकर्मा समाज के लोगों को हुआ है।
साथियों,
सरकार के प्रयासों से हैंडीक्राफ्ट का निर्यात, हाथ से बुनी कालीनों का निर्यात भी निरंतर बढ़ रहा है। आज दो लाख से ज्यादा बुनकर और हस्तशिल्प कारीगर GeM पोर्टल से जुड़े हुए हैं और सरकार को आसानी से अपना सामान बेच रहे हैं।
साथियों,
कोरोना के इस संकटकाल में भी हमारी सरकार अपने हस्तशिल्प कारीगरों, बुनकरों, कुटीर उद्योग से जुड़े भाई-बहनों के साथ खड़ी रही है। लघु उद्योगों को, MSME’s को आर्थिक मदद देकर, सरकार ने करोड़ों रोजगार जाने से बचाए हैं।
भाइयों और बहनों,
अमृत महोत्सव की शुरुआत पिछले वर्ष मार्च में दांडी यात्रा की वर्षगांठ पर साबरमती आश्रम से हुई थी। अमृत महोत्सव अगले वर्ष अगस्त 2023 तक चलना है। मैं खादी से जुड़े हमारे भाई-बहनों को, गुजरात सरकार को, इस भव्य आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। अमृत महोत्सव में हमें ऐसे ही आयोजनों के माध्यम से नई पीढ़ी को स्वतंत्रता आंदोलन से परिचित कराते रहना है।
मैं आप सभी से एक आग्रह करना चाहता हूं, आपने देखा होगा दूरदर्शन पर एक स्वराज सीरियल शुरू हुआ है। आप देश की आजादी के लिए, देश के स्वाभिमान के लिए, देश के कोने-कोने में क्या संघर्ष हुआ, क्या बलिदान हुए, इस सीरियल में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गाथाओं को बहुत विस्तार से दिखाया जा रहा है। आज की युवा पीढ़ी को दूरदर्शन पर रविवार को शायद रात को 9 बजे आता है, ये स्वराज सीरियल पूरे परिवार को देखना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए क्या–क्या सहन किया है, इसका हमारी आने वाली पीढ़ी को पता होना चाहिए। राष्ट्रभक्ति, राष्ट्र चेतना, और स्वावलंबन का ये भाव देश में निरंतर बढ़ता रहे, इसी कामना के साथ मैं फिर बार आप सबका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं!
मैं आज विशेष रूप से मेरी इन माताओं-बहनों को प्रणाम करना चाहता हूं, क्योंकि चरखा चलाना, वह भी एक प्रकार की साधना है। पूरी एकाग्रता से, योगिक भाव से यह माताएं-बहनें राष्ट्र के विकास में योगदान दे रही है। और इतनी बड़ी संख्या में इतिहास में पहली बार यह घटना बनी होगी। इतिहास में पहली बार।
जो लोग सालों से इस विचार के साथ जुड़े हुए है, इस आंदोलन के साथ जुड़े हुए है। ऐसे सभी मित्रों को मेरी विनती है कि, अब तक आपने जिस पद्धति से काम किया है, जिस तरह से काम किया है, आज भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी के इन मूल्यों को फिर से प्राणवान बनाने का जो प्रयास चल रहा है, उसे समझने का प्रयास हो। उसको स्वीकार कर आगे बढ़ने में मदद मिले। उसके लिए मैं ऐसे सभी साथियों को निमंत्रण दे रहा हूं।
आओ, हम साथ मिलकर आजादी के अमृत महोत्सव में पूज्य बापू ने जो महान परंपरा बनाई है। जो परंपरा भारत के उज्जवल भविष्य का आधार बन सकती है। उसके लिए पूरी शक्ति लगाए, सामर्थ्य़ जोड़ें, कर्तव्यभाव निभाए और विरासत के उपर गर्व कर आगे बढ़ें। यही अपेक्षा के साथ फिर से एक बार आप सभी माताओं-बहनों को आदरपूर्वक नमन कर मेरी बात पूर्ण करता हूं।
धन्यवाद !
डिस्क्लेमर: प्रधानमंत्री के भाषण का कुछ अंश गुजराती भाषा में भी है, जिसका भावानुवाद किया गया है।
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DS/VJ/NS/AK
Celebrating the vibrant Khadi tradition of India! Joined 'Khadi Utsav' at Sabarmati Riverfront. https://t.co/uiRB4JfeOZ
— Narendra Modi (@narendramodi) August 27, 2022
Every Indian has an emotional connect with the Charkha. It was a symbol of our freedom struggle and remains a symbol of hope and empowerment.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 27, 2022
Glimpses from today's Khadi Utsav. pic.twitter.com/9qF5I2VigL
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 7500 बहनों-बेटियों ने खादी उत्सव में एक साथ चरखे पर सूत कातकर नया इतिहास रच दिया है। pic.twitter.com/o5mAy4N738
— Narendra Modi (@narendramodi) August 27, 2022
Khadi then- a symbol of our Independence movement under Gandhi Ji.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 27, 2022
Khadi now- a symbol of Aatmanirbhar Bharat. pic.twitter.com/hp4e3qs74F
From the banks of the Sabarmati we begin a movement to further popularise Khadi. pic.twitter.com/7sXhs0RE5n
— Narendra Modi (@narendramodi) August 27, 2022
साबरमती के तट से देशभर के लोगों से मैं एक अपील करना चाहता हूं… pic.twitter.com/Ew6dQTifnb
— Narendra Modi (@narendramodi) August 27, 2022
साबरमती का ये किनारा आज धन्य हो गया है।
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2022
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, 7,500 बहनों-बेटियों ने एक साथ चरखे पर सूत कातकर नया इतिहास रच दिया है: PM @narendramodi at 'Khadi Utsav'
अटल ब्रिज, साबरमती नदी को, दो किनारों को ही आपस में नहीं जोड़ रहा बल्कि ये डिजाइन और इनोवेशन में भी अभूतपूर्व है।
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2022
इसकी डिजाइन में गुजरात के मशहूर पतंग महोत्सव का भी ध्यान रखा गया है: PM @narendramodi
इतिहास साक्षी है कि खादी का एक धागा, आजादी के आंदोलन की ताकत बन गया, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया।
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2022
खादी का वही धागा, विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का, आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणा-स्रोत बन सकता है: PM @narendramodi
15 अगस्त को लाल किले से मैंने पंच-प्रणों की बात कही है।
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साबरमती के तट पर, इस पुण्य जगह पर मैं पंच-प्रणों को फिर दोहराना चाहता हूं।
पहला- देश के सामने विराट लक्ष्य, विकसित भारत बनाने का लक्ष्य
दूसरा- गुलामी की मानसिकता का पूरी तरह त्याग: PM @narendramodi
तीसरा- अपनी विरासत पर गर्व
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चौथा- राष्ट्र की एकता बढ़ाने का पुरजोर प्रयास
पांचवा- नागरिक कर्तव्य: PM @narendramodi
आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी को गांधी जी ने देश का स्वाभिमान बनाया, उसी खादी को आजादी के बाद हीन भावना से भर दिया गया।
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इस वजह से खादी और खादी से जुड़ा ग्रामोद्योग पूरी तरह तबाह हो गया।
खादी की ये स्थिति विशेष रूप से गुजरात के लिए बहुत ही पीड़ादायक थी: PM
हमने खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन में खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन का संकल्प जोड़ा।
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हमने गुजरात की सफलता के अनुभवों का देशभर में विस्तार करना शुरु किया।
देशभर में खादी से जुड़ी जो समस्याएं थीं उनको दूर किया।
हमने देशवासियों को खादी के product खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया: PM
भारत के खादी उद्योग की बढ़ती ताकत के पीछे भी महिला शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है।
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उद्यमिता की भावना हमारी बहनों-बेटियों में कूट-कूट कर भरी है।
इसका प्रमाण गुजरात में सखी मंडलों का विस्तार भी है: PM @narendramodi
खादी sustainable clothing का उदाहरण है।
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खादी eco-friendly clothing का उदाहरण है।
खादी से carbon footprint कम से कम होता है।
बहुत सारे देश हैं जहां तापमान ज्यादा रहता है, वहां खादी Health की दृष्टि से भी बहुत अहम है।
इसलिए खादी वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है: PM
मैं देशभर के लोगों से एक अपील भी करना चाहता हूं।
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आने वाले त्योहारों में इस बार खादी ग्रामोद्योग में बना उत्पाद ही उपहार में दें।
आपके पास अलग-अलग तरह के फैब्रिक से बने कपड़े हो सकते हैं।
लेकिन उसमें आप खादी को भी जगह देंगे, तो वोकल फॉर लोकल अभियान को गति मिलेगी: PM
बीते दशकों में विदेशी खिलौनों की होड़ में, भारत की अपनी समृद्ध Toy Industry तबाह हो रही थी।
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2022
सरकार के प्रयास से, खिलौना उद्योगों से जुड़े हमारे भाई-बहनों के परिश्रम से अब स्थिति बदलने लगी है।
अब विदेश से मंगाए जाने वाले खिलौनों में भारी गिरावट आई है: PM @narendramodi