बेनिन और सेनेगल के महामहिम राष्ट्रपति
कोटे डायवोयर के महामहिम उपराष्ट्रपति
अफ्री़की विकास बैंक के अध्यक्ष
अफ्री़की संघ के महासचिव
अफ्री़की संघ आयोग के आयुक्त
मेरे मंत्रीमंडल सहयोगी श्री अरूण जेटली
गुजरात के मुख्य मंत्री श्री विजय रूपानी
गणमान्य अतिथि और अफ्री़का के भाइयों एवं बहिनों
देवियों और सज्जनों
आज हम गुजरात राज्य में एकत्रित हुए हैं। व्यापार के प्रति गुजरातियों का आकर्षण जग जाहिर है। गुजराती लोग अफ्री़का के प्रति प्रेम भाव के लिए भी लोकप्रिय हैं! एक भारतीय और गुजराती होने के नाते मुझे इस बात की खुशी है कि यह बैठक भारत में और वह भी गुजरात में हो रही है।
भारत के अफ्री़का के साथ सदियों से मजबूत रिश्ते रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से, पश्चिमी भारत, विशेष रूप से गुजरात तथा अफ्री़का के पूर्वी तट के समुदाय एक दूसरे की भूमियों में बसे हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि भारत के सिद्धी (Siddhis) लोग पूर्वी अफ्री़का से आए थे। तटवर्ती केन्या में बोहरा समुदाय 12वीं सदी में भारत आए थे। वास्कोडिगामा के बारे में कहा जाता है कि वह एक गुजराती नाविक की सहायता से मालिन्दी से कालिकट पहुंचे थे। गुजरात के लोगों (dhows) ने दोनों दिशाओं में व्यापार किया। समाजों के बीच प्राचीन संपर्कों से भी हमारी संस्कृति समृद्ध हुई। समृद्ध स्वाहिली भाषा में हिंदी के कईं शब्द मिलते हैं।
उपनिवेशवाद युग के दौरान बत्तीस हजार भारतीय आईकोनिक मोम्बासा उगांडा रेलवे का निर्माण करने के लिए केन्या आए। इनमें से कईं लोगों की निर्माण कार्य के दौरान जानें चली गईं। लगभग छ: हजार लोग वहीं बस गए और उन्होंने अपने परिवारों को भी वहीं बसा लिया। कईं लोगों ने ‘’दुकास’’ नामक छोटे व्यवसाय शुरू किए, जिन्हें ‘’दुकावाला’’ के नाम से जाना जाता था। उपनिवेशवाद के दौरान व्यापारी, कलाकार तथा उसके उपरांत पदाधिकारी, शिक्षक, डॉक्टर और अन्य पेशेवर लोग पूर्वी और पश्चिमी अफ्री़का गए और इस प्रकार एक व्यावसायिक समुदाय का सृजन हुआ, जिसमें भारत और अफ्री़का के बड़े संपन्न लोग हैं।
महात्मा गांधी, एक और गुजराती, ने अपने अहिंसक संघर्ष को धार भी दक्षिण अफ्री़का में ही दी। उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले के साथ 1912 में तंजान्या की यात्रा की। भारतीय मूल के अनेक नेताओं ने श्री नेवरेरे, श्री केन्याटा तथा नेल्सन मंडेला सहित अफ्री़की स्वतंत्रता संघर्षों के नेताओं को अपना पूरजोर समर्थन दिया और अफ्री़की स्वतंत्रता के लिए अपनी आवाज बुलंद की। स्वतंत्रता संघर्ष के पश्चात भारतीय मूल के अनेक नेताओं को तंजानिया और दक्षिण अफ्री़का की कैबिनेटों में नियुक्त किया गया। तंजानिया में भारतीय मूल के छ: तंजानिकी नागरिक वर्तमान में संसद सदस्य हैं।
पूर्वी अफ्री़का की ट्रेड यूनियन के आंदोलन की शुरूआत माखन सिंह ने की थी। ट्रेड यूनियन की बैठकों में ही केन्या की स्वतंत्रता की पहली आवाज उठी। एम. ए. देसाई और पियो गामा पिन्टो ने केन्याई संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया। भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित नेहरू ने एक भारतीय संसद सदस्य को श्री केन्याटा के रक्षा दल का भाग बनने के लिए उस समय भेजा जब 1953 में कापेनगुरिया मुकदमे के दौरान श्री केन्याटा को बंदी बना दिया गया था। केन्याटा के रक्षा दल में भारतीय मूल के दो अन्य व्यक्ति भी थे। भारत अफ्री़का की स्वतंत्रता के लिए अपने समर्थन के प्रति दृढ़ था। नेल्सन मंडेला ने कहा था, जिसे में यहां उद्धत कर रहा हूं, ‘’भारत ने तब हमारी सहायता की, जब बाकी देश हमारे अत्याचारियों के साथ खड़े थे। जब अंतर्राष्ट्रीय परिषद के दरवाजे हमारे लिए बंद हो चुके थे, तब भारत ने हमारे लिए दरवाजे खोले। भारत ने हमारी लड़ाई में इस तरह साथ साथ दिया जैसे कि ये उसकी लड़ाई हो।‘’
गत दशकों के दौरान हमारे रिश्तें काफी मजबूत हुए हैं। 2014 में प्रधान मंत्री बनने के पश्चात मैंने भारत की विदेशी और आर्थिक नीति में अफ्री़का को वरीयता दी है। 2015 एक ऐतिहासिक वर्ष था। इस वर्ष के दौरान आयोजित तीसरे भारत अफ्री़का शिखर वार्ता में सभी 54 अफ्री़की देशों ने भाग लिया, जिनके भारत के साथ राजनयिक संबंध थे। इसमें 51 अफ्री़की देशों के राष्ट्राध्यक्षों या सरकार ने भाग लिया।
2015 से मैंने 6 अफ्री़की देशों का दौरा किया, अर्थात दक्षिण अफ्री़का, मोजाम्बिक, तनजांनिया, केन्या, मारीशस और सेशल्स । हमारे राष्ट्रपति ने तीन देशों को दौरा किया, यानी नाम्बिया, घाना और आइवरी कोस्ट। हमारे उपराष्ट्रपति ने सात देशों का दौरा किया, अर्थात मोरक्को, टुनिसिया, नाइजीरिया, माली, अल्जीरीया, रवांडा और उगांडा। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि अफ्री़का में कोई ऐसा देश नहीं है जिसका पिछले तीन वर्षों के दौरान किसी भारतीय मंत्री ने दौरा नहीं किया है। मित्रों, मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि एक समय ऐसा था जब मोम्बासा और मुंबई के बीच हमारे केवल व्यापारिक और समुद्रीय संपर्क व सहयोग थे, पर आज हमारे काफी कुछ है, उसका उल्लेख नीचे किया जा रहा है :
•यह वार्षिक बैठक, जो अबिदजान और अहमदाबाद को जोड़ती है
• बामाको और बैंगलोर के बीच व्यावसायिक संपर्क
• चैन्नई और कैप टाउन के बीच क्रिकेट संपर्क
•दिल्ली और डाकर के बीच विकास संपर्क
यह मुझे हमारे विकास में सहयोग की याद दिलाता है। अफ्री़का के साथ भारत की भागीदारी एक ऐसे सहयोग मॉडल पर आधारित है, जो अफ्री़की देशों की जरूरतों के लिए संगत है। यह मांग आधारित है और इसके लिए कोई शर्ते नहीं हैं।
इस सहयोग की पहल के रूप में, भारत एग्जिम बैंक के जरिए ऋण उपलब्ध कराता है। भारत ने अब तक 44 देशों को 152 ऋण उपलब्ध कराए हैं, जिसकी कुल राशि लगभग 8 बिलियन डालर है।
तीसरी भारत-अफ्री़का शिखर वार्ता के दौरान भारत ने आगामी पांच वर्षों के दौरान विकास योजनाओं के लिए 10 बिलियन डालर दिए। हमने 600 मिलियन डालर की अनुदान सहायता भी प्रदान की।
भारत को अफ्री़का के साथ अपने शैक्षणिक और तकनीकी संबंधों पर गर्व है। अफ्री़का के 13 वर्तमान या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों, प्रधान मंत्रियों और उप-राष्ट्रपतियों ने भारत में शैक्षणिक या प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रतिभागिता की है। अफ्री़का के 6 वर्तमान या पूर्व सैन्य प्रमुखों को भारत की विभिन्न संस्थाओं में प्रशिक्षित किया गया है। अफ्री़का के दो आंतरिक मंत्रियों ने भारतीय संस्थाओं में भाग लिया। भारत तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग लोकप्रिय कार्यक्रम के अंतर्गत, वर्ष 2007 से अब तक अफ्री़की देशों के 33 हजार से अधिक पदाधिकारियों को छात्रवृतियां प्रदान की गई हैं।
कौशल के क्षेत्र में हमारी सबसे अच्छी भागीदारी है ‘’सोलर मामाज़’’ (“solar mamas”)। प्रत्येक वर्ष 80 अफ्री़की महिलाओं को भारत में प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे सोलर पैनलों और सर्किटों में काम कर सकें। प्रशिक्षण के पश्चात जब वे अपने देश वापस जाती हैं तब वे अपने समुदाय को बिजली उपलब्ध कराने के लिए कार्य करती हैं। प्रत्येक महिला अपने देश लौटने पर 50 घरों को बिजली पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होती है। महिलाओं के चयन के लिए आवश्यक शर्त यह है कि वे या तो पूर्ण रूप से अशिक्षित हों या थोड़ी बहुत शिक्षित हों। ये महिलाएं भारत में प्रशिक्षण के दौरान और अनेक कौशलों की भी जानकारी प्राप्त करती हैं, जैसे कि टोकरी बनाना, मधुमक्खीपालन और किचन गार्डिनिंग।
हमने 48 अफ्री़की देशों को शामिल करते हुए टेली-मेडिशिन और टेली-नेटवर्क के लिए समूचे अफ्री़का ई-नेटवर्क परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया है। भारत में पांच अग्रणीय विश्वविद्यालयों ने अफ्री़की नागरिकों को सार्टिफिकेट, अंडर ग्रेजुवेट और पोस्ट ग्रेजुवेट कार्यक्रम प्रदान किए। भारत के बारह सुपर-सपेशियेलिटी अस्पतालों ने परामर्श और निरंतर चिकित्सीय शिक्षा प्रदान की। लगभग सात हजार छात्रों ने भारत में अपनी शिक्षा पूर्णं की। इसके अगले चरण की शुरूआत हम जल्दी करेंगे।
हम शीघ्र ही अफ्री़की देशों के लिए कपास तकनीकी सहायता कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे, जिसे वर्ष 2012 में आरंभ किया गया था। इस परियोजना का कार्यान्वयन बेनिन, बुरकिना फासो, चाड, मलावी, नाइजीरिया और उगांडा में किया गया था।
मित्रों,
अफ्री़का-भारत व्यापार गत 15 वर्षों में काफी ज्यादा बढ़ा है। पिछले पांच वर्षों के दौरान यह दुगुना हुआ है, जो बढ़कर 2014-15 में लगभग बहत्तर बिलियन अमेरिकी डालर पर था। वर्ष 2015-16 में अफ्री़का के साथ हमारा जिंस व्यापार अमेरिका से भी अधिक था।
अफ्री़का में विकास कार्यों को समर्थन देने के लिए भारत अमेरिका और जापान से भी बातचीत कर रहा है। मुझे अपनी टोकयो यात्रा के दौरान टोकयो के प्रधान मंत्री के साथ अपनी विस्तृत वार्ता अच्छी तरह याद है। हमने सभी देशों के लिए विकास कार्यों को आगे बढ़ाने की संभावनाओं पर अपनी प्रतिबद्धता पर चर्चा की। हमारी संयुक्त घोषणा में हमने एशिया अफ्री़का ग्रोथ कोरिडोर का उल्लेख किया और अपने अफ्री़की भाईयों एवं बहिनों से आगे बातचीत जारी रखने का प्रस्ताव किया।
भारतीय और जापानी अनुसंधानिक संस्थाओं ने एक विजन डॉक्यूमेंट प्रस्तुत किया है। इसे एक साथ प्रस्तुत करने के लिए मैं आरआईएस, ईआरआईए और आईडीई-जेटरो को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद देता हूं। इसे अंतिम रूप अफ्री़का के विद्वानों के साथ परामर्श कर दिया गया। मुझे विश्वास है कि विजन डॉक्यूमेंट को आगामी समय में बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। हमारी सोच यह है कि अन्य इच्छुक साझेदारों के साथ भारत और जापन कौशल, स्वास्थय, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण तथा कनेक्टिविटी में संयुक्त पहलों की खोज करेंगे।
हमारी भागीदारी मात्र सरकारों तक सीमित नहीं है। भारत का निजी क्षेत्र निवेश को लगातार बढ़ावा देने में सबसे आगे है। 1996 से लेकर 2016 तक भारत के विदेशी प्रत्यक्ष निवेशों में अफ्री़का का योगदान लगभग 1/5 रहा है। भारत अफ्री़की महाद्वीप में निवेश करने वाले देशों में पांचवां सबसे बड़ा देश है। पिछले 20 वर्षों के दौरान भारत के निवेश 54 बिलियन डालर से भी अधिक थे, जिससे अफ्री़की नागरिकों के लिए रोजगार अवसर सृजित हुए।
अंतर्राष्ट्रीय सौर संधि पहल, जिसकी शुरूआत नवंबर 2015, पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हुई थी, के प्रति हम अफ्री़की देशों की प्रतिक्रिया से काफी प्रोत्साहित हैं। इस संधि को उन देशों के गठबंधन के रूप में देखा जा सकता है, जोकि सौर संसाधनों से समृद्ध हैं, ताकि उनकी विशेष सौर आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। मुझे इस बात की खुशी है कि अनेक अफ्री़की देशों ने इस पहल को अपना समर्थन दिया है।
नए विकास बैंक, जिसे आम रूप से ‘’ब्रिक्स बैंक’’ के रूप में जाना जाता है, के संस्थापक के रूप में, भारत ने दक्षिण अफ्री़का में क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की हमेशा ही हिमायत की है। यह अफ्री़की विकास बैंक सहित एनडीबी और अन्य विकास साझेदारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
भारत अफ्री़की विकास फंड में 1982 में तथा अफ्री़की विकास बैंक में 1983 में शामिल हुआ। भारत ने बैंक की सभी समान्य पूंजी वृद्धियों में योगदान दिया है। हाल ही के अफ्री़की विकास फंड संपूर्ति के लिए भारत ने 29 मिलियन डालर गिरवी रखे हैं। हमने भारी ऋण से दबे गरीब देशों और बहुआयामी ऋण अवनयन योजनाओं में योगदान दिया है।
इन बैठकों के साथ-साथ, भारत सरकार भारतीय उद्योग संघ की भागीदारी में एक सम्मेलन और संवाद का आयोजन कर रही है। भारत सरकार ने भारतीय वाणिज्य और उद्योग संघ के साथ एक प्रदर्शनी भी आयोजित की है। सम्मेलन और प्रदर्शनी में जिन मुख्य क्षेत्रों पर जोर दिया गया, उनमें कृषि से लेकर अभिनव तथा स्टार्ट-अप और अन्य विषय शामिल थे।
इस कार्यक्रम का शीर्षक है ‘’अफ्री़का में संपदा सृजन के लिए कृषि में परिवर्तन’’। इसमें एक क्षेत्र ऐसा है जिसमें भारत और बैंक एक साथ सार्थक रूप से कार्य कर सकते हैं। इस सिलसिले में मैंने कपास तकनीकी सहायता कार्यक्रम का उल्लेख पहले ही किया है।
यहां भारत में मैंने 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करने की मुहिम चलाई है जिसके लिए सतत रूप से प्रयास करने होंगे, जिनमें उन्नत फसल बीज और अधिकतम उत्पादन से लेकर फसल नुकसान कम करने तथा बेहतर विपणन बुनियादी ढांचा जैसे मुद्दे हैं। इस मुहिम पर चलते हुए भारत आपके अनुभवों से सीख लेने के लिए उत्सुक है।
मेरे अफ्री़की भाईयों और बहिनों,
हमारे सम्मुख आज जो चुनौतियों हैं, वे एक जैसी हैं, जैसे कि हमारे किसानों और गरीबों का उत्थान, महिलाओं का सशक्तिकरण, हमारे ग्रामीण समुदायों के लिए वित्त से पहुंच सुनिश्चित करना तथा बुनियादी ढांचा खड़ा करना। हमें ये कार्य वित्तीय सीमाओं के अंतर्गत ही करने हैं। हमें मैक्रो-इकनोमिक स्थिरता को कायम रखना है ताकि महंगाई को नियंत्रित रखा जा सके और हमारा भुगतान-शेष (बैलेंस ऑफ पेमेंट) संतुलित रहे। इन समस्त मुद्दों पर अपने अनुभव साझा कर हम काफी कुछ हासिल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कम-नकदी अर्थव्यवस्था की हमारी पहल में हमने उन सफल पहलों से काफी कुछ सीखा है, जो केन्या जैसे अफ्री़की देश ने मोबाइल बैंकिंग के क्षेत्र में की थीं।
मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले तीन वर्षों में सभी मैक्रो-इकनोमिक सूचकांकों में भारत की स्थिति में सुधार आया है। राजकोषीय घाटा, भुगतान-शेष (बैलेंस ऑफ पेमेंट) घाटा तथा महंगाई कम हुई है। जीडीपी विकास दर, विदेशी मुद्रा भंडार तथा सार्वजनिक पूंजी निवेश बढ़ा है। इसके साथ-साथ, हमने विकास में भी काफी अच्छी उन्नति की है।
अफ्री़की विकास बैंक के अध्यक्ष जी, हमें यह पता चला है कि आपने हमारे हालिया कदमों को अन्य विकासशील राष्ट्रों के सम्मुख पाठ्य पुस्तकों के रूप में प्रस्तुत किया है और हमें विकास पथ-प्रदर्शक कहा है। इस बात के लिए आपका धन्यवाद करते हुए, मुझे यह जानकार खुशी है कि आपने पूर्व में हैदराबाद में प्रशिक्षण लेते हुए काफी समय बिताया है। फिर भी, मैं यह कहता हूं कि मैं आने वाली अनेक चुनौतियों के प्रति सकेंद्रित रहूं। इस संदर्भ में मैंने सोचा कि मैं आपके साथ उन कार्यनीतियों को साझा कर सकूं, जिनका उपयोग हमने पिछले 3 वर्षों में किया है।
गरीबों को मूल्य रियायतों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से सब्सिडी देने के बजाय, हमने उन्हें प्रत्यक्ष रूप से सब्सिडी देकर काफी राजकोषीय बचतें की हैं। केवल कुकिंग गैस में ही हमने तीन वर्षों में 4 बिलियन डालर की बचत की है। इसके अलावा, मैंने देश के संपन्न नागरिकों से अपनी गैस सब्सिडी स्वैच्छिक रूप से छोड़ने की अपील की थी। ‘गिव इट अप’ अभियान के तहत हमने यह वायदा किया था कि इस बचत का उपयोग हम किसी गरीब परिवार को गैस कनेक्शन देने के लिए करेंगे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस अपील से 10 मिलियन से अधिक भारतीय नागरिकों ने अपनी गैस सब्सिडी स्वैच्छिक रूप से छोड़ दी। बचतों के कारण हमने एक कार्यक्रम आरंभ किया है कि हम 50 मिलियन गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन देंगे। इस दिशा में 15 मिलियन कनेक्शन पहले ही दिए जा चुके हैं। इससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में कायांतरण होता है। इससे उन्हें लकड़ी जैसे ईधन के साथ खाना पकाने के दौरान स्वास्थ्य संबंधी खतरों से मुक्ति मिलती है। इससे पर्यावरण भी परिरक्षित रहता है और प्रदूषण कम होता है। मैं जो ‘’रिफार्म टू ट्रांसफोर्म : जीवन-यापन में बदलाव लाने के लिए मिश्रित कार्य’’ की बात कहता हूं, उसका यह एक उदाहरण है।
पूर्व में किसानों के लिए अपेक्षित कुछ सब्सिडीयुक्त यूरिया को गैर-कृषि कार्यों, जैसे कि रसायनों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल करने हेतु अवैध रूप से डायवर्ट कर दिया जाता था। हमने यूरिया की सर्वव्यापी नीम-कोटिंग की शुरूआत की। इससे उर्वरक का डायवर्जन नहीं किया जा सकता है। इस दिशा में हमने न केवल काफी वित्तीय बचतें की हैं, बल्कि अध्ययनों में यह पाया गया है कि नीम कोटिंग से उर्वरक की प्रभावकारिता भी बढ़ी है।
हम अपने किसानों को मृदा स्वास्थय कार्ड भी उपलब्ध करा रहे हैं, जो उन्हें मृदा की सही प्रकृति व स्थिति बताता है और मिश्रित निविष्टयों के बेहतर उपयोग के लिए भी सलाह देता है। इसके फलस्वरूप, निविष्टयों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा मिलता है और फसल की उपज में वृद्धि होती है।
हमने रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्गों, पावर और गैस पाइपलाइनों सहित बुनियादी ढांचे में पूंजीगत निवेश में अभूतपूर्व वृद्धि की है। भारत में अगले वर्ष तक कोई भी गांव बिना बिजली के नहीं रहेगा। हमारे गंगा सफाई, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सीटीज़, सभी के लिए घर और स्किल इंडिया मिशन हमें एक स्वच्छ, अधिक समृद्ध, तेजी से बढ़ते और आधुनिक नए भारत की दिशा में ले जा रहे हैं। हमारा उद्देश्य यह है कि भारत आने वाले वर्षों में विकास का अनूठा आदर्श बनने के साथ-साथ जलवायु अनुकूल विकास का एक उदाहरण बने।
दो ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं, जिनसे हमें सहायता मिली है। बदलाव के अनुक्रम में पहली शुरूआत बैंकिंग प्रणाली में की गई है। पिछले 3 वर्षों में हमने सर्वव्यापी बैंकिंग प्रक्रिया हासिल की है। हमने जन धन योजना या जन धन अभियान की शुरूआत की है, जिनके अंतर्गत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के लिए 280 मिलियन बैंक खाते खोले गए हैं। इस पहल के कारण वस्तुत: प्रत्येक भारतीय परिवार के पास अब बैंक खाता है। आम रूप से बैंक व्यवसायों और धनी लोगों को वित्त उपलब्ध कराते हैं। हमने बैंकों को गरीबों के विकास की राह में सहायता देने का कार्य सौंपा है। हमने अपने राष्ट्रीय बैंकों को राजनीतिक निर्णयों से मुक्ति प्रदान कर तथा एक पारदर्शी चयन प्रक्रिया के जरिए मेरिट के आधार पर पेशेवर चीफ एग्जिक्यूटिव (प्रमुख प्रबंधकों) की नियुक्ति कर उन्हें सुदृढ़ किया है।
हमारी आधार नामक सर्वव्यापी बाइमैट्रिक आइडेंटिफिकेशन प्रणाली दूसरी महत्वपूर्ण सफलता है। यह उन लोगों को लाभ लेने से रोकती है, जो उसके असली हकदार नहीं हैं। इससे हमें यह सुनिश्चितता करने में सहायता मिलती है कि जिन लोगों को सरकारी सहायता की जरूरत है, उन्हें सरकारी सहायता आसानी से मिल सके और साथ ही गैर-हकदारी दावों को रोका जा सके।
मित्रों, मैं सफल और सार्थक वार्षिक बैठक के लिए आपको शुभकामना देते हुए अपनी बात संपन्न करता हूं। खेल के क्षेत्र में भारत अफ्री़का के साथ लंबी दौड़ में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता है। लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि भारत आपके बेहतर भविष्य के लिए आपकी लंबी एवं कठिन यात्रा में हमेशा आपके साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा और अपना भरपूर समर्थन देगा।
महामहिम, देवियों और सज्जनों! मुझे अफ्री़की विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की वार्षिक बैठक की आधिकारिक रूप से घोषणा करने में काफी प्रसन्नता हो रही है।
धन्यवाद !
India has had strong ties with Africa for centuries: PM @narendramodi pic.twitter.com/oSo2NwC8ru
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After assuming office in 2014, I have made Africa a top priority for India’s foreign and economic policy: PM @narendramodi pic.twitter.com/tTDFEFWuei
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I am proud to say that there is no country in Africa that has not been visited by an Indian Minister in the last three years: PM pic.twitter.com/9rBFXCS3hJ
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India’s partnership with Africa is based on a model of cooperation which is responsive to the needs of African countries: PM @narendramodi pic.twitter.com/1HHork6FlJ
— PMO India (@PMOIndia) May 23, 2017
Africa-India trade multiplied in last 15 years. It doubled in the last 5 years to reach nearly seventy-two billion US dollars in 2014-15: PM
— PMO India (@PMOIndia) May 23, 2017
From 1996 to 2016, Africa accounted for nearly one-fifth of Indian overseas direct investments: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 23, 2017
We are encouraged by the response of African countries to the International Solar Alliance initiative: PM @narendramodi
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Many of the challenges we face are the same: uplifting our farmers and the poor, empowering women: PM @narendramodi
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Our challenges also include ensuring our rural communities have access to finance, building infrastructure: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 23, 2017
By paying subsidies directly to the poor rather than indirectly through price concessions, we have achieved large fiscal savings: PM
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Our aim is that India must be an engine of growth as well as an example in climate friendly development in the years to come: PM
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