प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रिमंडलीय बैठक में अनिवासी भारतीय (एनआरआई), भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) और विदेशी भारतीय नागरिकों (ओसीआई) द्वारा भारत में किए जाने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नीति की समीक्षा को मंजूरी दे दी। नीति में मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं-
I. संबंधित पैराग्राफ में संशोधन के उपरांत अनिवासी भारतीय की परिभाषा इस प्रकार होगीः ‘अनिवासी भारतीय’ (एनआरआई) का अर्थ ऐसे वैयक्तिक नागरिक होंगे जो भारत के बाहर रहते हैं और भारत के नागरिक हैं या जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) के दायरे में ‘विदेशी भारतीय नागरिक’ कार्डधारक हैं। जिन व्यक्तियों के पास ‘भारतीय मूल के व्यक्ति’ का कार्ड है और जो 19.08.2002 को केन्द्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना नंबर 26011/4/98 के तहत पंजीकृत हैं, उन्हें ‘विदेशी भारतीय नागरिक कार्डधारक’ माना जाएगा।
II. अनिवासी भारतीयों द्वारा गैर-स्वदेश वापसी आधार पर किया जाने वाला निवेश घरेलू होगा। इसमें एक नया पैराग्राफ जोड़ा गया हैः
‘फेमा नियमों की अनुसूची 4 के तहत भारत से बाहर रहने वाले व्यक्तियों द्वारा हस्तांतरित या जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों के संदर्भ में किया जाने वाला निवेश भारत में रहने वाले निवासियों द्वारा किए जाने वाले घरेलू निवेश की तरह ही माना जाएगा।’
अनिवासी भारतीय के दायरे में ओसीआई कार्डधारकों और पीआईओ कार्डधारकों को शामिल करने के फैसले का अर्थ यह हुआ कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक क्षेत्रों के संदर्भ में सरकार की घोषित नीतियों के तहत ओसीआई कार्डधारकों और पीआईओ कार्डधारकों को अनिवासी भारतीयों के समकक्ष रखा जाना है। इसके अलावा फेमा नियमों की अनुसूची 4 के तहत भारत से बाहर रहने वाले व्यक्तियों द्वारा हस्तांतरित या जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों के संदर्भ में किया जाने वाला निवेश भारत में रहने वाले निवासियों द्वारा किए जाने वाले घरेलू निवेश की तरह ही माने जाने के विषय में उल्लेखनीय है कि इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति और स्पष्ट होगी तथा इसके तहत किया जाने वाला निवेश विदेशी निवेश के वर्ग में शामिल नहीं होगा। आशा की जाती है कि इस उपाय से विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा, विदेशी मुद्रा का आगमन तेज होगा तथा देश का आर्थिक विकास संभव होगा।