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प्रमुख पहल

स्वच्छ भारत अभियान


श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की नई दिल्ली, राजपथ पर शुरूआत करते हुए कहा था कि “एक स्वच्छ भारत के द्वारा ही देश 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अपनी सर्वोत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं।” 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन देश भर में व्यापक तौर पर राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू किया गया था। इस अभियान के अंतर्गत 2 अक्टूबर 2019 तक “स्वच्छ भारत” की परिकल्पना को साकार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

विडियोः स्वच्छ भारत अभियान के प्रारंभ के अवसर पर प्रधान मंत्री का भाषण https://www.youtube.com/watch?v=HmtxA_iXvbY

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया गया सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छता अभियान है। श्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया गेट पर स्वच्छता के लिए आयोजित एक प्रतिज्ञा समारोह की अगुआई की थी। जिसमें देश भर से आए हुए लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारियों ने भाग लिया। उन्होंने इस अवसर पर राजपथ पर एक पदयात्रा को भी झंडी दिखाई थी और न केवल सांकेतिक रूप से दो चार कदम चले बल्कि भाग लेने वालों के साथ काफी दूर तक चलकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया।

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स्वच्छता के जन अभियान की अगुआई करते हुए प्रधान मंत्री ने जनता को महात्मा गांधी के स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वातावरण वाले भारत के निर्माण के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित किया। श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं मंदिर मार्ग पुलिस थाने में स्वच्छता अभियान को शुरू किया। धूल-मिट्टी को साफ़ करने के लिए झाडू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान को पूरे राष्ट्र के लिए एक जन-आंदोलन का रूप दिया और कहा कि लोगों को न तो स्वयं गंदगी फैलानी चाहिए और न ही किसी और को फैलाने देना चाहिए। उन्होंने “न गंदगी करेंगे, न करने देंगे।” का मंत्र भी दिया। श्री नरेन्द्र मोदी ने नौ लोगों को स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया और उनमें से हर एक से यह अनुरोध किया वो अन्य नौ लोगों को इस पहल में शामिल होने के लिए प्रेरित करें।

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लोगों को इस अभियान में शामिल होने का आह्वान करके स्वच्छता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है। स्वच्छ भारत अभियान के संदेश ने लोगों के अंदर उत्तरदायित्व की एक अनुभूति जगा दी है। अब जबकि नागरिक पूरे देश में स्वच्छता के कामों में सक्रिय रूप से सम्मिलित हो रहे हैं, महात्मा गांधी द्वारा देखा गया ‘स्वच्छ भारत’ का सपना अब साकार होने लगा है।

प्रधान मंत्री ने अपनी बातों और अपने कामों से स्वच्छ भारत के संदेश को लोगों का प्रयोग करके पूरे भारत और पूरी दुनिया में फैला दिया है। उन्होंने वाराणसी में भी स्वच्छता अभियान चलाया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत गंगा नदी के निकट अस्सी घाट पर फावड़ा चलाया। बड़ी संख्या में उनके साथ शामिल होकर स्वच्छता अभियान में उनका सहयोग दिया। स्वच्छता के महत्व को समझते हुए प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसके साथ ही साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल करने की बात भी उठाई है। ये स्वास्थ्य समस्यायें लगभग आधे भारतीय परिवारों को घर में उचित शौचालय न होने के कारण झेलनी पड़ रही हैं।

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समाज के विभिन्न वर्गों ने आगे आकर स्वच्छता के इस जन अभियान में हिस्सा लिया है और अपना योगदान दिया है। सरकारी कर्मचारियों से लेकर जवानों तक, बालीवुड के अभिनेताओं से लेकर खिलाड़ियों तक, उद्योगपतियों से लेकर अध्यात्मिक गुरुओं तक सभी ने इस महान काम के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है। देश भर के लाखों लोग सरकारी विभागों द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता के इन कामों में आए दिन सम्मिलित होते रहे हैं, इस काम में एनजीओ और स्थानीय सामुदायिक केन्द्र भी शामिल हैं, नाटकों और संगीत के माध्यम से सफाई-सुथराई और स्वास्थ्य के गहरे संबंध के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाये जा रहे हैं।

वीडियो: प्रधान मंत्री मोदी राजपथ से ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के लिए आयोजित पदयात्रा को झण्डी दिखाते हुए। https://www.youtube.com/watch?v=snun5Q6ngV8

प्रधान मंत्री ने जनता और विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं द्वारा स्वच्छ भारत मिशन में हिस्सा लेने और एक स्वच्छ भारत के निर्माण में अपना योगदान देने के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों की सराहना की है। श्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया में जनता की भागीदारी की हमेशा मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। साथ ही साथ स्वच्छ भारत अभियान के एक हिस्से के तौर पर ‘#MyCleanIndia’ अभियान भी शुरू किया गया है ताकि सफाई-सुथराई के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में नागरिकों के योगदान को उजागर किया जा सके।

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स्वच्छ भारत एक ‘जन-आंदोलन’ का रूप ले चुका है क्योंकि इसे जनता का अपार समर्थन मिला है। बड़ी संख्या में नागरिकों ने भी आगे आकर साफ-सुथरा भारत बनाने का प्रण किया है। स्वच्छ भारत अभियान के आरंभ के बाद गलियों की सफाई के लिए झाड़ू उठाना, कूड़े-करकट की सफाई, स्वच्छता पर ध्यान केन्द्रित करना और अपने चारों ओर स्वास्थ्यवर्धक वातावरण बनाना अब जनता की प्रकृति बन गई है। जनता ‘स्वच्छता ईश्वरत्व के निकट है’ के संदेश को फैलाने में मदद दे रही है और इस काम में शामिल हो रही है।

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