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प्रमुख पहल

नीति आयोग: भारत के विकास एजेंडा का कायांतरण करते हुए


नए भारत की भावना और बदले हुए डायनेमिक्स को प्रतिबिंबित करते हुए, शासन और नीति की संस्थाओं को नई चुनौतियों के अनुरूप बनाना होगा और उन्हें हर हाल में भारत के संविधान के मूल सिद्धांतों, हमारी सभ्यता एवं इतिहास से अर्जित ज्ञान तथा आज के सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक संदर्भ पर निर्मित करना होगा। भारत और इसके नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शासन में संस्थागत सुधार और डायनेमिक नीतिगत परिवर्तनों की आवश्यकता है, जो अभूतपूर्व परिवर्तन के बीज बो सकें और फिर उसे बनाए रखें।

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इस बदलते समय को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने अब तक के योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग [NITI = National Institution for Transforming India) गठित करने का निर्णय लिया है, ताकि भारत के लोगों की आकांक्षाओं को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके। नीति आयोग के गठन से पहले, मुख्यमंत्रियों, विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों और आम जनता के साथ MyGov के जरिए व्यापक विचार-विमर्श किया गया था।

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हम एक ऐसा भारत बनाने की यात्रा पर निकले हैं जो न केवल अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करे, बल्कि विश्व के मंच पर गर्व के साथ खड़ा हो। भारत के लोगों के मन में भागीदारी के जरिए विकास को लेकर और शासन में सुधार को लेकर बहुत बड़ी-बड़ी आशाएं हैं। इस कायांतरण के दौरान, हालांकि कुछ परिवर्तन प्रत्याशित और योजित हैं, उनमें से बहुत से बाजार की शक्तियों तथा बड़ी वैश्विक स्थितियों के स्थान परिवर्तन का परिणाम हैं। क्योंकि हमारी संस्थाएं और राजनीति परिपक्व हो रही हैं और क्रमिक विकास हासिल कर रही हैं इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि केंद्रीय स्तर पर प्लानिंग की भूमिका धीरे-धीरे कम हो, जिसे फिर से परिभाषित किए जाने की आवश्यकता है।

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हमें अपनी जनसंख्या के स्वरूप का जो लाभ हासिल है, उसका अगले चंद दशकों में भरपूर फायदा उठाना होगा। हमारे युवाओं की क्षमता को शिक्षा, कौशल विकास, लिंग भेद की समाप्ति, और रोजगार के जरिए उसके चरम पर पहुंचाना होगा। हमें विज्ञान, टेक्नोलॉजी और ज्ञान अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में अपने युवाओं को लाभकारी अवसर उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। समय के साथ ‘राष्ट्रीय उद्देश्यों’ को प्राप्त करने में सरकार की भूमिका कम हो सकती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण हमेशा रहेगी। देश की जरूरतों के अनुसार, सरकार ऐसी नीतियों को निरंतर बनाती रहेगी जो नागरिकों को अधिक से अधिक फायदा देने में सहायक हों। विश्व के साथ निरंतर राजनैतिक और आर्थिक एकरूपता को नीतियों के निर्माण में सरकार की कार्यप्रणाली के साथ शामिल किया जाना चाहिए। भारत में प्रभावी शासन निम्नलिखित बातों पर प्रमुख तौर पर निर्भर करता हैः

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In essence, effective governance in India will rest on following ‘pillars’:

जनाधारित एजेंडा जो समाज के साथ व्यक्ति की अकांक्षाओं को पूरा करे,
— जो लोगों की जरूरतों के मुताबिक प्रो-एक्टिव हो,,
सहभागिता नागरिकों की भागीदारी हो,
— समाज के सभी समूहों का समावेश हो,
— हमारे देश के युवाओं को अवसरों की समानता मिले,
— पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए निरंतर विकास, और
पारदर्शिता – जो प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सरकार को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाए।

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लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने से पहले शासन में सुधार लाना होगा। इसी तरह, इसे पब्लिक, प्राइवेट सेक्टर और सिविल सोसाइटी सहित स्टेक होल्डर्स के बीच इस रचनात्मक, सामन्जस्य और लगातार विकसित होती पार्टनरशिप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। सभी स्तरों पर लोगों की भागीदारी के जरिए सेवाओं की डिलिवरी में सुधार लाना होगा। विगत वर्षों में सरकार के संस्थागत ढांचे में परिवर्तन हुआ है। आज जिस चीज की आवश्यकता है वह है डोमेन एक्सपर्टीज का विकास जिससे हमें संस्थानों को दिए गए कार्यकलापों की विशिष्टता बढ़ाने का अवसर मिलता है। केवल प्लानिंग प्रोसेस के संबंध में, शासन की विशिष्ट ‘प्रोसेस’ को बढ़ावा देने की और शासन की “स्ट्रेटजी” से अलग रखने की आवश्यकता है।

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शासन ढ़ांचे के संदर्भ में, हमारे देश को जिस परिवर्तन की आवश्यकता है वह है – एक ऐसा संस्थान की स्थापना करना जो सरकार के लिए थिंक टैंक का काम करे – डायरैक्शनल और पोलिसी डायनेमो। नीति आयोग इसी लक्ष्य को पूरा करता है। यह नीति के प्रमुख तत्वों के संबंध में केंद्रीय और राज्यों सरकारों को संबंधित नीतिगत और तकनीकी सलाह देगा। इसने आर्थिक मोर्चे से संबंधित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मामले, अपने देश में और अन्य देशों में सर्वोत्तम पद्धतियों का प्रसार करना, विभिन्न मुद्दों पर आधारित नए नीतिगत विचारों और विशिष्ट जानकारियों को समाहित करना शामिल है।

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इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी बदलाव के जरिए संघ से राज्य तक एकतरफा नीति को बदला जाएगा और ऐसा राज्यों के साथ वास्तविक और सतत पार्टनरशिप के जरिए किया जा सकता है। नीति आयोग तीव्र गति से कार्य करेगा ताकि सरकारों को स्ट्रैटेजिक पोलिसी विजन उपलब्ध कराया जा सके और आपातकालीन मुद्दों से निपटा जा सके। दुनिया के सकारात्मक प्रभावों को ग्रहण करते हुए, भारतीय परिदृश्य में कोई भी माडल कारगर नही है। विकास के लिए हमें अपनी खुद की नीतियां ढूंढनी होंगी और यहां पर नीति आयोग एक बड़ी भूमिका निभाएगा।

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नीति आयोग के लक्ष्य निम्नलिखित होंगेः
– राष्ट्रीय उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, सेक्टर और स्ट्रैटेजीस के साथ राज्य के सक्रिय सहयोग से देश के विकास से संबंधित लक्ष्यों की साझी परिकल्पना को प्राथमिकता देना। इस तरह नीति आयोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के ‘राष्ट्रीय एजेंडा’ के फ्रेमवर्क को गतिशीलता प्रदान करेगा।
– मजबूत राज्य से ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है इस बात को मानते हुए ही राज्यों के साथ निरंतर चलने वाले ढ़ांचागत सहयोग पहलों और मेकेनिज्म के माध्यम से साझे संघवाद का पोषण करना।
– ग्रामीण स्तर से शुरू करते हुए धीरे-धीरे उच्च स्तरों तक विश्वसनीय योजनाओं के निर्माण के मैकेनिज्म को विकसित करना।
– आर्थिक स्ट्रैटेजी और नीति में विशेषरूप से ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों को सुनिश्चित करना जहां राष्ट्रीय सुरक्षा हित शामिल हैं।
– समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जिन्हें आर्थिक विकास का पर्याप्त लाभ नहीं मिला है।
– स्ट्रैटेजिक और दीर्घावधि नीतियों, पहलों और कार्यक्रमों के फ्रेमवर्क का निर्माण करना और उसकी दक्षता की प्रगति की निगरानी करना। फीडबैक और निगरानी से सीख लेकर उन्हें जरूरत के अनुसार सुधार करते हुए मध्यावधि नई पहलों में प्रयोग में लाना।
– शैक्षणिक और नीति अनुसंधान संस्थान सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक के प्रमुख स्टेक-होल्डर्स के बीच साझेदारी को बढ़ाना और सलाह देना।
– राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, पेशेवरों और अन्य पार्टनरों के समूहों के माध्यम से उद्यम सहयोग व्यवस्था के ज्ञान को नया रूप देना।
– विकास एजेंडा के कार्यान्वयन को गति प्रदान करने के लिए इंटर-सेक्टर और इंटर-डिपार्टमेंटल से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए प्लेटफार्म मुहैया कराना।
– स्टेट-आफ़-दा-आर्ट्स रिसोर्स सेंटर का निर्माण करना जो सतत और समान विकास में स्टेक-होल्डर्स तक इसका प्रसार करने में सर्वोत्तम तरीकों और सुशासन में सहायता करे।
– कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन का सक्रिय मूल्यांकन और निगरानी करना जिसमें जरूरत के संसाधनों की पहचान इस तरह से की जाए जहां सफ़लता और डिलीवरी के विस्तार की संभावनाएं हों।
– कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन में क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी के नवीनीकरण पर ध्यान देना।
– राष्ट्रीय विकास एजेंडा के निष्पादन और उल्लिखित उद्देश्यों की पूर्ति में जरूरत की अन्य गतिविधियों को शुरू करना।

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चूंकि सरकार ने एक सहयोगात्मक संघवाद, नागरिकों की भागीदारी के विस्तार, सबको समान अवसर, शासन में भागीदारी और लचक विकास परक प्रौद्योगिकी का उत्तरोत्तर प्रयोग के द्वारा सुशासन के लिए अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा कर रखी है, अतएव इसी नीति पर आगे बढते हुए नीति आयोग शासन की प्रक्रिया में अपनी ओर से एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देशक और स्ट्रैटेजिक सहायता प्रदान करेगा।

ई बुक

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