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PM’s interaction with Students at “Pariskha Pe Charcha 2025” programme

PM’s interaction with Students at “Pariskha Pe Charcha 2025” programme


विद्यार्थीWe are very excited for Pariksha Pe Charcha.

खुशीमेरे को तो आज का ऐसा लग रहा है, मैं कोई सपना देख रही हूँ।

वैभवये एक बहुत Privilege की बात है कि इतने सारे बच्चों ने इसमें रजिस्टर किया था and we were one of them.

Sai shashtra: I saw the previous Pariksha Pe Charcha Programme and it was in an Auditorium, I thought it is going to be like that only.

इरा शर्मा: But this time it’s very different, the format is just totally changed.

अक्षरा: इस बार एक खुली सी जगह में जिसका नाम सुंदर नर्सरी है, वहां पर ये प्रोग्राम आयोजित किया गया है।

एड्रिएल गुरुंगI am excited. I am like cheerful, the only is like I am very excited.

अद्वितीय सादुखन: आखिर वो दिन आ ही गया कि जब हम पीएम से सामने-सामने मिल सकते हैं।

एड्रिएल गुरुंगToday I am here to interact with.

लोपोंगशाई लावाईThe Prime Minister of India.

अक्षरा जेनायरपीएम मोदी जी, when he arrived, everyone was surrounded with positivity.

सभी विद्यार्थीनमस्ते सर!

प्रधानमंत्रीनमस्ते! क्यों, आपको अलग बिठाया है?

विद्यार्थीनहीं सर!

ऋतुराज नाथ: उनको देखकर सब Positive Aura आया।

प्रधानमंत्रीइन लोगों में से कितनों को पहचानते हो?

विद्यार्थीSir Mostly सभी को!

प्रधानमंत्रीतो सबको बुलाया घर पर?

विद्यार्थीSir बुलाऊंगा जरूर!

प्रधानमंत्रीहां, बुलाएंगे क्या, पहले से बुलाना था।

आकांक्षा अशोकAnd he was like very charming थे वो, बहुत ज्यादा!

प्रधानमंत्रीमकर संक्रांति में क्या खाते हैं?

सभी विद्यार्थीतिल-गुड़!

प्रधानमंत्रीतो एक ही लेना है, ऐसा नियम नहीं है। जिसको ज्यादा पसंद हो, ज्यादा खा सकते हैं।

विद्यार्थीपीएम सर जब हम लोग को आकर तिल का नारू जो है वो distribute कर रहे थे, तो वो मुझे बहुत अच्छा लगा।

प्रधानमंत्रीक्या बोलते हैं, तिल गुड़ घ्‍या, नी गोड-गोड बोला!

विद्यार्थीतिल गुड़ घ्‍या, नी गोड-गोड बोला!

प्रधानमंत्रीवाह!

अनन्या यूअगर कोई गेस्ट घर आते हैं, तो हम देते हैं ना, वैसे ही उन्‍होंने दिया हमें!

प्रधानमंत्रीकेरला में क्‍या बोलते हैं इसको?

विद्यार्थीतिल के लड्डू कहते हैं।

प्रधानमंत्रीतिल के लड्डू बोलते हैं।

विद्यार्थीवहां पर ये बहुत कम मिलता है।

प्रधानमंत्रीकम मिलता है?

विद्यार्थीहां!

प्रधानमंत्रीअच्छा!

विद्यार्थीऐसा लगा कि अच्छा हमारे लिए भी कोई थिंक करता है।

प्रधानमंत्रीऔर किसी को लेने का मन करता है?

विद्यार्थीसर एक और दो!

प्रधानमंत्रीहां, ये बड़ा अच्छा है।

विद्यार्थीबहुत अच्‍छे लगे सर!

प्रधानमंत्रीहां! बैठिये! अच्छा भाई आप बताइए, ये तिल-गुड़ खाने का कौन सा मौसम अच्छा होता है?

विद्यार्थीसर्दियां!

प्रधानमंत्रीक्यों खाते हैं?

विद्यार्थीशरीर को गर्म रखता है।

प्रधानमंत्री: शरीर को गर्म रखता है, तो आप लोग पोषण के संबंध में क्या जानते हैं?

विद्यार्थी: जो अपने बॉडी के लिए सर जो भी मिनरल्स चाहिए सर उसके ………(अस्पष्ट)

प्रधानमंत्री: नहीं लेकिन अगर उसका ज्ञान ही नहीं है, तो क्या करेंगे?

विद्यार्थी: एक्चुअली इंडिया में मिलेट्स को प्रमोट करते हैं, क्योंकि millets is filled with nutrition.

प्रधानमंत्रीमिलेट्स किस-किस ने खाए हैं? खाया होगा सबने लेकिन अब मालूम नहीं होगा।

विद्यार्थीबाजरा, रागी, ज्वार!

प्रधानमंत्रीसब खाते हैं, अच्छा मिलेट्स को दुनिया में क्या स्थान मिला है, पता है?

विद्यार्थी: India is the highest producing and also consuming country.

प्रधानमंत्री: लेकिन 2023 में यूनाइटेड नेशंस ने 2023 को ईयर ऑफ द मिलेट्स कहकर के घोषित किया था और पूरी दुनिया में मिलेट्स को प्रमोट किया था और यह भारत का प्रस्ताव था। भारत सरकार का बड़ा आग्रह है कि पोषण के संबंध में बहुत ही जागरूकता होनी चाहिए। कई बीमारियों को रोकने का काम पोषण से हो जाए और मिलेट्स को क्या कहते हैं हमारे यहां, सुपर फूड कहते हैं, तो आप में से कितने लोग हैं, जो बारहों महीने घर में कुछ ना कुछ मिलेट्स का होता है?

विद्यार्थी: सर आटे के साथ मिक्स करके थोड़ा गेहूं, थोड़ा सा ज्वार, बाजरा मिक्स करके सर!

प्रधानमंत्री: हमारे यहां देखा होगा आपने कुछ चीजें परंपरा में जोड़ दिए हैं। कोई भी नया फल आता है, नई सीजन आती है, तो पहले भगवान को चढ़ाते हैं।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: और उसका एक उत्सव होता है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: हर जगह पर होता है।

विद्यार्थीयस सर!

प्रधानमंत्रीऔर फिर उसको खाते हैं और उसको कहते हैं प्रसाद!

विद्यार्थीयस सर!

प्रधानमंत्रीइसका मतलब हुआ कि सीजन में जो फल होता है, वो परमात्मा को भी जरूरत पड़ती है खाने की, तो हम तो इंसान हैं। हमने सीजन का फल खाना चाहिए कि नहीं खाना चाहिए?

विद्यार्थी: यस सर! खाना चाहिए सर!

प्रधानमंत्री: आप में से कितने लोग हैं, जो इस सीजन में गाजर चबाकर के खाते हैं? गाजर का हलवा तो खा लेते होंगे।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: जूस ले लेते होंगे, आपको लगता है पोषण के लिए क्या खाना, इसका महत्व है?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: क्या ना खाना इसका भी महत्व है?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: क्या नहीं खाना चाहिए?

विद्यार्थी: जंक फूड!

प्रधानमंत्री: जंक फूड!

विद्यार्थी: ऑयली फूड, मैदा इसलिए नहीं खाना चाहिए क्योंकि वह ब्लड शुगर लेवल हाई कर देता है।

प्रधानमंत्री: हां! अच्छा यह तो पता चलता है कभी-कभी की भई क्या खाना क्या नहीं खाना, लेकिन कैसे खाना है, यह पता है? हमारे दांत कितने होते हैं?

विद्यार्थी32!

प्रधानमंत्री: 32! तो कभी-कभी स्कूल में टीचर भी बताते हैं, घर में मां-बाप भी बताते हैं कि 32 दांत हैं, तो कम से कम 32 बार चबाना चाहिए।

विद्यार्थीचबाना चाहिए, यस सर!

प्रधानमंत्री: तो कैसे खाना, यह भी तो इंपॉर्टेंट है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: तो आप लोग में से कितने हैं, जो खाते समय कभी पता ही नहीं, पोस्ट ऑफिस में डालते हैं, ऐसे डाल लेते हैं या कोई दोस्त है साथ में, तो मन में लगता है, यह ज्यादा खा जाएगा तो!

विद्यार्थी: सही, सही!

प्रधानमंत्री: अच्छा आप में से कितने लोग हैं, जिन्होंने पानी पीते समय पानी का टेस्ट महसूस किया है? यानी पानी का भी टेस्ट लेते हैं, बड़ा मजा लेते हैं, ऐसे कितने लोग हैं?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: ऐसा नहीं करते होंगे। दौड़ते आते होंगे स्कूल में!

विद्यार्थी: नहीं सर! नहीं सर!

प्रधानमंत्री: नहीं देखिये, सच-सच बताना यहां, ऐसा मत करो।

विद्यार्थी: सच में सर!

प्रधानमंत्री: हम जैसे चाय चुस्की लेकर भरते हैं ना, कभी पानी भी ऐसे पी करके देखना चाहिए। पानी का टेस्ट महसूस करना चाहिए, तो कैसे खाना, क्या खाना, तीसरी बात है कब खाना?

विद्यार्थी: सर शाम को अचार नहीं खाना होता, सलाद नहीं खाना होता, सलाद सुबह खाएंगे तो बहुत अच्छा रहेगा।

विद्यार्थी: करीब हमारे सात बजे से पहले ही खाना हो जाना चाहिए। यह जैन कम्युनिटी में भी बहुत फॉलो होता है, क्योंकि हमारा जो पाचन होता है, वह ज्यादा अच्छे से होता है।

प्रधानमंत्री: हमारे लिए तो यहां देश में किसान कब खाते हैं?

विद्यार्थी: दोपहर को सर!

प्रधानमंत्रीजितना मैं किसानों को जानता हूं, सुबह 8, 8:30 बजे भरपूर खा लेते हैं और फिर खेत में चले जाते हैं। दिन भर काम करते हैं। दिन में कुछ छोटे-मोटी कुछ वहां कुछ है, खेत में वैसी ही कोई चीज खानी है, तो खा लेते हैं और शाम को करीब 5-6 बजे आकर के सूर्यास्त के पहले खा लेते हैं। आप तो जाते ही कहते होंगे, मैं अभी खेलने जाना है मुझे या टीवी शो देखना है या मेरा मोबाइल चेक करना है और उसके बाद मम्मी अभी रहने दीजिए, अभी भूख नहीं लगी है।

विद्यार्थी: नहीं सर!

प्रधानमंत्री: Absent of illness doesn’t mean we are healthy. वैलनेस के तराजू पर तोलना चाहिए। नींद पूरी आती है कि नहीं आती है, इसका भी पोषण से लेना देना है या ज्यादा नींद आ जाती है।

विद्यार्थी: एग्जाम टाइम में ज्यादा आती है सर, जब preparation का टाइम होता है।

प्रधानमंत्री: उस समय ज्यादा नींद आती है?

विद्यार्थी: हां और एग्जाम के बाद में बिल्कुल नहीं आती।

प्रधानमंत्री: तो पोषण में शरीर के wellness के लिए, फिटनेस के लिए, नींद का बहुत महत्व है जी और इन दोनों तो पूरा मेडिकल साइंस इस बात पर केंद्रित हो रहा है कि जो पेशेंट आता है, उसकी नींद कैसी है, कितने घंटे सोता है, यह सारे सवालों की बहुत गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन आप लोगों को लगता होगा, यह प्रधानमंत्री तो सोने के लिए कह रहा है। आप में से कितने हैं जो डेली धूप में जाकर के सूर्य स्नान करते हैं?

विद्यार्थी: सर जब धूप आती है, तब हम लोग स्कूल में या हम असेंबली में खड़ा करना होता है तब…

प्रधानमंत्री: अरुणाचल कुछ कहना था?

विद्यार्थी: In Arunachal the land of the Rising Sun so every morning we take that!

प्रधानमंत्री: हर एक को आदत डालनी चाहिए कि कुछ पल सूर्य की बड़ी सुबह की ओर, जो भी अपनी सुविधा हो, शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा जिसको डायरेक्ट सूरज लगे 2 मिनट, 5 मिनट, 7 मिनट, ऐसा नहीं भई स्कूल जाते समय रास्ते में धूप थी भाई देख लिया धूप को, ऐसे नहीं, योजना से, आप में से कितने लोग हैं, जिन्होंने पेड़ के नीचे खड़े रहकर के सूर्योदय के बाद कम से कम 10 बार गहरी सांस लेने का प्रयास किया हो? पेड़ के नीचे खड़े रहकर के एकदम जितना सीन भर जाए इतना, सांस जितना दम एकदम लगे कि बस अब फट जाएगा, करते हैं रेगुलर?

विद्यार्थी: सर गहरी सांस तो नहीं बट सर बहुत ज्यादा रिलैक्स मिलता है।

प्रधानमंत्री: मेरा कहने का तात्पर्य यह था, जीवन में कोई भी प्रगति करनी है, पोषण का महत्व है। आप क्या खाते हैं, कब खाते हैं, कैसे खाते हैं और क्यों खाते हैं।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: मुझे याद है मैं एक परिवार में भोजन के लिए कभी जाया करता था, तो उनका एक बेटा गेहूं, चावल इसकी रोटी खाता ही नहीं था, तो कहीं उसको टीचर ने कहा होगा या सुना होगा कि बाजरे की रोटी खाएंगे, गेहूं खाएंगे, तो यह तुम्हारा चमड़ी का रंग है, वह काला हो जाएगा, तो वह चावल ही खाता था, ऐसा तो नहीं गूगल गुरु को पूछ करके तय करते हो, चलो आज क्या खाना है?

विद्यार्थी: नहीं सर!

प्रधानमंत्रीऐसा नहीं करते हो ना?

विद्यार्थी: नहीं सर!

प्रधानमंत्री: अच्छा बताइए, चलिए अब मैं तो कब से बोल रहा हूं, आप लोग क्या बोलना चाहते हैं?

विद्यार्थी: नमस्कारम सर! मेरा नाम आकांक्षा है और मैं केरल से आई हूं। मेरा यह सवाल था कि…

प्रधानमंत्री: इतनी बढ़िया हिंदी कैसे बोलती हो?

विद्यार्थी: क्योंकि मुझे हिंदी बहुत अच्छी लगती है।

प्रधानमंत्री: कारण मिला जिसके कारण आपको हिंदी सीखना अच्छा लगता है?

विद्यार्थी: नहीं, मैं पोयम लिखती हूं।

प्रधानमंत्री: अरे वाह! पहले एक पोयम सुनानी पड़ेगी।

विद्यार्थी: मेरे को याद होगा, तो मैं बोल दूंगी।

प्रधानमंत्री: हां ठीक है, जितना याद रहे, मुझे बिल्कुल याद नहीं रहता है।

विद्यार्थी: इतना शोर है इन बाजारों में, इतना शोर है इन गलियों में, क्यों तू अपनी कलम लेकर बैठा है फिर एक गजल लिखने, फिर उस किताब के पन्नों पर तू लिखना क्या चाहता है, ऐसा क्या है तेरे मन में, सवालों भरे तेरे मन में एक स्याही शायद जवाब लिख रही है, फिर क्यों तू आसमान देखता है, ऐसा क्या है इन सितारों में, ऐसा क्या है तेरे मन में!

प्रधानमंत्री: वाह! वाह! वाह!

विद्यार्थी: Very friendly थे and it felt like कि जैसे हम अपने बड़ों से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री: तो आपको क्या टेंशन क्या है?

विद्यार्थी: टेंशन यह है कि जैसे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आए, ऐसे कहते हैं कि हमें जो है एग्जाम में अच्छे स्कोर करना पड़ता है और अगर हम अच्छे स्कोर नहीं करेंगे, तो हमारा फ्यूचर अच्छा नहीं होगा।

प्रधानमंत्रीक्या जवाब हो सकता है इसका?

विद्यार्थी: जिंदगी में मार्क्स मैटर नहीं करते!

प्रधानमंत्री: अच्छा मार्क्स मैटर नहीं करते।

विद्यार्थी: नॉलेज मैटर करती हैं।

प्रधानमंत्री: अच्छा वैसे ही सब Tution बेकार है, परीक्षा की कोई जरूरत नहीं है?

विद्यार्थी: Sir I think that one should remember that exams are just a part of our journey and not our destination.

प्रधानमंत्रीनहीं, लेकिन घर में तो कोई समझता नहीं है ना, यह आप लोग तो समझते हैं।

प्रधानमंत्री: तो क्या करेंगे?

विद्यार्थी: सर बस अपनी मेहनत करते जाए, बाकी प्रभु पर छोड़ दें।

प्रधानमंत्री: देखिए आपकी ये बात सही है आकांक्षा, यह हमारे समाज जीवन में दुर्भाग्य से ऐसा घुस गया है कि अगर हमने स्कूल में इतना नंबर नहीं लाया, 10th में इतना नहीं आया, 12th में इतना नहीं आया, तो जैसे जिंदगी तबाह हो जाएगी।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: और इसलिए पूरे घर में तनाव, तनाव, तनाव हो जाता है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: तो आप मां-बाप को तो समझा नहीं सकते, अब तो एग्जाम के 2 महीने बचे होंगे। अब उनको कहो मां अभी भाषण मत दो, ऐसा तो नहीं कर सकते। आपने अपने आप को तैयार करना है। इसका मतलब आप पर प्रेशर है, सब लोग कहते हैं यह करो, वह करो, यह करो, वह करो, ऐसा लगता है?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: आप में से कितने लोग हैं, जो कभी क्रिकेट मैच होता है तो टीवी पर क्रिकेट देखते हैं, कितने लोग हैं?

विद्यार्थी: सर, सब यस सर!

प्रधानमंत्री: आपने देखा होगा, जब खेलते हैं तो स्टेडियम में से आवाज आती है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: क्या आवाज आती है?

विद्यार्थी: सर सारी क्राउड चीयर करती हैं।

प्रधानमंत्री: सिक्सर-सिक्सर! कोई कहता है फोर!

विद्यार्थी: कोई कहता है सिक्स!

प्रधानमंत्री: अब बैट्समैन क्या करता है, आपको सुनता है कि वह उस बॉल को देखता है?

विद्यार्थी: बॉल को देखता है।

प्रधानमंत्री: अगर वह इसी में लग जाए, उसने सिक्सर कहा है, चलो लगाओ sixer, तो क्या हो जाएगा?

विद्यार्थी: आउट हो जाएगा।

प्रधानमंत्री: इसका मतलब की बैट्समैन उस प्रेशर की परवाह नहीं करता।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: उसका पूरा ध्यान उस बॉल पर होता है। अगर आप भी इस प्रेशर को मन में ना लेते हुए अपना ध्यान, आज मैंने इतना पढ़ना तय किया था, यह अगर कर लेते हैं, तो आप आराम से उस प्रेशर में से भी अपने आप को निकाल सकते हैं।

विद्यार्थी: हमारे क्वेश्चंस का रिप्लाई भी दिया सर ने, बहुत अच्छे से उन्होंने हमें समझाया, कैसे एग्जाम का स्ट्रेस नहीं लेना है हम लोगों को, उन्होंने बहुत कुछ सिखाया।

विद्यार्थी: आपको आपके लक्ष्य के बारे में पता है, तो आपको ना कोई डिस्ट्रक्शन, ना कोई कोई भी चीज नहीं रोक सकती है, आपको खुद मोटिवेटेड रहना चाहिए।

विद्यार्थी: He said whatever the stress it maybe like just उन्हें खुलकर एंजॉय करो, लेकिन don’t even think about it.

प्रधानमंत्री: हर समय पर अपने आपको कसना चाहिए।

विद्यार्थी: यस सर

प्रधानमंत्री: हर बार अपने आप को चुनौती देते रहना चाहिए।

विद्यार्थीयस सर!

प्रधानमंत्री: अगर पिछली बार 30 मार्क्स आए थे, इस बार 35 लाना है। चुनौतियां तो अपने आप को करनी चाहिए, बहुत से लोग खुद से खुद की लड़ाई नहीं लड़ते, क्या कभी आपने खुद से खुद की लड़ाई लड़ना तय किया है?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: खुद से लड़ना है, तो पहले खुद से खुद को मिलना पड़ता है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: कभी अपने आप को पूछा हूं कि मैं जीवन में क्या बन सकता हूं, क्या कर सकता हूं और मैं क्या करूं तो मुझे संतोष मिलेगा, कई बार, कई बार अपने आप को पूछना चाहिए। ऐसा नहीं कि आज सुबह एक अखबार में पढ़ लिया, तो मन करता है यार यह अच्छा है, दूसरे दिन टीवी पर कुछ देख लिया, तो मन करता है ये अच्छा है ऐसा नहीं है। धीरे-धीरे अपने मन को कहीं पर स्थिर करना चाहिए। ज्यादातर क्या होता है, लोग इधर-उधर, इधर-उधर मन भटकता रहता है।

विद्यार्थी: डिस्ट्रक्शन हो जाती हैं।

प्रधानमंत्री: तब जाकर के आप चुनौती किस चीज की करना है, वह तय कर सकते हैं, तो करेंगे कोशिश?

विद्यार्थीयस सर!

विद्यार्थी: पीएम सर, मेरा आपसे एक प्रश्न है। आप इतने बड़े ग्लोबल लीडर हैं, आप तमाम प्रकार के पदों पर रहे हैं सर, तो आप हमसे कोई दो-तीन बातें शेयर कीजिए ऐसी सर, जो लीडरशिप से आपसे संबंधित हों, जो हम बच्चों को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण हो सर।

प्रधानमंत्री: विराज!

विद्यार्थी: जी सर!

प्रधानमंत्री: बिहार का लड़का हो और राजनीति का सवाल ना हो, यह हो ही नहीं सकता। देखिए बिहार के लोग बहुत तेजस्वी होते हैं और किसी के मन में आता है लीडरशिप की बात…

विद्यार्थी: जी सर! मेरे मन में भी आता है। कैसे बताऊं?

प्रधानमंत्री: कैसे बताओ? जैसे बताना है, बता दो।

विद्यार्थी: कभी, कभी टीचर ने अगर हमें क्लास में माइंड करवाने के लिए रखा है, मॉनिटर बनाने के लिए रखा है, बच्चे बात नहीं सुनते, तो उन्हें समझाने का एक तरीका होता है। अब उन्हें सीधा तो यह नहीं बोल सकते ना कि बैठ जाओ, बैठ जाओ, वरना नाम लिख दूंगा, यह होगा तो वो और शोर करेंगे, तो वह उनका कोई अलग तरीका है, ताकि उन्हें समझा सके कि भाई ऐसे-ऐसे हैं, चुपचाप बैठ जा?

प्रधानमंत्री: आप हरियाणा से हैं?

विद्यार्थी: नहीं, मैं पंजाब से हूं, चंडीगढ़ से!

प्रधानमंत्री: चंडीगढ़ से!

विद्यार्थी: हां जी सर!

प्रधानमंत्री: लीडरशिप की डेफिनेशन जो है ना, लीडरशिप यानी कुर्ता-पजामा वाला, जैकेट पहना हुआ और बड़े मंच पर बड़े-बड़े भाषण करने वाला, ऐसा नहीं होता है। जैसे आप इतने लोग हैं, लेकिन आप में से कोई एक लीडर बन गया होगा, बिना कोई कारण आप उसको पूछते होंगे, वह कहेगा चलो, तो आपको लगता है चलो यार चलो, अपने आप बन गया होगा एक आध, आपको काम उनको सुधारने के लिए नहीं कहा है, आपको खुद को अपने आप को एक एग्जांपल बनाना है। अगर समय पर आना है, देखिए मॉनिटर यह कहेगा कि मैं मॉनिटर हूं, आप लोग आ जाइए फिर मैं आऊंगा, तो आपकी बात कोई सुनेगा?

विद्यार्थी: नहीं सर!

प्रधानमंत्री: अगर होमवर्क करना है, अगर मॉनिटर ने होमवर्क कर दिया है, तो बाकियों को लगेगा आप किसी को यह कहोगे, अरे तेरा होमवर्क नहीं हुआ अच्छा चल मैं तेरी मदद करता हूं। आइए!

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: टीचर क्यों हम को डांटे, चल मैं तेरी मदद करता हूं। आप जब उसको सहयोग करते हैं ना, उसकी कठिनाइयां समझते हैं, कभी यह कोई पूछ लिया, अरे भाई आप तो बीमार लग रहे हैं, बुखार है क्या, रात को सोए नहीं थे क्या, तो उसको लगता है यार ये मॉनिटर तो मेरी केयर करता है, मुझसे पूछता है, मुझे डांटता नहीं है, रिस्पेक्ट डिमांड नहीं कर सकते आप…

विद्यार्थी: यह सर, यस सर!

प्रधानमंत्री: will have to command you!

विद्यार्थी: यस सर! यस सर!

प्रधानमंत्री: लेकिन वह कैसे होगा?

विद्यार्थी: आपको खुद बदलना पड़ेगा!

प्रधानमंत्री: खुद को बदलना होगा।

विद्यार्थी: आपके बिहेवियर से सबको पता चलेगा।

प्रधानमंत्री: आपके अपने व्यवहार से बदलेगा।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: लीडरशिप थोपी नहीं जाती, आपके अगल-बगल के लोग आपको स्वीकार कर रहे हैं क्‍या, आप उनको ज्ञान झाड़ दोगे, तो कोई स्वीकार नहीं करेगा। आपके व्यवहार को वह स्वीकार कर रहे हैं। अब स्वच्छता के लिए भाषण झाड़ दिया और खुद गंदा कर रहे हो…

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: तो फिर वो आप लीडर नहीं बन सकते।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: लीडर बनने के लिए टीम वर्क सीखना बहुत जरूरी है। धैर्य बहुत आवश्यक होता है, कभी क्या होता है एक आध को कम दिया और उसने किया नहीं तो फिर हम उस पर टूट पड़ते हैं।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: हम उसको कहते हैं क्यों नहीं किया? तो लीडर नहीं बन सकते

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: अगर किसी को काम दिया, तो उसकी क्या कठिनाई थी और एक सिद्धांत अगर हो, जहां कम, वहां हम!

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: अपने साथियों को जहां कुछ कमी महसूस हो, तो मैं पहुंच जाऊं, उसकी तकलीफ हो रही है, मैं पहुंच जाऊं, उसका विश्वास बढ़ेगा और बाद में वह फील करेगा, यह तो मैंने किया, मैंने खुद ने किया है। यह ठीक है 80 परसेंट आपने मदद की थी।

विद्यार्थीयस सर!

प्रधानमंत्री: लेकिन उसको लगेगा, मैंने किया। वो उसका विश्वास बढ़ाएगा और यह विश्वास जो है, वो आपकी लीडरशिप को मान्यता देता है। आपने बचपन में सुना होगा, एक बच्चा मेले में गया या पिताजी ने कहा बच्चे को कि मेरा हाथ पकड़ लेना, फिर बच्चों ने कहा नहीं, आप मेरा हाथ पकड़ो, तो किसी को भी लगेगा कि बेटा कैसा है, पिता को कहता है मेरा हाथ पकड़ कर चलो, तो बच्चे ने पूछा, पिताजी आप मेरा हाथ पकड़ोगे और मैं आपका हाथ पकड़ लूंगा, बहुत बड़ा फर्क है। बच्चा कह रहा है क्या बोले मैं आपका हाथ पकड़ूंगा, तो कभी भी छूट सकता है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: लेकिन मुझे भरोसा है कि आप मेरा हाथ पकड़ेंगे, तो कभी नहीं छूटेगा। यह जो विश्वास है ना यह लीडरशिप की बहुत बड़ी ताकत है और कोई?

विद्यार्थी: मैं त्रिपुरा राज्य से PMC Arya Higher Secondary School से 12 कक्षा की छात्र प्रीतम दास…

प्रधानमंत्री: कहां पर?

विद्यार्थी: Belonia, South Tripura District!

प्रधानमंत्री: तो यहां कैसे पहुंच गए?

विद्यार्थी: एक जुनून था, आपसे मिलना था, कुछ जानना था, कुछ सीखना था, बस यही!

प्रधानमंत्री: कैसे, सिलेक्शन कैसे हुआ आपका, रिश्वत देनी पड़ी?

विद्यार्थी: नहीं सर!

प्रधानमंत्री: फिर कैसे हुआ?

विद्यार्थी: सर त्रिपुरा में रिश्वत नहीं चलता है।

प्रधानमंत्री: नहीं चलता है?

विद्यार्थी: अपने State को रिप्रेजेंट करने के लिए और आपसे अपने दिल के बात बोलने के लिए मैं आया हूं।

प्रधानमंत्री: चलिए मैं मन की बात करता हूं, आप दिल की बात करते हो।

विद्यार्थी: सर मेरा आपसे यह प्रश्न है। जैसे हमारे बोर्ड के एग्जाम 10th हो या 12th के बाद या फिर उस समय में जो हमारा जो हॉबीज होते हैं या अगर सर कोई एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज जैसे कि मुझे डांस करना पसंद है, गार्डनिंग करना, पेंटिंग करना, वह सब हमारे फैमिली मेंबर रिस्ट्रिक्शन लगा देते हैं, क्योंकि वह नहीं चलेगा। यहां तक की बोर्ड के बाद भी यह नहीं कर सकते हो, तुम सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करना है, करियर पर फोकस करना है, उन लोगों का सोचना है, शायद यह कि यहां पर फ्यूचर नहीं है, सिर्फ पढ़ोगे तो बढ़ोगे।

प्रधानमंत्रीतो आप डांस जानते हैं?

विद्यार्थी: हां सर! मैं छोटे से मुझे सिखाया नहीं गया क्योंकि बहुत गांव है ना, तो लड़के लोग नाचते हैं तो वहां पर कुछ अलग मतलब बोल देते हैं।

प्रधानमंत्री: कैसे करते हैं दिखाइए!

विद्यार्थी: ऐसे वाला, ऐसे वाला और बंगाली लोगों का धुनुची नाच है, ऐसे फिर एक ऐसे होता है।

प्रधानमंत्री: अच्छा आप जब डांस करते हैं, तब क्या होता है?

विद्यार्थी: अंदर से खुशी होती है, सेटिस्फेक्शन मिलता है।

प्रधानमंत्री: थकान लगती हैं कि थकान उतर जाती है?

विद्यार्थी: नहीं थकान उतर जाता है।

प्रधानमंत्री: इसका मतलब आप मम्मी-पापा को समझाइए कि आप बताइए दिनभर आप तनाव में रहेंगे, तो क्या आपका दिन अच्छा जाएगा क्या?

विद्यार्थी: नहीं?

प्रधानमंत्री: क्या आपको भी नहीं लगता है कि थोड़ा रिलैक्स होना चाहिए? अगर मान लीजिए घर में एक कुत्ता पाला है, जो अपने कुत्ते को इतना प्यार करता है, वह बचपन से बड़ा हुआ है और दसवीं कक्षा में आए और मां-बाप कह दें, नहीं अब कुत्ते में समय मत लगाओ, वो हम तो कुत्ते को संभालेंगे, तुम पढ़ाई करो। तो आप का मन करेगा नहीं, मन बेचैन हो जाएगा। तो आपकी बात सही है और यह समझाना चाहिए की रोबोट की तरह जी नहीं सकते। हम इंसान हैं, आखिरकार हम पढ़ाई क्यों करते हैं, आगे की क्लास में जाने के लिए।

विद्यार्थी: हां सर!

प्रधानमंत्री: हम हर स्तर पर अपने सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई करते हैं। जब आप शिशु मंदिर में थे, उस समय आपको बताया गया, आपको उस समय लगा होगा, यह क्या मेहनत करवा रहे हैं, यह क्या पढ़ते हैं, मुझे माली तो बनना नहीं है, मुझे फूल की क्यों बात बताते हैं और इसलिए मैं हमेशा परीक्षा पर चर्चा करने वालों से उनको भी उनके परिवार को भी कहता हूं, उनके टीचर्स को भी कहता हूं कि बच्चों को आप दीवारों में बंद करके एक प्रकार से किताबों में का ही जेल खाना बना दें, तो बच्चे कभी भी ग्रो नहीं कर सकते, उनको खुला आसमान चाहिए। उनकी पसंद की कुछ चीजें चाहिए, अगर वह अपने पसंद की चीजें अच्छे से करता है, तो पढ़ाई भी अच्छे से कर लेगा। परीक्षा ही सब कुछ है जिंदगी में, इस प्रकार के भाव से नहीं जीना चाहिए। अगर आप इतना मन में बना लेंगे, तो मुझे पक्का विश्वास है कि आपके परिवार को भी आप कन्वेंस कर सकते हैं, अपने टीचर्स को भी कन्वेंस कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री: वैभव आपका क्या अनुभव है?

विद्यार्थी: सर आप सही कह रहे हो सर, इंटरेस्ट खत्म हो जाता है लोगों का, हमारे अंदर…

प्रधानमंत्री: हां!

विद्यार्थी: अगर किताबी कीड़ा ही बनकर रहेंगे, तो फिर जीवन को जी नहीं पाएंगे ऐसे तो!

प्रधानमंत्री: तो किताबों से बाहर आने चाहिए?

विद्यार्थी: किताबें हमें पढ़नी चाहिए क्योंकि उसमें भी बहुत ज्ञान है, मगर अपने लिए भी टाइम निकालना चाहिए।

प्रधानमंत्री: मैं किताब ना पढ़ने के लिए कह ही नहीं रहा हूं, बहुत पढ़ना चाहिए। ज्ञान को जितना प्राप्त कर सकते हैं करना चाहिए, लेकिन एग्जाम सब कुछ नहीं है। ज्ञान और एग्जाम दो अलग-अलग चीजें हैं।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: दोनों अलग चीजें हैं।

विद्यार्थी: उन्होंने हमें बहुत कुछ सिखाया, लाइफ के बारे में बहुत कुछ सिखाया। परीक्षा पर कैसे टेंशन नहीं लेना है, कैसे प्रेशर को मतलब दूर भगाना है और कैसे परीक्षा अच्छे से देना है और किस मोटो से देना है, वह सब भी सिखाया।

विद्यार्थी: वह बहुत पॉजिटिव हैं और हमारे अंदर भी पाॅजिटीवनेस देकर गए हैं।

विद्यार्थी: He is also empowering all the generations.

विद्यार्थी: उन्होंने हमें जो-जो बताया मैं ट्राई करूंगी कि मैं उसे अपनी लाइफ में मैं इंप्लीमेंट कर सकूं!

प्रधानमंत्रीबैठो-बैठो! हां, हां चलिए पूछने वाले जरा यहां आकर के पूछे?

विद्यार्थी: नमस्कार सर मेरा नाम प्रीति बिस्वाल है तो मैंने फ्रेंडस लोगों को देखा है मेरी क्लास में की बहुत सारे बच्चे हैं बहुत टैलेंटेड बच्चे हैं और ऐसे बच्चे हैं कि जो की बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन उनको वह सफलता नहीं मिलती तो आप उनको क्या एडवाइज देना चाहेंगे?

प्रधानमंत्री: एडवाइस नहीं देना चाहिए, आप बैठिये!

प्रधानमंत्री: आपको भी मैं एडवाइस दूंगा ना, तो आप तुरंत सोचेंगे कि यह मुझे क्यों कहा होगा, ऐसा क्यों कहा होगा, मेरे लिए उनको क्या लगा होगा, क्या मेरे में यह कमी है?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: यानी इंसान बड़ा डिफिकल्टी मेल्टोलॉजिकल हो जाता है, तो ऐसा करने से कभी भी आप अपने साथी को मदद नहीं कर सकते। अच्छा यह होगा कि उसमें अच्छी चीज कौन सी है वो आप ढूंढो, 5-7 दिन बात करोगे तो ध्यान में आएगा कि ये गाना अच्छा गाता है, याद आएगा कि ये कपड़े बहुत बढ़िया तरीके से पहनता है, कुछ तो अच्छा होता ही है। फिर आप उससे उसकी चर्चा करो, तो उसको लगेगा कि मेरे में रुचि ले रहा है, मेरी अच्छी बातों का पता है। फिर अगर आप उसको कहते हैं कि यार तुम इतनी मेहनत करते हो, क्या होता है, तुम्हें क्या होता है, जरा उसको पूछो, तो कहेगा नहीं मेरे में अच्छा नहीं है, ढिकना नहीं है, उसको कहो चल मेरे घर आ जाओ, चल अपन साथ पढ़ते हैं। दूसरा आपने देखा होगा, ज्यादातर टीचर पढ़ाते हैं, लेकिन जब एग्जाम का समय आता है, तो कहते हैं क्वेश्चन आंसर लिखो।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: मेरा हमेशा मत रहा है जीवन की कोई भी उम्र क्यों ना हो, लिखने की आदत डालनी चाहिए। यह जो कविताएं लिखते हैं, विराज ने जैसे कविता सुनाई, आकांक्षा ने जैसे कविता सुनाई, यह जो कविताएं लिखते हैं ना, उसका मतलब वो अपने विचारों को बांधते हैं। मुझे याद है मैं अहमदाबाद में एक स्कूल वालों से मिला था। एक अब एक बच्चों को शायद वो उसके मां-बाप ने मुझे चिट्ठी लिखी थी कि मेरे बच्चे को स्कूल से निकाल रहे हैं। क्यों निकल रहे हैं भाई? तो बोले वो ध्यान नहीं देता है, मजा यह हुआ उस स्कूल में बाद में टिंकरिंग लैब शुरू हुआ, तो सबके लिए आश्चर्य था कि वह बच्चा ज्यादा समय टिंकरिंग लैब में टाइम बिताता था और रोबोट की एक कंपटीशन हुई, वो स्कूल वाले रोबोट में नंबर वन ले आए। क्यों? बच्चे ने बनाया, यानी जो बच्चे को स्कूल से निकालने वाले थे, वह रोबोट बनाने में नंबर वन था। उसका मतलब उसके पास कोई विशेष ताकत है। टीचर का काम है कि उसकी उस ताकत को पहचाने, मैं एक प्रयोग बताता हूं आपको, करेंगे, आज करेंगे पक्‍का?

विद्यार्थीहां करेंगे! जी!

प्रधानमंत्री: अपने जितने दोस्त हैं, बचपन से अब तक के 25-30 याद करो, फिर कोशिश करो उनका पूरा नाम लिख सकते हो क्या, उनका, उनके पिताजी का, तो इसमें 10 हो जाएंगे। फिर लिखो उनके पिताजी-माताजी, परिवार के सबका नाम आता है, तो हो सकता है संख्या कम हो जाएगी, इसका मतलब यह हुआ कि जिसको आप अपना अच्छा दोस्त मानते हो, तो उसके विषय में आपको कुछ जानकारी ही नहीं, कुछ जानकारी नहीं है। ऐसे ही चल रहा है हवाबाजी। फिर एक सवाल अपने आप को पूछो और यह सबसे इंपोर्टेंट चीज है कि भाई यह वैभव को मैं इतने समय से, 3 दिन से साथ रहा हूं, अच्छा वैभव में गुण कौन सा है, मैं लिख सकता हूं क्या, आप अगर ये आदत डालेंगे, तो आपके अंदर भी किसी भी बातों में पॉजिटिव क्या है, वह ढूंढने की आदत बन जाएगी। अगर ये हम करते हैं, तो मैं समझता हूं आपको लाभ होगा।

विद्यार्थी: सर मेरा यह प्रश्न है कि जैसे परीक्षा पास आने लगती है, तो विद्यार्थियों के मन में एक दबाव होने लगता है कि जल्दी से जल्दी सब पढ़ना है, अच्छे से अच्छे पढ़ना है, तो सर इस समय में पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं और सोना खाना पीना थोड़ा सा सर इन सब का टाइम टेबल बिगड़ जाता है, तो सर आप इतने अच्छे से अपना डे प्रोडक्टिव मैनेज कर लेते हैं, तो सर ऐसे में आप विद्यार्थियों को क्या सलाह देंगे कि किस तरीके से वह अपने पूरा दिन और पढ़ाई को अच्छे से कर सकें?

प्रधानमंत्री: पहली बात तो हर एक के पास 24 घंटे हैं?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: यह तो पता है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: कुछ लोग 24 घंटे में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। कुछ लोग 24 घंटे में दिन खपाने के बाद भी लगता है, कुछ हुआ ही नहीं।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: सबसे बड़ी बात है, उनका कोई मैनेजमेंट नहीं होता है, उनको कोई समझ नहीं होती है।

विद्यार्थीजी!

प्रधानमंत्री: ऐसे ही कोई दोस्त आया तो गप्पे मारने लग गए।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: फोन आया तो चिपके हुए हैं, उसको पता ही नहीं है कि मेरे समय का मैं उपयोग क्या करूं। सबसे पहले हमने अपने समय के विषय में सोचना चाहिए। मैं अपने समय का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे कर सकता हूं, इस पर बहुत सतर्क रहता हूं। मैं बर्बाद नहीं होने देता हूं मेरा टाइम। इसका मतलब यह नहीं है, मैं एक के बाद एक पूछ लगी हुई है, काम की टाइम मैनेजमेंट के हिसाब से कागज पर लिखकर के तय करना और फिर देखना चाहिए कि भाई मैंने तय किया कि भई कल तीन काम तो पक्के करूंगा, तीन काम हो सकेंगे तो करूंगा और फिर दूसरे दिन मार्क कीजिए मैंने किए कि नहीं किए। हमें जो प्रिय सब्जेक्ट होगा हम तुरंत में उसी में टाइम लगा देते हैं और जो सब्जेक्ट हमें बिल्कुल पसंद नहीं है, उसको हाथ तक नहीं लगते हैं।

विद्यार्थीयस सर! सही बात है।

प्रधानमंत्री: सबसे पहले उसको रिवर्स कर देना चाहिए।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: चैलेंज करना चाहिए, यह समझता क्या है, यह ज्योग्राफी को दिमाग में क्या भरा है। यह ज्योग्राफी मेरे शरण क्यों नहीं आ रही है। मैं ज्योग्राफी को पराजित करके रहूंगा, ऐसे मन में एक दृढ़ संकल्प लेना चाहिए। मैथमेटिक्स, अरे तू समझता क्या है, आजा, आजा मेरे साथ मुकाबला कर ले, अपनी लड़ाई शुरू करेंगे। मन में एक भाव विजेता होना है मुझे, मुझे शरणागति नहीं स्वीकारनी है, मुझे झुकना नहीं है।

विद्यार्थी: 24 घंटे सबके पास ही होते हैं, लेकिन कोई 24 घंटे बहुत प्रोडक्टिव होते हैं, कुछ गप्पों में लगा देते हैं, जैसे कि सर ने कहा था, तो हमें टाइम मैनेजमेंट रखना पड़ेगा, जिससे कि क्या हो हम अपने काम समय पर कर सके और प्रोडक्टिव रहें पूरे 24 हॉर्स…

विद्यार्थी: Sir at first as you have gave a very great answer so for that we would do a clapping but with a twist which is called the flower clapping.

प्रधानमंत्री: यह क्यों होता है मालूम है?

विद्यार्थी: Sir this is for disabled people who can’t hear.

प्रधानमंत्री: वो तुरंत ऐसे-ऐसा करके दिखाते हैं।

विद्यार्थी: सर हमारे मन में तरह-तरह के ideas, पॉसिबिलिटीज और एवं क्वेश्चंस आते रहते हैं। सर ये डिस्ट्रक्शन तो पैदा करते हैं एग्जाम के टाइम पर, तो सर ऐसे में हम अपने मन को कैसे शांत रखें?

प्रधानमंत्री: देखो मैं नहीं मानता हूं कि आप डिस्टर्ब रहते होंगे।

विद्यार्थीसर थोड़ा बहुत तो होता ही है सर क्योंकि…

प्रधानमंत्री: आप डिस्टर्ब होंगे ऐसा मुझे नहीं लगता।

विद्यार्थी: सर डिस्ट्रक्शंस थोड़ी बहुत होती हैं।

प्रधानमंत्री: क्योंकि मैं आपका कॉन्फिडेंस लेवल देख रहा हूं। मैं जब से सुबह से देख रहा हूं आपको, आपका कॉन्फिडेंस लेवल अद्भुत है।

विद्यार्थी: बट स्टिल सर एक बात तो होती है क्योंकि एग्जाम्स तो होते ही हैं tough…

प्रधानमंत्री: तो इसका मतलब यह हुआ कि आप खुद को नहीं जानते और आपको भी लगता है यार सब दोस्तों के बीच में अच्छा है यही कहूं, हां यार, थोड़ा टफ है सब बच्चे, दसवीं कक्षा के बच्चे एक दूसरे को बात करेंगे, यार कल पढ़ नहीं पाया, नींद आ गई थीं, यार कल मूड ठीक नहीं था, सब ऐसे ही बातें करते हैं। टेलीफोन पर दोस्तों से भी…

विद्यार्थी: हां!

प्रधानमंत्री: फिर फोकस कैसे होगा भाई?

प्रधानमंत्री: सबसे अमूल्य चीज?

विद्यार्थीराइट नाउ, अभी का टाइम, प्रेजेंट!

प्रधानमंत्री: अगर वो गया, तो यूं ही, Past चला, हो गया, वह रहता नहीं है आपके हाथ में, अगर उसको जी लिया…

विद्यार्थीयस सर!

प्रधानमंत्रीतो जिंदगी का हिस्सा बन जाता है, लेकिन जी कब सकते हैं, देखिए बहुत बढ़िया हवा चल रही है, लेकिन आपका ध्यान है कि हवा है, कितना बढ़िया फव्वारा है, अगर थोड़ा ध्यान गया, तो मैंने कहा तो आपको लगा होगा, हां यार…

विद्यार्थी: जी सर!

प्रधानमंत्री: हवा तो पहले भी चल रही थी।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: ध्यान नहीं था।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: हम कहीं और हमारा ध्यान था।

विद्यार्थी: जी सर!

विद्यार्थी: मेरा आपसे यह प्रश्न है कि आजकल के युवाओं स्टूडेंट्स पढ़ते-पढ़ते हम लोग डिप्रेशन में और एंजायटी में चले जाते हैं सर, तो हम लोग इससे कैसे निकल सकते हैं सर?

प्रधानमंत्री: यह मुसीबत शुरू कहां से होती है? धीरे-धीरे आपने देखा होगा घर में कोई बात करता है, तो अच्छा नहीं लगता। पहले अपने छोटे भाई से बहुत गप्पे मारते थे।

विद्यार्थी: जी सर!

प्रधानमंत्री: अब लगता है, यह सर खा रहा है, जाओ तुम जाओ, पहले दौड़ करके स्कूल से आते थे, स्कूल में जो हुआ सब मम्मा को बता देते थे।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: और अब मम्मा को नहीं बताते हैं, क्या चल छोड़ो। आ गए, किताब थोड़ी देर लिया, छोड़ दिया, यह behavior आपको देखा होगा धीरे-धीरे धीरे-धीरे अपने आप को कट करता जाता है, सिकुड़ता जाता है और धीरे-धीरे फिर वो डिप्रेशन में चला जाता है। आपको कोशिश करनी चाहिए आपके मन के अंदर जो दुविधाएं हैं, बिना संकोच खुलकर के किसी को कहना चाहिए। अगर नहीं कहेंगे मन में भरकर के रखोगे, तो धीरे-धीरे बड़ा विस्फोट हो जाएगा। पहले हमारे समाज व्यवस्था में बहुत अच्छा फायदा था। हमारा परिवार ही अपने आप में एक यूनिवर्सिटी होता था। कभी कुछ बात दादा से खुलकर के कर लेते थे, कभी दादी से कर लेते थे, कभी नाना से, कभी नानी से, कभी बड़े भाई से, कभी भाभी से, यानी कुछ ना कुछ आपको मिल जाता था। जैसे कुकर की whistle बजती है ना…

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्रीकुकर फटता नहीं है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्रीवैसा ही यह कहीं ना कहीं आपका यह प्रेशर है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: और चलते-चलते दादा कहते हैं, नहीं-नहीं बेटा ऐसा नहीं करते।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: तो हमको ठीक लगता है, हां यार नहीं करेंगे। फिर दादा कहते थे, चाचा कहते थे, अरे भाई गिर जाओगे, संभालो अच्छा लगता था।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: मनुष्य का स्वभाव है कोई केयर करे। मैं भी आकर के यहां भाषण झाड़ देता, तो आपको लगता ये प्रधानमंत्री अपने आपको क्या मानता है, लेकिन मैं आपका गीत सुनने का मन करता है मेरा, आपकी बातें आपके गांव का जानने का मन करता है। इसका मतलब आपको भी तो लगता है यार यह तो अपने जैसा ही है। चलो हम भी बात कर लेते हैं। आप को कोई प्रेशर नहीं होगा, डिप्रेशन में एक कारण सबसे बड़ा ये है। दूसरा पहले टीचर, मुझे याद है मैं जब पढ़ता था ऐसा लगता था कि मुझे मेरे टीचर जो भी थे, ऐसा वो मेरे लिए मेहनत करते थे, मेरी हैंडराइटिंग अच्छी नहीं है, लेकिन मुझे याद है मेरे टीचर मेरी हैंडराइटिंग ठीक हो, इसके लिए वह बेचारे इतनी मेहनत करते थे। शायद उनके हैंडराइटिंग उनके थे, उससे भी अच्छे हो गए होंगे, लेकिन मेरे नहीं हुए। लेकिन मैं मेरे मन को वह बात छू गई कि वो मेरे लिए इतनी मेहनत करते थे।

विद्यार्थी: Sir I had one last question.

प्रधानमंत्रीहां!

विद्यार्थी: That due to the pressure of parents, many students are for those careers or streams in which they are having no interest so how can those students pursue the career or stream in which they are having interest without hurting the feelings of their parents.

प्रधानमंत्री: ऐसा है कि पेरेंट्स का आग्रह रहता है, लेकिन ना हो तो पेरेंट्स हर्ट हो जाते हैं, ऐसा नहीं है, वह अपेक्षा रहती है उनकी कि भई मेरा बच्चा ऐसा बने, मेरा बच्चा ऐसा करें और उसका एक कारण होता है, उनके अपने विचार नहीं होते औरों के बच्चों को देखते हैं ना, तो उनको खुद का ईगो हर्ट होता है कि यह उसके मौसी का लड़का तो इतना कर लिया यह मेरा नहीं कर रहा है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: तो उनका जो सोशल स्टेटस है, वह उनके लिए रुकावट बन जाता है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: तो मेरी तो माता-पिता को एडवाइस है कि कृपा करके आपके बच्चे को आप मॉडल के रूप में हर जगह पर खड़ा मत कर दो। आप अपने बच्चों को प्यार करो, उसकी शक्तियां हैं, उसको स्वीकार करो, दुनिया में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसके पास कोई एक चीज नहीं होती। जैसा मैंने अभी बताया, वो बच्चा स्कूल से निकाल देने वाले थे, वो रोबोट बनाने में नंबर वन ले आया वो, जो बच्चे स्कूल मे कभी खेलकूद के अंदर बहुत बड़ा है, आप सचिन तेंदुलकर इतना बड़ा नाम सुन रहे हैं, वह पढ़ाई के विषय में खुद कहते हैं, मेरा विषय नहीं था, मेरा कोई ज्यादा पढ़ने का मेरा मन नहीं था लेकिन उनके मां-बाप ने उनके अंदर यह क्षमता देखी, उनके टीचर ने देखी, उनका जीवन बदल गया। मुझे कभी किसी ने पूछा था कि आप प्रधानमंत्री नहीं होते, मंत्री होते, मिनिस्टर होते और आपको कोई डिपार्टमेंट लेने के लिए पूछता कोई, तो आप कौन सा डिपार्टमेंट पसंद करते? तो मैंने जवाब दिया था, मैं स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट लेता।

विद्यार्थीयस सर!

प्रधानमंत्री: स्किल की ताकत बहुत होती है जी, हमें स्किल पर बल देना चाहिए और मां-बाप भी बेटा पढ़ाई में नहीं है, तो कहीं और तो उसकी ताकत होगी ही होगी, उसको पहचानें और उसको डाइवर्ट करें, तो मैं समझता हूं यह प्रेशर कम हो जाएगा।

विद्यार्थी: पीएम मोदी ने पेरेंट्स को भी एक मैसेज दिया था कि बच्चों पर प्रेशराइज नहीं करना चाहिए। बच्चों को पेरेंट्स से सीखना चाहिए और पेरेंट्स को बच्चों को अंडरस्टैंड करना चाहिए। म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग होना चाहिए।

प्रधानमंत्री: वहां चलना है, आइये थोड़ा-थोड़ा निकट आइये सब, काफी दूर-दूर हैं। meditation करना है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्रीअब मेडिटेशन सिंपल अपनी भाषा में कहेंगे, तो क्या कहेंगे, ध्यान केंद्रित करना।

विद्यार्थी: ध्यान केंद्रित करना!

प्रधानमंत्री: देखिए अब यह फाउंटेन चल रहा है, पल भर के लिए उसकी आवाज सुनिये, कोई गीत आपको उसमें सुनाई देता है?

विद्यार्थी: मुझे सर में जो सबसे अच्छी बात तब लगी, जब पीएम सर ने सबको मेडिटेशन कराने के लिए बोला, स्पेशली जब-जब उन्होंने कहा कि जो फाउंटेन था, उसको ऑब्जर्व करो और आपके दिमाग में क्या चल रहा है, उसको भी ऑब्जर्व करो।

प्रधानमंत्री: क्या पक्षियों की आवाज सुनी थी?

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: कैसा लग रहा था?

विद्यार्थी: बहुत अच्छा सर!

प्रधानमंत्री: पांच आवाज एक साथ आई होंगी। आपने कभी आईडेंटिफाई किया कि कौन सी आवाज कहां से आ रही है, किसकी आ रही है? अगर यह किया, आपका ध्यान केंद्रित हुआ। उसकी जो एक ताकत थी, उसके साथ अपने आप को अटैच किया। जैसे मुझे अभी वैभव ने पूछा था, बहुत एंजायटी हो जाती है, इसका उपाय क्या है, ब्रीदिंग!

विद्यार्थी: सर प्राणायाम!

प्रधानमंत्री: हां प्राणायाम बहुत काम करता है। आप एक अलग प्रकार की एनर्जी पैदा करते हैं। आप सांस लेते समय ऐसे ही फील करो कि ठंडी हवा अंदर जा रही है और गर्म हवा बाहर आ रही है। आप जरा चेक करो कौन से नोज से हवा ले रहे हैं आप?

विद्यार्थी: राइट!

प्रधानमंत्री: दोनों nose से नहीं आ रही है हवा, तो दूसरे को बुरा लगेगा। अब आपको मान लीजिए राइट से लेफ्ट जाना है, तो उसको ऑर्डर करोगे, तो मान जाएगा?

विद्यार्थी: नहीं!

प्रधानमंत्री: उसका एक टेक्निक है, आपका अगर राइट चालू है, तो बायाँ दांत दवा दीजिए और एक तरफ ऐसे उंगली दबा दीजिए। आप देखिए, सांस पहले यहां चलता था अब धीरे-धीरे यहां चला गया।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: 5 सेकंड में यहां बॉडी पर आपका कंट्रोल आ रहा है।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: दोनों nose में अपना सांस चलना चाहिए। बैलेंस होना चाहिए, तो आप ऐसे ही हाथ स्कूल में टीचर कहते हैं ना, ऐसे हाथ अंदर फिट करके बैठ जाइए, अब सांस लीजिए। देखिए दोनों नोज चालू हो गई।

विद्यार्थी: यस सर, यस सर, यस सर!

प्रधानमंत्री: मैं कह रहा हूं, यह कह रहे हैं यह सचमुच में हो रहा है।

विद्यार्थी: सर सचमुच में हो रहा है।

विद्यार्थी: सर जब यहां आए, तो हमें मेडिटेशन के बारे में बताया, तो हमें बहुत अच्छा लगा और हमारी जो भी घबराहट वगैरह थी, सब दूर हो गई।

विद्यार्थी: He taught us how to meditate? जिसकी वजह से हम like हमारे दिमाग को like स्ट्रेस फ्री करते हैं हम, he also told us how we can control our breathing. We must also not take that much stress. Is it whatever the stress may be like just उन्हें खुलकर एंजॉय करो. don’t even think about it.

प्रधानमंत्री: अच्छा ऐसा करो, पास में आ जाइए सब! चलिए अपना गुरुकुल है आज!

विद्यार्थी: सर हमने morning में laughter therapy भी करी थी।

प्रधानमंत्री: अच्छा! वाह! कौन सबसे ज्यादा हंस रहा था?

विद्यार्थी: सर सारे!

प्रधानमंत्री: क्या सिखाया था? कोई जरा करके दिखाओ मुझे!

विद्यार्थी: हा-हा! हो-हो! हा-हा! हो-हो! हा-हा! हो-हो! हा-हा! हो-हो!

प्रधानमंत्री: जाकर के आप परिवार में करवाओगे, तो क्‍या कहेंगे कि ये पागल होकर के आए हैं। एक काम करिए घर में सबको इकट्ठा करके करिए। इसकी एक खुशी की अपनी एक ताकत होती है, तो देखिए उसका तीन दिन के अंदर फर्क दिखेगा घर में, वातावरण बदल जाएगा।

विद्यार्थी: हमने सोचा, पिछली बार जैसे कि थोड़ा सा पीएम सर स्टेज पर थे, बाकी बच्चे नीचे थे, हमने सोचा वैसा कुछ ही होगा। वैसा नहीं था, आज वो बिल्कुल फ्रेंड की तरह बात कर रहे थे, हमें लग ही नहीं रहा था कि इंडिया के प्राइम मिनिस्टर यहां हैं।

विद्यार्थी: मेरा नाम युक्ता मुखी है सर!

प्रधानमंत्री: कहां से हैं बेटा?

विद्यार्थी: छत्तीसगढ़!

प्रधानमंत्री: छत्तीसगढ़!

विद्यार्थी: जी सर, मैं पूछना चाहती हूं कि हम छोटे-छोटे जीत से खुश कैसे रहें? क्योंकि मैं ज्यादा नेगेटिव हो जाती हूं हर चीज से!

प्रधानमंत्री: क्या कारण है आप खुद ही सोचती हैं कि और लोग कहते हैं इसलिए आप नेगेटिव हो जाती हैं?

विद्यार्थी: इतना परसेंटेज मैंने दसवीं में सोचा था कि 95 आ जाएंगे, लेकिन 93 आ गए, 2% कम हो गए, तो उसके लिए मैं बहुत ही ज्यादा डिप्रेस्ड हो गई थी।

प्रधानमंत्री: देखो बेटे मैं तो इसको सक्सेस मानूंगा। टारगेट ऐसा होना है, जो पहुंच में हो, लेकिन पकड़ में ना हो, तो पहले तो मैं आपको बधाई देता हूं कि आपने अपनी ताकत से दो पॉइंट ज्यादा टारगेट रखा। यह बुरा नहीं है और आपने 90 और आप देख लीजिए अगली बार अगर आप 97 टारगेट रखोगी, आप 95 ले आओगी, आपका गर्व इस बात का है कि आपने 95 का टारगेट रखा था और आपने 97 का नहीं रखा, 99 का नहीं रखा, 100 का नहीं रखा, 95 रखा, तो आपको अपने विषय में भरोसा था। एक ही चीज को आप अलग तरीके से देख सकते हैं।

विद्यार्थी: Sir in terms examination’s time, the many students fear sir board exam sir and they did not take care about after health sir.

प्रधानमंत्री: पहली बात है कि यह जो मुसीबत है ना, उसका कारण विद्यार्थी कम है। सबसे पहला दोष है, उसके परिवार के लोगों का, उसको अच्छा आर्टिस्ट बनना है, बहुत बढ़िया ड्राइंग करता है, लेकिन वो कहते हैं नहीं तुझे इंजीनियर बनना है, डॉक्टर बनना है।

विद्यार्थी: यस सर

प्रधानमंत्री: और फिर उसमें उसका जीवन हमेशा हमेशा तनाव में वो रहता है, तो सबसे पहले तो मेरी मां-बाप परिवारजनों से आग्रह है कि आप अपने संतानों को समझने का प्रयास कीजिए। उनको जानने का प्रयास कीजिए, उनकी इच्छाओं को समझिए, उनकी क्षमताओं को समझिए, उसके अंदर जो क्षमता पड़ी है, उसके अनुरूप वो क्या करते हैं, उसको मॉनिटर कीजिए। हो सके तो उसको मदद कीजिए। अगर मान लीजिए उसको खेलकूद में रुचि आपको दिख रहा है, तो कहीं खेल स्पर्धा देखने के लिए ले जाइए उसको, देखेगा मोटिवेट होगा। दूसरा है, टीचर्स स्कूल में टीचर भी एक वातावरण बना देते हैं, जो चार अच्छे बच्चे होशियार होते हैं, हर बार उनको पुचकारते हैं, बाकियों को बिल्कुल गिनते ही नहीं है, लास्ट बेंच पर बैठो, तेरा काम नहीं है। यह उसको डिप्रेस्ड कर देते हैं। टीचर से भी मेरा आग्रह है कि आप विद्यार्थी-विद्यार्थी के बीच में कोई तुलना मत कीजिए। आप किसी विद्यार्थियों को और विद्यार्थियों के बीच में टोकना बंद कीजिए, कुछ कहना है तो उसको अलग से हाथ लगाकर के देखो बेटे, तुम बहुत अच्छे हो, बहुत मेहनती हो, थोड़ा इसमें ध्यान दे लो और विद्यार्थियों को फिर सोचना होगा, मैं मेहनत करूं, अच्छे से अच्छा लाऊं, पिछली बार से अच्छा करूंगा, मेरे और दोस्तों के सामने भी अच्छा करके दिखाऊंगा। लेकिन यही जिंदगी नहीं है, मैं जब से देख रहा हूं, आप अपने में ही खोई-खोई लग रही हो, खुल करके मिल नहीं रही हो।

विद्यार्थी: As being a senior student of my school much our time my views to motivate my juniors regarding their test examination or whether it is about cultural literature competitions but sometimes I feel I am not be able to motivate myself.

प्रधानमंत्री: आप कभी भी अपने आप को अकेला मत करिए। आप खुद अकेली अपने लिए बहुत सोचती हो। किसी को शेयर नहीं करती हो, किसी व्यक्ति की जरूरत है, जो आपको मोटिवेट करे। आपके परिवार में कोई, आपके सीनियर्स में से कोई, दूसरा हो सके अपने आप को चैलेंज कीजिए कि आज मुझे 10 किलोमीटर साइकिल चलानी है। अरुणाचल के पहाड़ों में भी 10 किलोमीटर हो जाए, तो पूरा दिन भर एंजॉय करो कि देखिए आज मैंने यह कर लिया। आपका विश्वास अपने आप बढ़ता जाएगा। यह छोटे-छोटे प्रयोग होते हैं, खुद के साथ हमेशा खुद को पराजित करना। वर्तमान को ऐसे जीना कि पास्ट हमारा परास्त हो जाए।

विद्यार्थी: उन्होंने एक बात कहा था कि सेल्फ गोल होना बहुत जरूरी है, आपको खुद मोटिवेटेड रहना चाहिए और खुद मोटिवेट करने के लिए आप बहुत सारी चीज़ फॉलो कर सकते हैं, जैसे कि आप छोटे-छोटे अचीवेवल गोल्स रखिए अपना और जब आप वो गोल्स को अचीव कर लेते हो, तो हमेशा आप अपने आप को रिवॉर्ड किया कीजिए। इस तरह से उन्होंने मतलब कई बातों से मुझे मोटिवेट किया था।

विद्यार्थी: सर आपका कौन मोटीवेटर है?

प्रधानमंत्री: मेरा मोटीवेटर आप ही लोग हैं, जैसे अजय ने गीत लिखा, परीक्षा पर चर्चा मेरी किताब तो मैंने भले लिखी, लेकिन कोई अजय है अपने गांव में बैठ करके उसको अपनी कविता में ढाल रहा है, मतलब मुझे लगता है कि मुझे इस काम को ज्यादा करना चाहिए। अगर हम अपने आसपास देखें, तो हमारे लिए मोटिवेशन के लिए बहुत चीज होती हैं जी।

विद्यार्थी: मनन-चिंतन आत्मसात होता है इसमें मतलब बात को पहले सुनते हैं, उसे समझते हैं, उन्हें आत्मसात कर नहीं पाता।

प्रधानमंत्री: आपने सुना, उसके बाद चिंतन किया, तो किस चीज का चिंतन किया, आपने उनके शब्दों का, उनके पाठ का चिंतन किया, अगर कोई कहे कि सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए भाई, फिर मैंने मनन किया, हां उठने के इतने इतने फायदे होते हैं। फिर मैं सो गया, फिर आत्मसात कैसे होगा। मैंने जो सुना, उसको मैंने अपने आपको एक लेबोरेट्री बना करके उसको तराशने की कोशिश की क्या, अगर मैं करता हूं तो मैं आत्मसात कर सकता हूं। ज्यादातर लोग खुद से स्पर्धा नहीं करते हैं, औरों से करते हैं, अपने से जो दुर्बल है ना, उसी से स्पर्धा करते हैं और फिर कूदते रहते हैं, देखिये उसको तो 30 आया, वह तो बहुत मेहनत करता था, मेरा 35 आया और जो खुद से स्पर्धा करता है, उसका विश्वास कभी टूटता नहीं है।

विद्यार्थी: है एक आदमी है, वो इस संसार के लिए दीपक बन गया है,

एक आदमी है जो उसके कष्टों को बल बनकर दूसरों के सुख के लिए दिनभर रात 24 घंटे परिश्रम किया,

है एक आदमी है जो आज हमारे भारत के प्रधानमंत्री जो हम विद्यार्थियों को सलाह देते हुए हमको इंस्पायर करते हुए इंटरेक्ट करते हुए हमको खुशी दे रहे हैं,

हमारे प्रिय श्री नरेंद्र मोदी जी हैं। धन्यवाद सर!

प्रधानमंत्री: थैंक यू बेटा थैंक यू!

विद्यार्थी: सर मेरा आपसे क्वेश्चन यह है कि जब भी हम एग्जाम देने जाते हैं, एग्जाम लिखते समय मेरे मन में हमेशा यह चिंता होती है कि उसकी अगर मैं फेल हो गई तो और उसके जो परिणाम होंगे उसके बारे में हमेशा बहुत चिंता रहती है मन में, फैलियर से कैसे बच पाए?

प्रधानमंत्री: स्कूल में दसवीं में 12वीं में, 40%, 30% बच्चे फेल होते हैं, उनका क्या होता है?

विद्यार्थी: फिर से ट्राई करते हैं।

प्रधानमंत्री: उसके बाद भी फेल हुए तो?

प्रधानमंत्री: देखिए जिंदगी अटक नहीं जाती है। आपको तय करना होगा कि जीवन में सफल होना है कि किताबों से सफल होना है। जीवन में सफल होने का एक उपाय यह होता है कि आप अपने जीवन की जितनी विफलताएं है, उसको अपना टीचर बना लें। आपको मालूम होगा ये जो क्रिकेट मैच होती है ना, तो दिन भर का फुटेज होता है, सारे प्लेयर्स बैठते हैं वह देखते हैं, खुद ने क्या गलती की, फिर वो तय करते हैं, हमें क्या सुधार करना चाहिए। क्या आप भी अपनी जो विफलताएं हैं उन विफलताओं को टीचर बना सकते हैं क्या? दूसरा जीवन सिर्फ परीक्षाएं नहीं हैं, जीवन समग्रता में देखना चाहिए। अब आपने किसी दिव्यांगजनों के जीवन को बारीकी से देखिए, परमात्मा ने कुछ चीजें उनको नहीं दी हैं। परमात्मा ने कुछ और चीज इतनी एक्स्ट्राऑर्डिनरी दी होती है कि वो उसके जीवन का संबल बन जाता है, ताकत बन जाती है। लेकिन हमारे अंदर भी परमात्मा ने कुछ कमियां भी रखी हैं, कुछ विशेषताएं रखी हैं।

विद्यार्थी: यस सर!

प्रधानमंत्री: उन विशेषताओं में और अधिक अच्छा कैसे बने उस पर, फिर कोई पूछेगा नहीं कि तुम्हारी डिग्री क्या है, तुम कहां पढे थे, तुम्हारे दसवीं में कितने मार्क्स आए, कोई नहीं पूछेगा और इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए कि मार्क्स बोले या जीवन बोले?

विद्यार्थी: जीवन सर!

प्रधानमंत्री: तो जीवन बोलना चाहिए।

विद्यार्थी: मैं अजय मैं अरोही मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल का छात्र हूं। क्या है आजकल टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है, परंतु कई बार हम इसका बहुत ज्यादा प्रयोग कर लेते हैं, तो सर मैं आपसे चाहूंगा कि आप हमारा मार्गदर्शन करें कि हम कैसे टेक्नोलॉजी का सदुपयोग कर सकते हैं?

प्रधानमंत्री: पहली बात है हम सब भाग्यवान हैं और आप सब विशेष भाग्यवान हैं। आप उस युग में बड़े हो रहे हैं, जिस युग में इतनी बड़ी मात्रा में टेक्नोलॉजी का फैलाव है, प्रभाव है और उपयोग है और इसलिए टेक्नोलॉजी से भागने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको तय करना होगा कि क्या, मैं रील देखता रहता हूं क्या, उसी में समझ आता है क्या मेरा या मुझे इस चीज में रुचि है, तो उसकी बारीकियों में जाऊं उसके एनालिसिस में जाऊं, तो टेक्नोलॉजी एक ताकत बनेगी टेक्नोलॉजी को तूफान मत समझो, वह कोई बड़ा साइक्लोन नहीं है, जो गिरा देगा। आप मान कर चलिए की जो लोग रिसर्च कर रहे हैं, इनोवेशन कर रहे हैं, टेक्नोलॉजी बढ़ा रहे हैं। वो आपकी भलाई के लिए कर रहे हैं और हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि हम टेक्नोलॉजी को जाने, समझे, उसका ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन करें।

विद्यार्थी: सर मेरे पास एक क्वेश्चन है। सर किसी काम को अच्छे से करने के लिए हमको अपना बेस्ट कैसे देना चाहिए?

प्रधानमंत्री: हमें निरंतर बेस्ट करने का प्रयास करना चाहिए और बेस्ट करने की पहली शर्त होती है कल से अच्छा करना।

विद्यार्थी: हमारी फैमली सर हमारे भले के लिए बोलते हैं कि तुम्हें तो यह स्कीम देना चाहिए, तुम्हें इस विषय में जाना चाहिए, तुम इसके लायक हो, हमें क्या करना चाहिए? उनकी माननी चाहिए या अपनी सुननी चाहिए?

प्रधानमंत्री: ऐसा है उनका मानना चाहिए और फिर उनको मनाना चाहिए। जब आप उनको पूछोगे कि हां बहुत अच्छा आईडिया है, मैं करूं, अब बताइए, कैसे करूं, अच्छा इसका कहां मुझे मिलेगा, आप मेरी क्या मदद करेंगे। फिर आप प्यार से उनको कहिए कि मैंने ऐसा सुना था कि यह कैसा है, तो वो धीरे-धीरे वो भी दिमाग अप्लाई करेंगे।

विद्यार्थी: आपका बहुत-बहुत बहुत-बहुत थैंक यू कि आपने मेरा प्रश्न सुना, मेरे प्रश्न का आंसर भी दिया और मुझे बहुत सारी चीजें भी सिखाकर गए, शांत रहना और पॉजिटिविटी, नकारात्मक सोच नहीं लानी चाहिए दिमाग में, बहुत अच्छा लगा, थैंक यू सो मच!

विद्यार्थी: आजकल के ज्यादा विद्यार्थी एग्जाम परीक्षा में जाकर एक प्रॉब्लम फेस करते हैं कि उनके टाइम के अंदर उनका पेपर खत्म नहीं होता या फिर उनको उसकी वजह से उनको बहुत टेंशन होता है, बहुत प्रेशर भी उन पर क्रिएट होता है सर, तो सर मतलब उस प्रेशर और कंडीशन से वो कैसे डील करें?

प्रधानमंत्री: ऐसा है कि उसका पहला उपाय तो यह है कि आपको पुराने एग्जाम पेपर होते हैं। उसका बहुत प्रैक्टिस करनी चाहिए, अगर आपने प्रेक्टिस की है तो पता चलेगा कि मैं कम शब्दों में जवाब लिखूंगा, तो मेरा समय बचेगा, फिर दूसरी बार, फिर तीसरी बार, फिर आखिर में जिस सवाल में थोड़ी मेहनत कसरत करनी है, जहां दिमाग खपाउंगा हो गया तो ठीक है, नहीं हुआ तो छोड़ दूंगा, कभी-कभी क्या होता है कि जो नहीं आता उसी में दिमाग खपाते हैं, फिर आते हैं उसमें टाइम कम पड़ जाता है, कभी आता है तो फिर ज्यादा लिख लेते हैं, लंबा लिख देते हैं, बहुत टाइम लगा देते हैं और इसका एक उपाय है प्रैक्टिस करना।

विद्यार्थी: मैं पीवीआर बालिका अनगति पाठशाला में दसवीं कक्षा में पढ़ रही हूं। मैं आंध्र प्रदेश से आई हूं और इस सुंदर वन में आपके साथ रहना हमारे भाग्य की बात है और मैं यह प्रश्न पूछना चाहती हूं कि आपसे, हमको आजकल किताबों में पढ़ते रहते समय हमको यह पता चला रहा है कि क्लाइमेटिक कंडीशन है, वह बदला जा रहा है, हम क्या कुछ कर सकते हैं?

प्रधानमंत्री: बहुत अच्छा सवाल पूछा आपने और मुझे अच्छा लगा कि मेरे देश के बच्चों के मन में भी क्लाइमेट की चिंता है। ज्यादातर दुनिया में जो डेवलपमेंट हुआ, उसमें एक भोगवादी संस्कृति पनपी है। यह सब मेरा है मुझे मेरे खुश के लिए मुझे उपयोग करना है। मुझे अगर अच्छा फर्नीचर चाहिए, तो मैं 200 साल पुराना झाड़ काट दूंगा। कोयला कितना ही जलाना पड़े, मैं 24 घंटे बिजली जलाऊंगा उन्होंने प्रकृति का सबसे ज्यादा विनाश किया। प्रकृति के शोषण वाला हमारा कल्चर नहीं है मेरा एक मिशन लाइफ है LiFE- lifestyle for environment, तो मैं कहता हूं हमारी लाइफस्टाइल ऐसी हो, जो प्रकृति की रक्षा करें, प्रकृति का पोषण करें। हमारे यहां मां-बाप भी सिखाते हैं बच्चे को, सुबह बिस्तर से जब जमीन पर पैर रखते हो, तो पहले धरती माता से माफी मांगो, हे मां मैं तुझे कष्ट दे रहा हूं। आज भी हमारे यहां पेड़ की पूजा होती है। उसके त्योहार होते हैं, नदी को मां मानते हैं, तो ये सारे हमारे संस्कार के प्रति हमें गर्व करना होगा और आपने देखा होगा भारत इन दिनों एक बड़ा अभियान चला रहा है, एक पेड़ मां के नाम। देखिए यह दो मां की बात है, एक वो मां जिसने हमें जन्म दिया है और एक मां जिसने हमें जीवन दिया है, तो अपने माँ की स्मृति में पेड़ लगाना है और देखना है कि मेरी मां की याद इसके साथ जुड़ी है, तो यह पेड़ किसी भी हालत में बड़ा होना चाहिए, उसकी केयर करनी चाहिए। इससे क्या होगा बहुत बड़ी मात्रा में पेड़-पौधे लोग करेंगे, एक लगाव होगा, ओनरशिप होगी तो प्रकृति की रक्षा होगी।

विद्यार्थी: क्योंकि nature is one of the great part which place in our life we should talk to the tree and they benefit us a lot so we should promote nature.

प्रधानमंत्री: सब लोग आ गए भई, अपना अपना पेड़ लगाने के लिए, लगाइए आप लोग। जैसे ये पेड़ लगाए हैं ना, पानी पिलाने का, उपाय क्या, तो एक तरीका है, तो उसके बगल में एक मिट्टी का मटका लगा देना चाहिए और उसको पानी भर देना महीने में एक बार पानी भरोगे इसका ग्रोथ एक दम से जल्दी होगा और कम से कम पानी से तैयार होगा, तो यह प्रैक्टिकल सब जगह पर करना चाहिए। चलिए बहुत बधाई सबको!

विद्यार्थी: थैंक यू सर!

विद्यार्थी: Sir thank you so much for being here and for giving this wonderful opportunity for us.

प्रधानमंत्री: चलो आज कौन सी चीज आप लोगों को सबसे ज्यादा याद रही?

विद्यार्थी: सर एनवायरमेंट वाला!

प्रधानमंत्री: एनवायरमेंट वाला!

विद्यार्थी: यस सर! सर बहुत ज्यादा आप इंस्पायर करते हो। पूरा दिन यादगार रहेगा, अब हमारे लिए एग्जाम कोई टेंशन नहीं है।

प्रधानमंत्री: कोई एग्जाम का टेंशन नहीं, नहीं अब मार्क्स अगर कम आएंगे।

विद्यार्थी: तो आपने ठीक कहा कि जीवन में सफल होना चाहिए।

विद्यार्थी: सर अब एग्जाम हम से डरने लग जाएंगे।

प्रधानमंत्री: चलिए, सबको बहुत धन्यवाद!

विद्यार्थी: थैंक यू सर!

प्रधानमंत्री: और अब घर में दादागिरी मत करना। अब तो हमारी डायरेक्ट पहचान है। टीचर को मत डराना!

विद्यार्थी: नो सर! बाय सर!