सबसे पहले आप सभी को इस आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई-शुभकामनाएं।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव से जुड़ने का मुझे पहले भी अवसर मिला है। मुझे बताया गया है कि कल इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ ने मुझे नया पद दे दिया है- “डिसरप्टर- इन- चीफ” का। दो दिन से आप लोग “द ग्रेट डिसरप्शन” पर मंथन कर रहे हैं।
दोस्तों, अनेक दशकों तक हम गलत नीतियों के साथ गलत दिशा में चले। सब कुछ सरकार करेगी यह भाव प्रबल हो गया। कई दशकों के बाद गलती ध्यान में आई। गलती सुधारने का प्रयास हुआ। औऱ सोचने की सीमा बस इतनी थी कि दो दशक पहले गलती सुधारने का एक प्रयास हुआ और उसे ही रीफॉर्म मान लिया गया।
ज्यादातर समय देश ने या तो एक ही तरह की सरकार देखी या फिर मिली-जुली। उसके कारण देश को एक ही Set of Thinking या activity नजर आई।
पहले पॉलिटिकल सिस्टम से जन्मी election driven होती थी या फिर ब्यूरोक्रेसी के रिजिड फ्रेमवर्क पर आधारित थी। सरकार चलाने के यही दो सिस्टम थे और सरकार का आकलन भी इसी आधार पर होता था।
हमें स्वीकार करना होगा कि 200 साल में technology जितनी बदली, उससे ज्यादा पिछले 20 साल में बदली है।
स्वीकार करना होगा कि 30 वर्ष पहले के युवा और आज के युवा की aspirations में बहुत अंतर है।
स्वीकार करना होगा कि Bipolar World और Inter-dependent world की सभी equations बदल चुकी हैं।
आजादी के आंदोलन के कालखंड को देखें तो उसमें Personal aspiration से ज्यादा National Aspiration था। उसकी तीव्रता इतनी थी कि उसने देश को सैकड़ों सालों की गुलामी से बाहर निकाला। अब समय की मांग है-आजादी के आंदोलन की तरह विकास का आंदोलन- जो पर्सनल एस्पीरेशन को कलेक्टिव एस्पीरेशन में विस्तार करे और कलेक्टिव एस्पीरेशन देश के सर्वांगीण विकास का हो।
ये सरकार एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना लेकर चल रही है। समस्याओं को देखने का तरीका कैसा हो, इस पर approach अलग है। बहुत साल तक देश में अंग्रेजी-हिंदी पर संघर्ष होता रहा। हिंदुस्तान की सभी भाषाएं हमारी अमानत हैं। ध्यान दिया गया कि सभी भाषाओं को एकता के सूत्र में कैसे बांधा जाए। एक भारत-श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम में दो-दो राज्यों की pairing कराई और अब राज्य एक दूसरे की सांस्कृतिक विविधता के बारे में जान रहे हैं।
यानि चीजें बदल रही हैं और तरीका अलग है। इसलिए आपका ये शब्द इन सब बातों के लिए छोटा पड़ रहा है। ये व्यवस्थाओं को ध्वस्त करने वाली सोच नहीं है। ये कायाकल्प है जिससे इस देश की आत्मा अक्षुण्ण रहे, व्यवस्थाएं समय के अनुकूल होती चलें। यही 21वीं सदी के जनमानस का मन है। इसलिए “डिसरप्टर- इन- चीफ” अगर कोई है तो देश के सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी है। जो हिंदुस्तान के जन-मन से जुड़ा है वो भली-भांति समझ जाएगा कि डिसरप्टर कौन है।
बंधे-बंधाए विचार, बातों को अब भी पुराने तरीके से देखने का नजरिया ऐसा है कि कुछ लोगों को लगता है कि सत्ता के गलियारे से ही दुनिया बदलती है। ऐसा सोचना गलत है।
हमने Time bound इमपलिमेंटेशन और Integrated thinking को सरकार की work-culture के साथ जोड़ा है। काम करने का ऐसा तरीका जहां सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी हो, प्रोसेसेस को citizen friendly और development friendly बनाया जाए, efficiency लाने के लिए process को re-engineer किया जाए। दोस्तों, आज भारत दुनिया की तेजी से विकसित होती अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट में भारत को दुनिया की टॉप तीन प्रॉस्पेक्टिव होस्ट इकोनोमी में आंका गया है। वर्ष 2015-16 में 55 बिलियन डॉलर से ज्यादा का रिकॉर्ड निवेश हुआ। दो सालों में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के Global कम्पटीटिवनेस इन्डेक्स में भारत 32 स्थान ऊपर उठा है।
मेक इन इंडिया आज भारत का सबसे बड़ा इनीशिएटिव बन चुका है। आज भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग देश है।
दोस्तों, ये सरकार कोओपरेटिव फेडरेलिज्म पर जोर देती है। GST आज जहां तक पहुंचा है, वो डेलीबरेटिव डेमोक्रेसी का परिणाम है जिसमें हर राज्य के साथ संवाद हुआ। GST पर सहमति होना एक महत्वपूर्ण outcome है लेकिन इसकी प्रक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
ये ऐसा निर्णय है जो आम सहमति से हुआ है। सभी राज्यों ने मिलकर इसकी ownership ली है। आपके नजरिए से ये डिसरपटिव हो सकता है, लेकिन GST दरअसल Federal structure के नई ऊँचाई पर पहुंचने का सबूत है।
सबका साथ-सबका विकास सिर्फ नारा नहीं है, इसे जी कर दिखाया जा रहा है।
दोस्तों, हमारे देश में वर्षों से माना गया कि labour laws विकास में बाधक हैं। दूसरी तरफ ये भी माना गया कि labour laws में सुधार करने वाले anti-labour हैं। यानि दोनों एक्सट्रीम स्थिति थी।
कभी ये नहीं सोचा गया कि इम्प्लायर, इम्प्लाई और एस्पीरेन्ट्स तीनों के लिए एक होलिस्टिक अप्रोच लेकर कैसे आगे बढ़ा जाए।
देश में अलग-अलग श्रम कानूनों के पालन के लिए पहले एम्पलॉयर को 56 अलग-अलग रजिस्टरों में जानकारी भरनी होती थी। एक ही जानकारी बार-बार अलग-अलग रजिस्टरों में भरी जाती थी। अब पिछले महीने सरकार ने नोटिफाई किया है कि एम्पलॉयर को labour laws के तहत 56 नहीं सिर्फ 5 रजिस्टर maintain करने होंगे। ये business को easy करने में उद्यमियों की बड़ी मदद करेगा।
जॉब मार्केट के विस्तार पर भी सरकार का पूरा ध्यान है। Public Sector, Private Sector के साथ ही सरकार का जोर Personal Sector पर भी है।
मुद्रा योजना के तहत नौजवानों को बिना बैंक गारंटी कर्ज दिया जा रहा है। पिछले ढाई वर्षों में छह करोड़ से ज्यादा लोगों को मुद्रा योजना के तहत तीन लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज दिया गया है।
सामान्य दुकानें और संस्थान साल में पूरे 365 दिन खुले रह सकें उसके लिए भी राज्यों को सलाह दी गई है।
पहली बार कौशल विकास मंत्रालय बनाकर इस पर पूरी प्लानिंग के साथ काम हो रहा है। प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना और इनकम टैक्स में छूट के माध्यम से Formal Employment को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसी तरह अप्रेन्टिसशिपएक्ट में सुधार करके अप्रेन्टिसों की संख्या बढ़ाई गई है और अप्रेन्टिस के दौरान मिलने वाले स्टाईपेंड में भी बढोतरी की गई है।
साथियों, सरकार की शक्ति से जनशक्ति ज्यादा महत्वपूर्ण है। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच पर मैं पहले भी कह चुका हूं कि बिना देश के लोगों को जोड़े, इतना बड़ा देश चलाना संभव नहीं है। बिना देश की जनशक्ति को साथ लिए आगे बढ़ना संभव नहीं है। दीवाली के बाद कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद आप सभी ने जनशक्ति का ऐसा उदाहरण देखा है, जो युद्ध के समय अथवा संकट के समय ही दिखता है।
ये जनशक्ति इसलिए एकजुट हो रही है क्योंकि लोग अपने देश के भीतर व्याप्त बुराइयों को खत्म करना चाहते हैं, कमजोरियों को हराकर आगे बढ़ना चाहते हैं, एक New India बनाना चाहते हैं।
अगर आज स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में 4 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने हैं, 100 से ज्यादा जिले खुले में शौच से मुक्त घोषित हुए हैं तो ये इसी जनशक्ति की एकजुटता का प्रमाण है।
अगर एक करोड़ से ज्यादा लोग गैस सब्सिडी का फायदा उठाने से खुद इनकार कर रहे हैं तो ये इसी जनशक्ति का उदाहरण है।
इसलिए आवश्यक है कि जनभावनाओं का सम्मान हो और जनआकांक्षाओं को समझते हुए देशहित में फैसले लिए जाएं और उन्हें समय पर पूरा किया जाए।
जब सरकार ने जनधन योजना शुरू की तो कहा था कि देश के गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ेंगे। इस योजना के तहत अब तक 27 करोड़ गरीबों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं।
इसी तरह सरकार ने लक्ष्य रखा कि तीन वर्ष में देश के 5 करोड़ गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन देंगे। सिर्फ 10 महीने में ही लगभग दो करोड़ गरीबों को गैस कनेक्शन दिए भी जा चुके हैं।
सरकार ने कहा था एक हजार दिन में उन 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाएंगे, जहां आजादी के 70 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची। लगभग 650 दिन में ही 12 हजार से ज्यादा गांवों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
जहां नियम-कानून बदलने की जरूरत थी, वहां बदले गए और जहां समाप्त करने की जरूरत थी, वहां समाप्त किए गए। अब तक 1100 से ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म किया जा चुका है।
साथियों, सालों तक देश में बजट शाम को 5 बजे पेश होता था। ये व्यवस्था अंग्रेजों ने बनाई थी क्योंकि भारत में शाम का 5 बजे ब्रिटेन के हिसाब से सुबह का साढ़े 11 बजे होता था। अटल जी ने इसमें बदलाव किया।
इस वर्ष आपने देखा है कि बजट को एक महीना पहले पेश किया गया। इमपलिमेंटेशन की दृष्टि से ये बहुत बड़ा परिवर्तन है। वरना इससे पहले फरवरी के आखिर में बजट आता था और विभागों तक पैसे पहुंचने में महीनों निकल जाते थे। फिर इसके बाद मॉनसून की वजह से काम में और देरी होती थी। अब विभागों को उनकी योजनाओं के लिए आवंटित धनराशि समय पर मिल जाएगी।
इसी तरह बजट में plan, non-plan का artificial partition था। सुर्खियों में आने के लिए नई- नई चीजों पर Emphasis दी जाती थी और जो पहले से चला आ रहा है, उसे नजरअंदाज किया जाता था। इस वजह से धरातल पर बहुत imbalance था। इस artificial division को खत्म करके हमने बहुत बड़ा बदलाव करने का प्रयास किया है।
इस बार आम बजट में रेलवे बजट का भी विलय किया गया। अलग से रेल बजट पेश करने की व्यवस्था भी अंग्रेजों की ही बनाई हुई थी। अब transport के आयाम बहुत बदल चुके हैं। रेल है, रोड है, aviation है,, वॉटर वे, sea route है, इन सभी पर integrated तरीके से सोचना आवश्यक है। सरकार का ये कदम ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में टेक्नोलॉजीकल रीवोल्यूशन का आधार बनेगा।
पिछले ढाई वर्षों में आपने सरकार की नीति-निर्णय और नीयत, तीनों देखी है। मैं मानता हूं New India के लिए यही Approach 21वीं सदी में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, New India की नींव और मजबूत करेगी।
हमारे यहां ज्यादातर सरकारों की Approach रही है- दीए जलाना, रिबन काटना, और इसे भी कार्य ही माना गया, कोई इसे बुरा भी नहीं मानता था। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में 1500 से ज्यादा नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा तो हुईं लेकिन वो सिर्फ फाइलों में ही दबे रहे।
ऐसे ही कई बड़े-बड़े प्रोजेक्ट बरसों से अटके हुए हैं। अब परियोजनाओं की proper monitoring के लिए एक व्यवस्था develop की गई है- “प्रगति” यानि Pro-Active Governance and Timely इमपलिमेंटेशन
प्रधानमंत्री कार्यालय में मैं बैठता हूं और सारे केंद्रीय विभागों के सचिव, सारे राज्यों के चीफ सेक्रेट्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ते हैं। जो प्रोजेक्ट रुके हुए हैं उनकी पहले से ही एक लिस्ट तैयार की जाती है।
अब तक 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं की समीक्षा प्रगति की बैठकों में हो चुकी है। देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण 150 से ज्यादा बड़े प्रोजेक्ट, जो बरसों से अटके हुए थे, उनमें अब तेजी आई है।
देश के लिए Next Generation Infrastructre पर सरकार का फोकस है। पिछले 3 बजट में रेल और रोड सेक्टर को सर्वाधिक पैसा दिया गया है। उनके काम करने की क्षमता बढ़ाने पर भी लगातार नजर रखी जा रही है। यही वजह है कि रेल और रोड, दोनों ही सेक्टर में काम करने की जो Average Speed थी, उसमें काफी बढोतरी हुई है।
पहले रेलवे के electrifiction का काम धीमी गति से चलता था। सरकार ने रेलवे के रूट-electrifiction कार्यक्रम को गति दी। इससे रेल के चलाने के खर्च में कमी आई और देश में ही उपलब्ध बिजली का उपयोग हुआ।
इसी तरह रेलवे को electricity act के अंतर्गत Open access की सुविधा दी गई। इस कारण से रेलवे द्वारा खरीदी जा रही बिजली के ऊपर भी रेलवे को बचत हो रही है। पहले बिजली वितरण कंपनियां इसका विरोध करती थीं जिससे रेलवे को उनसे मजबूरन महंगे दाम पर बिजली खरीदनी पड़ती थी। अब रेलवे कम दाम पर बिजली खरीद सकती है।
पहले Power Plants और coal की लिन्केज इस तरीके से थी कि अगर प्लांट उत्तर में है तो कोयला मध्य भारत से आएगा और उत्तर या पूर्व भारत से कोयला पश्चिम भारत में जाएगा। इस कारण Power Plants को कोयले के ट्रांसपोर्टेशन पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता था और बिजली महंगी होती थी। हमने कोल लिंकेज का ऱेशनलाइजेशन किया जिससे ट्रांसपोर्टेशन खर्च और समय दोनों में कमी आई और बिजली सस्ती हुई।
ये दोनों उदाहरण बताते हैं कि ये सरकार Tunnel Vision नहीं, Total Vision को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है।
जैसे रेलवे ट्रैक के नीचे से सड़क ले जाने के लिए Rail Over Bridge बनाने के लिए महीनों तक रेलवे से ही permission नहीं मिलती थी। महीनों तक इसी बात पर माथापच्ची चलती थी कि Rail Over Bridge का डिजाइन क्या हो। अब इस सरकार में Rail Over Bridge के लिए Uniform Design बनाई गई है और proposal इस डिजाइन के आधार पर होता है तो तुरंत NOC दे दी जाती है।
बिजली उपलब्धता देश के आर्थिक विकास की पूंजी है। जब से हमारी सरकार आई है, हम पावर सेक्टर पर होलिस्टिकली काम कर रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं। 46 हजार मेगावॉट की जनरेशन कपैसिटी को जोड़ा गया है। जनरैशन कपैसिटी करीब 25 प्रतिशत बढ़ी है। कोयले का ट्रांसपेरेंट रूप से ऑक्शन करना और पावर प्लांट को कोयला उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता रही है।
आज ऐसा कोई थर्मल प्लांट नहीं है, जो कोयले की उपलब्धता की दृष्टि से क्रिटिकल हो। क्रिटिकल यानि, कोयले की उपलब्धता 7 दिन से कम की होना। एक समय बड़ी-बड़ी ब्रेकिंग न्यूज चलती थी कि देश में बिजली संकट गहरा गया है- पावर प्लांट के पास कोयला खत्म हो रहा है। पिछली बार कब ये वाली ब्रेकिंग न्यूज चलाई थी? आपको याद नहीं होगा। ये ब्रेकिंग न्यूज अब आपके आर्काइव में पड़ी होगी।
दोस्तों, सरकार के पहले दो सालों में 50 हजार सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन बनाई गईं। जबकि 2013-14 में 16 हजार सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन बनाई गई थीं।
सरकारी बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को हमारी उदय स्कीम द्वारा एक नया जीवन मिला है। इन सभी कामों से बिजली की उपलब्धता बढ़ी है और कीमत भी कम हुई है।
आज एक App – विद्युत प्रवाह – के माध्यम से देखा जा सकता है कि कितनी बिजली, कितनी कीमत पर उपलब्ध है।
सरकार Clean Energy पर भी जोर दे रही है। लक्ष्य 175 गीगावॉट renewable energy के उत्पादन का है जिसमें से अब तक 50 गीगावॉट यानी पचास हजार मेगावॉट क्षमता हासिल कर ली गई है।
भारत Global wind power Installed capacity के मामले में विश्व में चौथे नंबर पर पहुंच गया है।
सरकार का जोर बिजली उत्पादन बढ़ाने के साथ ही बिजली की खपत कम करने पर भी है। देश में अब तक लगभग 22 करोड़ LED बल्ब बांटे जा चुके हैं।
इससे बिजली की खपत में कमी आई है, प्रदूषण में कमी आई है और लोगों को 11 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की अनुमानित बचत हो रही है।
साथियों, देश भर की ढाई लाख पंयाचतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने के लिए 2011 में काम शुरू किया गया था।
लेकिन 2011 से 2014 के बीच सिर्फ 59 ग्राम पंचायतों तक ही ऑप्टिकल फाइबर केबल डाली गई थी।
इस रफ्तार से ढाई लाख पंचायतें कब जुडतीं, आप अंदाजा लगे सकते हैं। सरकार ने प्रक्रिया में जरूरी बदलाव किए, जो समस्याएं थीं, उन्हें दूर करने का mechanism तैयार किया।
पिछले ढाई वर्षों में 76 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा चुका है।
साथ ही अब हर ग्राम पंचायत में wifi hot-spot देने की व्यवस्था की जा रही है, ताकि गांव के लोगों को आसानी से ये सुविधा मिल सके। ये भी ध्यान दिया जा रहा है कि स्कूल, अस्पताल, पुलिस स्टेशन तक भी ये सुविधा पहुंचे।
साधन वहीं हैं, संसाधन वही हैं, लेकिन काम करने का तरीका बदल रहा है, रफ्तार बढ़ रही है।
2014 से पहले एक कंपनी को Incorporate करने में 15 दिन लगते थे, अब सिर्फ 24 घंटे लगते हैं।
पहले Income Tax Refund आने में महीनों लग जाते थे, अब कुछ हफ्ते में आ जाता है। पहले पासपोर्ट बनने में भी कई महीने लग जाते थे, अब एक हफ्ते में पासपोर्ट आपके घर पर होता है। दोस्तों, हमारे लिए technology, good governance के लिए support system तो है ही इमपॉवरमेंट of Poor के लिए भी है।
सरकार देश के किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से काम कर रही है।
इसके लिए बीज से लेकर बाजार तक सरकार हर स्तर पर किसान के साथ खड़ी है।
किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज दिए जा रहे हैं, हर खेत तक पानी देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ऐसे रिस्क कवर किए गए हैं जो पहले नहीं होते थे।
इसके अलावा किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए जा रहे हैं, यूरिया की किल्लत अब पुरानी बात हो गई है।
किसानों को अपनी फसल का उचित दाम मिले इसके लिए e-NAM योजना के तहत देशभर की 580 से ज्यादा मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा जा रहा है। स्टोरेज और सप्लाई चेन को मजबूत किया जा रहा है।
दोस्तों,
हेल्थ सेक्टर में भी हर स्तर पर काम किया जा रहा है।
बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा, प्रीवेन्टिव हेल्थकेयर, स्वच्छता, इन सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए योजनाएं लागू की गई हैं।
हाल ही में सरकार ने National Health Policy को स्वीकृति दी है।
एक रोडमैप तैयार किया गया है जिससे healthcare system को देश के हर नागरिक के लिए ऐक्सेसेबल बनाया जाएगा।
सरकार इस कोशिश में हैं कि आने वाले समय में देश की GDP का कम से कम ढाई प्रतिशत स्वास्थ्य पर ही खर्च हो।
आज देश में 70 प्रतिशत से ज्यादा Medical Devices और equipment विदेश से आता है। अब प्रयास है कि Make In India के तहत local मैनुफेक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाए ताकि इलाज और सस्ता हो।
दोस्तों, सरकार का जोर social इनफ्रास्टकचर पर भी है।
हमारी सरकार दिव्यांग जनों के लिए सेवा भाव से काम कर रही है।
देशभर में लगभग 5 हजार कैंप लगाकर 6 लाख से ज्यादा दिव्यांगों को आवश्यक सहायता उपकरण दिए गए हैं। ये कैंप गिनीज बुक तक में दर्ज हो रहे हैं।
अस्पतालों में, रेलवे स्टेशन पर, बस स्टैंड पर, सरकारी दफ्तरों में चढ़ते या उतरते वक्त दिव्यांग जनों की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए सुगम्य भारत अभियान चलाया जा रहा है।
सरकारी नौकरी में उनके लिए आरक्षण भी 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है।
दिव्यांगों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून में भी बदलाव किया गया है।
देशभर में दिव्यांगों की एक ही common sign language विकसित की जा रही है।
दोस्तों, सवा सौ करोड़ लोगों का हमारा देश संसाधनों से भरा हुआ है, सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है।
2022, देश जब आज़ादी के 75वें वर्ष में पहुँचेगा तब क्या हम सब मिल कर महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, बाबासाहेब अंबेडकर और स्वराज्य के लिए अपना जीवन देने वाले अनगिनत वीरों के सपनों के भारत को साकार कर सकते है?
हम में से प्रत्येक संकल्प ले – परिवार हो, संगठन हो, इकाइयों हो – आने वाले पाँच साल पूरा देश संकल्पित होकर नये भारत, न्यू इंडिया के सपने को साकार करने में जुट जाए।
सपना भी आपका, संकल्प भी, समय भी आपका, समर्पण भी आपका और सिद्धि भी आपकी।
न्यू इंडिया, सपनों से हकीक़त की ओर बढ़ता भारत।
न्यू इंडिया, जहां उपकार नहीं, अवसर होंगे
न्यू इंडिया की नींव का मंत्र, सभी को अवसर, सभी को प्रोत्साहन
न्यू इंडिया, नयी संभावनाओं, नये अवसरों का भारत।
न्यू इंडिया, लहराते खेत, मुस्कुराते किसानों का भारत।
न्यू इंडिया, आपके हमारे स्वाभिमान का भारत।
Swachh Bharat Abhiyaan is a social movement that involves all of us: Mr. @aroonpurie speaks at the India Today Conclave @IndiaToday
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
He has involved everyone in the process of nation building: Mr. @aroonpurie on PM @narendramodi at the @IndiaToday Conclave
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Have seen 12 PMs but I have rarely seen so much energy & commitment for the cause of India: Mr. @aroonpurie on PM @narendramodi @IndiaToday
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Earlier decisions were election driven or based on set notions of officials. This has changed now: PM @narendramodi at @IndiaToday conclave
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Technology has changed so much. We have to keep pace with the aspirations of the youth: PM @narendramodi at @IndiaToday conclave
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Like the freedom movement, we need a movement for development, where collective aspirations propel growth of the nation: PM
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
We have focused on time bound implementation & integrated thinking. Our processes are citizen friendly: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
India's economy is being transformed and manufacturing sector is getting a strong impetus: PM @narendramodi at the @IndiaToday conclave
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
We believe in cooperative federalism. And see the GST process for instance. It showed what deliberative democracy is about: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
The manner in which the GST was achieved is as important as the GST itself. States have taken ownership of this: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Why do small shops have to shut early. Why can't the small shopkeeper keep his or her shop open for longer hours: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
We brought changes to ensure shopkeepers can keep shops open longer and this gives better economic opportunities to them: PM
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Bigger than the strength of the Government is the Jan Shakti: PM @narendramodi at the @IndiaToday conclave
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
We have begun work on electrifying villages that did not receive electricity for so many years after Independence: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
And, the work on village electrification has been going on with immense transparency: PM @narendramodi at the @IndiaToday conclave
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By merging Railway Budget with General Budget we have ensured faster growth of not only the railways but also overall transport sector: PM
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Our focus is next generation infrastructure. Significant resources have been devoted to the railway and road sector: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Speed of work in the railway and the road sector is progressing at a very quick pace: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
Addition of optical fibres is happening at a very quick pace and that too in rural areas: PM @narendramodi at the @IndiaToday conclave
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
In the health sector, work is on at a quick place. A roadmap has been prepared to make healthcare accessible to the nation: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017
New India is not about Upkaar but about Avsar. It is about opportunity for all: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2017