विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनों, खम्मा घणी, नमस्कार।
दो दिन पहले ही हिन्दुस्तान के हर कोने में मकर सक्रांति का पर्व मनाया गया और मकर सक्रांति के बाद एक प्रकार से उत्क्रांति का संकेत जुड़ा हुआ होता है। सक्रांत के बाद उन्नति अन्तर्निहित होती है। मकर सक्रांति के पर्व के बाद राजस्थान की धरती पर पूरे हिन्दुस्तान को ऊर्जावान बनाने का एक अहम प्रयास, एक अहम initiative, एक अहम प्रकल्प; उसका आज कार्य आरंभ हो रहा है।
मैं वसुंधरा जी का और धर्मेन्द्र प्रधान जी का इस बात के लिए अभिनंदन करना चाहता हूं कि उन्होंने कार्य आरंभ करने का कार्यक्रम बनाया और इसके कारण आने वाले दिनों में कोई भी सरकार हो, कोई भी नेता हो- जब पत्थर जड़ेगा तो लोग पूछेंगे पत्थर तो जड़ दिया कार्य आरंभ की date तो बताओ। और इसलिए इस कार्यक्रम के बाद पूरे देश में एक जागरूकता आएगी कि पत्थर जड़ने से लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता है। जब कार्य आरंभ होता है तब सामान्य मानवी को विश्वास होता है।
मुझे खुशी है इस पूरे क्षेत्र की विकास यात्रा में शरीक हो करके ये कार्य आरंभ का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। और जब मुझे पूरे project की detail दे रहे थे अफसर, सारी बारीकियां बता रहे थे अभी। सब कुछ बता दिया उन्होंने, उनको लगा कि प्रधानमंत्री जी को हमने सारी जानकारी दे दी है, तो मैंने उनको पूछा उद्घाटन की तारीख बताइए और मुझे विश्वास दिया गया है कि जब देश आजादी के 75 साल मनाता होगा 2022. भारत के वीरों ने, आजादी के सेनानियों ने; किसी ने अपनी जवानी जेलों में खपा दी, किसी ने फांसी के तख्त पर चढ़ करके वंदे मातरम के नाद को ताकतवर बनाया, आजाद हिन्दुस्तान, भव्य भारत, दिव्य भारत, इसका सपना देखा- देश आजाद हुआ। 2022 में आजादी के 75 साल हो जाएंगे। ये हम सबका दायित्व है, हर हिन्दुस्तानी का दायित्व है, 125 करोड़ नागरिकों का दायित्व है कि हम 2022 में जो सपने आजादी के दीवानों ने देखे थे, वैसा हिन्दुस्तान बना करके उनके चरणों में समर्पित करें।
ये समय संकल्प से सिद्धि का समय है। आज यहां पर आपने संकल्प लिया है कि 2022 तक इस रिफाइनरी का कार्य आरंभ कर देंगे। मुझे विश्वास है ये संकल्प सिद्धि बन करके रहेगा और जब देश आजादी के 75 साल मनाता होगा तब यहां से देश को नई ऊर्जा मिलना प्रारंभ हो जाएगा। और इसलिए मैं राजस्थान सरकार को, श्रीमान धर्मेन्द्र जी के विभाग को, भारत सरकार के प्रयासों को और आप सभी मेरे राजस्थान के भाइयो, बहनों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
बाड़मेर की ये धरती, ये वो धरती है जहां रावल मल्लीनाथ, संत तुलसा राम, माता रानी फटियानी, नागनेकी माता, संत ईश्वरदास, संत धारूजी मेग, न जाने कितने अनगिनत सात्विक संत जगत के आशीर्वाद से पली-बढ़ी ये बाड़मेर की धरती। मैं आज उस धरती को नमन करता हूं।
पंचपद्रा की ये धरती स्वाधीनता सेनानी स्वर्गीय गुलाबचंद जी, सालेचा की कर्मभूमि, गांधीजी के नमक सत्याग्रह के पहले- उन्होंने यहां पर नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया था।
इस क्षेत्र में पीने का पानी लाने में, ट्रेन लाने में, पहला कॉलेज खोलने में गुलाबचंद जी को हर कोई याद करता है। मैं पंचपद्रा के इस सपूत को भी प्रणाम करता हूं।
भाइयो, बहनों, मैं आज इस धरती पर भैरोसिंह शेखावत जी को भी याद करना चाहता हूं। आधुनिक राजस्थान बनाने के लिए, संकटों से मुक्त राजस्थान बनाने के लिए और इस बाड़मेर में इस रिफाइनरी की सबसे पहले कल्पना करने वाले भैरोसिंह शेखावत जी को भी मैं आज स्मरण करता हूं।
आज मैं जब बाड़मेर की धरती पर आया हूं तो यहां उपस्थित सबसे मैं आग्रह करता हूं कि हम सब अपने-अपने इष्ट देवता को प्रार्थना करें कि इसी धरती के सपूत श्रीमान जसवंत सिंह जी, उनका स्वास्थ्य बहुत जल्दी अच्छा हो जाए और उनके अनुभव का लाभ देश को मिले। हम सब उनके उत्तम स्वास्थ्य और जल्दी स्वस्थ हो करके हमारे बीच आएं, ऐसी प्रार्थना हम सब करें, और ईश्वर हमारी प्रार्थना सुनेगा।
भाइयो, बहनों, दुर्भाग्य से हमारे देश में इतिहास को भुला देने की परम्परा रही। वीरों को, उनके त्याग और बलिदान को हर पीढ़ी को मान-सम्मान के साथ स्मरण करके नया इतिहास बनाने की प्रेरणा मिलती है और वो लेते रहना चाहिए।
आपने देखा होगा इस्ररायल के प्रधानमंत्री इन दिनों भारत की यात्रा पर आए हुए हैं। 14 साल के बाद वे यहां आए हैं। और देश आजाद होने के बाद मैं पहला प्रधानमंत्री था जो इस्ररायल की धरती पर गया था। और मेरे देशवासी, मेरे राजस्थान के वीरो, आपको गर्व होगा कि मैं इस्ररायल गया, समय की खींचातानी के बीच भी मैं हायफा गया और वहां जा करके प्रथम विश्वयुद्ध में हायफा को मुक्त कराने के लिए आज से 100 साल पहले जिन वीरों ने बलिदान दिया था उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने गया था। और उसमें नेतृत्व किया था इसी धरती की वीर संतान मेजर दलपत सिंह जी ने। मेजर दलपत सिंह शेखावत- 100 साल पहले इस्ररायल की धरती पर प्रथम विश्वयुद्ध का नेतृत्व करते हुए हायफा को मुक्त किया था।
दिल्ली में एक तीन मूर्ति चौक है। वहां तीन महापुरुषों की, वीरों की मूर्तियां हैं। इस्ररायल के प्रधानमंत्री हिन्दुस्तान आते ही, हम दोनों सबसे पहले इस तीन मूर्ति चौक में गए। वो तीन मूर्ति चौक उस मेजर दलपत सिंह के बलिदान की याद में बना हुआ है और इस बार इस्ररायल के प्रधानमंत्री भी वहां नमन करने आए। हम दोनों वहां गए और उस तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हायफा चौक रखा गया, ताकि इतिहास याद रहे, मेजर दलपत सिंह शेखावत याद रहे। मेरे राजस्थान की वीर परम्परा याद रहे। ये काम अभी दो दिन पहले करने का मुझे सौभाग्य मिला।
भाइयो, बहनों, ये वीरों की धरती है। बलिदानियों की धरती है। शायद बलिदान की कोई इतिहास की घटना ऐसी नहीं होगी कि जिसमें मेरी इस वीर धरती के महापुरुषों का रक्त से उसको अभिषिक्त न हुई हो। और मैं ऐसे सभी वीरों को आज यहां प्रणाम करता हूं।
भाइयो, बहनों- राजस्थान में तो मैं पहले बहुत आता था। संगठन का काम करने के लिए आता था, पड़ोस का मुख्यमंत्री रहा उसके कारण आता रहता था। इस इलाके में भी कई बार आया हूं। और हर बार एक बात सामान्य मानवी के मुंह से सुनता रहता था कि राजस्थान में कांग्रेस और अकाल, ये जुड़वां भाई हैं। जहां कांग्रेस जाएगी, वहां अकाल साथ-साथ जाता है। और वसुंधरा जी के भाग्य में लिखा हुआ है जब भी उनको सेवा करने का मौका मिला, इस सूखी धरती को पानी मिलता रहा।
भाइयो, बहनों- लेकिन हमें इससे भी आगे जाना है। राजस्थान को आगे लेके जाना है। राजस्थान के विकास की यात्रा को देश के विकास में एक नई ताकत देने वाला राजस्थान है और वो राजस्थान की धरती पर करके दिखाना है।
भाइयो, बहनों हमारे धर्मेन्द्र जी शिकायत कर रहे थे, वसुंधरा जी शिकायत कर रही थीं; उनकी शिकायत सही है। लेकिन ये सिर्फ बाड़मेर की रिफाइनरी में ही हुआ है क्या? क्या पत्थर सिर्फ यहीं पर जड़कर फोटो खिंचवाई गई है क्या? क्या पत्थर यहीं पर लगा करके लोगों की आंखों में धूल झोंकी गई है क्या? जो लोग जरा रिसर्च करने के आदी हैं। बाल की खाल उधेड़ने की जो ताकत रखते हैं; मैं ऐसे हर किसी को निमंत्रण देता हूं कि जरा देखो तो सही कांग्रेस सरकारों की कार्यशैली कैसी रही थी। बड़ी-बड़ी बातें करना, जनता-जनार्दन को गुमराह करना, ये कोई सिर्फ बाड़मेर की रिफाइनरी से जुड़ा हुआ मसला नहीं है; ये उनकी कार्यशैली का हिस्सा है, उनके स्वभाव का हिस्सा है।
जब मैं प्रधानमंत्री बना, बजट देख रहा था, और मैं रेलवे बजट देख रहा था। तो मेरा जरा स्वभाव है, मैंने पूछा कि भाई ये रेलवे बजट में हम इतनी-इतनी घोषणाएं करते हैं, जरा बताओ तो पीछे क्या हुआ है। आप चौंक जाएंगे भाइयो-बहनों, आपको सदमा पहुंचेगा। भारत की संसद लोकतंत्र का मंदिर है। वहां देश को गुमराह करने का हक नहीं होता है। लेकिन आपको जान करके हैरानी होगी, कई सरकारें आईं और गईं- रेलवे बजट में 1500 से ज्यादा, 1500 से ज्यादा ऐसी-ऐसी योजनाओं की घोषणाएं की गईं- जो आज उसका नामोनिशान नहीं है, वैसे ही कागज पर लटकी पड़ी हैं।
हम आए, हमने फैसला किया कि कुछ पल की तालियां पाने के लिए संसद में जो सदस्य बैठे हैं, वो अपने इलाके में कोई रेल का प्रोजेक्ट आ जाए तो ताली बजा दें और रेलमंत्री खुश हो जाएं, बाद में कोई पूछने वाला नहीं। यही सिलसिला चला, हमने आ करके कह दिया कि रेल बजट में ये वाहवाही लूटना और झूठी तालियां बजवाने का कार्यक्रम बंद। जितना होना तय है इतना ही बताइए। एक दिन आलोचना होगी लेकिन देश को धीरे-धीरे सही बोलने की, सही करने की ताकत आएगी, और ये काम हम करना चाहते हैं।
इतना ही नहीं, आप मुझे बताइए One rank one pension, मेरे फौज के लोग यहां बैठे हुए हैं। फौजियों के परिवारजन यहां बैठे हुए हैं। 40 साल One rank one pension, इसकी मांग नहीं उठी थी। क्या फौज के लोगों को बारी-बारी से वादे नहीं किए गए थे? हर चुनाव के पहले इसे भुनाने का प्रयास नहीं हुआ था? ये उनकी आदत है। 2014 में भी आपने देखा होगा, 5-50 निवृत्त फौज के लोगों को बिठा करके फोटो निकलवानी और One rank one pension की बातें भुनानी, ये करते रहे हैं।
और बाद में जब चारों तरफ से दबाव पड़ा, और जब मैंने 15 सितंबर, 2013, रेवाड़ी में भूतपूर्व सैनिकों के सामने घोषणा की कि हमारी सरकार आएगी, One rank one pension लागू करेगी। तब आनन-फानन में, अफरा-तफरी में जैसे ही यहां refinery का पत्थर जड़ दिया गया उन्होंने interim बजट में 500 करोड़ रुपया One rank one pension के नाम पर लिख दिया।
देखिए, देश के साथ इस प्रकार का धोखा करना, और फिर भुनाते रहे चुनाव में कि देखिए One rank one pension के लिए बजट में हमने पैसा दे दिया, पैसा दे दिया। हम जब सरकार में आए तो हमने कहा चलो भाई One rank one pension लागू करो, हमने वादा किया है तो अफसर समय बिताते रहते थे। मैंने कहा, हुआ क्या है भाई, क्यों नहीं हो रहा है? आपको जान करके हैरानी होगी, बजट में 500 करोड़ लिखा गया था लेकिन दफ्तर के अंदर ये One rank one pension है क्या? ये One rank one pension की पात्रता किसकी है? उसका आर्थिक बोझ कितना आएगा? आप हैरान होंगे- सिर्फ रिफाइनरी कागज पर थी, वहां तो One rank one pension, कागज पर भी नहीं था। न सूची थी, न योजना थी, सिर्फ चुनावी वादा।
भाइयो, बहनों, उस काम के प्रति मेरी प्रतिबद्धता थी, लेकिन कागज पर चीजें इकट्ठी करते-करते मुझे डेढ़ साल लग गया। सब बिखरा पड़ा था। पूर्व सैनिकों के नामों का ठिकाना नहीं मिल रहा था, संख्या सही नहीं मिल रही थी। मैं हैरान था देश के लिए मरने-मिटने वाली फौजियों के लिए सरकार के पास सब बिखरा पड़ा था। समेटते गए, समेटते गए, फिर हिसाब लगाया कितने पैसे लगेंगे।
भाइयो, बहनों, ये 500 करोड़ रुपया- तो मैंने सोचो शायद 1000 करोड़ होगा, 1500 करोड़ होगा, 2000 करोड़ होगा। जब हिसाब जोड़ने बैठा तो भाइयो-बहनों, वो मामला 12 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया। 12 हजार करोड़, अब कांग्रेस पार्टी One rank one pension 500 करोड़ रुपये में कर रही थी, क्या उसमें ईमानदारी थी क्या? क्या सच में फौजियों को कुछ देना चाहते थे क्या? क्या फौज के निवृत्त सेनानियों के प्रति ईमानदारी थी क्या? उस समय के वित्तमंत्री इतने तो कच्चे नहीं थे। लेकिन 500 करोड़ रुपये का टीका लगा करके जब यहां पत्थर जड़ दिया, वहां पर बजट में लिख दिया और हाथ ऊपर कर दिए।
भाइयो-बहनों, हमें करीब 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बोझ आया तो मैंने फौज के लोगों को बुलाया। मैंने कहा- भाई मैंने वादा किया है, मैं वादा पूरा करना चाहता हूं लेकिन सरकार की तिजौरी में इतनी ताकत नहीं है कि एक साथ 12 हजार करोड़ रुपया निकाल दें। ये लोग तो 500 करोड़ रुपये की बात करके चले गए, मेरे लिए 12 हजार करोड़ रुपये निकालना ईमानदारी से निकालना है, लेकिन मुझे आपकी मदद चाहिए।
फौज के लोगों ने मुझे कहा- प्रधानमंत्री जी आप हमें शर्मिंदा मत कीजिए। आप बताइए आप हमसे क्या चाहते हैं? मैंने कहा मैं और कुछ नहीं चाहता भाई- आपने देश के लिए बहुत कुछ दिया है। लेकिन मेरी मदद कीजिए। मैं एक साथ 12 हजार करोड़ रुपया नहीं दे पाऊंगा। अगर मुझे देना है तो देश के गरीबों की कई योजनाओं से निकालना पड़ेगा। गरीबों के साथ अन्याय हो जाएगा।
तो मैंने कहा कि मेरी एक request है- क्या मैं इन्हें चार टुकड़ों में दूं तो चलेगा? मेरे देश के वीर सैनिक 40 साल से जिस One rank one pension को पाने के लिए तरस रहे थे, लड़ रहे थे; देश में ऐसा प्रधानमंत्री आया था जो प्रतिबद्ध था, वे चाहते तो कह देते कि मोदीजी सब सरकारों ने हमें ठगा है। हम अब इंतजार करने को तैयार नहीं हैं। आपको देना है तो अभी दे दो वरना आपका रास्ता आपको मंजूर, हमारा रास्ता हमें मंजूर- कह सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मेरा देश का फौजी Uniform उतारने के बाद भी तन से, मन से, हृदय से फौजी होता है। देशहित जीवन के अंतकाल तक उसकी रगों में होता है। और एक पल के बिना, एक पल को बिताए बिना मेरे फौज के भाइयों ने कह दिया- प्रधानमंत्री जी आपकी बात पर हमें भरोसा है। भले चार टुकड़े करने पड़ें, छह करने पड़ें, आप अपनी फुरसत से कीजिए, बस एक बार निर्णय कर लीजिए। हम- जो भी निर्णय करेंगे मान लेंगे।
भाइयो-बहनों, ये निवृत्त फौजियों की ताकत थी कि मैंने निर्णय कर लिया और अब तक चार किस्त दे चुका हूं। 10 हजार 700 करोड़ रुपये उनके खाते में जमा हो गए और बाकी किस्त भी पहुंचने वाली है। और इसलिए सिर्फ पत्थर जड़ना ही नहीं, ये देश में ऐसी सरकारें चलाना, ये इनकी आदत हो गई है।
आप मुझे बताइए- गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ- चार दशक से सुनते आए हो कि नहीं आए हो? गरीबों के नाम पर चुनावों के खेल देखे हैं कि नहीं देखे हैं? लेकिन क्या कोई गरीब की भलाई के लिए योजना नजर आती है? कहीं नजर नहीं आएगी। आजादी के 70 साल के बाद भी वो यही कहेंगे, जाओ गड्ढा खोदो और शाम को कुछ ले जाओ और दाना-पानी कर लो। अगर अच्छी तरह देश के विकास की चिंता की होती तो मेरे देश का गरीब खुद गरीबी को परास्त करने के लिए पूरी ताकत के साथ खड़ा हो गया होता।
हमारी कोशिश है empowerment of poor-गरीबों का सशक्तिकरण। बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ लेकिन गरीब के लिए बैंक के दरवाजे नहीं खुले। इस देश के 30 करोड़ से ज्यादा लोग, बैंकों का राष्ट्रीयकरण गरीबों के नाम पर किया गया लेकिन बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाया।
आजादी के 70 साल बाद जब हम आए, हमने निर्णय किया- हमारे देश का गरीब भी आर्थिक विकास यात्रा की मुख्य धारा में उसको भी जगह मिलनी चाहिए और हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना की शुरूआत की। आज करीब 32 करोड़ ऐसे लोग जिनके बैंक में खाते खोल दिए गए। और भाइयो, बहनों जब बैंक का खाता खोला तब हमने कहा था कि गरीबों को एक भी रुपया दिए बिना बैंक का खाता खोलेंगे, जीरो बैलेंस से खोलेंगे। लेकिन मेरे देश का गरीब कहने को भले गरीब हो, जिंदगीभर गरीबी से जूझता हो, लेकिन मैंने ऐसे मन के अमीर कभी देखे नहीं हैं, जो मन का अमीर मेरा गरीब होता है।
मैंने ऐसे अमीरों को देखा है जो मन के गरीब हैं और मैंने ऐसे गरीबों को देखा है जो मन के अमीर हैं। हमने कहा कि जीरो बैलेंस से बैंक का खाता खुलेगा लेकिन गरीब को लगा- नहीं, नहीं, कुछ तो करना चाहिए। और मेरे प्यारे भाइयो-बहनों, आज मुझे खुशी से आपको कहते हुए गर्व होता है कि जिन गरीबों का जीरो बैलेंस एकाउंट बना था, आज उन गरीबों ने 72 हजार करोड़ रुपया प्रधानमंत्री जन-धन योजना बैंक अकाउंट में जमा किया है। अमीर बैंक से निकालने में लगा है, मेरा गरीब ईमानदारी से बैंक में जमा करने में लगा है। गरीबी से लड़ाई कैसे लड़ी जाती है।
भाइयो-बहनों, आपको मालूम है अगर गैस का चूल्हा चाहिए तो कितने नेताओं के पीछे घूमना पड़ता था छह-छह महीने तक। एक पार्लियामेंट के मेंबर को 25 कूपन मिलते थे कि आप एक साल में 25 परिवारों को गैस का कनेक्शन दे करके oblige कर सकते हो। और कुछ ऐसे भी एमपी की खबरें आया करती थीं कि वो कूपन को भी ब्लैक में बेच देते थे।
भाइयो-बहनों, क्या आज भी मेरी गरीब मां लकड़ी का चूल्हा जला करके धुंए में जिंदगी गुजारे? क्या गरीब का कल्याण ऐसे होगा? हमने फैसला लिया कि मेरी गरीब माताएं-बहनें जो लकड़ी का चूल्हा जला करके धुएं में खाना पकाती है, एक दिन में 400 सिगरेट का धुंआ उसके शरीर में जाता है। और घर में जो बच्चे खेलते हैं वो भी धुंए के मारे, मारे जाते हैं।
भाइयो-बहनों, हमने बीड़ा उठाया। गरीब का भला करना है नारों से नहीं होगा। उसकी जिंदगी बदलनी होगी और हमने उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 3 करोड़ 30 लाख परिवारों में गैस का कनेक्शन पहुंचा दिया। लकड़ी का चूल्हा, धुंए की मुसीबतें- इन करोडों माताओं को मुक्त कर दिया। आप मुझे बताइए हर दिन जब चूल्हा जलाती होगी, गैस पर खाना पकाती होगी, वो मां नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद देगी की नहीं देगी? वो मां हमारी रक्षा करने के लिए प्रण लेती होगी कि नहीं लेती होगी? क्योंकि उसे पता है कि गरीबी से लड़ाई लड़ने का ये सही रास्ता नजर आ रहा है।
भाइयो-बहनों, आजादी के 70 साल के बाद 18 हजार गांव, जहां बिजली न पहुंची हो। आप मुझे बताइए, हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन वो तो 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर है। उसके मन में सवाल उठता है- क्या ये आजादी है? क्या ये लोकतंत्र है? ये मैं बटन दबा करके सरकार बनाता हूं? क्या ये सरकार है जो मुझे आजादी के 70 साल के बाद भी मेरे गांव में बिजली नहीं पहुंचाती है? और भाइयो-बहनों, ये 18 हजार गांवों को बिजली पहुंचाने का मैंने बीड़ा उठाया। अब करीब 2000 गांव बचे हैं, काम चल रहा है तेजी से। 21वीं सदी की जिंदगी जीने के लिए उनको अवसर मिला।
आजादी के 70 साल बाद आज भी चार करोड़ से ज्यादा परिवार ऐसे हैं जिनके घर में बिजली का कनेक्शन नहीं हैं। हमने बीड़ा उठाया है जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब तक इन चार करोड़ परिवारों में मुफ्त में बिजली का कनेक्शन दे दिया जाएगा। उसके बच्चे पढ़ेंगे। गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो गरीबों को empower करना पड़ता है। ऐसी अनेक चीजें हम ले करके चल दिए हैं।
भाइयो-बहनों, ये रिफाइनरी भी यहां की तकदीर भी बदलेगी, यहां की तस्वीर भी बदलेगी। इस मरूभूमि में जब इतना बड़ा उद्योग चलता होगा, आप कल्पना कर सकते हैं कि कितने लोगों की रोजी-रोटी का प्रबंध होगा। और वो कारखाने की चारदिवारी में रोजगार मिलता है, ऐसा नहीं है। उसके बाहर एक chain चलता है। अनेक उसके समर्थन में छोटे-छोटे उद्योग लगते हैं। इतने बड़े उद्योग के लिएinfrastructure लगता है। पानी पहुंचता है, बिजली पहुंचती है, गैस पहुंचती है, Optical Fiber, network पहुंचता है। एक प्रकार से पूरे क्षेत्र के आर्थिक, उसके मानदंड बदल जाते हैं।
और जब इस प्रकार के लोग आएंगे, बड़े-बड़े बाबू यहां रहते होंगे तो अच्छे शिक्षा संस्थान भी अपने-आप वहां बनने लगेंगे। जब इतनी बड़ी मात्रा में देशभर से लोग यहां काम करने के लिए आएंगे, राजस्थान के नौजवान काम करने के लिए आएंगे; कोई उदयपुर से आएगा, कोई बांसवाड़ा से आएगा, कोई भरतपुर से आएगा, कोई कोटा से आएगा, कोई अलवर से आएगा, कोई अजमेर से आएगा; तो उनके स्वास्थ्य की सुविधा के लिए भी अच्छी अरोग्य की व्यवस्थाएं बनेंगी जो पूरे इलाके का लाभ करेंगी।
और इसलिए भाइयो-बहनों, पांच साल के भीतर-भीतर यहां कितना बड़ा बदलाव आने वाला है, इसका आप भलीभांति अंदाज कर सकते हैं। भाइयो-बहनों, आज मैं एक ऐसे कार्यक्रम को यहां आरंभ करने आया हूं, जिसमें मेरा घाटे का सौदा है। भारत सरकार के लिए घाटे का सौदा है। पुरानी सरकार वाला काम आगे बढ़ा होता तो भारत सरकार के खजाने में करीब-करीब 40 हजार करोड़ रुपये बच जाते।
लेकिन ये वसुंधरा जी- राजपरिवार के संस्कार तो हैं, लेकिन राजस्थान का पानी पीने के कारण वो मारवाड़ी वाले भी संस्कार हैं। उन्होंने ऐसे भारत सरकार को जितना चूस सकती हैं, चूसने का प्रयास किया है। ये भारतीय जनता पार्टी में ही संभव होता है कि एक मुख्यमंत्री अपने राज्य के हित के लिए अपनी ही सरकार दिल्ली में हो तो भी अड़ जाए और अपनी इच्छा मनवा करके रहे।
मैं बधाई देता हूं, वसुंधरा जी को कि उन्होंने राजस्थान के पैसे बचाए और भारत सरकार को योजना सही कैसे बने, उसको करने के लिए उन्होंने प्रेरित किया। और उसी का नतीजा है कि आज वसुंधरा जी और धर्मेन्द्र जी ने मिल करके कागज पर लटके हुए इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने का काम किया है। मैं इन दोनों को बधाई देता हूं। मैं राजस्थान को बधाई देता हूं और आप सबको भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
मेरे साथ पूरी ताकत से बोलें- भारत माता की- जय
बाड़मेर की धरती से अब देश को ऊर्जा मिलने वाली है। ये रिफाइनरी देश की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करने वाली है। वो ऊर्जा यहीं से चल पड़े, देश के हर कोने में पहुंचे, यही शुभकामनाओं के साथ खम्मा घणी।
A few days back India marked Makar Sankranti with great fervour. This festive season is the harbinger of prosperity. Immediately after the festivities, I am delighted to be in Rajasthan that too for a project that will bring happiness and prosperity in the lives of many: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
I congratulate CM @VasundharaBJP and Minister @dpradhanbjp for organising this programme in Barmer: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
This is a time for 'Sankalp Se Siddhi.' We have to identify our targets and work towards achieving them by 2022, when we mark 75 years of freedom: PM @narendramodi in Barmrer
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
From here in Barmer, I want to remember Bhairon Singh Shekhawat Ji. He was a great man, who worked towards modernising Rajasthan. He had the vision of a refinery in Barmer: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
From here in Barmer, I pray for the speedy recovery of the son of this soil, the respected Jaswant Singh Ji. His contribution towards our nation is immense: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
The manner in which @VasundharaBJP Ji has managed drought situations during both her terms, and helped people is commendable. It is in contrast to the opposition in the state, whose poor drought management in Rajasthan is widely known: PM @narendramodi in Barmer
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
Some people mislead citizens often. Their misleading the nation on Barmer refinery is not the exception, it is a norm when it comes to them. There are several such areas in which they have been misleading the nation for years: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
Some people mislead citizens often. Their misleading the nation on Barmer refinery is not the exception, it is a norm when it comes to them. There are several such areas in which they have been misleading the nation for years: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
Some people mislead citizens often. Their misleading the nation on Barmer refinery is not the exception, it is a norm when it comes to them. There are several such areas in which they have been misleading the nation for years: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
The previous Government allotted Rs. 500 crores for OROP knowing fully well this number is not the accurate figure. Is this the respect they had for the armed forces: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
For them, 'Garibi Hatao' was an attractive slogan. They nationalised the banks but the doors of the banks never opened for the poor. Jan Dhan Yojana changed this and the poor got access to banking facilities: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
Remember how much trouble one faced to get a gas cylinder? One had to go to MPs for a letter. Many MPs sold coupons in black. It was not acceptable to me that the women of India should suffer due to lack of cooking gas facilities: PM @narendramodi in Barmer
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
We completed 70 years of freedom but there were 18,000 villages without access to electricity. Imagine the suffering of those living in the villages without electricity. We began working on electrification and have achieved significant progress in this direction: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018
I have seen how @VasundharaBJP Ji fights for the rights and interests of Rajasthan. She is always thinking about maximum benefits to Rajasthan and at the same time ensuring there is no wastage of resources: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 16, 2018