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मेरे लिए एफडीआई की परिभाषा है- फर्स्ट डेवलप इंडिया: पीएम मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले साल यूपी में होने वाले चुनावों में विकास को मुद्दा बनाना चाहते हैं। देश में मौजूदा महंगाई दर, आर्थिक विकास और विदेश नीति पर भी वह नए सिरे से कदम उठा रहे हैं। पीएम ने इन मुद्दों से जुड़े अमर उजाला के सवालों के जवाब दिए। पेश हैं उसी के अंश

यूपी विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सपा का चेहरा अखिलेश हैं, बसपा का मायावती हैं, यूपी में भाजपा का चेहरा कौन होगा और वहां आप किसे मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी मानते हैं?

भारतीय जनता पार्टी का एक ही चेहरा है- विकास। और अब देश भली-भांति विकास का चेहरा जानता है। उत्तर प्रदेश भी जानने लग गया है। आपने पूछा, हमारा मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन है। हमारे मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, संप्रदायवाद का जहर। हम भाई-भतीजावाद, अपराध, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को बर्दाश्त नहीं करते। हमारा प्रतिद्वंद्वी है ठप पड़े हुए उद्योग-धंधे और खराब शिक्षा व्यवस्था। उत्तर प्रदेश की जनता भी इन सारी बुराइयों से तंग आ चुकी है इसलिए वह इस लड़ाई में हमारे साथ है।

आपने हाल में इलाहाबाद में यूपी के संदर्भ में कहा था कि विकास ही सभी समस्याओं का हल है। भाजपा सरकार आई तो विकास का क्या मॉडल होगा?

पंद्रह साल के कुशासन की वजह से यूपी विकास के लगभग हर पैमाने पर पिछड़ा हुआ है। जहां उद्योग धंधों को फलना-फूलना चाहिए था, वहां कुछ राजनीतिक दल और नेताओं का बैंक बैंलेंस फलता-फूलता रहा।

यूपी में 15 साल के कुशासन का नतीजा है कि शिक्षा ही नहीं उद्योग-धंधे के मामले में भी राज्य इतना नीचे पहुंचा हुआ है। कंपोजिट एजुकेशनल डेवलपमेंट इंडेक्स यानि यूडीआईएसई की 2014-15 की रैंकिंग में यूपी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिला दें, तो भी सबसे आखिरी नंबर पर था। यह रैकिंग चार मानकों के आधार पर की गई थी। योजनाओं तक लोगों की पहुंच, इंफ्रांस्ट्रक्चर, शिक्षक और योजनाओं के नतीजे। यानि इन चारों जरूरी मानकों में यूपी का हाल बेहाल है।

केंद्र सरकार ने यूपी के लिए खास तौर पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। इसमें से 68 हजार करोड़ रुपये सड़कों के लिए, 27 हजार करोड़ रुपये रेलवे-पावर और पेट्रोलियम प्रोजेक्ट के लिए हैं। हमारी सरकार आने से पहले यूपी के गन्ना किसानों का लगभग 14000 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया था।

हमारी सरकार के फैसलों की वजह से पिछले साल अब तक सिर्फ 75 फीसदी भुगतान हुआ था, इस साल चालू देय राशि का 92 प्रतिशत का भुगतान हो चुका है। हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि बाकी का भुगतान भी जल्दी कराया जाए।

इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने के फैसले का भी यूपी के किसानों को काफी फायदा होगा। देश में कुल 130 करोड़ लीटर इथेनॉल अप्लाई के कॉन्ट्रेक्ट हुए हैं जिनमें से यूपी में 30 करोड़ के कॉन्ट्रेक्ट हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश को नजरअंदाज किया जाता रहा है।

इस असंतुलन को कम करने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में निवेश किया जा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक इस फ्रेट कॉरिडोर में कुल 18 नोड्स पड़ेंगे, जिस वजह से इसके दोनों तरफ विकास होगा।

ये कॉरिडोर केमिकल, सीमेंट फर्टिलाइजर और दूसरे उद्योगों के लिए भी मददगार साबित होगा। केंद्र सरकार गोरखपुर में 6 हजार करोड़ की लागत से यूरिया प्लांट लगाकर फर्टिलाइजर यूनिट को फिर से शुरू करने पर काम कर रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक नए एम्स का भी प्रस्ताव है।

महंगाई से आम आदमी परेशान है। आपकी सरकार बार बार आश्वासन देती रही है कि हम महंगाई थामेंगे, लेकिन अभी तक राहत नहीं मिली है। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है?

देश ने पिछले दो साल से प्राकृतिक आपदाओं की मार झेली है। इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद राज्य सरकारों के सहयोग से किए गए हमारे प्रयासों के कारण इस वर्ष देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में कमी नहीं आई। यदि खाद्य महंगाई की तुलना यूपीए के कार्यकाल की खाद्य महंगाई से करें तो यह कम ही है।

पर मैं यह तुलना कर संतोष नहीं करना चाहता हूं। हम खाद्य महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए प्रयासरत हैं। हमने दालों के 8 लाख टन के बफर स्टॉक का निर्णय लिया है। दालों का आयात भी किया जा रहा है।

हाल में एफडीआई के संबंध में आपकी सरकार ने कई अहम फैसले किए। संघ से जुड़े संगठनों ने इनका विरोध किया है। एफडीआई के संबध में आपके क्या विचार हैं और देश के विकास में इसकी क्या भूमिका है?

एफडीआई की प्रचलित परिभाषा फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट है। लेकिन मेरे लिए एफडीआई की और परिभाषा है- फर्स्ट डेवलप इंडिया । हमारे सामने 2 मार्ग हैं। एक ये कि भारत बहुत बड़ा बाजार बन जाए और दुनिया भर का सामान कंपनियां यहां बेचें।

दूसरा मार्ग ये है कि वही कंपनियां भारत के कच्चे माल का इस्तेमाल करें, भारत के ही संसाधनों का इस्तेमाल करें जिससे चीजों चीजों को भारतीय पहचान बने। इससे भारत में रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी और भारत की आवश्यकताएं पूरी होंगी। मेरे लिए सुधार का मतलब है, ऐसा रिफॉर्म जो आम भारतीय की जिंदगी को ट्रांसफॉर्म कर सके।

चीन भारत के लिए लगातार चुनौतियां पैदा करता रहा है, हाल में एनएसजी में वह भारत की राह का रोड़ा बन गया, चीन को कैसे हैंडल करेंगे?

मेरा मानना है कि भारत और चीन के बीच संबंध जितने मजबूत होंगे उतना ही 21वीं सदी में एशिया और पूरे विश्व का भविष्य मजबूत होगा। पड़ोसी देश होने के नाते हम अपने-अपने हितों को भली-भांति समझते हैं।

जब मैं ताशकंद में चीन के राष्ट्रपति से मिला था तो उन्हें इस विषय में भारत के हितों और चिंताओं से अवगत कराया था। मैं पहले भी कह चुका हूं कि विदेश नीति में भले आपकी राय एक दूसरे से ना मिलती हो, फिर भी बातचीत बंद नहीं होनी चाहिए। मेरा मानना है कि दोनों ही देशों को एक दूसरे की चिंताओं के प्रति भी संवेदनशील रहना होगा। इसलिए भारत के हित में जो होगा, हम उसे करेंगे। हम अपने हितों की सुरक्षा से कभी पीछे नहीं हटेंगे।