প্ৰধানমন্ত্ৰী শ্ৰী নৰেন্দ্ৰ মোদীয়ে ‘ভিডিঅ’ কনফাৰেন্সিং ব্যৱস্থা’ৰে ‘প্ৰাকৃতিক কৃষি সম্পৰ্কীয় ৰাষ্ট্ৰীয় সন্মিলন’ত কৃষকসকলক সম্বোধন কৰে। কেন্দ্ৰীয় মন্ত্ৰী শ্ৰী অমৃত শ্বাহ, শ্ৰী নৰেন্দ্ৰ সিং টোমৰ, গুজৰাটৰ ৰাজ্যপাল, গুজৰাট আৰু উত্তৰ প্ৰদেশৰ মুখ্যমন্ত্ৰীদ্বয়ো এই সন্মিলনত উপস্থিত থাকে।
অনুষ্ঠানত ভাষণ দি প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কয়, “স্বাধীনতাৰ ১০০বছৰ পৰ্যন্ত আমাৰ যাত্ৰাত আমি এতিয়া আমাৰ কৃষি-কৰ্মক নতুন প্ৰয়োজনীয়তা আৰু নতুন প্ৰত্যাহ্বানৰ হিচাপত আগুৱাই নিব লাগিব”। বিগত ৬-৭টা বছৰত বীজৰ পৰা বজাৰলৈ, কৃষক ৰাইজৰ আয় বৃদ্ধিকে ধৰি অন্যান্য দিশসমূহক উন্নত কৰাৰ বাবে বিভিন্ন পদক্ষেপ গ্ৰহণ কৰা হৈছে বুলি উল্লেখ কৰে প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে। ভূমি পৰীক্ষণৰ পৰা শতাধিক নতুন বীজৰ উদ্ভাৱনলৈ, ‘প্ৰধানমন্ত্ৰী কিষাণ সন্মান নিধি’ৰ পৰা ‘ন্যূনতম সমৰ্থন মূল্য’-এমএছপি-ৰ হাৰ কৃষি-ব্যয়ৰ ডেৰগুণলৈ বদ্ধি কৰা, জলসিঞ্চনৰ পৰা ‘কিষাণ ৰে’ল’ৰ শক্তিশালী নেটৱৰ্ক গঢ়ি তোলালৈ লোৱা পদক্ষেপে কৃষিখণ্ডক এই দিশত আগুৱাই নিয়াত সহায় কৰিছে বুলিও তেওঁ উল্লেখ কৰে। তেওঁ দেশৰ বিভিন্ন প্ৰান্তৰ পৰা সংযোজিত হোৱা কৃষক ৰাইজক অভিনন্দনো জনায়।
‘সেউজ বিপ্লৱ’ত ৰাসায়ন আৰু সাৰৰ মহত্বপূৰ্ণ ভূমিকাৰ কথা সাৰোগত কৰিও প্ৰধানমমন্ত্ৰীয়ে সমান্তৰালভাবে ইয়াৰ বিকল্পৰ সন্ধানত মনোনিৱেশ কৰাৰ প্ৰাসংগিকতাতো গুৰুত্ব আৰোপ কৰে। তেওঁ কীটনাশক আৰু আমদানীকৃত সাৰৰ ব্যাপক প্ৰয়োগে কৃষি-ব্যয়ৰ পৰিমান বৃদ্ধিৰ লগতে জন-স্বাস্থ্যৰ প্ৰতিও ভাবুকি আনিছে বুলি সঁকীয়াই দিয়ে। সমস্যাই ভয়াবহ ৰূপ ধাৰণ কৰাৰ আগতেই বৃহত্ পদক্ষেপ গ্ৰহণৰ বাবে এয়াই উত্কৃষ্ট সময় বুলিও প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে অভিমত ব্যক্ত কৰে। প্ৰসংগক্ৰমে প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কয়, “আমি আমাৰ কৃষিক ৰসায়ণৰ পৰীক্ষাগাৰৰ পৰা উলিয়াই আনি প্ৰকৃতিৰ পৰীক্ষাগাৰৰে সংযুক্ত কৰিব লাগিব। মই প্ৰকৃতিৰ পৰীক্ষাগাৰৰ কথা কৈছো মানে ই সম্পূৰ্ণ ৰূপেই বি়জ্ঞান ভিত্তিক”।
এই প্ৰসংগত বক্তব্য দাঙি ধৰি তেওঁ কয়, “আমি প্ৰাচীন কৃষি-পদ্ধতিৰ জ্ঞানকে পুনৰাই আওৰালে নহ’ব বৰঞ্চ আধুনিক সময়ৰ জ্ঞানৰে ইয়াক সান দিবও লাগিব। ইয়াৰ বাবে, আমি প্ৰাচীন জ্ঞানক আধুনিক বিজ্ঞানৰ আধাৰত বান্ধিব পৰাকৈ নতুনকৈ গৱেষণা কৰিব লাগিব”।
“প্ৰাকৃতিক কৃষিকৰ্মৰে আটাইতকৈ উপকৃত হ’ব লগা সকল হ’ল দেশৰ প্ৰায় ৮০% খেতিয়ক” বুলিও প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে অভিমত দাঙি ধৰে।
জলবায়ু পৰিৱৰ্তন সম্পৰ্কীয় শীৰ্ষ সন্মিলনৰ প্ৰসংগ সুঁৱৰি প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কয়, “ভাৰত আৰু ইয়াৰ খেতিয়কসকলে একবিংশ শতিকাত ‘লাইফ ষ্টাইল ফৰ এনভাৰ্ণমেণ্ট’ চমুকে ‘লাইফ’ অৰ্থাত্ ‘পৰ্যাৱৰণৰ বাবে জীৱনচৰ্যা’ মিছনৰ নেতৃত্ব দিব। তেওঁ, “স্বাধীনতাৰ অমৃত মহোত্সৱৰ কালছোৱাত প্ৰতিটো পঞ্চায়তৰ অন্ততঃ এখন গাঁৱক প্ৰাকৃতিক কৃষি-কৰ্মৰে জড়িত কৰাৰ প্ৰয়াস কৰা উচিত হ’ব” বুলি গোঁহাৰি জনোৱাৰ লগতে “অমৃত মহোত্সৱত মা ভাৰতীক ৰাসায়নিক সাৰ আৰু কীটনাশকমুক্ত ভূমি হিচাপে গঢ়ি তোলাৰ পণ লও আহক” বুলিও দেশবাসীৰ প্ৰতি আহ্বান জনায়।
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DS/AK/KB
Addressing the National Conclave on #NaturalFarming. https://t.co/movK2DPtfb
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2021
आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है।
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अब आज़ादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है: PM @narendramodi
बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं।
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मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक,
पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक,
सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक,
अनेक कदम उठाए हैं: PM
ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है।
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लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा: PM @narendramodi
इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है।
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हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा।
जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है: PM
आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘back to basic’ की ओर बढ़ रही है।
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इस Back to basic का मतलब क्या है?
इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना!
इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है?
हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है; PM @narendramodi
कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है।
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इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा: PM @narendramodi
जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है।
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हम देखते हैं कि जिस प्रकार मिट्टी को जब तपाया जाता है, तो वो ईंट का रूप ले लेती है।
लेकिन फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है: PM @narendramodi
एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी।
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जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है।
पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है: PM @narendramodi
नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान।
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वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है।
इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है।
अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी: PM
मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से, ये आग्रह करुंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं।
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इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव ज़रूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं: PM @narendramodi
क्लाइमेट चैंज समिट में मैंने दुनिया से Life style for environment यानि LIFE को ग्लोबल मिशन बनाने का आह्वान किया था।
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21वीं सदी में इसका नेतृत्व भारत करने वाला है, भारत का किसान करने वाला है: PM @narendramodi
आइये, आजादी के अमृत महोत्सव में मां भारती की धरा को रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त करने का संकल्प लें:PM @narendramodi
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कम लागत ज्यादा मुनाफा, यही तो प्राकृतिक खेती है! pic.twitter.com/jbaLGLVRi6
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आज जब दुनिया Organic की बात करती है, नैचुरल की बात करती है और जब ‘Back to Basic’ की बात होती है, तो उसकी जड़ें भारत से जुड़ती दिखाई पड़ती हैं।
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खेती-किसानी के इर्द-गिर्द ही हमारा समाज विकसित हुआ है, परंपराएं पोषित हुई हैं, पर्व-त्योहार बने हैं। pic.twitter.com/G3ajwDQE2F
ऐसे कई श्लोक हैं, जिनमें प्राकृतिक खेती के सूत्रों को बहुत ही सुंदरता के साथ पिरोया गया है… pic.twitter.com/j01vOahpWM
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आत्मनिर्भर भारत तभी संभव है, जब कृषि आत्मनिर्भर बने, एक-एक किसान आत्मनिर्भर बने। ऐसा तभी हो सकता है, जब अप्राकृतिक खाद और दवाइयों के बदले हम मां भारती की मिट्टी का संवर्धन गोबर-धन से करें, प्राकृतिक तत्वों से करें। pic.twitter.com/sIECANVM4S
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