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पीएलआई योजना संबंधी आयोजित वेबिनार में प्रधानमंत्री का सम्‍बोधन

पीएलआई योजना संबंधी आयोजित वेबिनार में प्रधानमंत्री का सम्‍बोधन


नमस्कार !

इतनी बड़ी तादाद में हिन्‍दुस्‍तान के सभी कोने से आप सबका इस महत्‍वपूर्ण वेबिनार में सम्मिलित होना अपने आप में इसका महत्‍व दर्शाता है। मैं हृदय से आप सबका स्‍वागत करता हूं। आप इस बात से परिचित हैं कि बजट के implementation को लेकर इस बार एक विचार मन में आया और एक नया प्रयोग हम कर रहे हैं और अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो शायद भविष्‍य में भी बहुत लाभ होगा। अब तक कई ऐसे वेबिनार हुए हैं। मुझे देश के गणमान्‍य ऐसे हजारों लोगों से बजट के संबंध में बातचीत करने का अवसर मिला है।

पूरे दिन भर वेबिनार चले हैं और बहुत ही अच्‍छा रोडमैप, implementation के लिए बहुत ही अच्‍छे सुझाव आप सबकी तरफ से आया है। ऐसा लग रहा है कि सरकार से ज्‍यादा आप लोग दो कदम और आगे बहुत तेजी से जाने के मूड में हैं। यह अपने आप में बहुत ही सुखद खबर है मेरे लिए और मुझे विश्‍वास है कि आज के इस चर्चा में भी हम लोगों की कोशिश ये है कि देश का बजट और देश के लिए policy making सिर्फ सरकारी प्रक्रिया बनकर न रहे। देश के विकास से जुड़े हर stakeholder का इसमें effective engagement हो। इसी क्रम में आज manufacturing sector Make In India को ऊर्जा देने वाले आप सभी महत्‍वपूर्ण साथियों से ये चर्चा हो रही है। बीते हफ्तों में जैसा मैंने आपको बताया, अलग-अलग sectors के लोगों से बहुत ही फलदायी संवाद हुआ है, बहुत ही महत्‍वपूर्ण innovative सुझाव आए हैं। आज के इस वेबिनार का focus विशेष रूप से Production Linked Incentives से जुड़ा हुआ है।

साथियों,

बीते 6-7 सालों में अलग-अलग स्तर पर मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक सफल प्रयास किए गए हैं। इनमें आप सभी का योगदान प्रशंसनीय रहा है। अब इन प्रयासों को Next Level पर ले जाने के लिए और बड़े कदम उठाने हैं, अपनी स्पीड और स्केल को बहुत अधिक बढ़ाना है। और कोरोना के पिछले एक वर्ष के अनुभव के बाद मैं convinced हूं कि भारत के लिए ये सिर्फ एक मौका नहीं है। भारत के‍ लिए दुनिया के लिए ये एक जिम्‍मेदारी है, दुनिया के प्रति भारत की जिम्‍मेदारी है। और इसलिए हमें बहुत तेजी से इस दिशा में बढ़ना ही होगा। आप सभी ये भली-भांति जानते हैं कि Manufacturing, अर्थव्यवस्था के हर Segment को कैसे transform करती है, कैसे उसका प्रभाव पैदा होता है, कैसे एक ecosystem create होती है। हमारे सामने दुनियाभर से उदाहरण हैं जहां देशों ने अपनी Manufacturing Capabilities को बढ़ाकर, देश के विकास को गति दी है। बढ़ती हुई Manufacturing Capabilities, देश में Employment Generation को भी उतना ही बढ़ाती हैं। 

भारत भी अब इसी approach के साथ बहुत तेजी से काम करना चाहता है, आगे बढ़ना चाहता है। इस सेक्टर में हमारी सरकार Manufacturing को बढ़ावा देने के लिए एक के बाद एक लगातार Reforms कर रही है। हमारी नीति और रणनीति, हर तरह से स्पष्ट है। हमारी सोच है- Minimum Government, Maximum Governance और हमारी अपेक्षा है Zero Effect, Zero Defect. भारत की कंपनियां और भारत में की जा रही Manufacturing को Globally Competitive बनाने के लिए हमें दिन-रात एक करना होगा। हमारी Production Cost, Products की Quality और Efficiency Global Market में अपनी पहचान बनाए, इसके लिए हमें जुटकर काम करना होगा। और हमारी product user friendly भी होनी चाहिए, Technology में most modern होनी चाहिए, affordable होनी चाहिए, लंबे समय तक sustain करने वाली होनी चाहिए। Core Competency से जुड़े sectors में Cutting Edge Technology और Investment को हमें ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करना होगा। और निश्चित तौर पर इसमें इंडस्ट्री के आप सभी साथियों की सक्रिय भागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है। सरकार इसी focus के साथ आप सबको साथ ले करके आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है। चाहे Ease of Doing Business पर बल देना हो, Compliance burden को कम करना हो, Logistics Cost को कम करने के लिए Multimodal Infrastructure बनाने की बात हो या फिर जिला स्तर पर export hubs का निर्माण हो, हर स्तर पर काम किया जा रहा है। 

हमारी सरकार मानती है कि हर चीज़ में सरकार का दखल समाधान के बजाय समस्याएं ज्यादा पैदा करता है। और इसलिए हम Self-Regulation, Self-Attesting, Self-Certification, यानी एक प्रकार से देश के नागरिकों पर ही भरोसा करके आगे बढ़ना, इस पर हमारा जोर है। हमारा प्रयास इस वर्ष केंद्र और राज्य स्तर के 6 हज़ार से ज्यादा Compliances को कम करने का है। इस संबंध में आपकी राय, आपके सुझाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। हो सकता है वेबिनार में उतना टाइम न मिले, आप मुझे लिखित भेज सकते हैं। हम इसको गंभीरता से लेने वाले हैं क्‍योंकि Compliance का burden कम होना ही चाहिए। Technology आ गई है, हर चीज को बार-बार ये फॉर्म भरो, वो फॉर्म भरो, इन चीजों से मुझे मुक्ति देनी है। इसी प्रकार, लोकल लेवल पर export को promote करने के लिए Exporters और Producers को global platform उपलब्ध कराने के लिए आज सरकार अनेक क्षेत्रों में काम कर रही है। इससे MSMEs हों, किसान हों, छोटे-छोटे हस्तशिल्पी हों, सभी को एक्सपोर्ट के लिए बहुत मदद मिलेगी।

साथियों,

Production Linked Incentives योजना के पीछे भी manufacturing और export का विस्तार करने की ही हमारी भावना है। दुनिया भर की manufacturing कंपनियां भारत को अपना Base बनाएं और हमारी घरेलू इंडस्ट्री, हमारे MSMEs की संख्या और सामर्थ्य का विस्तार हो, इस सोच के साथ हम इस वेबिनार में concrete योजनाओं को अगर रूप दे सकते हैं तो जिस philosophy को लेकर बजट आया है वो परिणामकारी सिद्ध होगा। इस योजना का मकसद अलग-अलग सेक्टर्स में भारतीय उद्योगों की core competencies और एक्सपोर्ट में Global Presence का दायरा बढ़ाने का है। सीमित जगह पर, सीमित देशों में, सीमित आइटम ले करके और हिन्‍दुस्‍तान के दो-चार कोने में से ही एक्‍सपोर्ट, ये स्थिति बदलनी है। हिन्‍दुस्‍तान का हर जिला exporter क्‍यों न हो? दुनिया का हर देश भारत से Import क्‍यों न करता हो, दुनिया के हर देश-हर इलाके में क्‍यों न हो? हर प्रकार की चीजें क्‍यों न हो? पहले की योजनाओं और मौजूदा योजनाओं में आपने भी एक स्पष्ट अंतर देखा होगा। पहले Industrial Incentives एक Open Ended Input Based Subsidies का प्रावधान होता था। अब इसको एक Competitive Process के माध्यम से Targeted, Performance based बनाया गया है। पहली बार 13 sectors को इस प्रकार की योजना के दायरे में लाना हमारा commitment दिखाता है।

साथियों,

ये PLI जिस सेक्टर के लिए है, उसको तो लाभ हो ही रहा है, इससे उस सेक्टर से जुड़े पूरे इकोसिस्टम का बहुत फायदा होगा। Auto और Pharma में PLI से, Auto parts, Medical Equipments और दवाओं के raw material से जुड़ी विदेशी निर्भरता बहुत कम हो जाएगी। Advanced Cell Batteries, Solar PV modules और Specialty Steel को मिलने वाली मदद से देश में Energy सेक्टर आधुनिक होगा। हमारा अपना raw material, हमारा अपना labour, हमारी अपनी skill, हमारा अपना talent, हम कितना बड़ा jump लगा सकते हैं। इसी तरह textile और food processing सेक्टर को मिलने वाली PLI से हमारे पूरे agriculture sector को लाभ होगा। हमारे किसानों, पशुपालकों, मछुआरों, यानि पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा, आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

अभी आपने कल ही देखा है कि भारत के प्रस्ताव के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को, यानी दो साल के बाद, International Year of Millets घोषित किया है। भारत के इस प्रस्ताव के समर्थन में 70 से ज्यादा देश आए थे। और फिर U.N. General Assembly में ये प्रस्ताव, सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। ये देश का गौरव बढ़ाने वाली बात है। ये हमारे किसानों के लिए भी बड़ा अवसर है, और उसमें भी खास करके छोटे किसान, जहां सिंचाई की सुविधाएं भी कम हैं और जहां पर मोटा अनाज पैदा होता है, इस मोटे अनाज का महात्‍मय दुनिया तक पहुंचाने का काम UN के माध्‍यम से हमने जो प्रस्‍तावित किया, वो 2023 के लिए स्‍वीकृत हुआ है। भारत के छोटे किसानों को जहां सिंचाई उपलब्‍ध नहीं है ऐसे दुर्गम इलाके की खेती को, हमारे गरीब किसान को ये मोटे अनाज की ताकत कितनी है, nutritional value कितनी है, उसमें varieties कितनी हो सकती हैं, दुनिया में ये affordable कैसे हो सकती है, इतना बड़ा अवसर हमारे सामने है। जैसे हमने योग को दुनिया में प्रचारित, प्रसारित और प्रतिष्ठित किया, वैसे ही हम सब मिल करके, खासकर agro processing वाले लोग मिल करके Millets, यानि मोटे अनाज के लिए भी सारी दुनिया में पहुंच सकते हैं। 

वर्ष 2023 में अभी हमारे पास समय है, हम पूरी तैयारी के साथ विश्व भर में अभियान शुरू कर सकते हैं। जिस तरह से कोरोना से बचाने के लिए मेड इन इंडिया वैक्सीन है, वैसे ही लोगों को बीमार होने से बचाने के लिए, भारत में पैदा हुए Millets भी, मोटा अनाज भी, उसकी, nutritional value भी उतने ही उपयोगी होंगे। Millets या मोटे अनाजों की पौष्टिक क्षमता से हम सभी परिचित हैं। एक समय में रसोई में Millets, बहुत प्रमुखता से होते थे। अब ये ट्रेंड वापस लौट रहा है। भारत की पहल के बाद, UN द्वारा 2023 को International Year of Millets की घोषणा, देश और विदेश में Millets की demand तेजी से बढ़ाएगी। इससे हमारे किसानों और विशेषकर देश के छोटे किसानों को बहुत फायदा होगा। इसलिए मेरा agriculture और food processing sector से आग्रह है कि इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं। मैं तो आज भी आपके वेबिनार से कोई सुझाव निकलते हैं- एक छोटा task force बनाया जाए जिसमें public-private partnership का मॉडल हो, और हम इस Millets mission को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं दुनिया में, इस पर हम सोच सकते हैं। ऐसी कौन सी varieties बन सकती हैं जो दुनिया के अलग-अलग देशों के taste के अनुकूल भी हों और हेल्‍थ के लिए बहुत ताकतवर हों।   

साथियों,

इस वर्ष के बजट में PLI स्कीम से जुड़ी इन योजनाओं के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। Production का औसतन 5 प्रतिशत incentive के रूप में दिया गया है। यानि सिर्फ PLI स्कीम के द्वारा ही आने वाले 5 सालों में लगभग 520 billion डॉलर का production भारत में होने का अनुमान है। अनुमान ये भी है कि जिन sectors के लिए PLI योजना बनाई गई है, उन सेक्टर में अभी जितनी workforce काम कर रही है, वो करीब-करीब दोगुनी हो जाएगी। रोज़गार निर्माण में बहुत बड़ा असर PLI योजना का होने वाला है। इंडस्ट्री को तो Production और Export में तो लाभ होगा ही, देश में आय बढ़ने से जो डिमांड बढ़ेगी, उसका भी लाभ होगा, यानि दोगुना फायदा। 

साथियों,

PLI से जुड़ी जो घोषणाएं की गई हैं, उन पर तेजी से अमल हो रहा है। IT Hardware और telecom equipment manufacturing से जुड़ी दो PLI योजनाओं को कैबिनेट से स्वीकृति भी मिल चुकी है। मुझे विश्वास है कि इन सेक्टर्स से जुड़े साथियों ने इनकी assessment अब तक कर ली है। IT हार्डवेयर के मामले में आने वाले 4 वर्षों में करीब सवा 3 ट्रिलियन रुपए के production का अनुमान है। इस योजना से IT Hardware में 5 सालों के दौरान Domestic Value Addition अभी के 5-10 प्रतिशत से बढ़कर 20-25 प्रतिशत तक हो जाना है। इसी तरह Telecom equipment manufacturing में भी आने वाले 5 साल में करीब ढाई लाख करोड़ रुपए की वृद्धि होगी। इसमें भी लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का Export करने की स्थिति में हम होंगे। Pharma sector में भी आने वाले 5-6 सालों में एक प्रकार से लाखों करोड़ रुपए से ज्यादा का investment PLI के तहत होने की संभावना हम नकार नहीं सकते है, बड़ा लक्ष्‍य लेकर हम चल सकते हैं। इससे फार्मा सेल में लगभग 3 लाख करोड़ रुपए और exports में करीब 2 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि का अनुमान है। 

साथियों,

भारत से आज जो विमान, वैक्सीन की लाखों डोज लेकर दुनिया भर में जा रहे हैं, वो खाली नहीं आ रहे हैं। वो अपने साथ भारत के प्रति बढ़ा हुआ भरोसा, भारत के प्रति आत्मीयता, उन देशों के लोगों का स्नेह, और बुजुर्ग जो बीमार हैं उनका आशीर्वाद, एक भावनात्मक लगाव भी ले करके ये हमारे जहाज भर-भर कर आ रहे हैं। और संकट काल में जो भरोसा बनता है, वो केवल प्रभाव ही पैदा नहीं करता, ये भरोसा चिरंजीवी होता है, अमर होता है, प्रेरक होता है। भारत आज जिस तरह मानवता की सेवा कर रहा है, और नम्रता के साथ कर रहा है…हम कोई अहंकार के साथ नहीं कर रहे…हम कर्तव्‍य भाव से कर रहे हैं। ‘सेवा परमो धर्म’ ये हमारा संस्‍कार हे। उससे पूरी दुनिया में भारत अपने-आप में एक बहुत बड़ा ब्रांड बन गया है। भारत की साख, भारत की पहचान निरंतर नई ऊंचाई पर पहुंच रही है। और ये भरोसा केवल वैक्सीन तक ही नहीं है। सिर्फ फार्मा सेक्टर की चीजों तक नहीं है। जब एक देश का ब्रांड बन जाता है तो उसकी हर चीज के प्रति विश्‍व के हर व्‍यक्ति का सम्‍मान बढ़ जाता है, लगाव बढ़ जाता है और वो उसकी पहली पसंद बन जाता है। 

हमारी दवाइयां, हमारे Medical Professionals, भारत में बने Medical Equipments, इन सबके प्रति भी आज भरोसा बढ़ा है। इस भरोसे को सम्मान देने के लिए, इस समय का लाभ उठाने के लिए हमारी दूरगामी रणनीति क्या हो, इस पर फार्मा सेक्टर को इसी समय काम करना होगा। और साथियों, भारत पर बना ये भरोसा, हर सेक्टर में इसके सहारे आगे बढ़ने की योजना का मौका छोड़ना नहीं चाहिए, मैं आपको बताता हूं। और इसलिए इन सकारात्मक परिस्थितियों में हर सेक्टर को अपनी रणनीति पर मंथन शुरू कर देना चाहिए। ये समय गंवाने का नहीं, ये समय पाने का है, देश के लिए हासिल करना है, आपकी अपनी कंपनी के लिए अवसर है। और साथियों, ये बातें जो मैं कह रहा हूं ये करना जरा भी मुश्किल नहीं है। PLI स्कीम की success story भी इनको बिल्‍कुल सपोर्ट करती है कि हां ये सत्‍य है, संभव है। ऐसी ही एक success story electronics manufacturing sector की है। पिछले साल हमने मोबाइल फोन और electronics components के निर्माण के लिए PLI स्कीम लॉन्च की थी। Pandemic के दौरान भी इस सेक्टर में बीते साल 35 हज़ार करोड़ रुपए का production हुआ। यही नहीं, कोरोना के इस कालखंड में भी इस सेक्टर में करीब-करीब 1300 करोड़ रुपए का नया Investment आया हुआ है। इससे हजारों नई Jobs इस सेक्टर में तैयार हुई हैं। 

साथियों,

PLI स्कीम का एक व्यापक असर देश के MSME Ecosystem को होने वाला है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हर सेक्टर में जो anchor units बनेंगे, उऩको पूरी value chain में नए सप्लायर बेस की ज़रूरत होगी। ये जो ancillary units हैं, ये ज्यादातर MSME सेक्टर में ही बनेंगी। MSMEs को ऐसे ही अवसरों के लिए तैयार करने का काम पहले ही शुरु किया जा चुका है। MSMEs की definition में बदलाव से लेकर Investment की लिमिट बढ़ाने तक के फैसलों से बहुत लाभ इस सेक्टर को मिल रहा है। आज के दिन हम यहां जब बैठे हैं तो हमें आपके Proactive Participation की भी अपेक्षा है। PLI से जुड़ने में अगर कहीं आपको दिक्कत आ रही है, अगर कुछ इसमें सुधार हो सकते हैं, जो बातें आपको जरूरी लगती हैं, आप जरूर रखें, मेरे तक भी पहुंचाएं। 

साथियों,

मुश्किल समय में हमने दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से हम बड़े-बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। Collaboration की यही approach आत्मनिर्भऱ भारत का निर्माण करेगी। अब इंडस्ट्री के आप सभी साथियों को आगे बढ़कर नए अवसरों पर काम करना है। इंडस्ट्री को अब देश और दुनिया के लिए Best Quality Goods बनाने पर focus बढ़ाना है। इंडस्ट्री को fast moving, fast changing world की ज़रूरतों के हिसाब से Innovate करना होगा, R&D में अपनी भागीदारी बढ़ानी होगी। Manpower की Skill Upgradation और नई Technology के उपयोग में भारत की इंडस्ट्री को आगे बढ़कर काम करना होगा, तभी हम Globally Competent हो पाएंगे। मुझे विश्वास है कि आज के इस मंथन से ‘Make in India, Make for the World’ के सफर को आप सभी के विचारों, आपके सभी के सुझावों..इससे नया बल मिलेगा, नई ताकत मिलेगी, नई गति मिलेगी, नई ऊर्जा मिलेगी। 

मैं फिर आग्रह करुंगा कि आपको जो भी समस्याएं आ रही हैं, reforms को लेकर जो भी आपके सुझाव हैं, वो मुझे जरूर पहुंचाइए, खुले मन से पहुंचाइए। सरकार आपके हर सुझाव, हर समस्या के समाधान के लिए तैयार है। मैं एक बात और कहूंगा सरकार की incentives में व्‍यवस्‍थाएं जो भी हों, आपको कभी ऐसा लगता है कि दुनिया में जो माल है उससे हमारा सस्‍ता हो तो बिकेगा। ये अपनी जगह तो सही होगा। लेकिन ये मानकर चलिए इन सबसे बड़ी ताकत होती है क्‍वालिटी की। हमारी product कितने competition में quality में खड़ी रहती है, फिर दुनिया दो रुपये ज्‍यादा देने को तैयार हो जाती है। आज भारत एक ब्रांड बन चुका है। अब आपको सिर्फ अपनी product की पहचान बनानी है। आपको ज्‍यादा मेहनत नहीं पड़ेगी। अगर मेहनत करनी है तो production quality पर करनी है। PLI का ज्‍यादा फायदा PLI में और अधिक benefit मिले, उसमें नहीं है। PLI का ज्‍यादा फायदा production की quality पर बल देने में है। इस पर भी आज की चर्चा में ध्‍यान देंगे, बहुत लाभ होगा।

आप इतनी तादाद में इस बार जुड़ रहे हैं, आप दिनभर बैठने वाले हैं, मैं ज्‍यादा समय आपका लेता नहीं हूं। मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। इस समारोह में आने के लिए मैं हृदय से आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

धन्‍यवाद!     

 

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