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प्रिटोरिया में भारत-दक्षिण अफ्रीका व्यापार बैठक में प्रधानमंत्री का वक्तव्य

प्रिटोरिया में भारत-दक्षिण अफ्रीका व्यापार बैठक में प्रधानमंत्री का वक्तव्य

प्रिटोरिया में भारत-दक्षिण अफ्रीका व्यापार बैठक में प्रधानमंत्री का वक्तव्य


महामहिम श्री जैकब ज़ूमा

दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के राष्ट्रपति

माननीय अंतर्राष्ट्रीय संबंधों एवं सहयोग के मंत्री महोदय

माननीय व्यापार एवं उद्योग के मंत्री महोदय

दक्षिण अफ्रीकी एवं भारतीय उद्योग जगत की हस्तियो

भाइयो और बहनो !

मैं यहां आप लोगों के समक्ष आकर प्रसन्न हूं।

भारत और अफ्रीका सम्बंध इतिहास की सुदृढ़ बुनियाद पर टिके हैं।

• हम लोग भाग्य द्वारा परस्पर संचालित हुए थे;

• हम लोग अपने सपनों से आपस में संचालित हैं।

हमारे इतिहास के कई अध्याय एक जैसे हैं।

संघर्ष एवं त्याग से हमने इतिहास के प्रवाह को मोड़ा है।

सौभाग्य से इस प्रक्रिया में हमें मानव जाति के महानतम नेताओं का पथप्रदर्शन प्राप्त हुआ।

मित्रों,

नेल्सन मंडेला एवं महात्मा गांधी जैसे हमारे नेता हमारे लिये राजनीतिक स्वतंत्रता लेकर आए।

अब आर्थिक आज़ादी के लिये कार्य करने का समय है।

इसलिये, हमारे संबंध हमारे लोगों की मिलती-जुलती हसरतों को पूरा करने पर आधारित हैं।

• हम बुरे वक़्त के साथी रहे हैं।

• अब हमें अवसरों पर साझेदारी करनी चाहिए।

हमारे महान नेताओं के आशीर्वाद से दोनों देश विकास के मार्ग पर चले हैं।

भारत एवं दक्षिण अफ्रीका दोनों अर्थव्यवस्थाएं ब्रिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं।

देश में और देश से बाहर रहने वाले हमारे लोग हमारी ओर बड़ी आशापूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं।

हम दोनों ओर की इन आशाओं की प्राप्ति के लिये हाथ मिला सकते हैं।

यह देखना सुखद है कि सभी मोर्चों पर हमारा सहयोग बहुत सक्रिय एवं परिणामदायी रहा है।

यह भव्य समागम भी इसी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग है।

मित्रों,

मैं स्वीकार करता हूं कि इस महान देश की यात्रा करने में मुझे थोड़ी देरी हुई है।

हालांकि राष्ट्रपति ज़ूमा और मैं बीते दो वर्ष में कई बार मिले हैं।

दक्षिण अफ्रीका व्यापार एवं निवेश में भारत का अहम साझीदार है।

पिछले दस वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 380% की गति से बढ़ा है।

निवेश की दास्तान लगातार अच्छी बनी हुई है।

दोनों ओर से निवेश का प्रवाह सतत है।

दक्षिण अफ्रीका में 150 से अधिक भारतीय कम्पनियां कार्यरत हैं।

इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका की कई कम्पनियां भारत में शानदार कार्य कर रही हैं।

हालांकि,

कार्य करने की गुंजाइश अद्भुत है।

संभावनाएं प्रतिदिन बढ़ रही हैं।

ऐसा इसलिये है कि दोनों देश अपनी आर्थिक नींव को मज़बूत कर रहे हैं।

लिहाज़ा हमें एक दूसरे की आवश्यकताओं को पूर्ण करने और लोगों की सेवा करने के लिये व्यापार के क्षेत्र में सहयोग के विविध रास्ते तलाशने चाहिए।

कई क्षेत्रों में हमारी सक्रिय साझेदारी इस बात की तस्दीक करती है कि इस प्रकार का सहयोग संभव है।

मित्रों,

भारतीय कम्पनियों के लिये इस द्वीप में दक्षिण अफ्रीका एक घर सा है।

कई बड़ी भारतीय कम्पनियां यहां कार्यरत हैं।

वो यहां व्यापक स्तर पर गतिविधियों में संलग्न हैं।

कई भारतीय सीइओ यहां हमारे साथ हैं।

उन्हें मेरी सलाह है कि उनका व्यापार इस महान देश का सामाजिक और आर्थिक रूपांतरण करे।

मैं भारत के लिये तीन ‘P’ की हिमायत करता हूं।

(पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर एवं पीपुल्स पार्टनरशिप)।

मैं पर्सनल सेक्टर पर भी ज़ोर दे रहा हूं।

यही यहां भी लागू होता है।

कौशल विकास एवं सामुदायिक सशक्तिकरण आपकी व्यापारिक योजनाओं के केंद्र में होने चाहिए।

अफ्रीकी मानवतावाद की आत्मा, UBUNTU, आपके व्यापार के चरित्र में परिलक्षित होनी चाहिए।

यह हमारे दर्शन- सर्वे भवन्तु सुखिनः – के बराबर है।

यह वही है जिसके लिये महात्मा गांधी खड़े हुए थे।

हमने हमेशा भरण एवं पालन-पोषण पर, न कि दोहन पर, विश्वास किया है।

उत्साहजनक तथ्य यह है कि हमारा व्यापारिक सहयोग एकतरफा नहीं है।

दक्षिण अफ्रीकी कम्पनियां भी भारत में सक्रिय है।

इनमें से कई ज़मीन पर मौजूद हैं।

हमने आपके ज्ञान से सीखा है एवं आपके अभिनव उत्पादों से लाभ पाया है।

अपने अपने देश में वृद्धि एवं विकास के लिये दक्षिण अफ्रीका की व्यापारिक उत्कृष्टता एवं भारत की क्षमताओं को एक दूसरे का फायदा उठाना चाहिए।

मित्रों,

पिछले दो वर्षों में अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये हमने सभी क्षेत्रों में बेहद कड़ा परिश्रम किया है।

हमने हमारी गंभीरता एवं परिश्रम के बूते काफी उत्साहजनक परिणाम प्राप्त किये हैं।

आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकता हुआ सितारा है।

हमें वैश्विक विकास के इंजन के तौर पर देखा जाता है।

भारत विश्व में सबसे तेज़ गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है।

वैश्विक मंदी के समय में हमने 7.6% की विकास दर हासिल की है।

विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं अन्य संस्थानों ने आने वाले दिनों में और बेहतर विकास दर की संभावना जताई है।

इतना ही नहीं वर्ष 2014-15 में भारत ने वैश्विक विकास में 12.5% का योगदान दिया।

वैश्विक विकास में इसका योगदान विश्व अर्थव्यवस्था में इसके हिस्से से 68% अधिक है।

इस वर्ष विदेशी निवेश सर्वाधिक रहा है।

रेटिंग एजेंसी मूडी ने कहा है कि वर्ष 2016 में विदेशी निवेश का प्रवाह अब तक का सर्वाधिक था, इसने हमारी ‘मेक इन इण्डिया’ पहल कीसफलता को चिह्नांकित किया है।

मेक इन इण्डिया भारत का अब तक का सबसे बड़ा ब्राण्ड बन गया है।

देश में एवं देश के बाहर इसने लोगों, संस्थानों, उद्योगों, व्यापारों, मीडिया एवं राजनीतिक नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया है।

‘मेक इन इण्डिया’ क़वायद के हिस्से के रूप में हमने व्यापार करने में आसानी पर ज़ोर दिया है।

हमने लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर निर्णायक कदम उठाए हैं एवं अनुमति, रिटर्न एवं निरीक्षण संबंधी प्रावधानों को सुगम बनाया है।

यदि मैं कुछ अन्य संकेतकों के बारे में बताऊं तोः

• कई वैश्विक संस्थानों एवं एजेंसियों ने निवेश की दृष्टि से भारत को सर्वाधिक आकर्षक स्थान बताया है।

• व्यापार करने में आसानी के मामले में विश्व बैंक द्वारा हमारी वैश्विक रैंक स्थान बेहतर हुई है।

• भारत ने निवेश संबंधी आकर्षण पर अपनी UNCTAD रैंकिंग में भी सुधार किया है।

• अब तक रहे वें स्थान की बजाय हम अब वें स्थान पर हैं।

• विश्व आर्थिक फोरम के वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक में भी भारत ने 9 स्थानों का सुधार किया है।

हमारी नीतियों एवं कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव के कारण हमारे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है।

इसने हमें व्यापार करने में आसानी के मामले में अपनी प्रक्रियाओं का और अधिक सरलीकरण करने के लिये प्रेरित किया है।

विचारों को सहेजने एवं उपक्रमों के तौर पर विकसित करने के लिये एक नवीन स्टार्टअप इण्डिया कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।

इन कदमों का नौकरियों के बाज़ार के विस्तार पर एवं लोगों की खरीदने की क्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है।

अंततः यह सभी भारत को बेहतर जीवन स्तर एवं उच्चतर रहन सहन वाला स्थान की बनने की दिशा में ले जाते हैं।

हमने यह सुनिश्चित किया है कि हमारा विकास समावेशी हो एवं ग्रामीण एवं शहरी दोनों समुदायों का ध्यान रखा जाए।

हम मूलभूत क्षेत्रों एवं सामाजिक क्षेत्रों, दोनों में अगली पीढ़ी की अवसंरचना तैयार करने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

मित्रों,

हम दोनों देशों की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां, कम या अधिक मात्रा में, एक जैसी ही हैं।

मेरी सलाह यह है कि विकास के पहिए को फिर से गढ़ने की आवश्यकता नहीं है।

हम दोनों देश एक दूसरे की मदद के लिये अनोखे ढंग से तैयार हैं।

उदाहरणार्थः

प्रकृति हम दोनों पर दयालु रही है।

हमारे पास विशाल प्राकृतिक सम्पदा है।

आवश्यकता इनके सही ढंग से इस्तेमाल एवं आम आदमी के भले के लिये दीर्घकालिक उपयोग करने की है।

इस बारे में हम एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

हम विशेष रूप से आपकी खनन कम्पनियों के साथ कार्य करना चाहते हैं।

उनमें से कुछ भारत में पहले से सक्रिय हैं।

पर हम इस बारे में रणनीतिक सहयोग चाहते हैं।

इस बारे में हमारी रुचि एकतरफा नहीं है। दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन की चुनौती एवं तीव्र विकास की आवश्यकता हम दोनों के सामने है।

हम दोनों प्रगति के स्वच्छ एवं हरित मार्गों के लिये समर्पित हैं।

इसी के साथ हमें ऊर्जा संसाधनों की आवश्यकता भी है।

दुनिया के कई देशों की सहायता से हमने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाया है।

मैं आशा करता हूं कि हम इस फोरम का फायदा उठाएंगे।

हम दोनों देशों के पास विपरीत ऋतुओं का अनोखा फायदा है।

जब भारत में गर्मियां होती हैं, यहां सर्दियां होती हैं, एवं इसका विलोम भी होता है।

हम इस भौगोलिक लाभ का उपयोग एक दूसरे के फलों एवं सब्ज़ियों आदि को बेचने में कर सकते हैं।

भारत अपने विशाल घरेलू बाज़ार से आपके खाद्य प्रक्रमण उद्योग के लिये बड़े अवसर प्रस्तुत करता है।

इस क्षेत्र में हमारी साझेदारी हमारे किसानों एवं गांवों के लिये निधि लाएगी।

हम भारत में अवसंरचना के लिये बेहद महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं।

आज़ादी के दिनों से ही जो लक्ष्य लम्बित हैं उनको अब शीघ्रता से पूरा होना है।

हम इन कमियों को दूर करने के लिये साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं।

भारत आपको तकनीक एवं कौशल के क्षेत्र में मदद देने के लिये सबसे सही देश है।

इन क्षेत्रों में पहले से ही प्रयास जारी हैं।

पिछले वर्ष नई दिल्ली में भारत अफ्रीका फोरम समिट के दौरान हमने अगले पांच वर्ष में 50,000 अफ्रीकियों को भारत में शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है।

यह केवल कुछ उदाहरण हैं।

हम कई क्षेत्रों में मिलकर कार्य कर सकते हैं।

• रक्षा से लेकर दुग्धशाला तक;

• हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर तक ;

• दवाओं से लेकर मेडिकल पर्यटन तक ;

• व्यावहारिक कौशल से लेकर विज्ञान एवं तकनीक तक;

हमारे लिये अवसर हैं।

भारत आज सर्वाधिक खुली अर्थव्यवस्था है।

हमने सभी क्षेत्रों में एवं सभी संभव तरीक़ों से अपनी एफडीआई नीति को उदार बनाया है।

हमने अपने नियमों को सुगम बनाया है एवं व्यापार की स्थापना एवं विकास के लिये सरल बनाया है।

मित्रों,

अपनी बात ख़त्म करते हुए मैं यह कहना चाहता हूं कि हमने अपनी साझेदारी में संस्थागत गहराई जोड़ दी है।

ब्रिक्स व्यापार अनुबंधों एवं सीइओ फोरम ने हमारी साझेदारी को व्यापक बनाने में मदद की है।

आज हमने भारत-दक्षिण अफ्रीका सीइओ फोरम की तीसरी बैठक को सफलतापूर्वक संपन्न किया है।

हम आपकी अनुशंसाओं की कद्र करते हैं एवं उनको कार्यरूप में परिणत करने पर ध्यान देंगे।

व्यापार हेतु नियमित रूप से आने वाले यात्रियों के लिये दस वर्षीय ब्रिक्स वीज़ा लाने के लिये हम दक्षिण अफ्रीकी सरकार के शुक्रगुज़ार हैं।

भारतीय उद्योग इससे बेहद उत्साहित है।

इस वर्ष फरवरी में हमने दक्षिण अफ्रीका के लिये अपना ई-वीज़ा कार्यक्रम शुरू किया है।

यह अल्पावधि वाले पर्यटकों एवं व्यापार हेतु आने जाने वाले यात्रियों के लिये मान्य है।

अब आप भारत के लिये अपना वीज़ा अपने घर पर बैठे ई-मेल के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं, और वो भी बिना किसी क़ीमत !

मित्रों,

• आइये एक बार फिर से हाथ मिलाएं;

• आइये एक बार फिर से वचनबद्ध हों;

• यह निर्धनता के शत्रु से सामना करने के लिये आवश्यक है;

• यह संभवतः अधिक चुनौतीपूर्ण है;

• किंतु हमें सफल होना है;

• और यही हमारी अपने महान नेताओं को असल श्रद्धांजलि होगी;

धन्यवाद।