প্রধান মন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা বিশ্ব ভারতী য়ুনিভর্সিতী, শান্তিনিকেতনগী চহি চামা মপুং ফাবগী থৌরমদা ঙসি ভিদিও কনফরেন্সকী খুত্থাংদা ৱা ঙাংখ্রে।
থৌরম অসিদা ৱা ঙাংলদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি বিশ্ব ভারতীগী চহি চামাগী খোঙচৎ অসি য়াম্নবা অখন্নবা অমনি অমদি ভারত মচা খুদিংমক্কী চাউথোকচনবগী হিরম অমনি। মহাক্না হায়খি য়ুনিভর্সিতী অসি গুরুদেবনা ইমা ভারতীগীদমক্তা খঞ্জবা, মঙলান অমসুং কন্নবা হোৎনবগী তশেংনা অপুনবা অমনি। গুরুদেবনা থম্লম্বা পান্দমশিং ফংনবা বিশ্ব ভারতী, শ্রীনিকেতন অমসুং শান্তিনিকেতননা লেপ্তনা হোৎনবা অসিদা মহাক্না নুংঙাইবা ফোঙদোকখি।
প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি ঐখোয়গী লৈবাক্না মালেম পুম্বদা বিশ্ব ভারতীদগী থোরকপা পাউজেল শন্দোক্লি। মহাক্না মখা তারদুনা হায়খি ঙসি ভারতনা ইন্তরনেস্নেল সোলর এলাইএন্সকী খুত্থাংদা অকোইববু ঙাকশেনবদা মালেমদা মাংজিল থারি। মহাক্না হায়খি পেরিস একোর্দকী অকোইবগী পান্দমশিং ফংনবা অচুম্বা লম্বীদা চৎলিবা অচৌবা লৈবাকশিংগী মরক্তা অমত্তা ঙাইরবা লৈবাক ওইরি।
প্রধান মন্ত্রীনা য়ুনিভর্সিতী অসি লিংখৎহনখিবগী মরমশিং অদু নীংশিংখি। মহাক্না হায় নীংখা তম্বগী ইহৌগী পান্দমশিং অদুগা য়ুনিভর্সিতী অসিগী পান্দমশিং অদু মান্নখি। অদুবু হায়রিবা ইহৌশিং অসিগী য়ুম্ফম অদুদি মতম কয়াগী মমাংদগী থাখ্রবনি। প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি ভারতকী নীংখা তম্বগী ইহৌগী থৌনা অসি চহিচা কয়াদগী হৌরকখিবা ইহৌ কয়াদগী ফংখিবনি। ভক্তি ইহৌনা অসিনা ভারতকী পুক্নিং ৱাখল অমদি নাৎকী অমত্তা ওইবা ৱাখল্লোন অদুবু মপাঙ্গল হাপখি। মহাক্না হায়খি ভক্তিগী মতমদা ভারতকী শরুক পুম্নমক্তগী লাইনীংবশিংনা লৈবাক অসিগী নুংগী ওইবা ৱাখল্লোনশিং মাংহনদনা থম্নবা হোৎনখি। মহাক্না মখা তারদুনা হায়খি ভক্তিগী ইহৌ অসিনা অৱাবা খঙলিবা ভারতপু চহিচা কয়া নুংগী ওইবা ৱাখল্লোন পুনশিন্না অমদি থৌনা লৈনা হিংনবগী লম্বী য়াৎখি।
প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি শ্রী রামকৃষ্ণ পরমহন্সনা মরম ওইরগা ভারতনা স্বামি বিবেকানন্দ ফংজখিবনি। স্বামি বিবেকানন্দগী ভক্তি, লৌশিং অমসুং কর্মা, অহুম অসি মথানুংদা চেৎনা লৌজখিবনি। শ্রী মোদীনা হায়খি স্বামি বিবেকানন্দনা ইন্দিবিজ্যুএল অমসুং ইন্সতিত্যুসন শেমগৎপদা মীৎয়েং থমদুনা মীপুম খুদিং ইশ্বরগা মরী লৈননা উবা হৌখি অমরোমদনা ভক্তিগী মশিং হেনগৎলকখি অমসুং কর্মাগী মরমদা তাকপীখি। ভারতকী শরুক পুম্নমক্তগী লাকপা ভক্তি ইহৌগী কত্থোক্লবা লাইনীংবশিংনা মপাঙ্গল লৈবা য়ুম্ফম থোল্লমখি।
প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি চহি চা কয়াদগী চত্থরকখিবা ভক্তি ইহৌগা লোইননা কর্মগী ইহৌসু চত্থরমখি। প্রধান মন্ত্রীনা ছত্রপতি শিবাজী, মহারানা প্রতাপ, রানী লক্ষ্মীবাই, রানী চেনম্মা, ভগ্বান বিরসা মুন্দা অমসুং অতোপ্পা কয়াগী খুদম কয়া পীখি। ভারতকী মীয়াম্না মীনাই নাইথাং অমসুং শুপনম শাসনকী মায়োক্তা লান্থেংনখি। মহাক্না হায় অখাং কনবশিংনা কর্মাগী হৈশিংলবা খোঙথাংশিং অমসুং অরানবা তৌবা অমসুং ওৎনৈবগী মায়োক্তা মীচম প্রজাশিংনা লৈখিবা অদু অদুক্কী মতিক মতোম লোমলমখি অমসুং মসিনা তুংলমচৎতা ঐখোয়গী নীংখা তম্বগী ইহৌদা অচৌনা ইনোৎ অমা ওইখি।
প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি ভক্তি, কর্মা অমসুং জ্ঞানগী ইতিনফম অসিনা নীংখা তম্বগী ইহৌগী নুংগী ওইবা ৱাখল্লোন য়োকখৎখি। মহাক্না হায় লৌশিং লৈহনদুনা নীংখা তম্বগী লান অসি মাই পাক্নবা আইদিওলোজিকেল রিভোলুসন অমা শেম্বা অসি হৌজিক য়াম্না তঙাই ফদে অমসুং মসিগী ইরোইনা ভারতকী মঙাল লৈবা তুংলমচৎ অমগীদমক অনৌবা চারোন অমা শেম্বী শাবীবা তঙাই ফদে। মহাক্না হায়খি মসিদা মমিং লৈরবা এজুকেস্নেল ইন্সতিত্যুসনশিং, য়ুনিভর্সিতীশিংনা য়াম্না চাউবা থৌদাং অমা লৌরি। এজুকেস্নেল ইন্সতিত্যুসনশিং অসিনা ভারতকী নীংখা তম্বগী চংশিল্লিবা আইদিওলোজিকেলগী ওইবা ইহৌ অসিদা অনৌবা থৌনা, অনৌবা মায়োল, অনৌবা থাক ফংহনখি।
প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি ভক্তিগী ইহৌনা ঐখোয়বু অমত্তা ওইহনখি, জ্ঞানগী ইহৌনা লৌশিংগী পাঙ্গল হাপখি অমসুং কর্মাগী ইহৌনা ঐখোয়গী হকশিংগীদমক লান্থেংননবা থৌনা হাপখি। মহাক্না হায়খি চহি চা কয়া চত্থখিবা নীংখা তম্বগী ইহৌ অসি কত্থোকপা, চেৎনা নীংজবা অমসুং অরানবা তৌবদা চুমথোকচবগী তোপ-তোপ্পা খুদম অমা ওইহনখি। মসিগী ইহৌশিং অসিনা ইথিল পীদুনা মীওই লিশিং কয়ানা নীংখা তম্বগী ইহৌ অসিদা থৱাই-থাজরগে হায়না চোংথোক্নরকখি।
প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি বেদদগী বিবেকানন্দ ফাওবা অসি ভারতকীদমক্তা খঞ্জরিবা গুরুদেবকী লৈবাক নীংবগী ৱাখল্লোনগী মনুং চনখি। মসিগী ৱাখল্লোন অসি অরানবা নত্তে। মসিনা ভারতপু মালেমগী অতোপ্পা লৈবাকশিংদগী তোঙান্না তাহনগদবা নত্তে। ভারতকী অফবশিংদগী মালেমনা কান্নবা ফংবা অমসুং মালেমগী অফবশিংদগীসু ভারতনা কান্নবা লৌবা হায়বসি মহাক্কী মঙলান্নি। ‘বিশ্ব-ভারত্তী’ হায়বা মমিং অসিনা ভারত অমদি মালেমগী মরক্তা লৈনরিবা মরী অদু তাক্লি। বিশ্ব-ভারতীগীদমক্তা গুরুদেবনা খঞ্জরম্বা অসি মরোমদোম লেপচবা ঙম্বা ভারতকী ৱাখল্লোনগা মান্নবনি। মরোমদোম লেপচবা ভারতকী কেম্পেন অসি ভারতনা নুংঙাই-য়াইফদুনা মালেম্বুসু নুংঙাই-য়াইফহন্নবা লম্বীসু ওইরি। কেম্পেন অসি ভারতবু থৌনা হাপ্নবা কেম্পেন অমনি, ভারতকী য়াইফবা পুরক্তুনা মালেমগী য়াইফনবগীদমক্তা চত্থবা কেম্পেন অমনি হায়না শ্রী মোদীনা ফোঙদোকখি।
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विश्वभारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
विश्वभारती, माँ भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है।
भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है: PM
हमारा देश, विश्व भारती से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भारत आज international solar alliance के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है।
भारत आज इकलौता बड़ा देश है जो Paris Accord के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सही मार्ग पर है: PM
जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी।
भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी: PM
भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भक्ति युग में,
हिंदुस्तान के हर क्षेत्र,
हर इलाके, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण,
हर दिशा में हमारे संतों ने,
महंतों ने,
आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया: PM
भक्ति आंदोलन वो डोर थी जिसने सदियों से संघर्षरत भारत को सामूहिक चेतना और आत्मविश्वास से भर दिया: PM
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भक्ति का ये विषय तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महान काली भक्त श्रीरामकृष्ण परमहंस की चर्चा ना हो।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
वो महान संत, जिनके कारण भारत को स्वामी विवेकानंद मिले।
स्वामी विवेकानंद भक्ति, ज्ञान और कर्म, तीनों को अपने में समाए हुए थे: PM
उन्होंने भक्ति का दायरा बढ़ाते हुए हर व्यक्ति में दिव्यता को देखना शुरु किया।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
उन्होंने व्यक्ति और संस्थान के निर्माण पर बल देते हुए कर्म को भी अभिव्यक्ति दी, प्रेरणा दी: PM
भक्ति आंदोलन के सैकड़ों वर्षों के कालखंड के साथ-साथ देश में कर्म आंदोलन भी चला।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भारत के लोग गुलामी और साम्राज्यवाद से लड़ रहे थे।
चाहे वो छत्रपति शिवाजी हों, महाराणा प्रताप हों, रानी लक्ष्मीबाई हों, कित्तूर की रानी चेनम्मा हों, भगवान बिरसा मुंडा का सशस्त्र संग्राम हो: PM
अन्याय और शोषण के विरुद्ध सामान्य नागरिकों के तप-त्याग और तर्पण की कर्म-कठोर साधना अपने चरम पर थी।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
ये भविष्य में हमारे स्वतंत्रता संग्राम की बहुत बड़ी प्रेरणा बनी: PM
जब भक्ति और कर्म की धाराएं पुरबहार थी तो उसके साथ-साथ ज्ञान की सरिता का ये नूतन त्रिवेणी संगम, आजादी के आंदोलन की चेतना बन गया था।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
आजादी की ललक में भाव भक्ति की प्रेरणा भरपूर थी: PM
समय की मांग थी कि ज्ञान के अधिष्ठान पर आजादी की जंग जीतने के लिए वैचारिक आंदोलन भी खड़ा किया जाए और साथ ही उज्ज्वल भावी भारत के निर्माण के लिए नई पीढ़ी को तैयार भी किया जाए।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
और इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई, कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों ने, विश्वविद्यालयों ने: PM
इन शिक्षण संस्थाओं ने भारत की आज़ादी के लिए चल रहे वैचारिक आंदोलन को नई ऊर्जा दी, नई दिशा दी, नई ऊंचाई दी।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए,
ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मज़बूती दी और
कर्म आंदोलन ने हमें अपने हक के लिए लड़ाई का हौसला और साहस दिया: PM
सैकड़ों वर्षों के कालखंड में चले ये आंदोलन त्याग, तपस्या और तर्पण की अनूठी मिसाल बन गए थे।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
इन आंदोलनों से प्रभावित होकर हज़ारों लोग आजादी की लड़ाई में बलिदान देने के लिए आगे आए: PM
वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी।
वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी: PM
उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए: विश्व-भारती।
मां भारती और विश्व के साथ समन्वय: PM
विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।
ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है: PM
Speaking at #VisvaBharati University. Here is my speech. https://t.co/YH17s5BAll
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
विश्व भारती की सौ वर्ष की यात्रा बहुत विशेष है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
मुझे खुशी है कि विश्व भारती, श्रीनिकेतन और शांतिनिकेतन निरंतर उन लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं, जो गुरुदेव ने तय किए थे।
हमारा देश विश्व भारती से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। pic.twitter.com/j9nhrzv0WL
जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19वीं और 20वीं सदी का विचार आता है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
लेकिन इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी। भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए, ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मजबूती दी और कर्म आंदोलन ने लड़ने का हौसला दिया। pic.twitter.com/tjKTpaFKKF
गुरुदेव सर्वसमावेशी, सर्वस्पर्शी, सह-अस्तित्व और सहयोग के माध्यम से मानव कल्याण के बृहद लक्ष्य को लेकर चल रहे थे।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
विश्व भारती के लिए गुरुदेव का यही विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। pic.twitter.com/zel7VOHWoC
विश्व भारती की स्थापना के 27 वर्ष बाद भारत आजाद हो गया था।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
अब से 27 वर्ष बाद भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाएगा।
हमें नए लक्ष्य गढ़ने होंगे, नई ऊर्जा जुटानी होगी, नए तरीके से अपनी यात्रा शुरू करनी होगी। इसमें हमारा मार्गदर्शन गुरुदेव के ही विचार करेंगे। pic.twitter.com/nTha5OJlwx
गुरुदेव ने विश्व भारती की स्थापना सिर्फ पढ़ाई के एक केंद्र के रूप में नहीं की थी। वे इसे ‘Seat of Learning’, सीखने के एक पवित्र स्थान के तौर पर देखते थे।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
ऐसे में, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में विश्व भारती की बड़ी भूमिका है। pic.twitter.com/dwMGTZfKxQ
गुरुदेव का जीवन हमें एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से भरता है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
यह दिखाता है कि कैसे विभिन्नताओं से भरा हमारा देश एक है, एक-दूसरे से कितना सीखता रहा है।
यही संस्कार गुरुदेव ने भी विश्वभारती को दिए हैं। इन्हीं संस्कारों को हमें मिलकर निरंतर मजबूत करना है। pic.twitter.com/MGZ8OLI56A