गुजरात के मुख्यमंत्री, श्री विजय रुपानी जी, उपमुख्यमंत्री श्री नितिन पटेल जी, गुजरात सरकार के मंत्रिगण, सांसदगण, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, की अयो कच्छी माडुओ? शी केड़ो आय? शियारो अने कोरोना, बोय मे ध्यान रखजा ! अज कच्छ अची, मुके, बेवडी खुशी थई रही आय, बेवड़ी ऐटले आय,के कच्छड़ों मुझे धिल जे बोरो वटे आय, ब्यो एतरे के, अज, कच्छ गुजरात ज न, पण, देश जी ओड़ख मे पण, हकड़ो तारो, जोडेलाय वेने तो।
आज गुजरात और देश के महान सपूत, सरदार वल्ल्भ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि भी है। मां नर्मदा के जल से गुजरात का कायाकल्प करने का सपना देखने वाले सरदार साहेब का सपना तेजी से पूरा हो रहा है। केवड़िया में उनकी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, हमें दिन-रात एकजुट होकर देश के लिए काम करने की प्रेरणा देती है। सरदार साहब का स्मरण करते हुए हमें इसी तरह देश और गुजरात का गौरव बढ़ाते ही रहना है।
साथियों,
आज कच्छ में भी नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। सोचिए, हमारे कच्छ में, दुनिया का सबसे बड़ा Hybrid Renewable Energy पार्क। और ये कितना बड़ा है? जितना बड़ा सिंगापुर देश है, बहरीन देश है, लगभग उतने बड़े क्षेत्र में कच्छ का ये Renewable Energy पार्क होने वाला है। अब आपको अंदाज आता होगा कि कितना विशाल होने वाला है। 70 हजार हेक्टेयर, यानि भारत के बड़े-बड़े शहरों से भी बड़ा ये कच्छ का Renewable Energy पार्क। ये जब सुनते हैं न, ये शब्द कान में पड़ते हैं ये सुनकर ही कितना अच्छा लगता है ! लगता है कि नहीं लगता है कच्छ वालों को ! मन कितना गर्व से भर जाता है !
साथियों,
आज कच्छ ने New Age Technology और New Age Economy, दोनों ही दिशा में बहुत बड़ा कदम उठाया है। खावड़ा में Renewable Energy पार्क हो, मांडवी में डी-सेलीनेशन plant हो, और अंजार में सरहद डेहरी के नए ऑटोमैटिक प्लांट का शिलान्यास, तीनों ही कच्छ की विकास यात्रा में नए आयाम लिखने वाले हैं। और इसका बहुत बड़ा लाभ यहां के मेरे किसान भाईयों बहनों को, पशुपालक भाईयों बहनों को, यहां के सामान्य नागरिकों को और विशेषकर हमारी माताओं बहनों को होने वाला है।
साथियों,
मैं जब कच्छ के विकास की बात करता हूं तो मन में बहुत सारी पुरानी सारी यादें सारी तस्वीरें एक साथ आने लगती हैं। एक समय कहा जाता था कच्छ इतनी दूर है, विकास का नामोनिशान नहीं है, कनेक्टिविटी नहीं है। बिजली-पानी-सड़क, चुनौती का एक प्रकार से दूसरा नाम ही ये था। सरकार में भी ऐसा कहा जाता था। कि अगर किसी को Punishment posting देना है तो कच्छ में भेज दो और लोग भी कहते थे काला पानी की सजा हो गई। आज स्थिति ऐसी है लोग सिफारिश करते हैं मुझे कुछ समय कच्छ में मौका मिल जाये काम करने का। कुछ लोग तो ये भी कहते थे कि इस क्षेत्र में विकास कभी हो ही नहीं सकता। ऐसे ही हालात में कच्छ में भूकंप की त्रासदी भी आई। जो भी बचा-खुचा था, भूकंप ने वो भी तबाह कर दिया था। लेकिन एक तरफ माता आशापुरा देवी और कोटेश्वर महादेव का आशीर्वाद, तो दूसरी तरफ कच्छ के मेरे खमीरवंत लोगों का हौसला, उनकी मेहनत, उनकी इच्छाशक्ति। सिर्फ कुछ ही वर्षों में इस इलाके के लोगों ने वो कर दिखाया, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। कच्छ के लोगों ने निराशा को आशा में बदला। मैं समझता हूं यही तो माता आशापुरा देवी का आर्शीवाद है। यहां निराशा का नाम नही, आशा ही आशा होती है। भूकंप ने भले उनके घर गिरा दिए थे, लेकिन इतना बड़ा भुकंप भी कच्छ के लोगो के मनोबल को नहीं गिरा पाया। कच्छ के मेरे भाई-बहन फिर खड़े हुए। और आज देखिए, इस क्षेत्र को उन्होंने कहां से कहां पहुंचा दिया है।
साथियों,
आज कच्छ की पहचान बदल गई है, आज कच्छ की शान और तेजी से बढ़ रही है। आज कच्छ देश के तेज़ी से विकसित होते क्षेत्रों में से एक अहम श्रेत्र बन गया है। यहां की कनेक्टिविटी दिनों-दिन बेहतर हो रही है। इस सीमावर्ती इलाके में लगातार पलायन, और पहले तो जनसंख्या का हिसाब देख लिजिये, Minus Growth होता था। और जगह पर जनसंख्या बढ़ती थी यहां कम होती थी क्योंकि लोग चले जाते थे और ज्यादातर सीमावर्ती इलाके से लोग पलायन कर जाते थे, और उसके कारण सुरक्षा के लिए भी मुश्किल पैदा होना स्वाभाविक था। अब जब पलायन रुका है, तो जो गांव कभी खाली हो रहे थे, उनमें रहने के लिए लोग वापस आते जा रहे हैं। इसका बहुत बड़ा सकारात्मक प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ा है।
साथियों,
जो कच्छ कभी वीरान रहता था, वही कच्छ देश और दुनिया के पर्यटकों का प्रमुख केंद्र बन रहा है। कोरोना ने जरूर मुश्किलें खड़ी की हैं लेकिन कच्छ का सफ़ेद रण, कच्छ का रणोत्सव पूरी दुनिया को आकर्षित करता है। औसतन 4 से 5 लाख टूरिस्ट रण-उत्सव के दौरान यहां आते हैं, सफेद रेगिस्तान और नीले आसमान का आनंद उठाते हैं। इस तरह के बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, कच्छ के स्थानीय सामानों की इतने बड़े पैमाने पर बिक्री, यहां पारंपरिक खानपान की लोकप्रियता, एक जमाने में कोई सोच भी नहीं सकता था। आज मुझे कई मेरे पुराने जान पहचान वालों से गप्पे – गोष्टी करने का मौका मिल गया। तो ऐसे ही मुझे बता रहे थे। बोले अब तो हमारे बच्चे अंग्रेजी बोलना सीख गए। मैने कहा कैसे, बोले अब तो हम Home Stay करते हैं। हमने घरों की रचना की है तो Home Stay के लिए लोग रहते हैं। तो हमारे बच्चे भी बोलते बोलते बहुत कुछ सीख गए हैं। कच्छ ने पूरे देश को दिखाया है कि अपने संसाधनों पर, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए किस तरह आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ा जा सकता है। मैं दुनिया के डवलपमेंट एक्सपर्ट्स, यूनिवर्सिटीज रिसर्चरस इससे जुड़े लोगों से कहूंगा कि भूकंप के बाद जिस तरह कच्छ का चौतरफ विकास हुआ है, मुझे लगता है ये केस स्टडी है उसकी स्टडी की जानी चाहिए, रिसर्चरस करना चाहिए और ये किस प्रकार से मॉडल काम कर रहा है। इतने बड़े भयंकर भुकंप हादसे के दो दशक के अंदर – अंदर इतना बड़ा सर्वांगीण विकास हर क्षेत्र में वो भी जहां ज्यादातर भूमी सिर्फ – सिर्फ रेगिस्तान है। ये अध्यन का विषय है।
साथियों,
मैं हमेशा मानता हूं ईश्वर की मुझ पर कई कृपा रही हैं और ईश्वर की कृपा का ही कारण होगा शायद कि मुझे भी उस भूकंप के समय विशेष रूप कच्छ के लोगों की सेवा करने का ईश्वर ने अवसर दिया। इसे संयोग ही कहेंगे कि भूकंप के अगले साल बाद, जब राज्य में चुनाव हुए, तो जिस दिन नतीजे आए, वो तारीख भी 15 दिसंबर थी और आज 15 दिसंबर है। कोई कल्पना नही कर सकता था कि इतने बड़ भूकंप के बाद यहां पर हमारी पार्टी को लोग आर्शीवाद देंगे। बड़ी नकारात्मक चर्चा चल रही थी। उस चुनाव में जब 15 दिसंबर को रिजल्ट आया तो देखा कच्छ ने जो प्यार बरसाया, आर्शीवाद दिये वो आज भी उसी परंपरा चल रही है। आज भी देखिये आपके आर्शीवाद। वैसे साथियों, आज 15 दिसंबर की तारीख के साथ एक और संयोग जुड़ा हुआ है। शायद कई लोगों के लिए जानकारी सुखद आशचर्य होगी। देखिए हमारे पुवर्ज भी कितनी लंबी सोच रखते थे। कितने दूर का सोचते थे। आजकल कभी कभी नई पीढ़ी की सोच वाले लोग, पुराना सब निकम्मा है, बेकार है एसी बाते करते है ना, मैं एक घटना सुनाता हूं। आज से 118 साल पहले, आज ही के दिन 15 दिसंबर को ही अहमदाबाद में एक Industrial Exhibition का उद्घाटन किया गया था। इस Exhibition का मुख्य आकर्षण था- भानुताप यंत्र। यानि 118 साल पहले यहां के हमारे Entrepreneur की सोच देखिए। भानुताप यंत्र यानि सूर्यताप यंत्र, ये सबसे बड़े आकर्षण का कारण था। भानुताप यंत्र ने सूर्य की गर्मी से चलने वाला यंत्र। और एक तरह से सोलर कुकर की तरह उन्होंने विकसित किया। आज 118 साल बाद अब आज 15 दिसंबर को ही सूरज की गर्मी से चलने वाले इतने बड़े Renewable Energy पार्क का उद्घाटन किया गया है। इस पार्क में सौलर के साथ-साथ पवन ऊर्जा, दोनों से करीब 30 हजार मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता होगी। इस Renewable Energy पार्क में करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा। सोचिए, रेगिस्तान की कितनी बड़ी भूमि का सदुपयोग होगा। सीमा के साथ पवन चक्कियां लगने से सीमा सुरक्षा भी और अधिक बेहतर होगी। आम लोगों का बिजली का बिल कम करने के जिस लक्ष्य को लेकर देश चल रहा है, उसे भी मदद मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से किसानों और उद्योगों दोनों को बहुत बड़ा लाभ होगा। और सबसे बड़ी बात, इससे प्रदूषण कम होगा, हमारे पर्यावरण को भी लाभ होगा। इस Renewable Energy पार्क में जो बिजली बनेगी, वो प्रतिवर्ष 5 करोड़ टन कार्बन डायोक्साइड एमिशन को रोकने में मदद करेगी और ये जो काम होने वाला है, अगर उसको पर्यावरण के हिसाब से देखना है तो ये काम करीब-करीब 9 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर होगा। ये एनर्जी पार्क, भारत में Per Capita कार्बन डायोक्साइड emission को भी कम करने में बहुत बड़ा योगदान देगा। इससे करीब एक लाख लोगों को रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे। इसका बहुत बड़ा लाभ कच्छ के मेरे युवाओं को होगा।
साथियों,
एक समय था जब गुजरात के लोगों की मांग होती थी कि कम से कम रात में खाना खाते समय तो कुछ देर बिजली मिल जाए। आज गुजरात, देश के उन राज्यों में से एक है जहां शहर हो या गांव, 24 घंटे बिजली सुनिश्चित की जाती है। आज जो 20 साल का नौजवान होगा उसे पता नहीं होगा की पहले क्या हालत थी। उसे तो अंदाज भी नही होगा कि इतना बड़ा बदलाव आया है। ये बदलाव गुजरात के लोगों के अथक प्रयासों से ही संभव हो पाया है। अब तो किसानों के लिए किसान सूर्योदय योजना के तहत, अलग से पूरा नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है। किसानों को रात में सिंचाई की मजबूरी ना हो, इसके लिए विशेष लाइनें बिछाई जा रही हैं।
भाइयों और बहनों,
गुजरात देश का पहला राज्य है जिसने सौर ऊर्जा को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाईं, निर्णय लिए। हमने नहरों तक पर सोलर पैनल लगा दिए जिसकी चर्चा विदेशों तक में हुई है। मुझे याद है जब गुजरात ने सोलर पावर को बढ़ावा देना शुरू किया था, तो ये भी बात आई थी कि इतनी महंगी बिजली का क्या करेंगे? क्योंकि जब गुजरात ने इतना बड़ा कदम उठाया था तब सोलर पावर उससे जो बिजली थी वो 16 रुपए या 17 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलने की बात थी। लेकिन भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए गुजरात ने इस पर काम जारी रखा। आज वही बिजली गुजरात ही नहीं पूरे देश में 2 रुपए, 3 रुपए प्रति यूनिट बिक रही है। गुजरात ने तब जो काम किया था, उसके तब के अनुभव आज देश को दिशा दिखा रहे हैं। आज भारत Renewable energy के उत्पादन के मामले में दुनिया की चौथी बड़ी ताकत है। हर हिन्दुस्तानी को गर्व होगा दोस्तों, बीते 6 साल में हमारी सौर ऊर्जा, उसकी हमारी क्षमता 16 गुणा बढ़ गई है। हाल में एक क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट रैंकिंग आई है। इस क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट रैंकिंग जो है 104 देशों का मूल्यांकन हुआ है और नतीजा ये निकला है कि दुनिया के 104 देशों में पहले तीन में भारत ने अपनी जगह बना ली है। क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई में अब भारत, पूरी दुनिया को दिशा दिखा रहा है, नेतृत्व कर रहा है।
साथियों,
21वीं सदी के भारत के लिए जिस तरह Energy Security जरूरी है, उसी तरह Water Security भी महत्वपूर्ण है और मेरा शुरू से ये कमिटमेंट रहा है कि पानी की कमी की वजह से न लोगों का विकास रुकना चाहिए और न ही किसी क्षेत्र का विकास रुकना चाहिए। पानी को लेकर भी गुजरात ने जो काम किया है, वो आज देश के लिए दिशादर्शक बना है। एक समय था जब कच्छ में मां नर्मदा का पानी पहुंचाने की बात की जाती थी, तो कुछ लोग मजाक उड़ाते थे। वो यही कहते थे, ये तो राजनीतिक बातें हैं, होने वाला कुछ नहीं है। कभी – कभी लोग कहते थे 600-700 किलोमीटर दूर मां नर्मदा वहां से पानी यहां कैसे पहुंच सकता है। ये कभी भी नहीं होगा। आज कच्छ में नर्मदा का पानी भी पहुंच रहा है और मां नर्मदा का आशीर्वाद भी मिल रहा है। कच्छ का किसान हो या सरहद पर खड़ा जवान, दोनों के लोगो की पानी की चिंता दूर हुई है। मैं यहां के लोगों की विशेष प्रशंसा करूंगा जिन्होंने जल संरक्षण को एक जन-आंदोलन में बदल दिया। गांव-गाव में लोग आगे आए, पानी समितियां बनीं, महिलाओं ने भी मोर्चा संभाला, चेक डैम्स बनाए, पानी की टंकियां बनाईं, नहरें बनाने में मदद की। मैं वो दिन कभी भूल नहीं सकता, जब नर्मदा का पानी यहां पहुंचा था, वो दिन मुझे बराबर याद था, जिस दिन मां नर्मदा का पानी पहुंचा, शायद दुनियां में कहीं पर भी कच्छ ही होगा जब नर्मदा मा यहां कच्छ की धरती पर पहुंची थी हर किसी की आंख में हर्ष के आसूं बह रहे थे। वो दृश्य मैने देखा था। पानी क्या है, ये कच्छ को लोग जितना समझ सकते हैं शायद कोई समझ सकता है। गुजरात में पानी के लिए जो विशेष ग्रिड बनाए गए, नहरों का जाल बिछाया गया, उसका लाभ अब करोड़ों लोगों को हो रहा है। यहां के लोगों के प्रयास, राष्ट्रीय स्तर पर जल जीवन मिशन का भी आधार बने हैं। देश में हर घर में पाइप से पानी पहुंचाने का अभियान तेज गति से चल रहा है। सिर्फ सवा साल के भीतर इस अभियान के तहत करीब-करीब 3 करोड़ घरों तक पानी का पाइप पहुंचाया गया है। यहां गुजरात में भी 80 प्रतिशत से अधिक घरों में नल से जल की सुविधा पहुंच चुकी है। मुझे बताया गया है कि अगले कुछ समय में ही गुजरात के हर जिले में पाइप से पानी की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
भाइयों और बहनों,
पानी को घरों तक पहुंचाने के साथ-साथ पानी के नए स्रोत बनाना भी बहुत ज़रूरी है। इसी लक्ष्य के साथ ही समंदर के खारे पानी को शुद्ध करके इस्तेमाल करने की व्यापक योजना पर भी काम हो रहा है। मांडवी में तैयार होने वाला Desalination plant, नर्मदा ग्रिड, सौनी नेटवर्क और वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट जैसे प्रयासों को और विस्तार देगा। पानी सफाई का ये प्लांट जब तैयार हो जाएगा तो इससे मांडवी के अलावा मुंद्रा, नखातराना, लखपत और अबदासा के लाखों परिवारों को लाभ होगा। इस प्लांट से इन क्षेत्र के करीब-करीब 8 लाख लोगों को रोज टोटल मिलाकर के 10 करोड़ लीटर साफ पानी की सप्लाई हो सकेगी। एक और लाभ ये होगा कि सैकड़ों किलोमीटर दूर से यहां आ रहा नर्मदा का पानी, उसका भी हम ज्यादा सदुपयोग कर पाएंगे। ये पानी कच्छ के अन्य तालुका, जैसे रापर, भचाऊ, गांधीधाम और अंजार को सुचारू रूप से मिल सकेगा।
साथियों,
कच्छ के अलावा दहेज, द्वारका, घोघा भावनगर, गीर सोमनाथ वहां पर भी ऐसे प्रोजेक्ट्स आने वाले समय में शुरू होने जा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि समंदर किनारे बसे दूसरे राज्यों को भी मांडवी का ये प्लांट, नई प्रेरणा देगा, उन्हें प्रोत्साहित करेगा।
भाइयों और बहनों,
समय और ज़रूरत के साथ बदलाव करना, यही कच्छ की, गुजरात की ताकत है। आज गुजरात के किसान, यहां के पशुपालक, यहां के हमारे मछुआरे साथी, पहले से कहीं बेहतर स्थिति में है। इसका एक कारण ये भी है कि यहां खेती की परंपरा को आधुनिकता से जोड़ा गया, फसलों की विविधता पर फोकस किया गया। कच्छ सहित गुजरात में किसान ज्यादा डिमांड और ज्यादा कीमत वाली फसलें, उसकी तरफ मुड़ गए और आज उसमें आगे बढ़ रहे हैं। अब यहीं हमारे कच्छ में से देखिए, यहां के खेत उत्पादन विदेशों में एक्सपोर्ट हो, क्या किसी ने कभी सोचा था, आज हो रहे हैं यहां खजूर, यहां कमलम और ड्रैगन फ्रूट जैसे उत्पादों की खेती ज्यादा होने लगी है। सिर्फ डेढ़ दशक में गुजरात में कृषि उत्पादन में डेढ़ गुणा से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
भाइयों और बहनों,
गुजरात में कृषि सेक्टर मजबूत होने का एक और बड़ा कारण ये रहा कि यहां बाकी उद्योगों की तरह ही खेती से जुड़े व्यापार में भी सरकार टांग नही अड़ाती, दखल नहीं करती है। सरकार अपनी दखल बहुत सीमित रखती है, खुला छोड़ दिया है। आज हम देखते हैं कि डेयरी और फिशरीज़ इससे जुड़े दो सेक्टर ऐसे हैं, जो देश में सबसे तेज़ी से विकास हो रहा हैं। बहुत कम लोगों ने इसका स्टडी किया है, बहुत कम लोग इसको लिखते हैं। गुजरात में भी दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं। सरकार जरूरी सहूलियत देती है, बाकी का काम या तो Co-operatives सेक्टर वाले करते हैं, या तो हमारे किसान भाई- बहन करते हैं। आज अंजार की सरहद डेयरी भी इसका एक उत्तम उदाहरण है। मुझे याद है कच्छ में डेयरी होनी चाहिए इस बात को लेकर के शुरू में बात करता था तो जिससे मिलू सब निराशा की बात करते थे। यहां क्या, ठीक है थोड़ा बहुत हम इधर-उधर कर देते हैं। मैने कहा भई छोटे से भी शुरू करना है। देखते हैं क्या होता हैं, वो छोटा सा काम आज कहां पहुंच गया देखिये। इस डेयरी ने कच्छ के पशुपालकों का जीवन बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। कुछ साल पहले तक कच्छ से और वो भी बहुत कम मात्रा में दूध को प्रोसेसिंग के लिए गांधीनगर की डेयरी में लाया जाता था। लेकिन अब वही प्रोसेसिंग अंजार के डेयरी प्लांट में हो रही है। इससे हर दिन ट्रांसपोर्टेशन में ही किसानों के लाखों रुपए बच रहे हैं। अब सरहद डेयरी के ऑटोमैटिक प्लांट की क्षमता और बढ़ने जा रही है। आने वाले दिनों में यहां का डेयरी प्लांट हर दिन 2 लाख लीटर ज्यादा दूध की प्रोसेसिंग करेगा। इसका आसपास के जिलों के पशुपालकों को बहुत लाभ होगा। यही नहीं, नए प्लांट में दही, बटर मिल्क, लस्सी मक्खन, खोआ जैसे अनेक मिल्क प्रोडक्ट्स में वैल्यू एडिशन भी संभव हो पाएगा।
साथियों,
डेयरी सेक्टर में जिन पशुपालकों को लाभ हो रहा है उसमें से ज्यादातर छोटे किसान ही हैं। किसी के पास 3-4 पशु हैं, किसी के पास 5-7, और ऐसा करीब-करीब पूरे देश में ही है। यहां कच्छ की बन्नी भैंस तो दुनिया में अपना नाम कमा रही है। कच्छ में तापमान चाहे 45 डिग्री हो या फिर तापमान शून्य से नीचे हो, बन्नी भैंस आराम से सबकुछ सहती हैं और बहुत मौज से रहती है। इसे पानी भी कम चाहिए और चारे के लिए दूर-दूर तक चलकर जाने में बन्नी की भैंस को कोई दिक्कत नहीं होती है। एक दिन में ये भैंस औसतन करीब-करीब 15 लीटर दूध देती है और इससे सालाना कमाई 2 से 3 लाख रुपए तक की होती है। मुझे बताया गया है कि अभी हाल ही में एक बन्नी भैंस 5 लाख रुपए से भी ज्यादा में बिकी है। देश के और लोग सुनते होंगे उनको आशचर्य होगा, बन्नी की भैंस 5 लाख रूपया, यानि जितने में 2 छोटी कार खरीदें इतने में बन्नी की एक भैंस मिलती है।
साथियों,
साल 2010 में बन्नी भैंस को राष्ट्रीय मान्यता मिली थी। आजादी के बाद भैंस की ये पहली ब्रीड थी जिसे राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की मान्यता मिली।
साथियों,
बन्नी भैंस के दूध का कारोबार और उसके लिए बनी व्यवस्था यहां कच्छ में बहुत सफल रही है। देश में बाकी जगह पर भी दूध उत्पादक और दूध का व्यवसाय करने वाला प्राइवेट और कोऑपरेटिव सेक्टर,
दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं और एक बेहतरीन सप्लाई चेन उन्होंने खड़ी की है। इसी तरह फल-सब्ज़ी से जुड़े व्यवसाय में भी ज्यादातर बाज़ारों पर सरकारों का सीधा दखल नहीं है।
साथियों,
ये उदाहरण मैं विस्तार से इसलिए दे रहा हूं क्योंकि आजकल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है। उन्हें डराया जा रहा है कि नए कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे।
भाईयों-बहनों,
मैं आपसे जानना चाहता हूं, क्या कोई डेयरीवाला आपसे दूध लेने का कान्ट्रेक्ट करता है तो आपकी गाय-भैंस ले जाता है क्या? कोई फल-सब्जी खरीदने उद्यम करता है तो क्या आपकी जमीन ले जाता है क्या आपकी प्रॉपर्टी उठाकर ले जाता है क्या?
साथियों,
हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान, कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में 25 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
ये योगदान करीब-करीब 8 लाख करोड़ रुपए होता है। दूध उत्पादन का कुल मूल्य, अनाज और दाल के कुल मूल्य से भी ज्यादा होता है। इस व्यवस्था में पशुपालकों को आजादी मिली हुई है। आज देश पूछ रहा है कि ऐसी ही आजादी अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए?
साथियों,
हाल में हुए कृषि सुधारों की मांग, बरसों से की जा रही थी। अनेक किसान संगठन भी पहले ही मांग करते थे कि अनाज को कहीं पर भी बेचने का विकल्प दिया जाए। आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वो भी अपनी सरकार के समय, इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे। लेकिन अपनी सरकार के रहते वो निर्णय नहीं ले पाए, किसानों को झूठे दिलासे देते रहे। आज जब देश ने ये ऐतिहासिक कदम उठा लिया, तो यही लोग किसानों को भ्रमित करने में जुट गए हैं। मैं अपने किसान भाई-बहनों से फिर एक बार कह रहा हूं बार-बार दोहराता हूं कि उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है। किसानों का हित, पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है। खेती पर किसानों का खर्च कम हो, उन्हें नए-नए विकल्प मिलें, उनकी आय बढ़े, किसानों की मुश्किलें कम हों, इसके लिए हमने निरंतर काम किया है। मुझे विश्वास है, हमारी सरकार की ईमानदार नीयत, हमारी सरकार के ईमानदार प्रयास और जिसको करीब-करीब पूरे देश ने आर्शीवाद दिए हैं, देश के हर कोने के किसानों ने आर्शीवाद दिए हैं, मुझे विश्वास है देशभर के किसानों की आर्शीवाद की ये ताकत, जो भ्रम फैलाने वाले लोग हैं, जो राजनीति करने पर तुले हुए लोग हैं, जो किसानों के कंधे पर बंदूके फोड़ रहे हैं, देश के सारे जागरूक किसान उनको भी परास्त करके रहेंगे।
भाईयों-बहनों,
इसी के साथ मैं फिर एक बार कच्छ को अनेक – अनेक बधाई देता हूं। अभी कुछ देर में, जब मैं यहां आया हूं तो प्रलोत्सव के प्रति मेरा आकर्षण तो रहता ही है, कच्छ की विरासत, यहां की सांस्कृति को नमन कर रहे एक और कार्यक्रम प्रलोत्सव का भी हिस्सा लूंगा। फिर से एक बार थोड़ा उस पल को जीने का प्रयास करूंगा। कच्छ के विश्व प्रसिद्ध White Desert की यादें भी अपने साथ फिर एक बार दिल्ली ले जाउंगा।कच्छ विकास की नई ऊंचाइयां छूता रहे, मेरी हमेशा यही कामना रहेगी। मैं फिर एक बार आप सबको बहुत बहुत बधाई देता हूं। बहुत – बहुत शूभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत आभार !!!
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DS/SH/DK
Speaking at the Foundation Stone Laying Ceremony of development projects in Kutch. https://t.co/1LwsxK9GB5
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
आज कच्छ ने New Age Technology और New Age Economy, दोनों ही दिशा में बहुत बड़ा कदम उठाया है: PM @narendramodi in Kutch
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
इसका बहुत बड़ा लाभ यहां के मेरे आदिवासी भाई-बहनों, यहां के किसानों-पशुपालकों, सामान्य जनों को होने वाला है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
खावड़ा में Renewable Energy पार्क हो,
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
मांडवी में Desalination plant हो,
और अंजार में सरहद डेहरी के नए ऑटोमैटिक प्लांट का शिलान्यास,
तीनों ही कच्छ की विकास यात्रा में नए आयाम लिखने वाले हैं: PM @narendramodi
आज कच्छ देश के सबसे तेज़ी से विकसित होते क्षेत्रों में से एक है।
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
यहां की कनेक्टिविटी दिनों दिन बेहतर हो रही है: PM @narendramodi
I can never forget the time when the people of Gujarat had a ‘simple’ demand - to get electricity during dinner time.
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
Things have changed so much in Gujarat. Today’s youth in Gujarat are not aware of the earlier days of inconvenience: PM @narendramodi
Over the last twenty years, Gujarat introduced many farmer friendly schemes.
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
Gujarat was among the earliest to work on strengthening solar energy capacities: PM @narendramodi
Energy security & water security are vital in the 21st century. Who can forget the water problems of Kutch. When our team spoke of getting Narmada waters to Kutch, we were mocked. Now, Narmada waters have reached Kutch & by the blessings of Maa Narmada, Kutch is progressing: PM
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
One has to keep changing with the times and embrace global best practices. In this regard I want to laud the farmers in Kutch. They are exporting fruits abroad. This is phenomenal and indicates the innovative zeal of our farmers: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
The agriculture, dairy and fisheries sectors have prospered in Gujarat over the last two decades. The reason is- minimum interference from the Government. What Gujarat did was to empower farmers and cooperatives: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
The agriculture reforms that have taken place is exactly what farmer bodies and even opposition parties have been asking over the years.
— PMO India (@PMOIndia) December 15, 2020
Government of India is always committed to farmer welfare and we will keep assuring the farmers, addressing their concerns: PM @narendramodi
सरकार में पहले ऐसा कहा जाता था कि अगर किसी को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी है तो कच्छ में भेज दो, और लोग भी कहते थे कि कालापानी की सजा हो गई।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
आज लोग चाहते हैं कि कुछ समय कच्छ में मौका मिल जाए।
आज कच्छ की पहचान बदल गई है, कच्छ की शान और तेजी से बढ़ रही है। pic.twitter.com/qtCGaukhqB
हमारे पूर्वज भी कितनी दूर की सोच रखते थे, इसका पता ठीक 118 साल पहले अहमदाबाद में लगी उस Industrial Exhibition से चलता है, जिसका मुख्य आकर्षण था- भानु ताप यंत्र।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
आज 118 साल बाद 15 दिसंबर को ही सूरज की गर्मी से चलने वाले एक बड़े Renewable Energy पार्क का उद्घाटन किया गया है। pic.twitter.com/7uKs2xnn9y
एक समय था, जब कच्छ में मां नर्मदा का पानी पहुंचाने की बात की जाती थी, तो कुछ लोग मजाक उड़ाते थे। लेकिन जब नर्मदा मां यहां कच्छ की धरती पर पहुंचीं, तो हर किसी की आंखों में हर्ष के आंसू बह रहे थे।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
आज कच्छ का किसान हो या फिर सरहद पर खड़ा जवान, दोनों की पानी की चिंता दूर हुई है। pic.twitter.com/I9L6l1NQnh
पानी को घरों तक पहुंचाने के साथ-साथ पीने के पानी के नए स्रोत बनाना भी बहुत जरूरी है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
इसी लक्ष्य के साथ समंदर के खारे पानी को शुद्ध करके इस्तेमाल करने की व्यापक योजना पर भी काम हो रहा है।
मांडवी का Desalination Plant जब तैयार हो जाएगा, तो इससे लाखों परिवारों को लाभ होगा। pic.twitter.com/qcphFwZD6f
सिर्फ डेढ़ दशक में गुजरात में कृषि उत्पादन में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
गुजरात में कृषि सेक्टर मजबूत होने का एक बड़ा कारण यह रहा है कि यहां बाकी उद्योगों की तरह ही खेती से जुड़े व्यापार में भी सरकार टांग नहीं अड़ाती है। सरकार अपना दखल बहुत सीमित रखती है। pic.twitter.com/XCSPMrJY5k
हमारी सरकार की ईमानदार नीयत और ईमानदार प्रयास को पूरे देश ने आशीर्वाद दिया, हर कोने के किसानों ने आशीर्वाद दिए।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2020
मुझे विश्वास है कि भ्रम फैलाने वाले और किसानों के कंधे पर रखकर बंदूकें चलाने वाले लोगों को देश के सारे जागरूक किसान परास्त करके रहेंगे। pic.twitter.com/jQA0PmMuWF