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प्रधानमंत्री ने गांधीजी की 150 वीं जयंती से जुड़ी ‘गांधी@150’ राष्‍ट्रीय समिति की दूसरी बैठक को संबोधित किया


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्रपति भवन में गांधीजी की 150वीं जयंती से जुड़ी ‘गांधी@150’ राष्‍ट्रीय समिति की दूसरी बैठक को आज संबोधित किया।

बैठक की अध्‍यक्षता माननीय राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने की। बैठक में राष्‍ट्रीय समिति के अन्‍य सदस्‍यों उप राष्‍ट्रपति, केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्‍यों, विभिन्‍न राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों, जाने माने गांधीवादियों और अन्‍य ने भी हिस्‍सा लिया। पुर्तगाल के प्रधानमंत्री श्री एंटोनियो कोस्‍ता ने भी बैठक में हिस्‍सा लिया। श्री कोस्‍ता अकेले विदेशी प्रधानमंत्री हैं, जिन्‍हें समिति का सदस्‍य बनाया गया है।

अपने संबोधन में राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्‍ट्रपिता की 150वीं जयंती को जन आंदोलन में बदलने के लिए प्रधानमंत्री की देखरेख में कार्य कर रही कार्यकारी समिति को बधाई दी। प्रधानमंत्री स्‍वच्‍छ भारत जैसी पहलों का व्‍यक्तिगत तौर पर नेतृत्‍व कर रहे हैं और महात्‍मा की शिक्षाओं और प्‍लास्टिक के एक बार इस्‍तेमाल को समाप्‍त करने का प्रसार कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा संकलित स्‍मृति गतिविधियों पर एक पुस्‍तक और विदेश मंत्रालय द्वारा संकलित गांधीजी पर एक पद्य संग्रह का विमोचन किया और उसे राष्‍ट्रपति को भेंट किया। पद्य संग्रह में विश्‍व भर की 126 जानी-मानी हस्तियों ने गांधीजी की शिक्षाओं के साथ उनके अनुभवों के बारे में लिखा है। बैठक के दौरान स्‍मृतियों के बारे में एक लघु फिल्‍म भी दिखाई गई।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने पहली बैठक में सदस्‍यों द्वारा दिये गये सुझावों को स्‍वीकृति प्रदान की, जिसमें जन भागीदारी के लिए महात्‍मा गांधी के विचारों को काम में लाने के लिए सदस्‍यों ने एक स्‍मरणीय कार्यक्रम तैयार करने को कहा था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया के लोग गांधी के बारे में जानने को इच्‍छुक है और उन्‍हें स्‍वीकार करने के लिए तैयार हैं। अत: यह भारत की जिम्‍मेदारी है कि वह महात्‍मा और उनकी दूरदर्शिता की प्रासंगिकता को अपनाने की दुनिया को याद दिलाता रहे।

प्रधानमंत्री ने भारत और पुर्तगाल दोनों जगहों पर स्‍मरणीय कार्यों से व्‍यक्तिगत तौर पर जुड़ कर पूरे वर्ष समय निकालने के लिए पुर्तगाल के प्रधानमंत्री को धन्‍यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि ‘गांधी@150’ केवल एक वर्ष का कार्यक्रम नहीं है। सभी नागरिकों को अपने जीवन में गांधी जी के विचारों और उनकी दूरदर्शिता को अपनाने और भविष्‍य में इसे आगे ले जाने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा हालांकि सरकार शताब्‍दी कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करती रहती है, ‘गांधी@150’ स्‍मृति एक अवसर से भी बढ़कर है। यह जन सामान्‍य का एक कार्यक्रम बन चुका है और सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।

प्रधानमंत्री ने लालकिले से दिये गये अपने पूर्व के संदेश को दोहराया कि सभी नागरिक स्‍वदेशी खरीदें। गांधी जी का यह मूलभूत दर्शन उत्‍थान के लिए था और जिसमें भारत के विकास और प्रगति की संभावना है। उन्‍होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे 2022 तक इस संदेश के साथ जीएं, जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा और उसके बाद भी इसे जीवन का हिस्‍सा बनाएं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए यह गर्व का विषय है, ज‍ब राज्‍यसभा के हाल में सम्‍पन्‍न 250वें सत्र के दौरान सदस्‍यों को उनकी स्‍थानीय भाषाओं में बोलने के लिए प्रोत्‍साहित किया गया। उन्‍होंने कहा कि हम गांधी जी के संदेश को विश्‍व भर में फैलाने के लिए कार्य कर रहे हैं। हमें देशभर के आम नागरिकों के लिए एक आधुनिक रूप में महात्‍मा गांधी के संदेश को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए कार्य करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रकार गांधी जी का मानना था कि  राष्‍ट्र और एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्‍य का निष्‍ठापूर्वक पालन कर, एक मनुष्‍य स्‍वत: यह सुनिश्चित कर देता है कि अन्‍य के मौलिक अधिकार सुनिश्चित है। उन्‍होंने कहा कि यदि प्रत्‍येक व्‍यक्ति इस रास्‍ते पर चलेगा और ईमानदारी से अपने कर्तव्‍य का पालन करेगा, भारत के सपनों को पूरा किया जा सकता है।