Syed Mohammad Ashraf, Founder President, All India Ulama and Mashaik Board
Shawki Ibrahim Abdel Karim Allam, Grand Mufti of Egypt,
Shaykh Hashimuddin Al Gailani, from Baghdad
Syed Minhaj Ur Rehman from Bangladesh
Diwan Ahmed Masood Chisti from Pakistan
Syed Nizami from Nizamuddin Dargah and Syed Chisti from Ajmer Sharif
My ministerial colleagues,
Scholars and Sufis from India
मैं, भारत, हमारे पड़ोसी देशों और दूर देशों से आए हुए मेहमानों का अभिनंदन करता हूं।
आपका इस स्थल में स्वागत है, जो असीमित समय से शांति का फौवारा है, जो परंपराओं और आस्थाओं के प्राचीन स्रोत है, और विश्व के सभी धर्मों का स्वागत किया और उन्हे जगह दी।
इस देश में आपका स्वागत है, जो प्राचीन समय से ‘वसुधैव कुटम्बकम्’ में विश्वास रखता है, अर्थात जिसके लिए पूरा विश्व ही एक परिवार है।
विश्वास जो पवित्र कुरान के दैवीय संदेश के अनुरूप है वह यह है कि मनुष्य जाति एक ही समुदाय है और बाद में वे अपने बीच भेद करने लगे।
विश्वास, जो महान पर्शियन सूफी कवि सादी के शब्दों में सुनाई देता है जिसे यूनाइटेड नेशन्स में लिखा गया है कि सभी मनुष्य एक ही स्रोत से आते हैं और हम एक परिवार हैं।
इस प्राचीन शहर दिल्ली में आपका स्वागत है – जो अनेक लोगों, संस्कृतियों और विश्वासों की श्रेष्ठता से बना है।
इस देश की तरह,दिल्ली के दिल में सभी आस्थाओं के लिए जगह है।चाहे धर्म के मानने वाले की संख्या कम हो या चाहे किसी धर्म के मानने वाले करोड़ों में हों।
इसके शानदार धार्मिक स्थलों में सूफी संतों महबूब-ए-इलाही और हजरत बख्तियार काकी की दरगाहें शामिल हैं जो सभी धर्मों और विश्व के सभी कोनों से आने वाले लोगों को आकर्षित करती हैं।
यह संसार के लिए बड़ी महत्ता रखने वाला असाधारण कार्यक्रम है, जो मानव जाति के लिए समय की मांग है।
इस समय जब हिंसा की काली परछाइयां बड़ी होती जा रही हैं,तो आप उम्मीद का नूर या रोशनी हैं।
जब जवान हंसी को बंदूकें खामोश कर रही हैं, ऐसे समय में आपकी आवाज मरहम है।
जहाँ विश्व न्याय और शांति के लिए सभा आयोजित करने के लिए कोशिश करता है, यह उन लोगों की सभा है जिनका जीवन स्वयं ही शांति, सहनशीलता और प्रेम का संदेश है।
आप भिन्न-भिन्न देशों और संस्कृतियों से आए हैं किंतु एक आस्था ने आपको बांधा हुआ है।
आप भिन्न-भिन्न भाषाएं बोलते हैं परंतु आप की आवाज़ सौहार्द का संदेश में मिल जाती हैं।
और आप प्रतिनिधि/नुमाइंदे हैं इस्लामी सभ्यता की समृद्ध विविधता की जो महान धर्म के ठोस धरातल पर खड़ी है।
यह वह सभ्यता है जिसने विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, कला, वास्तुकला व वाणिज्य में पंद्रहवीं सदी तक बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
इसने अपने लोगों की बहुमुखी प्रतिभा और इस्लाम की विभिन्न सभ्यताओं से संपर्क के कारण सीखा – प्राचीन मिस्र, मैसोपोटामिया और अफ्रीका; पर्शिया, मध्य एशिया और काकेशियन क्षेत्र; पूर्वी एशिया का क्षेत्र और बौद्ध दर्शन तथा भारतीय दर्शन और विज्ञान।
और जैसे इस्लाम की सभ्यता इस प्रकार समृद्ध हुई, इसने विश्व को भी समृद्ध बनाया है।
इसने एक बार फिर मानव इतिहास के लिए स्थायी सीख दी है। खुलेपन और जानने की इच्छा, संपर्क और स्वीकृति तथा विविधता के प्रति सम्मान द्वारा ही मानवता आगे बढ़ती है, देश उन्नति करते हैं और संसार समृद्ध बनता है।
और यही संदेश है सूफीवाद का जो इस्लाम का संसार में बड़ा योगदान है।
मिस्र और पश्चिमी एशिया से शुरू हो कर सूफी वाद दूर-दूर तक पहुंचा –मानवीय मूल्यों और आस्था का झण्डा लिए हुए, अन्य सभ्यताओं के आध्यात्मिक विचारों से सीख लेते हुए, और अपने संतों के जीवन और संदेश से लोगों को आकर्षित करते हुए
चाहे वह अफ्रीका का सहारा क्षेत्र हो, दक्षिण पूर्व एशिया, तुर्की हो या मध्य एशिया, ईरान हो या भारत, हर स्थिति में सूफीवाद ने मनुष्य की उस इच्छा को व्यक्त किया है जिसमें वह धार्मिक रीतियों और मान्यताओं से आगे बढ़ कर ईश्वर के साथ गहराई से जुड़ना चाहता है।
और इस आध्यात्मिक जिज्ञासा में सूफियों ने ईश्वर के चिरकालिक संदेश का अनुभव किया।
कि मानव जीवन में उत्तमता उन गुणों में दिखायी देती है जो ईश्वर को प्रिय हैं।
कि सभी प्राणी भगवान के द्वारा बनाए गए हैं और अगर हम ईश्वर से प्रेम करते हैं तो हमें उसकी सब रचनाओं से प्रेम करना चाहिए।
जैसा हजरत निजामुद्दीन औलिया ने कहा था, ईश्वर को वही प्यारा लगता है जो मनुष्य की भलाई के लिए ईश्वर से प्रेम करता है और जो मनुष्यों को ईश्वर के लिए प्रेम करता है।
यह मानवता और ईश्वर की सभी रचनाओं की एकता का संदेश है।
सूफियों के लिए ईश्वर की सेवा करने का अर्थ है मानवता की सेवा करना।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के शब्दों में सभी प्रार्थनाओं में वह प्रार्थना भगवान को सबसे अच्छी लगती है जिससे असहाय और गरीबों की मदद हो।
मानव मूल्यों के बारे में उन्होंने बड़े सुंदररूप में कहा था कि इंसानों में सूर्य जैसा स्नेह, नदी जैसी उदारता और धरती जैसा आतिथ्य सत्कार होना चाहिए। क्योंकि ये सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के लाभ पहुंचाते हैं।
और इसी मानवीय भाव के कारण, इसने समाज में महिलाओं को ऊंचा रूतबा और स्थान दिया है।
सबसे ऊपर सूफीवाद विविधता और बहुलवाद का उत्सव है। इसके बारे में हजरत निजामुद्दीन औलिया ने कहा था कि हर समाज का विश्वास और प्रार्थना करने का अपना ही तरीका होता है।
ये शब्द पाक पैगंबर को मिले संदेश को दर्शाते हैं कि धर्म में कोई बाध्यता नहीं है… और सभी समाजों के लिए हमने प्रार्थना के तरीके निश्चित किए हैं जिनका वे पालन करते हैं।
और यह कथन, हिन्दू धर्म के भक्तिवाद के उस कथन की आत्मा से भी मेल रखता है कि महासागर में हर तरफ से आने वाली नदियां मिलती हैं।
और बुल्ले शाह की बुद्धिमता : ईश्वर हर हृदय में घुला-मिला है।
यही मूल्य समय की मांग है।
यह प्रकृति का सत्य है। और हम इस ज्ञान को वन की विशाल विविधता देखते हैं जहाँ पूरा संतुलन और समन्वय होता है।
इसका संदेश विचारधाराओं और धर्मों की सीमाओं से परे है। यह एक आध्यात्मिक खोज है जो अपना मूल पवित्र पैगम्बर तथा इस्लाम के मूलभूत मूल्यों में पाता है। इस्लाम का वास्तविक अर्थ शांति है।
यह हमें यह भी याद दिलाता है कि जब हम अल्लाह के 99 नामों के बारे में सोचते हैं तो उनमें से कोई भी बल और हिंसा का संदेश नहीं देता है। अल्ला रहमान है और रहीम भी।
सूफीवाद शांति, क्षमा, सह-अस्तित्व और संतुलन का प्रतीक है। यह पूरे संसार में भाइचारे का संदेश देता है।
जिस तरह इस्लामिक सभ्यता का मुख्य केन्द्र भारत बना, उसी तरह हमारा देश सूफीवाद का एक सबसे जीवंत और प्रभावी केन्द्र के रूप में उभरा।
पाक कुरान और हदीस में मजबूत जड़ें जमायें हुए, सूफीवाद भारत में इस्लाम का चेहरा बना।
सूफीवाद भारत के खुलेपन और बहुलवाद में पनपा और यहाँ की पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़कर इसने अपनी एक भारतीय पहचान बनाई।
और इसने भारत की एक विशिष्ट इस्लामिक विरासत को स्वरूप देने में मदद की।
हम इस विरासत को कला, वास्तुकला और संस्कृति के क्षेत्र में देखते हैं जो हमारे देश और हमारे सामूहिक दैनिक जीवन के रूप का एक भाग है।
हम इसे भारत की आध्यात्मिक और बौद्धिक परंपरा में देखते हैं।
इसने भारत की समावेशी संस्कृति को और सशक्त किया जो विश्व के सांस्कृतिक पटल पर इस महान देश का एक बड़ा योगदान है।
बाबा फरीद की कविता और गुरु ग्रन्थ साहब में हमें एक आध्यात्मिक सम्बन्ध का अहसास होता है।
हमने करुणा देखी है, सूफी दरगाहों के लंगरों में और गांवों में स्थानीय पीरों की दरगाहों पर जहां सभी गरीब और भूखे,खीचें चले आते है ।
हिंदवी के शब्द सूफी खानखाओं (Khanqahs) में बोले जाते थे ।
भारतीय काव्य में सूफीवाद का बड़ा योगदान रहा है। भारतीय संगीत के विकास पर इसका गहरा प्रभाव है।
सूफी कवि और संगीतकार अमीर खुसरो से अधिक प्रभाव किसी दूसरे का नहीं है। आठ शताब्दी बाद भी उनका काव्य और संगीतमय प्रयोग, हिंदुस्तानी संगीत की आत्मा का हिस्सा हैं।
भारतीय संगीत की उन्होंने जितनी प्रशंसा की, उतनी किसी दूसरे ने नहीं की।
भारत के प्रति प्रेम उनके अतिरिक्त और कौन इतनी खूबसूरती से कर सकता था ।
“किन्तु, भारत सिर से पाँव तक स्वर्ग की तस्वीर है,
स्वर्ग के महल से उतरकर आदम आए,
तो उन्हें केवल भारत जैसे फलों के उपवन में ही भेजा जा सकता था।
यदि भारत स्वर्ग नहीं होता, तो यह स्वर्ग के पक्षी अर्थात् मोर का घर कैसे होता?
यह सूफीवाद की भावना,देश से प्रेम और राष्ट्र पर गर्व भारत में मुसलमानों को परिभाषित करता है।
वे हमारे देश की शांति, विविधता और आस्था की समानता की कालातीत संस्कृति को प्रतिबिंबित करते हैं।
वे भारत की लोकतांत्रिक परंपरा में में है, देश में अपने स्थान के प्रति आश्वस्त है और राष्ट्र के भविष्य में विश्वास रखते हैं।
और सबसे बढ़कर वे भारत की उस इस्लामिक विरासत के मूल्यों से प्रभावित हैं जो इस्लाम के उच्चतम आदर्शों को कायम रखते हैं। औरजिसने हमेशा आतंकवाद तथा उग्रवाद की ताकतों से इनकार किया हैं।
अब, जब वे विश्व के विभिन्न भागों में यात्रा करते हैं, वे हमारे राष्ट्र के आदर्शों और परंपराओं के दूत हैं।
एक राष्ट्र के रूप में हम औपनिवेशवाद के विरूद्ध खड़े हुए थे और हमने आजादी के लिए संघर्ष किया।
स्वतंत्रता की भोर में कुछ लोगों ने साथ छोड़ा; और मैं मानता हूँ कि यह उस समय की औपनिवेशिक राजनीति से भी जुड़ा हुआ था।
किन्तु, मौलाना आजाद जैसे हमारे महानतम नेताओं, मौलाना हुसैन मदानी जैसे महान अध्यात्मिक नेताओं और लाखों साधारण नागरिकों ने धर्म के आधार पर विभाजन के विचार को नकार दिया।
आज, भारत हमारे अनोखे विविध और एकजुट समाज की प्रत्येक विचारधारा वाले प्रत्येक सदस्य के संघर्षों, बलिदानों, वीरता, ज्ञान, कौशल, कला और के गर्व के कारण प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है।
जिस तरह सितार के तार अलग-अलग ध्वनि पैदा करते हैं, और एक होकर सुंदर संगीत बना करते हैं।
यह भारत की आत्मा है। यह हमारे देश की शक्ति है।
हम सब, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन, बुद्धवाद, पारसी, धर्म में विश्वास रखने वाले, और न रखने वाले, सभी भारत के अभिन्न अंग हैं।
एक समय सूफीवाद भारत में आया परंतु आज यह भारत से विश्व के अन्य देशों तक फैल गया है।
किन्तु, यह परंपरा भारत की ही नहीं,यह संपूर्ण दक्षिण एशिया की विरासत है।
इसलिए मैं इस क्षेत्र में अन्य देशों से यह अनुरोध करता हूँ कि वे हमारी इस गौरवशाली विरासत को पुनर्जीवित करें और आगे बढ़ाएं।
जब सूफीवाद के आध्यात्मिक प्रेम जिसमें आतंकवाद की हिंसक शक्ति नहीं होती, तब इसका प्रवाह सीमा को पार करता है, ऐसे में यह क्षेत्र अमीर खुसरो के कहे के मुताबिक धरती पर स्वर्ग होगा।
जैसे कि मैंने मुहावरे का उल्लेख करते हुए पहले कहा था : आतंकवाद हमें बांटता और बर्बाद करता है।
वास्तव में जब आतंकवाद और कट्टरवाद हमारे कालखंड में बहुत ज्यादा विध्वंसक शक्ति बन जाएं, सूफीवाद के संदेश वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक हो जाते हैं।
पश्चिम एशिया में संघर्ष के केंद्र हैं, वहीं दूर के देशों के शहरों में शांति है। अफ्रीका के सुदूरवर्ती गांवों से लेकर हमारे अपने क्षेत्र के शहरों में भी शांति है, लेकिन आतंकवाद लगभग दैनिक हिसाब के खतरा बन गया है।
हर दिन खतरनाक खबरें और डरावनी तस्वीरें हमारे सामने आती हैं :
• स्कूल बेगुनाहों की कब्रगाहों में बदल रहे हैं;
• प्रार्थना करने वाली सभाएं जनाजे की शक्ल में बदल रही हैं;
• अजान करते नमाजी विस्फोट की आवाज में डूब रहे हैं;
• समुद्री किनारों पर खून, मॉल में नरसंहार और गलियों में खड़ी कारों में धमाके;
• उभरते शहर बनते खंडहर और तबाह बेशकीमती विरासतें;
• और आग और तूफानी समुद्रों के रास्ते लाखों शरणार्थियों, लाखों विस्थापितों, समूचे समुदायों का विस्थापन और ताबूतों को ढोते अभिभावक;
नये वादों और अवसरों की इस डिजिटल सदी में आतंक की पहुंच बढ़ रही है और हर साल इससे होने वाली क्षति भी बढ़ रही है।
इस सदी के आरंभ से दुनिया भर में हुए हजारों आतंकवादी हमलों में लाखों परिवार अपने प्रियजनों को खो चुके है।
अकेले पिछले ही साल में, मैं 2015 की बात कर रहा हूं, 90 से ज्या्दा देशों को आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा। सौ देशों में माता-पिता रोजाना पीड़ा के साथ जीते हैं कि सीरिया के जंग के मैदानों में वे अपने बच्चों को खो चुके हैं।
और वैश्विक रूप से सक्रिय विश्वब में एक घटना बहुत से देशों के नागरिकों को प्रभावित करती है।
हर साल हम 100 बिलियन डॉलर से ज्यासदा धनराशि दुनिया को आतंकवादियों से सुरक्षित बनाने पर खर्च करते हैं, यह राशि गरीबों का जीवन संवारने पर खर्च हो सकती थी।
इसके पूरे प्रभाव का आकलन सिर्फ आंकड़ों के बल पर नहीं किया जा सकता। यह हमारे जीने के अंदाज को बदल रहा है।
कुछ ऐसी ताकतें और गुट हैं, जो सरकार की नीति और मंशा के माध्य म हैं। कुछ अन्य भी हैं, जो भ्रामक विश्वारस के कारण भर्ती किये गये हैं।
कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें संगठित शिविरों में प्रशिक्षण दिया गया हैं। कुछ ऐसे हैं, जो सीमाहीन साइबर जगत में अपने लिए प्रेरणा तलाशते हैं।
आतंकवाद विविध प्रेरणाओं और कारणों का इस्ते माल करता है, जिनमें से एक को भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।
आतंकवादी उस धर्म को विकृत करते हैं, जिसके समर्थन का वह दावा करते हैं।
वे किसी अन्य> स्थाकन की बजाए, अपनी जमीन और अपने लोगों को ज्या दा नुकसान पहुंचाते हैं।
और वे सभी क्षेत्रों को खौंफ के साये में धकेल रहे हैं और दुनिया को कहीं ज्याेदा असुरक्षित और हिंसक स्थाेन बना रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ युद्ध किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है। ऐसा हो नहीं सकता।
ये मानवता के मूल्यों और अमानवीयता की ताकतों के बीच टकराव है।
इस संघर्ष को सिर्फ सैन्यय, ,खुफिया अथवा कूटनीतिक तरीकों से नहीं लड़ा जा सकता।
यह एक ऐसी जंग भी है, जिसे हमारे मूल्योंफ की ताकत और धर्मों के वास्त़विक संदेश के माध्य म से हमें हर हाल में जीतना होगा।
जैसा मैंने पहले कहा, हमें आतंकवाद और धर्म के बीच किसी भी संबंध को हर हाल में नकारना होगा। जो लोग धर्म के नाम पर आतंक फैलाते हैं, वे धर्म विरोधी है।
और हमें सूफीवाद के संदेश को फैलाना होगा, जो इस्ला म के सिद्धांतों और सर्वोच्चक मानवीय मूल्यों पर अडिग है।
यह एक ऐसा कार्य है, जिसे देशों, समाजों, संतों, विद्वानों और परिवारों को हर हाल में करना होगा।
हालांकि मेरे लिए सूफीवाद का संदेश सिर्फ आतंकवाद से निपटने तक ही सीमित नहीं है।
मनुष्यों के प्रति सद्भाव, कल्याेण, करूणा और प्रेम न्या्यपूर्ण समाज की बुनियाद है।
मेरे मत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के पीछे यही सिद्धांत है।
और ये मूल्ये हमारे समाजों की विविधता को संरक्षित और पोषित करने के लिए महत्वधपूर्ण है।
विविधता किसी भी समाज की समृद्धि की प्रकृति और स्रोत की वास्त विक सच्चा ई है और यह वैमनस्य का कारण नहीं बननी चाहिए।
हमें समावेशी और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करने के लिए, सिर्फ संवैधानिक प्रावधानों अथवा कानूनी सुरक्षा की ही नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्योंत की भी आवश्याकता है, – जहां सभी जुड़ाव महसूस करें, अपने अधिकारों के प्रति निश्चिंत हों तथा अपने भविष्यभ को लेकर आश्वैस्त हों।
यह विश्व में भारी बदलाव और परिवर्तन का दौर भी है। पिछली सदी के मध्यष में इतिहास में एक महत्व पूर्ण परिवर्तन हुआ। एक नई विश्वद व्यछवस्था् का उदय हुआ। बहुत से नये देशों का जन्मह हुआ।
नई सदी के प्रारंभ में हम फिर से बदलाव के एक अन्यद मोड़ पर है, जिसका पैमाना मानव इतिहास में विरले ही देखा गया है।
दुनिया के कई हिस्सों में भविष्यक को लेकर तथा देश व समाज के नाते हम इससे कैसे निपटें, इसको लेकर अनिश्चितता है।
यह एक ऐसा दौर है, जो निश्चित रूप से हिंसा और संघर्षों के प्रति बहुत असुरक्षित है।
विश्वr समुदाय को पहले से ज्याचदा सतर्क रहना होगा और अंधकार की ताकतों का मुकाबला मानवीय मूल्योंस की दिव्यह कांति से करना होगा।
तो, आईये हम पवित्र कुरान की शिक्षाओं को याद करें कि अगर कोई किसी बेगुनाह की जान लेगा, तो वह समस्तत लोगों की जान लेने के बराबर होगा, अगर कोई एक जिंदगी बचाएगा, तो वह समस्त, जिन्दमगियों को बचाने जैसा होगा।
आइए, हम हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के संदेश से प्रेरणा ग्रहण करें,
अपने आध्या्त्मिक प्रकाश से वैमनस्य और युद्ध के बादलों को छांटिए तथा लोगों के बीच सद्भावना, शांति और सद्भाव फैलाइए।
आइए, हम सूफी कवि जलालुद्दीन रूमी के शब्दों में अपरिमित मानवता को याद करें, ‘सभी इंसानों के चेहरों को बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वूयं के चेहरे में समाहित करें।’
आइए, हम बाइबल के संदेशों को भी जिएं, जो हमसे अच्छामई, शांति प्राप्ता करने और उसका पालन करने का आह्वान करते हैं।
और कबीर की एकात्मेकता में कहा गया है कि नदी और लहरें एक हैं।
और गुरूनानक देव जी की प्रार्थना को याद करें, कि ईश्वहर दुनिया में सभी खुशहाल हों और शांति में रहें।
आइए, हम मतभेदों के खिलाफ स्वारमी विवेकानंद की अपील से प्रेरणा ग्रहण करें और सभी धर्मों के लोग विवाद का नहीं, बल्कि सद्भाव का बैनर उठाये।
हम अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध और महावीर के चिरस्थाकई संदेश को भी दोहरायें।
और इस मंच से, गांधी की,
और हमेशा ओम शांति, शांति, शांति, विश्वै में शांति से समाप्त होने वाली कालातीत प्रार्थनाओं की इस धरती से,
आइए, हम दुनिया को ये संदेश भेजे :
• सद्भाव और मानवता के मधुर गीत का
• विविधता को गले लगाने और एकात्मधकता की भावना का
• करूणा और उदारता के साथ सेवा का,
• आतंकवाद के खिलाफ संकल्पस का, उग्रवाद को नकारने का
• और शांति कायम करने के दृढ संकल्पप का
आइए, हम हिंसा की ताकतों को अपने प्रेम और सार्वभौमिक मानव मूल्योंे की उदारता से चुनौती दें।
और आखिर में, आइए, हम आशा के दीप जलाएं और इस दुनिया को शांति की बगिया में तबदील करें।
यहां पधारने के लिए आपका धन्य>वाद, जिसके लिए आप अडिग हैं, उसके लिए आपका धन्य वाद, बेहतर जगत का निर्माण करने में आपके द्वारा निभायी जा रही भूमिका के लिए आपका धन्यनवाद। बहुत बहुत धन्यहवाद।
Welcome to a land that is a timeless fountain of peace and an ancient source of traditions and faiths: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Welcome to the ancient city of Delhi- built by the genius of diverse peoples, cultures and faiths: PM @narendramodi https://t.co/Iy8hu3Nre5
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
This is an extraordinary event of great importance to the world, at a critical time for humanity: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
At a time when the dark shadow of violence is becoming longer, you are the noor or the light of hope: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
You have come from different lands and cultures, but you are united by a common faith: PM @narendramodi https://t.co/Iy8hu3vQmx
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
For the Sufis, service to God meant service to humanity: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Sufism is the voice of peace, co-existence, compassion and equality; a call to universal brotherhood: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Sufism blossomed in India’s openness & pluralism. It engaged with her spiritual tradition and evolved its own Indian ethos: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Sufism’s contribution to poetry in India is huge. Its impact on the development of Indian music is profound: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
All our people, Hindus, Muslims, Sikhs, Christians, Jains, Buddhists, Parsis, believers, non-believers, are an integral part of India: PM
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Just as it once came to India, today Sufism from India has spread across the world: PM @narendramodi https://t.co/Iy8hu3Nre5
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Let me paraphrase what I have said before: Terrorism divides and destroys us: PM @narendramodi https://t.co/Iy8hu3Nre5
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Terrorism uses diverse motivations and causes, none of which can be justified: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
The fight against terrorism is not a confrontation against any religion. It cannot be: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
Diversity is a basic reality of Nature and source of richness of a society; and, it should not be a cause of discord: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
At the beginning of a new century, we are at yet another point of transformation on a scale rarely seen in human history: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 17, 2016
World Sufi Forum is an extraordinary event, giving the message of peace, tolerance & love. Glad to have attended. pic.twitter.com/Uwnd0jAOsb
— Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2016
Recalled glorious traditions & ethos of Sufism, which celebrates diversity & pluralism. Spoke of India's historical association with Sufism.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2016
In a time when terrorism and extremism have become the most destructive force of our times, the message of Sufism has global relevance.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2016
We need to reject any link between terror & religion. Those who spread terror in the name of religion are nothing but anti-religious.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2016
Come, together let us challenge violence with kindness & compassion. Let us turn this world into a garden of peace! https://t.co/OZm36ua6OE
— Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2016