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स्‍मारकों के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय गौरव का अंतर्निवेषण


31 अक्‍टूबर, 2016 को ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ की शुरूआत के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा था – ‘सरदार पटेल ने हमें एक भारत दिया’। अब 125 करोड़ भारतीयों का सामूहिक पुनीत कर्तव्‍य इसे ‘श्रेष्‍ठ भारत’ बनाना है। यह ऐसी अवधारणा है जिसके बारे में श्री नरेन्‍द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले बताया था।

श्री नरेन्‍द्र मोदी राष्‍ट्र के उन वीर नायकों को सम्‍मानित करने में विश्‍वास करते हैं, जिन्‍होंने हमारे प्रिय राष्‍ट्र की एकता, सुरक्षा, सार्वभौमिकता और विकास के लिए काफी बलिदान किया है। श्री मोदी हमारे इतिहास और विरासत को राष्‍ट्रीय गौरव और चेतना का हिस्‍सा बनाना चाहते हैं।

डांडी स्थित राष्‍ट्रीय नमक सत्‍याग्रह स्‍मारक इसका एक उदाहरण है। यह महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में और उनके 80 साथी सत्‍याग्रहियों द्वारा 1930 की डांडी यात्रा से जुड़े उत्‍साह और ऊर्जा का सम्‍मान करता है।

सरदार वल्‍लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची स्‍टेचयू ऑफ यूनिटी इसका सबसे सशक्‍त उदाहरण है। आज यह विश्‍व की सबसे ऊंची मूर्ति है। श्री नरेन्‍द्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, तभी उन्‍होंने पहली बार इसकी कल्‍पना की थी। यह मूर्ति भारत को एकताबद्ध करने वाली भारत के लौहपुरूष के प्रति न केवल समर्पण है, बल्कि सभी भारतीय लोगों के लिए काफी गौरव की एक इमारत है।

कई दशकों से नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस के परिजन इस बात की मांग करते थे कि उनके जीवन से जुडी घटनाओं से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक किया जाय। पिछली सरकारों ने इसके बारे में समुचित निर्णय लेने से इनकार किया था। अक्‍टूबर 2015 तक का वक्‍त लग गया, जब श्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपने आवास पर नेताजी के विस्‍तृत परिवार का आतिथ्‍य किया। यह बताते हुए कि इतिहास को अनदेखा करने का कोई कारण उनकी नजर में नहीं है, उन्‍होंने कहा कि जो इतिहास को भूलते हैं, वे इसके सृजन की शक्ति भी खो देते हैं। उन फाइलों को सार्वजनिक किया गया और डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर उपलब्‍ध कराया गया।

1940 के दशक के मध्‍य में, लाल किले में आईएनए के मुकदमे ने राष्‍ट्र को झकझोर दिया था। हालांकि, कई दशकों के लिए, जिस मुकदमें की सुनवाई की गई थी, लाल किला परिसर के भीतर उन्‍हें भुला दिया गया। इस वर्ष सुभाष चन्‍द्र बोस की जयंती पर, प्रधानमंत्री ने उसी भवन में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया और उसे नेताजी तथा इंडियन नेशनल आर्मी के प्रति समर्पित किया। इस संग्रहालय के चार भाग हैं, जिसे सामूहिक रूप से ‘क्रांति मंदिर’ के रूप में जाना जाता है। 1857 के स्‍वतंत्रता की लड़ाई और जलियांवाला बाग नरसंहार को समर्पित संग्रहालय भी इस परिसर का हिस्‍सा है।

आपदा राहत में लगे पुलिसकर्मियों के सम्मान में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम से एक पुरस्कार की घोषणा की।

पिछले चार वर्षों के दौरान हमारे इतिहास के कई महान नेताओं के योगदान को याद करने के लिए स्मारक बनाये गये हैं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी का एक प्रमुख विचार है – पंचतीर्थ अर्थात बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को समर्पित पांच स्मारक। इसमें शामिल हैं – जन्मस्थान महु, लंदन का स्थान, जहां वे अध्ययन के लिए निवास करते थे, नागपुर में दीक्षाभूमि, दिल्ली में महापरिनिर्वाण स्थल और मुंबई में चैत्य भूमि।

जब प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने श्री श्याम जी कृष्ण बर्मा को समर्पित एक स्मारक का उद्घाटन किया था।

उन्होंने हरियाणा में महान समाज सुधारक सर छोटूराम की मूर्ति का अनावरण किया था।

उन्‍होंने अरब सागर में मुम्‍बई के समुद्र तट पर शिवाजी स्‍मारक के लिए आधारशिला रखी है।

दिल्‍ली में, प्रधानमंत्री ने राष्‍ट्रीय विज्ञान केन्‍द्र में सरदार पटेल दीर्घा का उद्घाटन किया है।

हाल में उन्‍होंने राष्‍ट्र की सेवा के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले 33,000 से भी अधिक पुलिसकर्मियों के साहस और त्‍याग को सलाम करने के लिए राष्‍ट्रीय पुलिस स्‍मारक राष्‍ट्र को समर्पित किया।

कुछ सप्‍ताहों के भीतर, आजादी के बाद के युद्धों और कार्रवाईयों में अपना जीवन बलिदान करने वाले सिपाहियों के स्‍मरण में एक राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक का भी अनावरण और लोकार्पण किया जाएगा।

ये स्‍मारक हमें उन बलिदानों की याद दिलाते हैं, जिनका योगदान अब हमें बेहतर जीवन जीने में समर्थ बनाता है। ये स्‍मारक वर्तमान और भावी पीढियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में निर्मित ये स्‍मारक राष्‍ट्रवाद के प्रतीक हैं, ये एकता और गौरव की उस भावना को अंतर्निहित करते हैं, जिसे पोषित करने की आवश्‍यकता है।