प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुद्रा (सूक्ष्म इकाई विकास पुनर्वित्त एजेंसी) से जुड़े ऋणों के लिए एक ऋण गारंटी कोष बनाने को अपनी स्वीकृति दे दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही मुद्रा लिमिटेड को सिडबी के पूर्ण स्वामित्व वाले एक सहायक निकाय मुद्रा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) में तब्दील करने को भी अपनी मंजूरी दे दी है।
इस कोष के जरिए सबसे पहले सूक्ष्म और लघु इकाइयों को दिए गए 1,00,000 करोड़ रुपये से भी अधिक के ऋणों को गारंटी दिए जाने की आशा है।
इस योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
(i) प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत मंजूर किए गए ऋणों की गारंटी हेतु मुद्रा इकाइयों के लिए ऋण गारंटी कोष (सीजीएफएमयू) की स्थापना होगी, जो 8 अप्रैल 2015 से प्रभावी मानी जाएगी। इसका उद्देश्य बैंकों/एनबीएफसी/एमएफआई/अन्य वित्तीय मध्यस्थों के ऋण जोखिमों को कम करना है, जो सदस्य ऋण संस्थान (एमएलआई) हैं।
(ii) विभिन्न ऋण गारंटी कोषों के प्रबंधन एवं संचालन के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 (2013) के तहत गठित भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी ‘राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी लिमिटेड)’ इस कोष की ट्रस्टी होगी।
(iii) गारंटी पोर्टफोलियो के आधार पर प्रदान की जाएगी, जो पोर्टफोलियो में डिफॉल्ट से जुड़ी राशि का अधिकतम 50 फीसदी होगी।
मुद्रा (सिडबी) बैंक पुनर्वित्त से जुड़े परिचालन कार्य पूरे करेगा और इसके साथ ही सहायक सेवाएं प्रदान करेगा, जिसके तहत भारत सरकार द्वारा प्रदत्त/परामर्श के अनुरूप सौंपी गई किसी भी अन्य गतिविधि के अलावा पोर्टल प्रबंधन, डेटा विश्लेषण इत्यादि पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
पृष्ठभूमि :-
2015-16 के बजट भाषण के अनुरूप क्रमश: 20,000 करोड़ रुपये के पुनर्वित्त कोष एवं 3,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ ‘मुद्रा’ बैंक और एक ऋण गारंटी कोष की स्थापना प्रस्तावित की गई थी। अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के शुभारंभ से पहले सिडबी की एक सहायक कंपनी के रूप में मार्च, 2015 में मुद्रा लिमिटेड स्थापित की गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है और 5,000 करोड़ रुपये की पहली किस्त पुनर्वित्त के रूप में ‘मुद्रा’ को हासिल हो गई है।