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प्रधानमंत्री द्वारा जापान के प्रधानमंत्री के साथ मीडिया को दिया गया वक्तव्य

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प्रधानमंत्री द्वारा जापान के प्रधानमंत्री के साथ मीडिया को दिया गया वक्तव्य


महामहिम, प्रधानमंत्री श्री आबे और मीडिया के सदस्यों।

प्रधानमंत्री श्री आबे का भारत में स्वागत करते हुए मझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

एक निजी दोस्त और भारत-जापान भागीदारी के महान पैरोकार की मेजबानी करते हुए मैं बहुत खुश हूं।

किसी अन्य भागीदार ने भारत के आर्थिक बदलाव में ऐसा निर्णायक भूमिका नहीं निभाई है जैसी जापान ने निभाई है।

भारत के आर्थिक सपनों को साकार करने में कोई भी दोस्त जापान से अधिक महत्वपूर्ण नहीं होगा।

मैं ऐसे किसी सामरिक भागीदार के बारे में नहीं सोच सकता जो एशिया और हमारे आपस में जुड़े महासागर क्षेत्रों की प्रगति को आकार देने में हमारी अपेक्षा अधिक गहरा प्रभाव डालने के लिए कार्य कर सकता हो।

यही कारण है कि हम अपने विशेष सामरिक और वैश्विक भागीदारी को दिल की गहराई से महत्वपूर्ण मानते हैं। इसे भारत में बेजोड़ जन सद्भावना और राजनीतिक आम सहमति प्राप्त है। जो हमारी जनता की बड़ी उम्मीदों और भारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती है।

पिछले एक वर्ष के दौरान इन पर निर्भर रहने के लिए हमने बहुत काम किया है।

हमने आर्थिक सहयोग के साथ-साथ अपनी क्षेत्रीय भागीदारी और सुरक्षा सहयोग में भी भारी प्रगति की है।

प्रधानमंत्री श्री आबे हमारे आर्थिक प्रस्तावों के बारे में, जिनमें से अनेक अब भारत के लिए विशिष्ट बन गए हैं, हमेशा तत्पर और सकारात्मक रहे हैं। आज जापान के निजी निवेश में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।

आज हमने अपनी साझा यात्रा में नई ऊंचाइयों को छू लिया है। असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग के बारे में हमने जिस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं वह वाणिज्य और स्वच्छ ऊर्जा के लिए किए गए समझौते की तुलना में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

यह शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व के उद्देश्य के लिए आपसी विश्वास और रणनीतिक भागीदारी के नए स्तर का चमकता हुआ प्रतीक है।

मैं जापान के लिए इस निर्णय के महत्व को जानता हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत इस निर्णय का गहराई से सम्मान करता है और हम अपनी साझा प्रतिबद्धताओं का भी सम्मान करेंगे।

जापान की शिंकनसेन के माध्यम से मुम्बई-अहमदाबाद सेक्टर पर हाईस्पीड रेल शुरू करने का निर्णय किसी ऐतिहासिक घटना से कम नहीं है। शिंकनसेन गति, विश्वसनीयता और सुरक्षा के लिए जानी जाती है।

हम इस परियोजना के लिए प्रधानमंत्री श्री आबे द्वारा आसान शर्तों पर दिए गए लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर के असाधारण पैकेज और तकनीकी सहायता की सराहना करते हैं।

यह उद्यम निकट भविष्य में भारतीय रेलवे और भारत की यात्रा को गति प्रदान करने में एक क्रांति की शुरुआत करेगा।

यह भारत में आर्थिक बदलाव का वाहक बनेगा।

हम जापानी द्विपक्षीय सहायता कार्यक्रम में हुई तेजी से बढ़ोत्तरी और मेक इन इंडिया मिशन के लिए सार्वजनिक और निजी जापानी प्रतिबद्धता की मजबूती की भी सराहना करते हैं।

सितम्बर, 2014 में टोक्यो में प्रधानमंत्री श्री आबे ने भारत को पांच वर्षों के दौरान 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जापानी वित्त और निवेश की बात कही थी।

यह एक महत्वाकांक्षी बात थी हम एक साथ मिलकर जल्दी से इसे वास्तविकता में बदल रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता भी समान रूप से बहुत मजबूत है।

हम स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता प्रौद्यौगिकियों में व्यापक सहयोग के लिए कार्य कर रहे हैं और विश्व में अन्य देशों के लाभ के लिए भी समाधानों को जुटाएंगे।

अन्य समझौते आज हमारे सहयोग की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं।

आज हमने अपनी सुरक्षा सहयोग में दो और निर्णायक कदम उठाए हैं। यह दो समझौते हमारे रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ भारत में रक्षा विनिर्माण को भी बढ़ावा देंगे।

ये सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के स्टॉफ की वार्ता को विस्तार करने के हमारे निर्णय को मजबूती प्रदान करेंगे और जापान को मालाबार नौसेना अभ्यास में एक भागीदार बनाएंगे।

हमने एक वर्ष के दौरान अपनी क्षेत्रीय भागीदारी को भी काफी आगे बढ़ाया है। हमने संयुक्त राष्ट्र के साथ त्रिपक्षीय वार्ता का स्तर उठाया है और आस्ट्रेलिया के साथ भी एक नई शुरूआत की है।

हम इस क्षेत्र में एक समग्र, संतुलित और खुली क्षेत्रीय वास्तुकला और समुद्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पूर्व एशिया सम्मेलन में एक साथ मिलकर काम करेंगे।

हम नेविगेशन, ओवर-फ्लाइट तथा समुद्रीय वाणिज्य में स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए मजबूती से खड़े हैं हमारा विश्वास है कि सभी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए और सभी देशों को समुद्रीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानदण्डों का पालन करना चाहिए।

मैं अपेक में भारत की सदस्यता के लिए प्रधानमंत्री आबे के समर्थन की सराहना करता हूं।

हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारे उचित स्थान के लिए भी पूरा प्रयास करेंगे।

संस्कृति और लोग किसी रिश्ते में जीवन का समावेश करते हैं।

हमारे विशिष्ट संबंधों में अद्भूत मानवीय स्पर्श की अनुभूति है।

क्योटो वाराणसी साझेदारी मजबूत प्रतीकों में से एक है।

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री आबे ने क्योटो में मेरी अगवानी की थी।

आज मैं उन्हें वाराणसी की प्राचीन विरासत और इसके आधुनिक भविष्य की योजनाओं के बारे में परिचित कराऊंगा।

अंत में दोनों देशों में विशेष संबंधों को मान्यता देते हुए भारत 01 मार्च, 2016 व्यापारिक उद्देश्यों सहित जापानी नागरिकों को आगमन पर वीजा की सुविधा प्रदान करेगा। यह सुविधा विश्वस्तर पर विस्तार की जा रही इलेक्ट्रानिक वीजा सुविधा से अलग होगी।

महामहिम, व्यापक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों वाले विश्व में कुछ यात्राएं वास्तव में ऐतिहासिक होती हैं जो संबंधों में परिवर्तन लाती हैं। आपकी यात्रा ऐसी ही एक यात्रा है।

चूंकि हम भारत जापान संबंधों के विजन 2025 को साकार करने के लिए कार्य कर रहे हैं, इसलिए हम अपने लोगों की समृद्धि में बढ़ोत्तरी करेंगे और हमारे विजन और मूल्यों में एक एशियाई सदी को आकार देंगे।

धन्यवाद