प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रमुख बंदरगाहों में पीपीपी परियोजनाओं के लिए संशोधित आदर्श रियायत समझौते (एमसीए) को मंजूरी दी है, ताकि बंदरगाह परियोजनाओं को निवेशक-अनुकूल और बंदरगाह क्षेत्र के निवेश-माहौल को और आकर्षित बनाया जा सके।
प्रमुख विशेषताएं –
एमसीए में संशोधन के तहत सोसायटी फॉर एफर्डएबल रिड्रेसल ऑफ डिसप्यूट्स-पोर्ट्स (सरोद-पोर्ट्स) की स्थापना का विचार है। इसकी स्थापना के मद्देनजर हाइवे राजमार्ग क्षेत्र में उपलब्ध प्रावधानों के अनुरूप विवाद निपटान प्रणाली तैयार की जाएगी।
संशोधित एमसीए की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
I. वाणिज्यिक संचालन तिथि (सीओडी) से दो वर्ष पूरे हो जाने के बाद डेवलपर अपनी 100 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी का विनिवेश करके बाहर निकल सकते हैं। यह राजमार्ग क्षेत्र के एमसीए प्रावधानों के अनुरूप हो जाएगा।
II. छूट पाने वाले व्यक्तियों के संबंध में अतिरिक्त जमीन के प्रावधान के तहत जमीन के किराये को 200 प्रतिशत से कम करके 120 प्रतिशत कर दिया गया है। यह प्रस्तावित अतिरिक्त जमीन के लिए दरों के आधार पर लागू होगा।
III. छूट धारकों को ‘प्रति मीट्रिक टन माल/टीईयू हैंडल्ड’ के आधार पर रॉयल्टी देनी होगी, जो वार्षिक डब्ल्यूपीआई में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर तय होगी। यह रॉयल्टी, वसूल करने की वर्तमान प्रक्रिया के स्थान पर लागू होगी, जो कुल राजस्व के प्रतिशत के बराबर होगी। इसे बोली के दौरान निर्धारित किया जाएगा और जिसकी गणना महापत्तन प्रशुल्क प्राधिकरण (टीएएमपी) द्वारा निर्धारित अग्रिम मानक प्रशुल्क सीमा के आधार पर की जाएगी। इससे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत संचालकों की लंबित शिकायतों को दूर करने में मदद मिलेगी। इसके तहत प्रशुल्क सीमा के आधार पर राजस्व में हिस्सेदारी होती थी और कीमतों की छूट उपेक्षित रह जाती थीं। यह समस्याएं टीएएमपी द्वारा वसूले जाने वाले भंडारण शुल्कों तथा भंडारण शुल्कों पर राजस्व संकलन से जुड़ी हैं। इनके कारण कई परियोजनाओं में कठिनाइयां उत्पन्न होती थीं, जो अब दूर हो जाएंगीं।
IV. छूट धारकों को अब बड़ी क्षमता वाले उपकरण, सुविधाएं, प्रौद्योगिकी लगाने में आजादी होगी और वे उच्च उत्पादकता तथा बेहतर इस्तेमाल के लिए अभियांत्रिकी का उपयोग कर सकेंगे। इसके अलावा परियोजना की लागत में भी बचत होगी।
V. ‘वास्तविक परियोजना लागत’ का स्थान ‘कुल परियोजना लागत’ ले लेगी।
VI. ‘नियम में परिवर्तन’ की नई परिभाषा में निम्नलिखित बिन्दु भी शामिल हैं –
क. टीएएमपी दिशा-निर्देश/आदेश, पर्यावरण कानून एवं श्रम कानूनों के तहत मानकों और शर्तों का लागू होना।
ख. छूट धारकों की क्षतिपूर्ति के लिए नये करों, शुल्कों इत्यादि को बढ़ाना और लागू करना। चूंकि परियोजना की उपयोगिता प्रभावित होती थी, जिसे ध्यान में रखकर छूट धारकों को नये करों, शुल्कों इत्यादि के लागू होने तथा बढ़ने के संबंध में क्षतिपूर्ति दी जाएगी। यह क्षतिपूर्ति केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रत्यक्ष कर के क्रियान्वयन/बढ़ोतरी के संबंध में लागू नहीं होगी।
VII. सीओडी के पहले संचालन शुरू होने के संबंध में प्रावधान। औपचारिक पूर्णत: प्रमाण पत्र के प्राप्त होने के पहले कई परियोजनाओं में बंदरगाह द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली परिसंपत्तियों के बेहतर इस्तेमाल की संभावना बढ़ेगी।
VIII. दोबारा वित्तपोषण के प्रावधानों के संबंध में उद्देश्य यह तय किया गया है कि छूट धारकों को सस्ती दर पर दीर्घकालिक निधियों की उपलब्धता हो, ताकि परियोजनाओं की वित्तीय उपादेयता में सुधार हो।
IX. मौजूदा छूट धारकों की शिकायतों को दूर करने के लिए सरोद-पोर्ट्स के प्रावधानों के विस्तार के तहत छूट धारकों और रियायत देने वाले प्राधिकरण के बीच परिशिष्ट समझौते पर हस्ताक्षर का प्रावधान शुरू किया जाएगा।
X. बंदरगाह का इस्तेमाल करने वालों के लिए शिकायती पोर्टल की शुरूआत।
XI. परियोजना की समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट जानने के लिए एक निगरानी व्यवस्था की शुरूआत की गई है।
पिछले 20 वर्षों के दौरान बंदरगाह क्षेत्र में पीपीपी परियोजनाओं के प्रबंधन से प्राप्त होने वाले अनुभवों के मद्देनजर इन संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा मौजूदा एमसीए के कुछ प्रावधानों के कारण होने वाली समस्याओं को समाप्त करने की दृष्टि से भी संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है। हितधारकों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद एमसीए के संशोधनों को अंतिम रूप दिया गया है।