प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को जारी रखने और इसे निर्णायक, प्रतिस्पर्द्धी और ग्रामीण लोगों को अच्छी गुणवत्तापूर्ण जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं पर निर्भरता (कार्यशीलता) पर ज्यादा जोर देते हुए बेहतर निगरानी के साथ जारी रखने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
चतुर्थ वित्त आयोग (एफएफसी) अवधि 2017-18 से 2019-20 के लिए इस कार्यक्रम के लिए 23,050 करोड़ रूपए की राशि मंजूर की गयी है। यह कार्यक्रम देश भर की सारी ग्रामीण जनसंख्या को कवर करेगा। पुन: संरचना से यह कार्यक्रम लोचदार, परिणामोन्नमुख, प्रतिस्पर्द्धी बन सकेगा और इससे मंत्रालय सतत पाइप के जारिए पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा।
निर्णय का ब्यौरा निम्नानुसार है:-
1. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) चतुर्थ वित्त आयोग चक्र मार्च 2020 के अनुरूप जारी रखा जाएगा।
2. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) की पुन:संरचना के फल स्वरूप जापानी एनसीफॅलाइटीस (जेई)/ एक्यूट एंसेफॅलाइटीस सिंड्रोम (एईस) प्रभावित क्षेत्रों के लिए 2 प्रतिशत धन की व्यवस्था रखी जाएगी।
3. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के अंतर्गत एक उप-कार्यक्रम अर्थात राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप-मिशन, जिसे फरवरी, 2017 में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किया गया था, के चलते करीब 28 हजार अरसेनिक और फ्लोराड प्रभावित लोगों को (पूर्व चयनित) स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की तत्काल जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। अनुमानों के अनुसार चार वर्षों अर्थात मार्च 2021 तक करीब 12,500 करोड रूपए की राशि की केंद्रीय अंश के रूप में आवश्यकता होगी। इसे राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के अंतर्गत आवंटन से वित्त-पोषित किया जा रहा है।
4. सहमति वाली योजनाओं के लिए इस राशि की दूसरी किस्त की आधी सीमा तक राज्य सरकारों द्वारा पूर्व वित्तपोषण के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। जिसे बाद में केंद्रीय वित्तपोषण से उनको प्रति-पूर्ति की जाएगी। यदि राज्य वित्तीय वर्ष में 30 नवंबर से पूर्व इस राशि का दावा करने में विफल रहते हैं तो ये निधियॉं सामान्य पूल का हिस्सा बन जाएगी जो उच्च कार्य निष्पादक राज्यों को जारी की जाएगी जिन्होंने पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर भारत सरकार को पहले से पूर्व वित्त पोषित कर दिया है।
5. निधियों की दूसरी किस्त की अन्य आधी राशि पाइप के जरिए जल की आपूर्ति के कार्यकरण के पूरा हो जाने के आधार पर राज्यों को जारी की जाएगी जिसका मूल्यांकन किसी तृतीय पक्ष के माध्यम से किया जाएगा।
6. मंत्रिमंडल ने एफएफसी अवधि 2017-18 से 2019-2020 के लिए इस कार्यक्रम हेतु 23050 करोड राशि की मंजूरी दी है।
एनडब्ल्यूक्यूएसएम का उद्देश्य अरसेनिक/फ्लोराड प्रभावित समस्त ग्रामीण जनसंख्या को मार्च, 2021 तक स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति निर्वाधरूप से सुनिश्चित करना है। राज्यों को इस कार्यक्रम के अंतर्गत घटकों की संख्या में कमी करके एनआरडीडब्ल्यूपी के उपयोग में कहीं ज्यादा नरमी प्रदान की गयी है।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) के अनुसार भारत में करीब 77 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या को इसके अंतर्गत लाने का पूर्ण लक्ष्य (एफसी) (प्रति व्यक्ति प्रति दिन 40 लीटर) और सार्वजनिक नलों के माध्यम से 56 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या तक 16.7 प्रतिशत घरेलू कनेक्शनों के भीतर पानी की पहुँच उपलब्ध है।
पृष्ठभूमि:
एनआरडीडब्ल्यपी कार्यक्रम 2009 में प्रारंभ किया गया था, जिसमें मुख्य जोर पीने योग्य पानी, पर्याप्तता, सुविधा, व्यहन करने की क्षमता तथा साम्यता की दृष्टि से पानी की सतत उपलब्धता (स्रोत) पर दिया गया था। एनआरडीडब्ल्यपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है। जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच 50:50 के अनुपात में निधि वहन की जाती है। गत वर्षों में इससे प्राप्त सफलता से सबक लेते हुए और एनआरडीडब्ल्यपी के कार्यान्वयन के दौरान महसूस की गयी कमियों के दृष्टिगत इस कार्यक्रम को कहीं ज्यादा परिणामोन्नमुख और प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिए राज्यों को निधियॉं जारी करने के लिए वर्तमान मार्गदर्शी निर्देशों और प्रक्रिया में कतिपय संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि एनआरडीडब्ल्यपी को ज्यादा परिणामोन्नमुख बनाने की जरूरत, राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने और इसकी व्यवहारिता और ध्यान केंद्रीत करने के लिए राज्यों, विभिन्न स्टेक होल्डरों/स्थानीय विशेषज्ञों/अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और नीति आयोग के साथ विचार-विमर्श की एक लंबी श्रृंखला रखने के पश्चात इस कार्यक्रम के मार्गदर्शी निर्देशों में कुछ संशोधनों को लागू किया गया है। ये इस कार्यक्रम के अंतर्गत घटकों की संख्या में कमी करके एनआरडीडब्ल्यपी के इस्तेमाल में राज्यों को कहीं ज्यादा नरमी प्रदान कर रहे हैं। पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति सेवा के बढ़ते स्तर पानी की गुणवत्ता से प्रभावित आबादी को स्वच्छ जल सुविधा के अंतर्गत लाने (अरसेनिक और फ्लोराइड प्रभावित आबादी, जेई/एईएस क्षेत्रों की समस्या को हल करने, राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप-मिशन), खुले में शौच से मुक्त घोषित (ओडीएफ) गांवों की कवरेज, एसएजीवाई, जीपीएस, गंगा जीपीएस, एकीकृत कार्य योजना (आईएपी) जिलों, सीमावर्ती चौकियों (बीओपी) को पाइप के जरिये पानी की आपूर्ति तथा जल आपूर्ति परिसंपत्तियों के लिए समुचित ओएनएम हेतु संस्थागत व्यवस्था की स्थापना को शुरू किया गया है।