प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्कल को सर सी वी रमन की कुछ पांडुलिपियों की पुनःर्प्रस्तुति और पेपर तोहफे में दिए जिन्हें 1930 में भौतिकी में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सर सी वी रमन को प्रकाश के उत्कीर्णन के लिए यह सम्मान मिला था। उन्होंने अपनी ज्यादातर पढ़ाई और प्रयोग भी भारत में ही किए तथा अधिकतर जीवन भारत में ही बिताया लेकिन जर्मनी के साथ उनके बड़े आत्मीय संबंध थे।
विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने के लिए श्री सी वी रमन की मुख्य प्रेरणा 19वीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन भौतिक विज्ञानी हर्मन वॉन हेलमॉल्ट्ज थे। अपने भाषण में एक बार उन्होंने वॉन हेलमॉल्ट्ज की तुलना इसाक न्यूटन से की थी। हेलमॉल्ट्ज की प्रसिद्ध किताब दा सेनसेशन्स ऑफ टोन ने श्री सी वी रमन को भारतीय और पश्चिमी संगीत उपकरणों के ध्वनिविज्ञान का वैज्ञानिक अध्ययन के लिए प्रेरित किया।
नोबल सम्मान के लिए नामित दो वैज्ञानिक जर्मनी के भौतिकविद रिचर्ड फीफर और जोहानेस स्टार्क थे जिन्हें 199 में नोबल से सम्मानित किया गया। रमन प्रभाव और रमन स्पेक्ट्रम की परिकल्पना 1928 में जर्मनी के भौतिकविद डॉक्टर पीटर प्रिंगशीम ने की थी जो बर्लिन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे।
वर्ष 1928 में सर सी वी रमन ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के लिए अग्रणी सैद्धांतिक भौतिकविद आर्नोल्ड समरफील्ड को आमंत्रित किया। वहां समरफील्ड ने रमन प्रभाव का प्रदर्शन देखा और दोनों यहीं से गहरे दोस्त बन गए। 1933 में श्री रमन ने बंगलौर ( अब बंगलुरू) में भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक का पद संभाला जहां उन्होंने कई जर्मन वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया। इनमें जॉर्ज वॉन हेवेसी भी शामिल थे जिन्हें 1943 में रसायन विज्ञान के नोबल से सम्मानित किया गया। 1935 में जर्मनी के अग्रणी सैद्धांतिक भौतिकविद मैक्स बॉर्न ने इस संस्थान में छह महीने बिताए थे। उन्हें बाद में नोबल से सम्मानित किया गया था।
भारत-जर्मनी के बीच अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के बीज श्री रमन के दौर में ही बोए गए। यह सहयोग बाद में और फला-फूला तथा आज जर्मनी अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के प्रमुख सहयोगियों में से एक है। प्रकाश के उत्कीर्णन का पता लगाने के लिए आधुनिक लेजर प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक तकनीक ने तरल, गैस और ठोस पदार्थों के विश्लेषण के लिए रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी को महत्वपूर्ण औजार बना दिया। रमन के कार्य को क्वांटम रसायन (जिसमें चांसलर मैर्कल ने डॉक्टरेट की है ) सहित विविध क्षेत्रों में व्यापक उपयोग किया गया है।
Presented Chancellor Angela Merkel with some manuscripts and papers by Sir C V Raman. http://t.co/WBTE6VxCdZ pic.twitter.com/sNUGEJZj9A
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2015
Sir CV Raman’s work finds extensive application in diverse areas, even quantum chemistry – in which Chancellor Merkel holds a doctorate. — Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2015
Sir CV Raman had a deep connection with Germany. He was inspired to pursue science as a career by famous German scientist von Helmholtz.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2015
Terms Raman Effect & Raman Spectrum themselves were coined in 1928 by a German physics professor Dr Peter Pringsheim. http://t.co/WBTE6VxCdZ — Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2015
Sir CV Raman, who could read German, also invited leading German scientists of the time to Calcutta University & IISc, Bangalore.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2015