प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज रोटावायरस के लिए देश में विकसित और निर्मित टीका रोटावैक लांच किया। देश में विकसित इस टीके से डायरिया के कारण होने वाले नवजातों की मृत्यु की समस्या से निपटने के प्रयासों में तेजी आएगी।
रोटावायरस के कारण डायरिया से प्रत्येक वर्ष 10 लाख लोग अस्पतालों में दाखिल होते हैं और पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 80 हजार बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इससे प्रभावित परिवारों पर संवेदी दबाव पड़ने के अलावा गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों पर असर पड़ता है और देश पर आर्थिक बोझ पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने देश में विकसित पहले रोटावायरस टीका में शामिल सभी सहयोगियों का अभिन्दन किया। यह कार्य बुनियादी शोध से लेकर उत्पाद विकास तक हुआ। प्रधानमंत्री ने उच्च श्रेणी के अनुसंधान और विकास के लिए भारत की क्षमता के रुप में इस प्रयास की प्रसंशा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विशाल और विविध देश है और अनेक सामाजिक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि रोटावायरस टीके का विकास उच्च स्तर के अनुसंधान विकास और निर्माण गितिविधियों को न केवल चिकित्सा विज्ञान में बल्कि विज्ञान और टेक्नॉलाजी के अग्रणी क्षेत्रों को प्रेरणा देगा।
उन्होंने टीके के विकास को चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी का सफल उदाहरण बताया। यह टीका निजी सार्वजनिक-साझेदारी मॉडल के तहत विकसित हुआ है। इसमें विज्ञान एवं टेक्नॉलाजी मंत्रालय, अमेरिकी सरकार के संस्थान और भारत के सरकारी संस्थान और स्वयंसेवी संगठनों ने साझेदारी की। बिल एंव मिलिंडा गेट फाउंडेशन ने समर्थन दिया। टीका विकास और उत्पादन में भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड को भारत अमेरिका टीका कार्यक्रम द्वारा 1997-98 में चुना गया था। कंपनी से टीके की कीमत प्रति खुराक एक अमेरिकी डालर रखने को कहा गया है। रोटावायरस के खिलाफ यह टीका वैश्विक रूप से तीसरा टीका है और वर्तमान मूल्य पर सबसे सस्ता है।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री वेंकैया नायडू, श्री जे. पी. नड्डा तथा श्री हर्ष वर्धन उपस्थित थे।