रीडिंग मंथ सेलिब्रेशन के उद्घाटन अवसर पर यहां आने से मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। मैं इसे आयोजित करने के लिए पी. एन. पनिकर फाउंडेशन को धन्यवाद और बधाई देता हूं। पढ़ने से बढ़कर कोई आनंद नहीं हो सकता और ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं हो सकती है।
मित्रों,
केरल साक्षरता के क्षेत्र में एक मशाल वाहक और पूरे देश के लिए एक प्रेरणा रहा है।
पहला 100 प्रतिशत साक्षर शहर और पहला 100 प्रतिशत साक्षर जिला केरल से ही हैं। केरल 100 प्रतिशत प्राथमिक शिक्षा हासिल करने वाला पहला राज्य भी था। देश के कुछ सबसे पुराने कॉलेज, स्कूल और पुस्तकालय भी केरल में ही हैं।
यह अकेले सरकार द्वारा हासिल नहीं किया जा सकता था। इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने में नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने काफी सक्रिय भूमिका निभाई है। केरल ने इस संबंध में लोगों की भागीदारी का एक मिसाल कायम किया है। मैं स्वर्गीय श्री पी. एन. पनिकर जैसे लोगों और उनके फाउंडेशन के कार्य की सराहना करता हूं। श्री पी. एन. पनिकर केरल में पुस्तकालय नेटवर्क के पीछे भी एक प्रेरणास्रोत रहे हैं। उन्होंने यह केरल ग्रंथशाला संगम के जरिये किया जिसकी स्थापना उन्होंने 1945 में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों के साथ की थी।
मेरा मानना है कि पठन और ज्ञान का दायरा केवल काम संबंधी पहलुओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। बल्कि इसे लोगों में सामाजिक दायित्व, राष्ट्र सेवा और मानवता की सेवा जैसी आदतों को विकसित करने में मदद करनी चाहिए। इसे समाज और राष्ट्र में बुराइयों को ठीक करना चाहिए। इसे राष्ट्र की एकता और अखंडता का सम्मान करते हुए शांति के विचारों को फैलाना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है कि एक साक्षर महिला दो परिवारों को शिक्षित कर सकती है। केरल ने इस संबंध में अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है।
मुझे पता है कि पीएन पनिकर फाउंडेशन कई सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और नागरिक सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर पठन के लिए पहल का नेतृत्व कर रहा है।
उनका लक्ष्य 2022 तक 300 मिलियन वंचित लोगों तक पहुंचना है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य विकास एवं समृद्धि के साधन के रूप में पठन को बढ़ावा देना है।
पठन करने से लोगों को अपनी सोच का दायरा बढ़ाने में मदद मिलती है। खूब पढ़ने वाली आबादी भारत को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करेगी।
जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो इसी भावना के साथ मैंने ‘वंचे गुजरात’ नाम से इसी तरह का आंदोलन शुरू किया था। इसका अर्थ है ‘गुजरात पढ़ता है’। मैंने लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए एक सार्वजनिक पुस्तकालय का दौरा किया था। वह आंदोलन मुख्य तौर पर युवा पीढ़ी पर लक्षित था। मैंने नागरिकों से भी अनुरोध किया कि वे अपने गांव में ‘ग्रंथ मंदिर’ यानी किताबों का मंदिर बनाने के बारे में सोचें। इसे 50 या 100 किताबों के साथ भी शुरू किया जा सकता है।
मैंने लोगों से अपील किया कि वे एक-दूसरे को शुभकामनाओं के तौर पर गुलदस्ता देने के बजाय किताब दें। इस प्रकार की पहल से काफी बदलाव आ सकता है।
मित्रों,
उपनिषद काल से ही ज्ञानवान लोगों का सदियों से सम्मान किया जाता रहा है। अब हम सूचना युग में पहुंच चुके हैं। लेकिन ज्ञान आज भी हमारा सबसे अच्छा मार्गदर्शक है।
मुझे बताया गया है कि डिजिटल लाइब्रेरी की पायलट परियोजना के तौर पर पनिकर फाउंडेशन इंडियन पब्लिक लाइक्रेरी मुवमेंट, नई दिल्ली के साथ मिलकर राज्य में 18 सार्वजनिक पुस्तकालयों के साथ काम कर रहा है।
मैं पूरे देश में इस तरह पढ़ने और पुस्तकालय का आंदोलन देखना चाहता हूं। यह आंदोलन केवल लोगों को साक्षर करने तक सीमित नहीं होना चाहिए। बल्कि इसे सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव लाने के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। अच्छे ज्ञान की नींव पर ही बेहतर समाज का एक व्यापक ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।
मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि राज्य सरकार ने 19 जून को पठन दिवस के तौर पर घोषित किया है। जाहिर तौर पर इसे लोकप्रिय बनाने के लिए काफी प्रयास करने पड़ेंगे।
भारत सरकार ने भी इस फाउंडेशन की गतिविधियों को सहायता प्रदान की है। मुझे बताया गया है कि पिछले दो वर्षों के दौरान इस फाउंडेशन को 1.20 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
मुझे यह देखकर भी खुशी हो रही है कि यह फाउंडेशन अब डिजिटल साक्षरता पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह समय की आवश्यकता है।
मित्रों,
मुझे लोगों की ताकत में भरोसा है। उसमें एक बेहतर समाज और राष्ट्र बनाने की क्षमता मौजूद है।
मैं यहां मौजूद हरेक युवा से पढ़ने की प्रतिज्ञा करने का आग्रह करता हूं। और ऐसा करने के लिए सभी को समर्थ बनाएं।
साथ मिलकर हम भारत को एक बार फिर ज्ञान और बुद्धि की भूमि बना सकते हैं।
धन्यवाद!
Kerala's success in education could not have been achieved by Govts alone. Citizens & social organizations have played an active role: PM
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017
Shri P.N. Panicker was the driving spirit behind the library network in Kerala through Kerala Grandhasala Sangham with 47 libraries: PM Modi
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017
With the same spirit, I had started a similar movement by name of VANCHE GUJARAT when I was Chief Minister of Gujarat: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017
I appeal to people to give a book instead of bouquet as a greeting. Such a move can make a big difference: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017
I am also happy to see that the foundation is now focusing on digital literacy. This is the need of the hour: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017
I believe in people’s power. I see big hope in such committed social movements. They have the capacity to make a better society & nation: PM
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017
Together, we can once again make India a land of wisdom and knowledge: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2017