प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन बिन्दुओं पर अनुमति प्रदान कर दी हैः
• शुष्क क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान हेतु अंतरराष्ट्रीय केंद्र (ICARDA) द्वारा द्वितीय चरण में पश्चिम बंगाल (दालों के लिए) और राजस्थान में (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए) सैटेलाइट केन्द्रों के माध्यम से अमलाह, सिहोर, मध्य प्रदेश में खाद्य फली अनुसंधान प्लेटफोर्म (Food Legumes Research Platform) स्थापित करने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है
• सिहोर के अमलाह में जमीन(70.99 हेक्टेयर, 175.42 एकड़) के लिए मध्य प्रदेश सरकार से एक पट्टे पर हुए हस्ताक्षर को स्वीकृति दी। मध्य प्रदेश सरकार ने यह जमीन एक रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 30 वर्षों के लिए किराये पर देने तथा तत्पश्चात शुष्क क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान हेतु अंतरराष्ट्रीय केंद्र (ICARDA) द्वारा इस जमीन पर एफएलआरपी को विकसित करने के लिए सहमति जताई है।
• सैद्धांतिक तौर पर आईसीआरडीए के खाद्य फली अनुसंधान केंद्र को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिला हुआ है जो कि संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार और उन्मुक्ति) अधिनियम, 1947 की धारा 3 के तहत आता है।
• इस केंद्र की स्थापना से संबंधित सभी तरह के मुद्दों को देखने के लिए भारत सरकार की ओर से कृषि अनुसंधान विभाग(डीएआरई) अधिकृत है।
• खाद्य फली अनुसंधान केंद्र को लेकर आईसीएआर और आईसीएआरडी के बीच पूरक अनुबंध पर हुए करार के अनुसार जरूरत पड़ने पर किसी तकनीकी सुधार के लिए कृषि मंत्रालय अधिकृत किया है।
खाद्य फली अनुसंधान केंद्र की स्थापना होने से भारत उभर रही खाद्य चुनौती को लेकर अंतरराष्ट्रीय विज्ञान बैठकों का आयोजन करने में सक्षम होगा। खाद्य फली अनुसंधान केंद्र के जरिये भारत तेज रफ्तार में और प्रभावी अनुसंधान करने में सक्षम होगा। अनुसंधान और विकास को लेकर एक बड़ा संस्थान बनने से देश इस क्षेत्र में विदेशी निवेश आकर्षित करने में सफल होगा। अनुसंधान के लिए यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा स्थापित होगा। शुष्क क्षेत्र में उत्पादन प्रणालियों के लिए उपयुक्त फली की किस्मों सहित जलवायु-तन्यक प्रौद्योगिकियों जैसे नवोन्मेष के क्षेत्र में आईसीएआरडी का रिकॉर्ड बढिया रहा है। बहुद्देशीय वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ आईसीएआरडी फसल पांति-भूमि और पशुधन के उत्पादन बढ़ाने को लेकर अनुसंधान करेगा। यह केंद्र गरीबी कम करने, खाद्य सुरक्षा में सुधार, पोषण एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार और स्थायी प्राकृतिक संसाधनों के स्तर में सुधार होगा।
इन अनुसंधान कार्यों से सभी क्षेत्रों के बड़े से लेकर सीमांत किसानों तक को लाभ मिलेगा क्योंकि विकसित हुयी प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सभी किसान सक्षम होंगे तथा यह परियोजना न्यायसंगत और समावेशी है।