प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दो राज्यों, गुजरात और उत्तराखंड के संबंध में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में संशोधन को मंजूरी दी गई ताकि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) से प्राप्त सुझावों के अनुरूप ओबीसी की केंद्रीय सूची में जातियों/समुदायों में समावेश/सुधार के जरिए ओबीसी की केंद्रीय सूची में समुचित संशोधन किया जा सके।
इन संशोधनों से इन जातियों/समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को सरकारी नौकरियों और केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में मौजूदा नीति के अनुरूप आरक्षण की सुविधा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा इन वर्गों से संबंधित व्यक्तियों को केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों आदि के लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह सुविधाएं अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित व्यक्तियों को उपलब्ध हैं।
निम्नलिखित जातियों/समुदायों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल किया गया है जो दो राज्यों गुजरात और उत्तराखंड के संबंध में है:-
1. | सिपाई | कहार |
2. | पतनी जमात या तुर्क जमात (सभी मुस्लिम) | तंवर सिंघरिया | क्रमांक संख्या | गुजरात | उत्तराखंड |
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पृष्ठभूमिका:-
एनसीबीसी का गठन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 के अनुरूप इंदिरा साहनी मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर हुआ था। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 की धारा 9 (‘आयोग के कार्य’) कहती है:-
1. आयोग नागरिकों के किसी भी वर्ग को सूची में पिछड़े वर्ग के रूप में शामिल करने के आग्रह पर विचार करेगा और इस तरह की सूचियों को किसी पिछड़े वर्ग को समावेश से अधिक होने या समावेश से कम होने संबंधी शिकायतों को सुनेगा तथा अपने द्वारा उचित समझे गए माध्यम से केंद्र सरकार को सलाह देगा।
2. आयोग की सलाह साधारणत: केंद्र सरकार पर बाध्य होगी।
एनसीबीसी समय-समय पर केंद्र सरकार को सलाह देता रहा है। अब तक कुल 37 अधिसूचनाएं जारी की जा चुकी हैं। कुल 2404 ‘प्रविष्टियां’ (‘प्रविष्टि’ का अर्थ जाति जिसमें पर्यायवाची, उप-जातियां आदि शामिल हैं) 24 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ओबीसी की केंद्रीय सूची में अधिसूचित की जा चुकी हैं। इस तरह की अंतिम अधिसूचना 14 जुलाई, 2015 को जारी हुई थी। इसके अनुरूप अब 2 राज्यों के संबंध में एनसीबीसी की सिफारिशों पर कुल दो बदलावों को अधिसूचित करने का प्रस्ताव है।