प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया। सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में भारत की उपलब्धियां, दुनिया की भारत से अपेक्षाएं और विकसित भारत के निर्माण में आम आदमी का विश्वास समाहित है। उन्होंने कहा कि अभिभाषण प्रेरक, प्रभावी और भविष्य के कार्यों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने वाला था। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया।
श्री मोदी ने कहा कि 70 से अधिक माननीय सांसदों ने अपने बहुमूल्य विचारों से धन्यवाद प्रस्ताव को समृद्ध किया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से चर्चा हुई और सभी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को अपनी समझ के आधार पर समझाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के बारे में बहुत कुछ कहा गया है और वह समझ नहीं पा रहे हैं कि इसमें कठिनाई क्या है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सबका साथ, सबका विकास हमारा सामूहिक दायित्व है और इसीलिए देश ने उन्हें सेवा करने का अवसर दिया है।
2014 से लगातार सेवा करने का अवसर देने के लिए भारत की जनता का आभार व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह हमारे विकास के मॉडल का प्रमाण है, जिसे जनता ने परखा है, समझा है और समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ वाक्यांश उनके विकास के मॉडल को दर्शाता है और यह सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। स्वतंत्रता के बाद 5-6 दशकों के लंबे अंतराल के बाद शासन और प्रशासन के वैकल्पिक मॉडल की आवश्यकता बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश को 2014 से विकास का एक नया मॉडल देखने का अवसर मिला है, जो तुष्टिकरण नहीं, संतुष्टीकरण पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी कोशिश रही है कि भारत के पास जो भी संसाधन है, उनका अधिकतम उपयोग किया जाए।”उन्होंने कहा कि भारत का समय बर्बाद न हो, बल्कि राष्ट्र के विकास और जन कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाए, इसलिए, उन्होंने कहा, “हमने संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाया है।” उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण का उद्देश्य योजना का 100 प्रतिशत लाभ उसके वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना है। पिछले दशक में “सबका साथ, सबका विश्वास” की सच्ची भावना को जमीनी स्तर पर लागू किए जाने पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह अब स्पष्ट है क्योंकि वे प्रयास विकास और प्रगति के रूप में फलीभूत हुए हैं। उन्होंने कहा, “सबका साथ, सबका विश्वास हमारे शासन का मूल मंत्र है।” प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार ने एससी, एसटी अधिनियम को मजबूत करके अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी है जो गरीबों और आदिवासियों के सम्मान और सुरक्षा को बढ़ाकर उन्हें सशक्त बनाएगा।
आज के समय में जातिवाद का जहर फैलाने के लिए किए जा रहे भरपूर प्रयासों पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि पिछले तीन दशकों से दोनों सदनों के विभिन्न दलों के ओबीसी सांसद ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उनकी सरकार ही थी जिसने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछड़े वर्गों का सम्मान और आदर भी उनकी सरकार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे 140 करोड़ भारतीयों जनता जनार्दन के रूप में पूजने वाले लोग हैं।
श्री मोदी ने कहा कि देश में जब-जब आरक्षण का मुद्दा उठा है, इस समस्या को हल करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हर बार देश को बांटने, तनाव पैदा करने और एक-दूसरे के खिलाफ दुश्मनी पैदा करने के तरीके अपनाए गए। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश आजाद होने के बाद भी इसी तरह के तरीके अपनाए गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार उनकी सरकार ने सबका साथ, सबका विकास के मंत्र से प्रेरित एक मॉडल पेश किया, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बिना किसी तनाव या बिना किसी का कुछ छीने लगभग 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि इस फैसले का एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों ने स्वागत किया और किसी ने भी कोई असहजता नहीं जताई। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर आधारित कार्यान्वयन पद्धति को स्वस्थ और शांतिपूर्ण तरीके से लागू किया गया, जिससे इस फैसले को देश भर में स्वीकृति मिली।
प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि देश में दिव्यांगों व्यक्तियों पर कभी उतना ध्यान नहीं दिया गया था, जिसके वे हकदार हैं । उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के तहत उनकी सरकार ने दिव्यांगों के लिए आरक्षण का विस्तार किया है और उन्हें सुविधाएं प्रदान करने के लिए मिशन मोड में काम किया है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि विशेष रूप से दिव्यांगों के लाभ के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं बनाई गई लागू की गई हैं। इसके अलावा, श्री मोदी ने ट्रांसजेंडर समुदाय के कानूनी अधिकारों के लिए किए गए प्रयासों पर जोर देते हुए, पुख्ता कानूनी उपायों के जरिए उनके अधिकारों को सुनिश्चित किए जाने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के प्रति सरकार का दृष्टिकोण समाज के वंचित वर्गों के प्रति उसकी दयालु सोच से प्रदर्शित होता है।
श्री मोदी ने कहा, “भारत की प्रगति नारी शक्ति से प्रेरित है।”उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर महिलाओं को अवसर दिए जाएं और वे नीति-निर्माण का हिस्सा बनें, तो इससे देश की प्रगति में और गति आ सकती है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि नई संसद में सरकार का पहला निर्णय नारी शक्ति के सम्मान को समर्पित था। श्री मोदी ने इस बात को इंगित किया कि नई संसद को केवल उसके रूप रंग के लिए नहीं, बल्कि इसके पहले निर्णय के लिए भी याद किया जाएगा, जो नारी शक्ति के सम्मान के लिए था। उन्होंने कहा कि वाह-वाही लेने के लिए नई संसद का आरंभ अलग तरीके से किया जा सकता था, लेकिन इसके बजाय इसे मातृशक्ति की वाह-वाही के लिए समर्पित किया गया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संसद ने मातृशक्ति के आशीर्वाद से अपना काम शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को कभी भारत रत्न के योग्य नहीं समझा। श्री मोदी ने कहा कि इसके बावजूद देश की जनता ने हमेशा डॉ. अंबेडकर की भावना और आदर्शों का सम्मान किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज के सभी वर्गों से मिले इस सम्मान के कारण ही अब सभी दलों के लोग अनिच्छा से ही सही, लेकिन “जय भीम” कहने को मजबूर हैं।
श्री मोदी ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर एससी और एसटी समुदायों की बुनियादी चुनौतियों को गहराई से समझते थे, क्योंकि उनके दर्द और पीड़ा को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ. अंबेडकर ने इन समुदायों की आर्थिक उन्नति के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत किया। डॉ. अंबेडकर के एक उद्धरण, जिसमें कहा गया है कि “भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन दलितों के लिए यह आजीविका का मुख्य साधन बन ही नहीं सकता”को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने इसके लिए दो कारणों की पहचान की: पहला, भूमि खरीदना उनके सामर्थ्य से बाहर है, दूसरा अगर उनके पास धन हो, तो भी उनके लिए भूमि खरीदने का कोई अवसर नहीं है । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डॉ. अंबेडकर ने दलितों, आदिवासियों और वंचित वर्गों के साथ होने वाले इस अन्याय के समाधान के रूप में औद्योगीकरण की वकालत की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ. अंबेडकर आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए कौशल आधारित नौकरियों और उद्यमिता को बढ़ावा देने में विश्वास करते थे। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण पर विचार नहीं किया गया और स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक इसे पूरी तरह खारिज कर दिया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डॉ. अंबेडकर का उद्देश्य एससी और एसटी समुदायों की आर्थिक कठिनाइयों को खत्म करना था।
प्रधानमंत्री ने इस बात की ओर इंगित किया कि 2014 में उनकी सरकार ने कौशल विकास, वित्तीय समावेशन और औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत को रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य लोहार और कुम्हार जैसे पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को बढ़ावा देना है, जिनके बिना समाज की रचना ही संभव नहीं है और सभी गांवों में बिखरे हुए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज के इस वर्ग के लिए पहली बार कोई चिंता की गई है, उन्हें प्रशिक्षण, तकनीकी उन्नयन, नए औजार, डिजाइनिंग में सहायता, वित्तीय सहायता और बाजार तक पहुंच प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि समाज को आकार देने में इस उपेक्षित समूह की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उनकी सरकार ने इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है।
श्री मोदी ने कहा, “हमारी सरकार ने उद्यम के क्षेत्र में पहली बार कदम रखने वालों को आमंत्रित और प्रोत्साहित करने के लिए मुद्रा योजना शुरू की”, और आत्मनिर्भरता पाने का समाज के इस महत्वपूर्ण वर्ग का सपना साकार करने में मदद करने के लिए बिना गारंटी के ऋण प्रदान करने का बहुत बड़ा अभियान चलाया, जिसमें बहुत बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने स्टैंड अप इंडिया योजना का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य एससी, एसटी और किसी भी समुदाय की महिलाओं को उनके उद्यमों में सहायता देने के लिए एक करोड़़ रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष इस योजना का बजट दोगुना कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने देखा है कि वंचित समुदायों के लाखों युवाओं और महिलाओं ने मुद्रा योजना के तहत अपना व्यवसाय शुरू किया है, उन्होंने खुद का तो रोजगार पाया ही है, लेकिन साथ ही दूसरे लोगों को भी रोजगार दिया है। उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के सपने को साकार करते हुए मुद्रा योजना के माध्यम से प्रत्येक कारीगर और प्रत्येक समुदाय के सशक्तिकरण किए जाने को रेखांकित किया।
गरीबों और वंचितों के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों की अनदेखी की गई थी, उन्हें अब प्राथमिकता दी जा रही है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा बजट ने चमड़ा और फुटवियर उद्योग जैसे विभिन्न छोटे क्षेत्रों को स्पर्श किया है, जिससे गरीबों और वंचितों को लाभ हुआ है। प्रधानमंत्री ने उदाहरण के तौर पर खिलौना उद्योग का उल्लेख करते हुए कहा कि वंचित समुदायों के अनेक लोग खिलौने बनाने में संलग्न हैं। सरकार ने इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है, गरीब परिवारों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान की गई है। इसके परिणामस्वरूप खिलौनों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि है, जो तीन गुना हो गया है, जिससे अपनी आजीविका के लिए इस उद्योग पर निर्भर रहने वाले वंचित समुदायों को लाभ हुआ है।
भारत में मछुआरा समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने मछुआरों के लिए एक अलग मंत्रालय की स्थापना की है और उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन क्षेत्र में लगभग 40,000 करोड़़ रूपये शामिल किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन प्रयासों से मछली उत्पादन और निर्यात दोगुना हो गया है, जिसका सीधा लाभ मछुआरा समुदाय को मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने समाज के सबसे उपेक्षित वर्गों के कल्याण के लिए काम करने की सरकार की प्राथमिकता दोहराई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जातिवाद का जहर फैलाने के नए प्रयास हो रहे हैं, जो हमारे आदिवासी समुदायों को विभिन्न स्तरों पर प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि कुछ समूहों की आबादी बहुत कम है, जो देश में 200-300 स्थानों पर फैले हुए हैं और अत्यधिक उपेक्षित हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से प्राप्त मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त किया, जो इन समुदायों को काफी निकट से जानती हैं। श्री मोदी ने कहा कि इन विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों को विशिष्ट योजनाओं में शामिल करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। उन्होंने इन समुदायों को सुविधाएं और कल्याणकारी उपाय प्रदान करने के लिए 24,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ पीएम जनमन योजना की शुरुआत का उल्लेख किया। इसका लक्ष्य उन्हें अन्य आदिवासी समुदायों के स्तर पर ऊपर उठाना और अंततः उन्हें पूरे समाज के बराबर लाना है।
श्री मोदी ने कहा, “हमारी सरकार ने देश के उन विभिन्न क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया है, जिनमें बेहद पिछड़ापन है, जैसे कि सीमावर्ती गांव।” उन्होंने सीमावर्ती ग्रामीणों को प्राथमिकता दिया जाना सुनिश्चित करते हुए सरकार द्वारा लाए गए मनोवैज्ञानिक परिवर्तन को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन गांवों को, जहां सूर्य की पहली और आखिरी किरणें पड़ती हैं, विशिष्ट विकास योजनाओं के साथ “पहले गांव” के रूप में विशेष दर्जा दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्रामीणों की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने के लिए, मंत्रियों को दूरदराज के गांवों में माइनस 15 डिग्री जैसी चरम स्थितियों में भी 24 घंटे रहने के लिए भेजा गया। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय समारोहों में इन सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्राम प्रधानों को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने सबका साथ, सबका विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और हर उपेक्षित समुदाय तक पहुंच कायम करने के लिए जारी प्रयासों पर जोर दिया। श्री मोदी ने देश की सुरक्षा के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के महत्व और उपयोगिता को रेखांकित करते हुए बताया कि सरकार द्वारा इस पर निरंतर बल दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में गणतंत्र के 75 वर्ष के अवसर पर सभी से संविधान निर्माताओं से प्रेरणा लेने का आग्रह किया है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सरकार संविधान निर्माताओं की भावनाओं का आदर करते हुए और उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रही है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विषय पर बोलते हुए श्री मोदी ने कहा कि जो लोग संविधान सभा की चर्चा पढ़ेंगे, वे उन भावनाओं को सामने लाने के हमारे प्रयासों को समझेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से आपत्ति हो सकती है, लेकिन सरकार साहस और समर्पण के साथ इस दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
संविधान निर्माताओं का सम्मान करने और उनके विचारों से प्रेरणा लेने के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि आजादी के तुरंत बाद ही संविधान निर्माताओं की भावनाओं की अवहेलना की गई। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि एक अंतरिम व्यवस्था ने, जो निर्वाचित सरकार नहीं थी, निर्वाचित सरकार द्वारा ऐसा किए जाने की प्रतीक्षा किए बिना ही संविधान में संशोधन कर दिए। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने लोकतंत्र को बनाए रखने का दावा करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया और प्रेस पर प्रतिबंध लगाए। उन्होंने कहा कि यह संविधान की भावना का पूरी तरह अनादर था।
श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली स्वतंत्र भारत की पहली सरकार के कार्यकाल के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन के कई उदाहरण थे। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि मुंबई में श्रमिकों की हड़ताल के दौरान प्रसिद्ध कवि श्री मजरूह सुल्तानपुरी ने राष्ट्रमंडल की आलोचना करते हुए एक कविता गाई थी, जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रसिद्ध अभिनेता श्री बलराज साहनी को केवल आंदोलनकारियों के एक जुलूस में भाग लेने के लिए जेल जाना पड़ा था। उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर जी के भाई श्री हृदयनाथ मंगेशकर को वीर सावरकर पर एक कविता स्वरबद्ध करके आकाशवाणी पर प्रस्तुत करने की योजना बनाने का खामियाजा भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि केवल इसी कारण, हृदयनाथ मंगेशकर को आकाशवाणी से हमेशा के लिए बाहर कर दिया गया था।
आपातकाल के दौरान देश के अनुभवों को याद करते हुए, जिस दौरान सत्ता की खातिर संविधान को कुचला गया और उसकी मूल भावना को रौंदा गया, श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि देश को यह याद है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आपातकाल के दौरान, प्रसिद्ध वरिष्ठ अभिनेता श्री देव आनंद से आपातकाल का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने का अनुरोध किया गया था। श्री देव आनंद ने साहस दिखाया और इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप दूरदर्शन पर उनकी सभी फिल्मों को प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री ने उन लोगों की आलोचना की, जो संविधान की बात तो करते हैं लेकिन उन्होंने बरसों से संविधान को अपनी जेब में रखा है और संविधान का सम्मान नहीं किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि श्री किशोर कुमार ने तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी के लिए गाने से इनकार कर दिया और इसके परिणामस्वरूप, आकाशवाणी पर उनके सभी गानों को प्रतिबंधित कर दिया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आपातकाल के दिनों को नहीं भूल सकते। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र और मानवीय गरिमा की बात करने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान श्री जॉर्ज फर्नांडिस सहित देश के महानुभावों को हथकड़ी और जंजीरों में जकड़ दिया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस दौरान संसद के सदस्यों और राष्ट्रीय नेताओं को भी हथकड़ियों और जंजीरों से बांधा गया था। उन्होंने कहा कि “संविधान” शब्द उनको शोभा नहीं देता है।
श्री मोदी ने कहा कि सत्ता सुख के लिए, शाही परिवार के अहंकार के लिए, इस देश के लाखों परिवारों को तबाह कर दिया गया और देश को जेलखाना बना दिया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि बहुत लंबा संघर्ष चला, जिसने खुद को अजेय मानने वालों को जनता की ताकत के आगे झुकने पर मजबूर कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय लोगों की रगों में समाहित लोकतांत्रिक भावना के कारण आपातकाल हटाया गया। उन्होंने कहा कि वे वरिष्ठ नेताओं का बहुत सम्मान करते हैं और उनकी लंबी सार्वजनिक सेवाओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने श्री मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व प्रधानमंत्री श्री देवेगौड़ा जैसे नेताओं की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया।
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि गरीबों का सशक्तिकरण और उत्थान जितना व्यापक उनकी सरकार के कार्यकाल में हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने गरीबों को सशक्त बनाने और उन्हें गरीबी से उबरने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से योजनाएं बनाई हैं। उन्होंने देश के गरीबों की क्षमता पर भरोसा व्यक्त करते हुए कहा कि अवसर मिलने पर वे किसी भी चुनौती से पार पा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गरीबों ने इन योजनाओं और अवसरों का लाभ उठाकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, “सशक्तिकरण के माध्यम से, 25 करोड़ लोग सफलतापूर्वक गरीबी से बाहर निकले हैं, जो सरकार के लिए गर्व की बात है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग गरीबी से निकले हैं, वे कठोर परिश्रम करके, सरकार पर भरोसा करते हुए और योजनाओं का लाभ उठाकर निकले हैं और आज उन्होंने देश में एक नव-मध्यम वर्ग बनाया है ।
नव-मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी आकांक्षाएं देश की प्रगति के लिए प्रेरक शक्ति हैं, जो राष्ट्रीय विकास के लिए नई ऊर्जा और ठोस आधार प्रदान करती हैं। उन्होंने मध्यम वर्ग और नव-मध्यम वर्ग के सामर्थ्य को बढ़ाने के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट में मध्यम वर्ग के एक बड़े हिस्से को करों से छूट दी गई है। 2013 में आयकर छूट की सीमा 2 लाख रुपये तक थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि 70 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, चाहे वे किसी भी वर्ग या समुदाय से हों, आयुष्मान भारत योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें मध्यम वर्ग के बुजुर्गों को काफी लाभ मिल रहा है।
श्री मोदी ने कहा, “हमने नागरिकों के लिए चार करोड़ घर बनाए हैं, जिनमें से एक करोड़ से ज़्यादा घर शहरों में बनाए गए हैं।” उन्होंने कहा कि घर खरीदने वालों के साथ काफ़ी धोखाधड़ी होती थी, इसलिए सुरक्षा प्रदान करना ज़रूरी हो गया था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस संसद में रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) (रेरा) अधिनियम का पारित होना मध्यम वर्ग के लिए घर के स्वामित्व के सपने की राह की बाधाओं को दूर करने में एक महत्वपूर्ण हथियार बन गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा बजट में स्वामी पहल की गई है, जिसके तहत रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जहां मध्यम वर्ग का पैसा और सुविधाएं अटकी हुई हैं । उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस पहल का उद्देश्य मध्यम वर्ग के सपनों को साकार करना है।
दुनिया भर में पहचान बना चुकी स्टार्टअप क्रांति की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये स्टार्टअप मुख्य रूप से मध्यम वर्ग के युवाओं द्वारा संचालित हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में 50-60 स्थानों पर आयोजित जी-20 बैठकों के कारण दुनिया तेजी से भारत की ओर आकर्षित हो रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इससे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु से परे भारत की विशालता का पता चला है। उन्होंने बताया कि भारतीय पर्यटन में दुनिया की बढ़ती रुचि कई व्यावसायिक अवसर लाती है, जो आय के विभिन्न स्रोत प्रदान करके मध्यम वर्ग को बहुत लाभ पहुंचाती है।
श्री मोदी ने कहा, “आज मध्यम वर्ग आत्मविश्वास से भरा हुआ है, जो अभूतपूर्व है और राष्ट्र को बहुत मजबूत बनाता है।” उन्होंने इस बात पर दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय मध्यम वर्ग विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए दृढ़ संकल्पित और पूरी तरह तैयार है, जो मजबूती से खड़ा है और एक साथ आगे बढ़ रहा है।
विकसित भारत के निर्माण में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने जनसांख्यिकीय लाभांश पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र ही विकसित राष्ट्र के सबसे बड़े लाभार्थी बनने वाले हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे युवाओं की उम्र बढ़ेगी, वैसे-वैसे देश की विकास की यात्रा बढ़ेगी, जिससे वे विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण आधार बनेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले एक दशक में स्कूलों और कॉलेजों में युवा आधार को मजबूत करने के लिए बहुत सोची समझी रणनीति के तहत काम किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले 30 वर्षों से 21वीं सदी की शिक्षा के बारे में बहुत कम सोचा गया और पहले का रवैया यह था कि जो चलता है चलने दो । श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इन मुद्दों को हल करने के लिए लगभग तीन दशक के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पेश की गई। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि इस नीति के तहत पीएम श्री स्कूलों की स्थापना सहित विभिन्न पहलों का उद्देश्य शिक्षा में क्रांति लाना है। उन्होंने कहा कि लगभग 10,000 से 12,000 पीएम श्री स्कूल पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं तथा भविष्य में और भी स्कूल बनाने की योजना है। उन्होंने शिक्षा नीति में बदलावों के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय पर भी जोर दिया, जिसमें अब मातृभाषा में पढ़ाई और मातृभाषा में परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान शामिल है। भारत में भाषा के बारे में औपनिवेशिक मानसिकता को रेखांकित करते हुए, उन्होंने भाषा की बाधाओं के कारण गरीब, दलित, आदिवासी और वंचित समुदायों के बच्चों के साथ होने वाले अन्याय पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अपनी मातृभाषा में शिक्षा की आवश्यकता के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा कि अंग्रेजी में दक्षता की परवाह न करते हुए छात्र डॉक्टर और इंजीनियर के रूप में अपना करियर बना सकें। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए किए गए महत्वपूर्ण सुधारों पर जोर दिया कि सभी पृष्ठभूमियों के बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना देख सकें। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने आदिवासी युवाओं के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के विस्तार को रेखांकित किया, 10 साल पहले करीब डेढ़ सौ एकलव्य विद्यालय थे, जो आज चार सौ सत्तर हो गए हैं, और 200 से अधिक नए स्कूल स्थापित करने की योजना है।
शिक्षा सुधारों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सैनिक स्कूलों में लड़कियों के दाखिले के प्रावधान करते हुए बड़े सुधार किए गए हैं। इन स्कूलों के महत्व और क्षमता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में सैकड़ों लड़कियां इस देशभक्तिपूर्ण माहौल में पढ़ रही हैं, जिससे देश के प्रति समर्पण की भावना उनमें स्वाभाविक रूप से पैदा हो रही है।
युवाओं की ग्रूमिंग में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग एनसीसी से जुड़े रहे हैं, वे जानते हैं कि यह उस महत्वपूर्ण उम्र में व्यापक विकास और अनुभव का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने हाल के वर्षों में एनसीसी के अभूतपूर्व विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि कैडेटों की संख्या 2014 में लगभग 14 लाख से बढ़कर आज 20 लाख से अधिक हो गई है।
देश के युवाओं में उमंग, उत्साह और नियमित कार्यों से परे, कुछ नया कर गुजरने की इच्छा पर जोर देते हुए श्री मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कई शहरों में युवा समूह अपनी स्वयं प्रेरणा से स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ युवा झुग्गी-झोपड़ियों में शिक्षा और विभिन्न अन्य पहलों के लिए काम करते हैं। इसे देखते हुए, प्रधानमंत्री को लगा कि युवाओं अवसर मिलना चाहिए और संगठित प्रयास होना चाहिए, इसके परिणामस्वरूप “मेरा भारत” या मेरा युवा भारत मुहिम की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि आज, 1.5 करोड़ से अधिक युवा उस पर पंजीकृत हैं और वर्तमान मुद्दों पर चर्चा में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, समाज में जागरूकता बढ़ा रहे हैं और बिना किसी मदद के अपनी क्षमताओं के साथ सकारात्मक कार्य कर रहे हैं।
खेल भावना को बढ़ावा देने में खेलों के महत्व और खेलों का व्यापक प्रसार होने पर राष्ट्र की भावना के विकसित होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि खेल प्रतिभाओं की सहायता के लिए कई पहल की गई हैं, जिनमें अभूतपूर्व वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है। उन्होंने कहा कि टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टीओपीएस) और खेलो इंडिया अभियान हमारे खेल इकोसिस्टम को पूरी तरह बदलने की ताकत रखते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में, भारतीय एथलीटों ने विभिन्न खेल आयोजनों में अपना सामर्थ्य दिखाया है, जिसमें युवतियों सहित भारत के नौजवान दम-खम के साथ दुनिया के सामने भारत की ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने विकासशील राष्ट्र को विकसित राष्ट्र में बदलने में बुनियादी ढांचे के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने देश के विकास के लिए कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा दोनों को ही महत्वपूर्ण करार देते हुए ढांचागत परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देरी से करदाताओं के पैसे की बर्बादी होती है और देश उस लाभ से वंचित रह जाता है। परियोजना निष्पादन में देरी और राजनीतिक हस्तक्षेप की पिछली व्यवस्था की संस्कृति की आलोचना करते हुए श्री मोदी ने प्रगति मंच की स्थापना किए जाने का उल्लेख किया, जिसमें वह स्वयं ड्रोन से रियल टाइम वीडियोग्राफी और हितधारकों के साथ लाइव बातचीत सहित ढांचागत परियोजनाओं की विस्तृत निगरानी के लिए व्यक्तिगत रूप से समीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों या विभिन्न विभागों के बीच समन्वय के मुद्दों के कारण लगभग 19 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं रुकी रहीं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन को रेखांकित किया जिसमें प्रगति की प्रशंसा की गई है और सुझाव दिया गया है कि अन्य विकासशील देश इसके अनुभवों से लाभान्वित हो सकते हैं। अतीत की अक्षमताओं को दर्शाने के लिए उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने 1972 में स्वीकृत सरयू नहर परियोजना का उल्लेख किया, जो पांच दशकों तक अटके रहने के बाद 2021 में पूरी हुई। जम्मू -कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लाइन के पूरा होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस परियोजना को 1994 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन यह दशकों तक रुकी रही। उन्होंने कहा कि अंत में, तीन दशकों के बाद, यह 2025 में पूरी हुई। श्री नरेन्द्र मोदी ने ओडिशा में हरिदासपुर-पारादीप रेलवे लाइन के पूरा होने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को 1996 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन यह वर्षों तक रुकी रही, जिसे अंततः वर्तमान प्रशासन के कार्यकाल के दौरान 2019 में पूरा किया गया। प्रधानमंत्री ने असम में बोगीबील पुल के पूरा होने को रेखांकित किया, जिसे 1998 में मंजूरी दी गई थी और उनकी सरकार ने 2018 में पूरा किया। उन्होंने कहा कि वे अतीत में प्रचलित देरी की हानिकारक संस्कृति को दर्शाने वाले सैकड़ों उदाहरण दे सकते हैं। उन्होंने ऐसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए संस्कृति में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि पिछली व्यवस्था के दौरान इस संस्कृति के कारण काफी रुकावटें आईं, जिससे देश अपनी सही प्रगति से वंचित रहा। ढांचागत परियोजनाओं की उचित योजना और समय पर क्रियान्वयन के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे हल करने के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान बनाया गया। उन्होंने राज्यों को निर्णय लेने को सुव्यवस्थित बनाने और परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए 1,600 डेटा लेयर्स से युक्त पीएम गति शक्ति प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि यह प्लेटफॉर्म देश में बुनियादी ढांचे के काम को गति देने वाला महत्वपूर्ण आधार बन गया है।
आज के नौजवानों के लिए अपने माता-पिता द्वारा झेली गई कठिनाइयों और देश की पिछली स्थिति के पीछे के कारणों को समझने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर बीते दशक में हम डिजिटल इंडिया के लिए सक्रियता से निर्णय न लेते और कदम न उठाते, तो आज जैसी सुविधाएं लेने में वर्षों लग जाते। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सक्रियता से निर्णय लेने और कदम उठाने से कुछ मामलों में भारत समय पर और कहीं-कहीं समय से पहले काम करने में सक्षम हुआ है। उन्होंने कहा कि 5जी तकनीक अब दुनिया में सबसे तेज गति से भारत में अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध है।
श्री मोदी ने पिछले अनुभवों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कंप्यूटर, मोबाइल फोन और एटीएम जैसी तकनीकें भारत से बहुत पहले अनेक देशों में पहुंच गई थीं, जिन्हें आने में प्राय: दशकों लग गए। उन्होंने कहा कि यहां तक कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भी, चेचक और बीसीजी जैसी बीमारियों के टीके वैश्विक स्तर पर उपलब्ध थे, जबकि प्रणालीगत अक्षमताओं के कारण भारत पिछड़ गया। प्रधानमंत्री ने इस तरह की देरी के लिए अतीत के खराब शासन को जिम्मेदार ठहराया, जहां महत्वपूर्ण ज्ञान और कार्यान्वयन पर कड़ा नियंत्रण था, जिसकी परिणाति “लाइसेंस परमिट राज” में हुई, जिसने प्रगति को रोक दिया। उन्होंने युवाओं को देश के विकास में बाधा डालने वाली इस प्रणाली की दमनकारी प्रकृति के बारे में बताया।
कंप्यूटर आयात के शुरुआती दिनों पर टिप्पणी करते हुए, उन्होंने बताया कि कंप्यूटर आयात करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना एक लंबी प्रक्रिया थी जिसमें कई साल लग जाते थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस आवश्यकता के कारण भारत में नई तकनीक को अपनाने में काफी देरी हुई।
अतीत की नौकरशाही संबंधी चुनौतियों की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां तक कि मकान बनाने के लिए सीमेंट प्राप्त करने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता होती थी और शादी ब्याह के दौरान, चाय के लिए चीनी प्राप्त करने के लिए भी लाइसेंस की आवश्यकता होती थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये चुनौतियां आजादी के बाद के भारत में थीं। उन्होंने कहा कि आज के युवा इसके निहितार्थों को समझ सकते हैं, सवाल कर सकते हैं कि रिश्वत के लिए कौन जिम्मेदार था और पैसा कहां जाता था।
अतीत की नौकरशाही संबंधी बाधाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूटर खरीदने के लिए बुकिंग और भुगतान की आवश्यकता होती थी, जिसके बाद 8-10 साल तक इंतजार करना पड़ता था, प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां तक कि स्कूटर बेचने के लिए भी सरकारी अनुमति की आवश्यकता होती थी। उन्होंने आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करने में अक्षमता को रेखांकित किया, जैसे कि गैस सिलेंडर, जिन्हें सांसदों के कूपन के माध्यम से वितरित किया जाता था, और गैस कनेक्शन के लिए लंबी कतार लगती थी। उन्होंने टेलीफोन कनेक्शन प्राप्त करने की लंबी प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आज के नौजवानों को इन चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज बड़े-बड़े भाषण देने वालों को अपने पिछले शासन और राष्ट्र पर उसके प्रभाव के बारे में विचार करना चाहिए।
श्री मोदी ने कहा, “पाबंदियां और लाइसेंस राज की नीतियों ने भारत को दुनिया की सबसे धीमी आर्थिक वृद्धि दर में धकेल दिया।” उन्होंने कहा कि इस कमज़ोर वृद्धि दर को “हिंदू वृद्धि दर” के रूप में जाना जाने लगा, जो एक बड़े समुदाय का अपमान था। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह विफलता सत्ता में बैठे लोगों की अक्षमता, समझ की कमी और भ्रष्टाचार के कारण थी, जिसके कारण पूरे समाज को धीमी वृद्धि के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया।
अतीत के आर्थिक कुप्रबंधन और दोषपूर्ण नीतियों, जिनके कारण पूरे समाज को दोषी ठहराया गया और दुनिया भर में बदनाम किया गया, की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, भारत की संस्कृति और नीतियों में प्रतिबंधात्मक लाइसेंस राज शामिल नहीं था, जबकि भारतीय खुलेपन में विश्वास करते थे और वैश्विक स्तर पर मुक्त व्यापार में शामिल होने वाले पहले लोगों में से थे। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय व्यापारी बिना किसी प्रतिबंध के व्यापार के लिए दूर-दूर तक जाते थे, जो भारत की स्वाभाविक संस्कृति का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की आर्थिक क्षमता और तेज गति से आगे बढ़ने वाले देश के रूप में उसको पहचानने लगी है और हर भारतीय को इस पर गर्व है। उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत को अब सबसे तेजी से बढ़ते देशों में से एक के रूप में देखा जाता है, और देश की अर्थव्यवस्था काफ़ी तेज़ी से बढ़ रही है।”
इस बात पर जोर देते हुए कि देश अब लाइसेंस राज और उसकी कुनीतियों से बाहर निकलकर चैन की सांस ले रहा है और ऊंची उड़ान भर रहा है, प्रधानमंत्री ने देश में विनिर्माण बढ़ाने के उद्देश्य से “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा देने के बारे में टिप्पणी की। उन्होंने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की शुरूआत और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से संबंधित सुधारों का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक बन गया है, जो मुख्य रूप से मोबाइल फोन के आयातक से निर्यातक में परिवर्तित हो गया है।
रक्षा विनिर्माण में भारत की उपलब्धियों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में रक्षा उत्पाद निर्यात में दस गुना वृद्धि हुई है, साथ ही सोलर मॉड्यूल विनिर्माण में भी दस गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है” जबकि पिछले एक दशक में मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में तेजी से वृद्धि देखी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि खिलौनों का निर्यात तीन गुना से अधिक हो गया है, और कृषि रसायन निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। श्री मोदी ने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने “मेड इन इंडिया” पहल के तहत 150 से अधिक देशों को टीकों और दवाइयों की आपूर्ति की।” उन्होंने आयुष और हर्बल उत्पादों के निर्यात में भी तेजी से हो रही वृद्धि पर प्रकाश डाला।
खादी को बढ़ावा देने में पिछली सरकार के प्रयासों की कमी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शुरू किया गया आंदोलन भी आगे नहीं बढ़ पाया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में इसका उत्पादन चार गुना बढ़ गया है, जिससे एमएसएमई क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है और देश भर में रोजगार के कई अवसर तैयार हुए हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कि सभी निर्वाचित प्रतिनिधि जनता के सेवक हैं, श्री मोदी ने कहा कि जन प्रतिनिधियों के लिए देश और समाज का मिशन ही ही सब कुछ होता है और सेवा व्रत लेकर काम करना ही उनका दायित्व होता है।
विकसित भारत के विजन को आत्मसात करने की सभी भारतीयों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक सरकार या एक व्यक्ति का संकल्प नहीं है, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है । उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग इस मिशन के प्रति उदासीन रहेंगे, वे राष्ट्र से पीछे छूट जाएंगे। उन्होंने देश को आगे बढ़ाने के लिए भारत के मध्यम वर्ग और युवाओं के अटूट दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया।
विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहे राष्ट्र की प्रगति में सभी की भूमिका के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकारों में विरोध होना, लोकतंत्र का स्वभाव है। नीतियों का विरोध होना, लोकतंत्र की जिम्मेदारी भी है, लेकिन, उन्होंने चेतावनी दी कि अत्यधिक नकारात्मकता और अपने योगदान को बढ़ाने के बजाय दूसरों को कमतर आंकने का प्रयास भारत के विकास में बाधा बन सकता है। उन्होंने खुद को ऐसी नकारात्मकता से मुक्त करने और निरंतर आत्मचिंतन और आत्मनिरीक्षण में संलग्न होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सदन में जो चर्चा हुई है, उसमें से उत्तम बातों को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण से प्राप्त निरंतर प्रेरणा को स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति और सभी माननीय सांसदों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
Speaking in the Rajya Sabha. https://t.co/OZKM3x0CEX
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Sabka Saath, Sabka Vikas is our collective responsibility. pic.twitter.com/j7mNeSiiyC
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The people of the country have understood, tested and supported our model of development. pic.twitter.com/YVuNTSMgZY
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Santushtikaran over Tushtikaran. pic.twitter.com/CbXeCWerM7
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The mantra of our governance is – Sabka Saath, Sabka Vikas. pic.twitter.com/8w9qmoUfhy
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India’s progress is powered by Nari Shakti. pic.twitter.com/1bIFRlfBcC
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Prioritising the welfare of the poor and marginalised. pic.twitter.com/lqBg0oqCQc
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Empowering the tribal communities with PM-JANMAN. pic.twitter.com/QKppDDRbaY
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25 crore people of the country have moved out of poverty and become part of the neo middle class. Today, their aspirations are the strongest foundation for the nation’s progress. pic.twitter.com/0AIXj8znqC
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The middle class is confident and determined to drive India’s journey towards development. pic.twitter.com/VPilrdUE9l
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We have focused on strengthening infrastructure across the country. pic.twitter.com/yUhe2xKuK7
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Today, the world recognises India’s economic potential. pic.twitter.com/JrhzIUox5Z
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‘फैमिली फर्स्ट’ को लेकर चलने वाली कांग्रेस 'सबका साथ सबका विकास' के बारे में सोच भी नहीं सकती! pic.twitter.com/ugvHzdWS1C
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2014 के बाद देश को एक नया मॉडल देखने को मिला है, जो तुष्टिकरण नहीं, संतुष्टिकरण का है। pic.twitter.com/NnpW9zwAqZ
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हमारी हर योजना में सैचुरेशन पर फोकस है, ताकि उसके लाभ से कोई भी वंचित ना रहे। pic.twitter.com/lJ5xfR4Eax
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कांग्रेस आज इसलिए 'जय भीम' बोलने को मजबूर हो गई है… pic.twitter.com/qwOwnh9AbF
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संविधान को जेब में रखकर जनता-जनार्दन को गुमराह करने वालों ने कैसे बार-बार इसकी धज्जियां उड़ाई हैं, देशवासियों ने इसे देखा है। pic.twitter.com/NyojbMqxgB
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तमाशा करने वालों को क्या खबर,
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हमने कितने तूफानों को पार कर दीया जलाया है! pic.twitter.com/gpoT9tvo0J
देश के 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकलकर Neo Middle Class का हिस्सा बने हैं। आज उनकी आकांक्षाएं विकसित भारत के संकल्प को मजबूती दे रही हैं। pic.twitter.com/1w8ZgNXQAk
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अटकाने, लटकाने और भटकाने के कांग्रेसी कल्चर से किनारा कर हम देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास में निरंतर जुटे हुए हैं। pic.twitter.com/pIFuwrjjYL
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आज भारत की पहचान तेज गति से बढ़ने वाले देश के रूप में है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। pic.twitter.com/4jN3MVPs9S
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