आदरणीय राष्ट्रपति जी ने भारत की उपलब्धियों के बारे में, दुनिया की भारत से अपेक्षाओं के बारे में और भारत के सामान्य मानवीय का आत्मविश्वास विकसित भारत बनाने का संकल्प, इन सारे विषयों को लेकर के विस्तार से चर्चा की है, देश को आगे की दिशा भी दिखाई है। आदरणीय राष्ट्रपति जी का अभिभाषण प्रेरक भी था, प्रभावी भी था और हम सबके लिए भविष्य के काम का मार्गदर्शन भी था। मैं आदरणीय राष्ट्रपति जी के उद्बोधन पर धन्यवाद करने के लिए उपस्थित हुआ हूं!
आदरणीय सभापति जी,
करीब 70 से भी ज्यादा माननीय सांसदों ने अपने बहुमूल्य विचारों से इस आभार प्रस्ताव को समृद्ध करने का प्रयास किया है। यहां पक्ष, प्रतिपक्ष दोनों तरफ से चर्चा हुई। हर किसी ने अपने-अपने तरीके से राष्ट्रपति जी के अभिभाषण को जिसने जैसे समझा, वैसे यहां समझाया और उन्होंने आदरणीय सभापति जी, यहां पर सबका साथ सबका विकास इस पर बहुत कुछ कहा गया। मैं समझ नहीं पाता हूं कि इसमें कठिनाई क्या है। सबका साथ सबका विकास यह तो हम सबका दायित्व है और इसीलिए तो देश ने हम सबको यहां बैठने का अवसर दिया है और उसमें, लेकिन जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उनसे सबका साथ सबका विकास इसके लिए कोई अपेक्षा करना मैं समझता हूं कि बहुत बड़ी गलती हो जाएगी। यह उनकी सोच के बाहर है, उनकी समझ के भी बाहर है और उनके रोड मैप में भी यह सूट नहीं करता है, क्योंकि वह इतना बड़ा दल एक परिवार को समर्पित हो गया है, उसके लिए सबका साथ सबका विकास संभव ही नहीं है।
आदरणीय सभापति जी,
कांग्रेस ने राजनीति का एक ऐसा मॉडल तैयार कर दिया था, जिसमें झूठ, फरेब, भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टिकरण, सबका घालमेल था। जहां सबका घालमेल हो वहां सबका साथ हो ही नहीं सकता।
आदरणीय सभापति जी,
कांग्रेस के मॉडल में सर्वोपरि है फैमिली फर्स्ट और इसलिए उनकी नीति, रीति, उनकी वाणी, उनका वर्तन, उस एक चीज को संभालने में ही खपता रहा है। 2014 के बाद देश ने हमें सेवा करने का अवसर दिया और मैं इस देश की जनता का आभारी हूं कि हमें तीसरी बार लगातार, यह तीसरी बार जनता यहां पहुंचाती है, इतने बड़े देश में इतनी वाइब्रेट डेमोक्रेसी हो, वाइब्रेट मीडिया हो, हर प्रकार की बातें बताने की छूट हो, उसके बावजूद भी देश दूसरी बार, तीसरी बार, हमें सेवा करने का मॉडल बनाती है, इसका कारण देश की जनता ने हमारे विकास के मॉडल को परखा है, समझा है और समर्थन दिया है। हमारे एकमात्र मॉडल को अगर मुझे एक शब्द में कहना है तो मैं कहूंगा नेशन फर्स्ट, राष्ट्र फर्स्ट, इसी एक उम्दा भावना और समर्पित भाव से हमने लगातार अपनी नीतियों में, अपने कार्यक्रमों में, हमारे वाणी में, वर्तन में, इसी एक बात को मानदंड मान करके देश की सेवा करने का प्रयास किया है और आदरणीय सभापति जी, मैं बड़े गर्व के साथ भी कहता हूं, बड़े संतोष के साथ कहता हूं, एक लंबे अरसे तक 5-6 दशक तक देश के सामने अल्टरनेट मॉडल क्या हो, तराजू पर तोलने का कोई अवसर ही नहीं मिला था। लंबे अरसे के बाद, 2014 के बाद देश को एक अल्टरनेट मॉडल क्या हो सकता है, एक अल्टरनेट कार्य शैली क्या हो सकती है, प्रायोरिटी क्या हो सकती है, इसका एक नया मॉडल देखने को मिला है और यह नया मॉडल तुष्टिकरण नहीं संतुष्टीकरण पर भरोसा करता है। पहले के मॉडल में, खास करके कांग्रेस के कालखंड में, तुष्टिकरण हर चीज में तुष्टिकरण, यही उनका एक प्रकार से औषधि बन गई थी उनकी राजनीतिक को करने की और उन्होंने स्वार्थ नीति, राजनीति, देश नीति, सबका घोटाला करके रखा हुआ था। तरीका यह होता था, कि छोटे तबके को कुछ दे देना और बाकियों को तरसा कर रखना और जब चुनाव आए तब कहना कि देखो उनको मिला है, शायद आपको भी मिल जाएगा और इस प्रकार से झुनझुना बांटते रहना, लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर के अपनी राजनीतिक सियासत को चलाए रखना, ताकि चुनाव के समय वोट की खेती हो सके, यही कार्य चलता रहा।
आदरणीय सभापति जी,
हमारी कोशिश रही है कि भारत के पास जो भी संसाधन है, उन संसाधनों का ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन किया जाए। भारत के पास जो समय है, उस समय का भी बर्बादी से बचा करके पल-पल का उपयोग देश की प्रगति के लिए, जन सामान्य के कल्याण के लिए, उसी पर वह खर्च हो और इसलिए हमने एक अप्रोच अपनाया सैचुरेशन का एप्रोच, पैर उतने ही लंबे करने जितनी चादर हो, लेकिन जो योजना बने, जिनके लिए वो योजना बने उनको वो शत् प्रतिशत उसका बेनिफिट होना चाहिए। किसी को दिया, किसी को नहीं दिया, किसी को लटका करके रखा और उसको हमेशा प्रताड़ित करके रखना और उसको निराशा की गर्त में धकेल देना, उन सिचुएशन से हमने बाहर आकर के सैचुरेशन अप्रोच की ओर हमारे काम को आगे बढ़ाया है। बीते दशक में हमने हर स्तर पर सबका साथ सबका विकास की भावना को जमीन पर उतारा है और वो आज देश में जिस प्रकार से बदलाव नजर आ रहा है, फल के रूप में हम अनुभव करने लगे हैं। हमारे गवर्नेंस का भी मूल मंत्र यही रहा है, सबका साथ सबका विकास। हमारी ही सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को मजबूत बनाकर दलित और आदिवासी समाज के सम्मान और उनकी सुरक्षा के संबंध में अपनी प्रतिबद्धता भी दिखाई और हमने उसे बढ़ाया भी।
आदरणीय सभापति जी,
आज जातिवाद का जहर फैलाने के लिए भरपूर प्रयास हो रहा है, लेकिन तीन-तीन दशक तक दोनों सदन के ओबीसी MPs और सभी दलों के ओबीसी MPs, सरकारों से मांग करते रहे थे, कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए, ठुकरा दिया गया, इनकार किया गया, क्योंकि शायद उस समय उनकी राजनीति को यह सूट नहीं करता होगा, क्योंकि तुष्टीकरण की राजनीति के और फैमिली फर्स्ट की राजनीति में जब वो बैठेगा, तब तक वो चर्चा के हित में भी नहीं आता है।
आदरणीय सभापति जी,
यह मेरा सौभाग्य है कि हम सब ने मिलकर के तीन-तीन दशक से मेरे ओबीसी समाज ने जिस बात के लिए मांगे की आशाएं रखी, जिसको निराश करके रखा गया था, हमने आकर के इस आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया और हमने उनकी सिर्फ मांग पूरी की इतना नहीं, हमारे लिए उनका मान सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश के 140 करोड़़ देशवासियों को हम जनता जनार्दन के रूप में पूजने वाले लोग हैं।
आदरणीय सभापति जी,
हमारे देश में जब-जब आरक्षण का विषय आया, तो उसको एक तंदुरुस्त तरीके से समस्या के समाधान के लिए सत्य को स्वीकार करते हुए करने का प्रयास नहीं हुआ, हर चीज में देश में विभाजन कैसे हो, तनाव कैसे पैदा हो, एक दूसरे खिलाफ दुश्मनी कैसे पैदा हो, वही तरीके अपनाए गए। देश आजाद होने के बाद जब जब यह प्रयास हुए इसी तरीके से हुए। पहली बार हमारी सरकार ने एक ऐसा मॉडल दिया और सबका साथ सबका विकास के मंत्र की प्रेरणा से दिया कि हमने सामान्य वर्ग के गरीब को 10% आरक्षण दिया। बिना तनाव के, बिना किसी का छीन करके और जब यह निर्णय किया, तो एससी समुदाय ने भी उसका स्वागत किया, एसटी समुदाय ने भी स्वागत किया, ओबीसी समुदाय ने भी स्वागत किया, किसी को भी पेट में दर्द नहीं हुआ, क्योंकि इतना बड़ा निर्णय लेकिन करने का तरीका था, सबका साथ सबका विकास और तब जाकर के बहुत ही स्वस्थ शांत तरीके से पूरे राष्ट्र ने इस बात को स्वीकार किया।
आदरणीय सभापति जी,
हमारे देश में दिव्यांगों की कभी सुनवाई जितनी मात्रा में होनी चाहिए थी, नहीं हुई, जब सबका साथ सबका विकास का मंत्र होता है ना, तब मेरे दिव्यांगजन भी वो सब के कैटेगरी में होते हैं और तब जाकर के हमने दिव्यांगों के लिए आरक्षण का विस्तार किया, दिव्यांगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हो, इसके लिए मिशन मोड में काम किया। दिव्यांगों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं बनाई, लेकिन योजनाओं को लागू भी किया, इसके कारण इतना ही नहीं आदरणीय सभापति जी, ट्रांसजेंडर, ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के अधिकारों को लेकर के हमने उसको कानूनी रूप से उसको पुख्त करने के लिए प्रमाणिकता पूर्वक प्रयास किया। सबका साथ सबका विकास के मंत्र को हम कैसे जीते हैं, यह हमने समाज के उस उपेक्षित वर्ग की तरफ भी हमने बड़ी संवेदना के साथ देखा।
आदरणीय सभापति जी,
भारत की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान को कोई नकार नहीं सकता, लेकिन उनको अगर अवसर मिले और वह नीति निर्धारण का हिस्सा बने, तो देश की प्रगति में और गति आ सकती है और इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने ही और इस सदन का पहला निर्णय हुआ, हम देशवासी गर्व कर सकते हैं, ये सदन इस बात के लिए याद रखा जाएगा, ये नया सदन सिर्फ उसके रूप रंग के लिए नहीं, ये नया सदन का पहला निर्णय था, नारी शक्ति वंदन अधिनियम। इस नए सदन को हम किसी और तरीके से भी कर सकते थे। हम हमारी वाह-वाही के लिए भी उपयोग कर सकते थे, पहले भी होता था, लेकिन हमने तो मातृशक्ति की वाह-वाही के लिए इस सदन का आरंभ किया था और मातृशक्ति के आशीर्वाद से यह सदन अपना कार्य आरंभ किया है।
आदरणीय सभापति जी,
हम जानते हैं इतिहास की तरफ हम थोड़ी नजर करें, यानी मैं कह रहा हूँ इसलिए नहीं, बाबा साहब अंबेडकर के साथ कांग्रेस को कितनी नफरत रही थी, उनके प्रति कितना गुस्सा था और किसी भी हालत में बाबा साहब के हर बात के प्रति कांग्रेस चिड़ जाती थी और इसके सारे, इसके सारे, सारे दस्तावेज मौजूद हैं और इस गुस्से को दो-दो बार बाबा साहब को चुनाव में पराजित करने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया, कभी भी बाबा साहब को, कभी भी बाबा साहब को भारत रत्न के योग्य नहीं समझा गया।
आदरणीय सभापति जी,
कभी भी बाबा साहब को भारत रत्न योग्य नहीं समझा गया, इतना ही नहीं आदरणीय सभापति जी, इस देश के लोगों ने बाबा साहब की भावना का आदर किया, सर्व समाज ने आदर किया और तब आज मजबूरन, आज मजबूरन कांग्रेस को जय भीम बोलना पड़ रहा है, उनका मुंह सूख जाता है, और आदरणीय सभापति जी, यह कांग्रेस भी रंग बदलने में बड़ी माहिर लग रही है, इतनी तेजी से अपना नकाब बदल देते हैं, ये इसमें साफ-साफ नजर आ रहा है।
आदरणीय सभापति जी,
आप कांग्रेस का अध्ययन करेंगे, तो कांग्रेस की राजनीति जैसा हमारा मूल मंत्र रहा सबका साथ सबका विकास, वैसा उनका हमेशा रहा कि दूसरे की लकीर छोटी करना और इसके कारण उन्होंने सरकारों को स्थिर किया, किसी भी राजनीतिक दल की सरकार कहीं बनी तो उसको स्थिर कर दिया, क्योंकि लकीर छोटी करो दूसरे की, इसी काम में वो लग रहे और यह जो उन्होंने रास्ता चुना है ना औरों की लकीर छोटे करने का, लोकसभा के बाद भी जो उनके साथ थे, वो भी भाग रहे हैं, जब उनको पता चला कि यह तो हमें भी मार डालेंगे और यही उनके नीतियों का परिणाम है कि आज यह हाल हो गए हैं कांग्रेस के। देश की सबसे पुराने पार्टी, आजादी के आंदोलन से जुड़ी पार्टी, इतनी दुर्दशा, ये औरों की लकीर छोटी करने में अपनी शक्ति खपा रहे हैं ना, अगर वो खुद की लकीर लंबी करते, तो उनकी यह दशा नहीं होती और मैं बिना मांगे एडवाइस दे रहा हूं, आप अपनी लकीर लंबी करने में मेहनत कीजिए सोचिए, तो कभी ना कभी देश आपको भी यह 10 मीटर दूर यहाँ आने का अवसर देगी।
आदरणीय सभापति जी,
बाबा साहब ने एससी एसटी समुदाय की बुनियादी चुनौतियों को बहुत बारीकी से समझा था, बहुत गहराई से समझा था और खुद भुग्तभोगी भी थे, इसलिए एक दर्द भी था, पीड़ा भी थी और समाज का कल्याण करने का एक जज्बा भी था। और बाबा साहब ने एससी एसटी समुदाय की आर्थिक उन्नति के लिए एक स्पष्ट रोड मैप देश के सामने प्रस्तुत किया था। उनकी बातों में प्रस्तुत होता था और बाबा साहब ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी, मैं उनका कोट पढ़ना चाहता हूं, बाबा साहब ने कहा था- भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन दलितों के लिए यह आजीविका का मुख्य साधन बन ही नहीं सकता, यह बाबा साहब ने कहा था, उन्होंने आगे कहा था और इसे कई कारण है पहला भूमि खरीदना उनके सामर्थ्य से बाहर है, दूसरा अगर उनके पास धन भी हो तो भी उनके लिए भूमि खरीदने का कोई अवसर नहीं है, बाबा साहब ने यह एक एनालिसिस किया था, और इस परिस्थिति का एनालिसिस करते हुए उनका जो सुझाव था, उन्होंने आग्रह किया था, कि दलितों के साथ, हमारे आदिवासी भाई बहनों के साथ, वंचितों के साथ, यह जो अन्याय हो रहा है, यह जो मुसीबत में जीने के लिए वह मजबूर हो रहे हैं, इसका एक उपाय है, देश में इंडस्ट्रियलाइजेशन को बढ़ावा दिया जाए, औद्योगिक करण के पक्षकार थे बाबा साहब, क्योंकि औद्योगिककरण करने के पीछे उनकी कल्पना साफ थी, स्किल बेस्ड जॉब्स और एंटरप्रेन्योरशिप के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए दलित आदिवासी वंचित समूहों को एक अवसर मिलेगा और उसे वह उत्थान का एक सबसे महत्वपूर्ण हथियार मानते थे। लेकिन आजादी के इतने सालों के बावजूद भी, इतने साल कांग्रेस को सत्ता में रहने का अवसर मिला तब भी, बाबा साहब की इन बातों पर गौर करने का भी उनको समय नहीं था। उन्होंने बाबा साहब की इस विचार को पूरी तरह खारिज कर दिया। एससी, एसटी समुदाय की आर्थिक लाचारी बाबा साहब समाप्त करना चाहते थे, उसे कांग्रेस ने ऐसा उल्टा काम किया कि उसको गहरा संकट बना दिया।
आदरणीय सभापति जी,
2014 में हमारी सरकार ने इस सोच को बदला और हमने प्राथमिकता देते हुए स्किल डेवलपमेंट, फाइनेंशियल इंक्लूजन और इंडस्ट्रियल ग्रोथ पर हमने जोर दिया। हमने पीएम विश्वकर्म योजना बनाकर के समाज का वो तबका, जिसके बिना समाज की रचना ही संभव नहीं है और हर गांव में छोटे-छोटे रूप में बिखरे हुए समाज, जो पारंपरिक कार्य करने वाले हमारे विश्वकर्मा भाई-बहन, लोहार हो, कुम्हार हो, समाज के सोनार हो, ऐसे सारे जो वर्ग के लोग हैं, पहली बार देश में उनके लिए कोई चिंता हुई और उनको ट्रेनिंग देना, टेक्नोलॉजीकल अपग्रेडेशन के लिए नए औजार देना, डिजाइनिंग में उनको मदद करना, आर्थिक सहायता करना, उनके लिए बाजार उपलब्ध कराना, यह सारे दिशाओं में एक विशेष काम हमने अभियान चलाया हुआ है और समाज का यह वर्ग है, जिसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया और समाज नियंता में जिसका महत्वपूर्ण रोल है, उस विश्वकर्मा समाज की हमने चिंता की।
आदरणीय सभापति जी,
हमने मुद्रा योजना शुरू करके जिन लोगों को पहली बार उद्यम के क्षेत्र में आना था, उनको निमंत्रित किया, उनको प्रोत्साहित किया। बिना गारंटी के लोन देने का एक बहुत बड़ा अभियान हमने चलाया, ताकि समाज में यह बहुत बड़ा समुदाय है, जो आत्मनिर्भरता के अपने सपने को पूरा कर सके और उसमें बहुत बड़ी सफलता मिली। हमने एक योजना और भी बनाई स्टैंड अप इंडिया, जिसका मकसद था एससी, एसटी समुदाय के हमारे भाई बहन और कोई भी समाज की महिला उसको बैंक से एक करोड़़ रुपए का बिना गारंटी का लोन, ताकि वो अपना कार्य करे, और हमने इस बार बजट में इसको डबल कर दिया है, और मैंने देखा है कि लाखों ऐसे नौजवान इस वंचित समुदाय से, या लाखों बहनें आज मुद्रा योजना के द्वारा अपना कारोबार करना शुरू किया है और खुद का तो रोजगार पाया ही, लेकिन उन्होंने किसी एक दो और लोगों को भी रोजगार दिया है।
आदरणीय सभापति जी,
हर कारीगर का सशक्तिकरण, हर समुदाय का समस्त सशक्तिकरण और जो बाबा साहब का सपना था, उसको पूरा करने का काम मुद्रा योजना के माध्यम से हमने किया है।
आदरणीय सभापति जी,
जिसको किसी ने नहीं पूछा उसको मोदी पूजता है। गरीब वंचित उसका कल्याण यह हमारी प्राथमिकता है। इस वर्ष के बजट में भी आप देखिए, लेजर इंडस्ट्री, फुटवियर इंडस्ट्री, ऐसे अनेक छोटे-छोटे-छोटे दायरे के विषयो को हमने स्पर्श किया है और इसका सबसे बड़ा लाभ गरीब और वंचित समुदाय के लोगों को मिलने वाला है, जो इस बजट में घोषणा की है। अब उदाहरण के रूप में टॉयज की बात करें, समाज के इस प्रकार के वर्ग के लोग ही टॉयज बनाने के काम में है, हमने उस पर ध्यान केंद्रित किया। बहुत सारे गरीब परिवारों को अनेक प्रकार की उसमें मदद दी गई और उसका परिणाम आज आया है कि टॉयज हम इंपोर्ट करने की आदत में फंसे हुए थे, आज हमारे टॉयज तीन गुना एक्सपोर्ट हो रहे हैं और इसका फायदा समाज के एक बहुत ही नीचे के तबके को जीने वाले, मुसीबतों में गुजारा करने वाले समुदाय को मिल रहा है।
आदरणीय सभापति जी,
हमारे देश में एक बहुत बड़ा समुदाय है मछुआरा समुदाय। इन मछुआरे साथियों के लिए हमने एक अलग मिनिस्ट्री तो बनाई, लेकिन जो बेनिफिट किसान क्रेडिट में किसानों को मिलता था, हमने वो किसान क्रेडिट कार्ड के सारे बेनिफिट हमारे मछुआरे भाई-बहनों को भी दिए हैं, यह सुविधा दी, अलग मिनिस्ट्री बनाई, ये काम किया और करीब करीब 40000 करोड़़ रूपया हमने इसके अंदर include किया है! फिशरीज सेक्टर पर बल दिया है और इन प्रयासों का परिणाम यह आया है, कि हमारा मछली उत्पादन दो गुना और एक्सपोर्ट भी दो गुना हुआ है और जिसका सीधा बेनिफिट हमारे मछुआरे भाई-बहनों को हुआ है, यानी समाज के सबसे उपेक्षित हमारे बंधु हैं, उनको हमने सबको ज्यादा प्राथमिकता देकर के हमने काम करने का प्रयास किया है।
आदरणीय सभापति जी,
यह आज जो जातिवाद का जहर फैलाने का जिनको नया-नया शौक लग गया है, हमारे देश के आदिवासी समाज, उन आदिवासी समाज में भी कई स्तर की स्थितियां हैं। कुछ समूह ऐसे हैं जिनकी संख्या बहुत कम है और जो करीब देश में 200-300 जगह पर बिखरे हुए हैं और कुल आबादी उनकी बहुत कम है, लेकिन वो ऐसे उपेक्षित रहे हैं, उनकी बारीकियों को जाने तो दिल दहलाने वाली बात है, और मेरा सद्भाग्य रहा कि राष्ट्रपति जी से इस विषय में मुझे काफी गाइडेंस मिला, क्योंकि उस समाज को काफी निकट से राष्ट्रपति जी जानती है। और उसी में से आदिवासी समाज में भी बहुत वंचित अवस्था में जीने वाला एक जो छोटे तबके के लोग और बिखरे पड़े लोग हैं, उनको विशेष रूप से इस योजना में लाने का प्रयास हुआ। और हमने पीएम जनमन योजना बनाई और 24000 करोड़ रुपए, ताकि उनको वो सुविधाएं मिले, उनके कल्याण के काम हो और वे भी सबसे पहले तो अन्य आदिवासी समाज की बराबरी तक तो पहुंचे और फिर पूरे समाज की बराबरी करने के लिए योग्य बने, उस दिशा में हमने काम किया है।
आदरणीय सभापति जी,
समाज के अलग-अलग तबकों की चिंता तो की है, हमने देश के अलग-अलग भू-भाग में भी कुछ ऐसी स्थितियां हैं कि जिसमें बहुत पिछड़ापन है, जैसे- हमारे सीमावर्ती गांव, उनको बैकवर्ड विलेज करके छोड़ दिया गया था, आखिरी गांव करके छोड़ दिया गया था, हम सबसे पहले मनोवैज्ञानिक परिवर्तन लेकर आए। हम यह जो दिल्ली पहले और बाद में सब धीरे-धीरे-धीरे जो दूर जाता जाए, आखिर चला जाए, हमने बदल दिया। हमने तय किया कि सीमा पर जो लोग हैं वो पहले, और वो अंदर की तरफ हाथ करके आए। जहां सूरज की किरण सबसे पहले आती है और जहां सूरज की आखिरी किरण भी जिनके पास होती है, ऐसे आखिरी गांव उनको हमने फर्स्ट विलेज के रूप में विशेष दर्जा देते हुए, विशेष योजना बनाते हुए, हमने उनके विकास के कामों को, इतना ही नहीं उसको प्राथमिकता इतनी दी कि मैंने पिछले टर्म में मंत्री परिषद के साथियों को ऐसे दूर-दराज के गांवों में 24 घंटे रूकने के लिए भेजा था और माइनस 15 डिग्री वाले कुछ विलेजिज थे, वहां भी हमारे मंत्री वहां जाकर करके रुके थे, उनको समझने, उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किया था। और हमने 15 अगस्त, 26 जनवरी में जो मेहमान बुलाते हैं उसमें भी ये जो सीमा पर बसे हुए हमारे पहले विलेज हैं आज उनके प्रधानों को हम 26 जनवरी, 15 अगस्त में बुलाते हैं। राष्ट्रपति जी के यहां एट होम में होते हैं, क्योंकि हमने हमारी कोशिश है सबका साथ सबका विकास और यह हम खोजते रहते हैं कि किस तक अभी भी पहुंचना बाकी है, चलो जल्दी करो।
आदरणीय सभापति जी,
वाइब्रेंट विलेज की योजना देश की सुरक्षा के लिए भी बहुत उपयोगी हो रही है, बहुत महत्वपूर्ण हो रही है और हम उस पर भी बल दे रहे हैं।
आदरणीय सभापति जी,
राष्ट्रपति जी ने गणतंत्र के 75 वर्ष के मौके पर संविधान निर्माताओं से प्रेरणा लेने का भी आग्रह अपने अभिभाषण में किया है। मैं आज बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि हमारे संविधान निर्माताओं की जो भावना थी, उसी का आदर करते हुए, उसी से प्रेरणा लेते हुए, हम आज आगे बढ़ रहे हैं। कुछ लोगों को लगता होगा ये UCC,UCC क्या लाए हैं, लेकिन जो संविधान सभा की डिबेट पढ़ेंगे, उनको पता चलेगा कि हम उस भावना को यहां लाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ लोगों के राजनीतिक आड़े आती होगी, लेकिन हम संविधान निर्माताओं की इस भावना को जीते हैं ना, तब जाकर के यह साहस करते हैं और कमिटमेंट के साथ पूरा करने का प्रयास करते हैं।
आदरणीय सभापति जी,
संविधान निर्माताओं का आदर करना चाहिए था, संविधान निर्माताओं की एक-एक बात से प्रेरणा लेनी थी, लेकिन यह कांग्रेस है जिसने आजादी के तुरंत बाद ही संविधान निर्माताओं की भावनाओं की धज्जियां उड़ा दी थीं, और यह बहुत दुख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि जब देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी, एक स्टॉपगेट अरेंजमेंट था चुनाव तक का, वह स्टॉपगेट अरेंजमेंट में जो बैठे थे महाशय, उन्होंने संविधान में संशोधन कर दिया आते ही, चुनी हुई सरकार करती, तो थोड़ा भी तो समझ आता था, वे उतना भी इंतजार नहीं किया और किया क्या, और किया क्या, उन्होंने फ्रीडम ऑफ स्पीस को कुचला, फ्रीडम ऑफ स्पीस को कुचला, अखबारों पर, प्रेस पर लगाम लगाई और डेमोक्रेट, डेमोक्रेट का टैग लगाकर घूमते रहे दुनिया में, देश की डेमोक्रेसी का महत्वपूर्ण स्तम्भ, उसको कुचलने का काम हुआ और ये संविधान की भावना का पूरी तरह अनादर था।
आदरणीय सभापति जी,
देश की पहली सरकार थी, नेहरू जी प्रधानमंत्री थे और मुंबई में जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे, तब मुंबई में मजदूरों की एक हड़ताल हुई, उसमें मशहूर गीतकार मजनू सुल्तानपुरी जी ने एक गीत गाया था, कॉमनवेल्थ का दास है यह कविता उन्होंने गायी थी, कविता गाने मात्र के गुनाह में नेहरू जी ने देश के एक महान कवि को जेल में ठूंस\ दिया था। मशहूर एक्टर बलराज साहनी जी सिर्फ एक जुलूस में शामिल हुए थे, आंदोलन करने वालों के जुलूस में शामिल हुए थे, इसलिए बलराज साहनी जी को जेल में बंद कर दिया गया।
आदरणीय सभापति जी,
लता मंगेशकर जी के भाई ह्दयनाथ मंगेशकर जी ने वीर सावरकर पर एक कविता स्वरबद्ध करके आकाशवाणी पर प्रस्तुत करने की योजना बनाई, इतने मात्र पर हृदयनाथ मंगेशकर जी को आकाशवाणी से हमेशा के लिए बाहर कर दिया गया।
आदरणीय सभापति जी,
इसके बाद देश ने इमरजेंसी का भी दौर देखा है। संविधान को किसी प्रकार से कुचला गया, संविधान के स्पिरिट को किस प्रकार से रौंदा गया और वह भी सत्ता सुख के लिए किया गया, यह देश जानता है। और इमरजेंसी में प्रसिद्ध सिने कलाकार देवानंद जी से आग्रह किया गया कि वह इमरजेंसी का समर्थन करें पब्लिकली। देवानंद जी ने साफ-साफ इमरजेंसी पर समर्थन करने से इनकार कर दिया, उन्होंने हिम्मत दिखाई। और इसलिए दूरदर्शन पर देवानंद जी की सभी फिल्मों को प्रतिबंधित कर दिया गया।
आदरणीय सभापति जी,
ये संविधान की बातें करने वाले लोग, उन्होंने सालों से संविधान को अपनी जेब में रखा है उसी का ये परिणाम है, संविधान का सम्मान नहीं किया है।
आदरणीय जी सभापति,
किशोर कुमार जी, उन्होंने कांग्रेस के लिए गाना गाने से मना किया उस एक गुनाह के लिए आकाशवाणी पर किशोर कुमार के सभी गानों को प्रतिबंधित कर दिया गया।
आदरणीय सभापति जी,
मैं इमरजेंसी के उन दिनों को भूल नहीं सकता और शायद आज भी वो तस्वीरें मौजूद हैं। ये जो लोकतंत्र की बातें करते हैं, मानव गरिमा की बातें करते हैं, और बड़े-बड़े भाषण देने के लिए शौकीन लोग हैं, आपातकाल में जॉर्ज फर्नांडीज समेत देश के महानुभावों को हथकड़ियां पहनाई गई थी, जंजीरों से बांधा गया था। संसद के सदस्य, देश के जनमान्य नेता, उनको हथकड़ियां और जंजीरों से बांधा गया था। उनके मुंह में संविधान शब्द शोभा नहीं देता है।
आदरणीय सभापति जी,
सत्ता सुख के लिए, शाही परिवार के अहंकार के लिए, इस देश के लाखों परिवारों को तबाह कर दिया गया, देश को जेल खाना बना दिया गया। बहुत लंबा संघर्ष चला, ये अपने आप को बहुत बड़ा तीस मार खान मानने वालों को जनता जनार्दन की ताकत को स्वीकार करना पड़ा, घुटने टेकने पड़े और देश में जनता जनार्दन के सामर्थ्य से इमरजेंसी हटी, ये भारत के लोगों की रगो में जो लोकतंत्र है ना, उसी का परिणाम था। हमारे माननीय खरगे जी आपके सामने बढ़िया-बढ़िया शेर सुनाते रहते हैं, और उनका शौक है शेर सुनाने का, और सभापति जी आप भी बड़ा मजा लेते हैं। एक शेर मैंने भी कहीं पढ़ा था, तमाशा करने वाले को क्या खबर, तमाशा करने वाले को क्या खबर, हमने कितने तूफानों को पार कर दीया जलाया है, हमने कितने तूफानों को पार कर दीया जलाया है।
आदरणीय सभापति जी,
मैं आदरणीय खरगे वरिष्ठ नेता हैं और मैं हमेशा सम्मान करता रहूंगा और इतना लंबा समय सार्वजनिक जीवन यह छोटी बात नहीं है और मैं इस देश में चाहे शरद राव हो, चाहे खरगे जी हो उन सबका, मैं हमारे देव गौड़ा जी बैठे हैं, यह असामान्य सिद्धियां हैं उनके जीवन की जो उन्होंने, ऐसा है खरगे जी, आपको अपने घर में तो यह बातें सुनने को नहीं मिलेगी, मैं ही बताऊंगा, इस बार मैं देख रहा था कि खरगे जी कविताएं पढ़ रहे थे, लेकिन जो बातें बता रहे थे और आपने बड़ा सही पकड़ा था, कि जरा बताओ तो सही मुझे कविता है कब की, उनको पता था सभापति जी, उनको पता था यह कविताएं कब की है, भीतर कांग्रेस की दुर्दशा का इतना दर्द पड़ा था लेकिन वहां हालत यह है कि बोल नहीं सकते, तो उन्होंने सोचा ये अच्छा मंच है यहीं बोल दे, और इसलिए उन्होंने नीरज की कविता के माध्यम से उनके घर के हालात यहां प्रस्तुत किए।
आदरणीय सभापति जी,
खरगे जी को मैं आज वही कवि नीरज जी की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहता हूं। कांग्रेस सरकार का जो दौर था, उस समय नीरज जी ने यह कविताएं लिखी थीं और उसमें उन्होंने कहा था, है बहुत अंधियारा अब सूरज निकलना चाहिए, जिस तरह से भी हो यह मौसम बदलना चाहिए। नीरज जी ने कांग्रेस के उस कालखंड में यह कविता कही थी। 1970 में जब कांग्रेस चारों तरफ कांग्रेस ही कांग्रेस का राज चलता था, उस समय नीरज जी का एक और कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था, फिर दीप जलेगा हरि ओम जी तो अभ्यासु हैं तो उनको भलि भांति पता है, उस समय उनका यह संग्रह प्रसिद्ध हुआ था, फिर दीप जलेगा उसमें उन्होंने कहा था, और यह बड़ा महत्वपूर्ण है, नीरज जी ने उस समय कहा था- मेरे देश उदास न हो, नीरज जी ने अपनी कविता में कहा था, मेरे देश उदास ना हो, फिर दीप चलेगा, तिमिर ढलेगा और हमारा सद्भाग्य देखिए, हमारे प्रेरणा पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी 40 साल पहले कहा था, सूरज निकलेगा, अंधेरा छटेगा, कमल खिलेगा। आदरणीय नीरज जी ने जो कहा था, जब तक कांग्रेस का साल था सूरज चमकता रहा, देश ऐसे ही अंधेरे में रहता रहा, कई दशक तक ऐसे ही हाल बने रहे।
आदरणीय सभापति जी,
गरीबों को शक्ति देने के लिए, गरीबों के सशक्तिकरण के लिए, जितना काम हमारे कार्यकाल में हुआ है, हमारी सरकार के द्वारा हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। गरीबों का सशक्तिकरण और गरीब ही गरीबी को परास्त करें, उस दिशा में हमने योजनाओं को आकार दिया और मुझे मेरे देश के गरीबों पर भरोसा है, उनके सामर्थ्य पर भरोसा है, अगर अवसर मिल जाए ना, तो वह हर चुनौतियों को पार कर सकता है और गरीब ने करके दिखाया है, योजनाओं का लाभ लेते हुए, अवसरों का फायदा उठाते हुए, सशक्तिकरण के माध्यम से 25 करोड़़ गरीबी को परास्त करने में सफल हुए हैं। 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमने बहुत बड़ा काम किया है। जो लोग गरीबी से निकले हैं, कठोर परिश्रम करके निकले हैं, सरकार पर भरोसा करते हुए, योजनाओं को आधार बनाकर के और आज गरीबी से निकलकर वो एक नियो मिडिल क्लास हमारे देश में अर्जित हुआ है।
आदरणीय सभापति जी,
मेरी सरकार इस नियो मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के साथ डट करके खड़ी है और बहुत कमिटमेंट के साथ हम खड़े हैं। हमारे नियो मिडिल क्लास और मिडिल क्लास की आकांक्षाएं आज देश के लिए गति देने वाली शक्ति है, हमारे देश की एक नई ऊर्जा है, देश की प्रगति का सबसे बड़ा आधार है। हम मिडिल क्लास के नियो मिडिल क्लास के सामर्थ्य को बढ़ाना चाहते हैं। हमने मिडिल क्लास के लिए एक बहुत बड़े हिस्से को टैक्स में इस बजट में जीरो कर दिया है। 2013 में दो लाख तक की आय टैक्स में मुक्ति थी, इनकम टैक्स में दो लाख तक मुक्ति थी, आज हमने 12 लाख तक टैक्स में मुक्ति कर दी है। हम 70 साल से ऊपर के किसी भी वर्ग के क्यों ना हो, किसी भी समाज से क्यों ना हो, उनको आयुष्मान योजना का लाभ देकर के और उसका सबसे बड़ा लाभ मिडिल क्लास के बुजुर्गों को मिल रहा है।
आदरणीय सभापति जी,
हमने देश में चार करोड़़ घर बनाकर हमारे देशवासियों को दिए हैं। जिसमें से एक करोड़़ से ज्यादा घर शहरों में बने हैं। हमने घर खरीदने वालों के साथ बहुत बड़ा फ्रॉड हुआ करता था, उनको सुरक्षा देना बहुत जरूरी था और इसी सदन में हमने रेरा का कानून बनाया है, जो आज मध्यम वर्ग के घर के सपने के खिलाफ रुकावटें थी, उसको दूर करने का महत्त्वपूर्ण हथियार बना है। इस बार बजट में स्वामी इनिशिएटिव लाया गया है, जो हाउसिंग प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जिसमें मध्यमवर्ग के पैसे रुके हुए हैं और उनकी सुविधाएं अटकी हुई हैं, उनके उस काम के लिए 15000 करोड़़ रुपए इस बजट में हमने आवंटित किया है ताकि मध्यम वर्ग के उन सपनों को पूरा कर सकें।
आदरणीय सभापति जी,
स्टार्टअप का रिवोल्यूशन जिसको आज दुनिया ने देखा है और उसका एक प्रभाव भी है, ये स्टार्टअप चलाने वाले कौन हैं, ये स्टार्टअप चलाने वाले नौजवान ज्यादातर मिडिल क्लास के नौजवान हैं। आज पूरी दुनिया भारत के प्रति आकर्षित है, खास करके जी 20 समूहों की देश के 50-60 स्थानों पर जो मीटिंगें हुई, उसके कारण भारत को जो पहले सभी दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु मानते थे, भारत को विशालता का उनको पता चला है और आज विश्व का भारत के टूरिज़्म के प्रति आकर्षण बढ़ा है और जब टूरिज़्म बढ़ता है तो व्यवसाय के भी अनेक अवसर आते हैं और उसका लाभ भी हमारे मिडिल क्लास को बहुत मिलने वाला है, उनके आय के साधन।
आदरणीय सभापति जी,
आज हमारा मिडिल क्लास आत्मविश्वास से भरा हुआ है और यह अभूतपूर्व है, यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सामर्थ्य बना देता है देश का और मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का मध्यमवर्ग विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए कमर कस करके खड़ा हो गया है, हमारे साथ चल पड़ा है।
आदरणीय सभापति जी,
विकसित भारत के निर्माण में सबसे बड़ा रोल देश के युवाओं का है, हमें डेमोग्राफी का डिविडेंड उस पर हमारा भी बल है, जो अभी स्कूल कॉलेज में है, वही विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी बनने वाले हैं और इसलिए उनके अंदर एक स्वाभाविक भाव है कि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ेगी, वैसे-वैसे देश की विकास की यात्रा बढ़ेगी और जो उनके लिए एक बहुत बड़ा और एक प्रकार से विकसित भारत का बेस हमारे यहां स्कूल कॉलेज के नौजवान हैं, वो हमारा सामर्थ्य हैं। पिछले 10 साल में लगातार इस तबके को इस बेस को मजबूत करने के लिए हमने बहुत सोची समझी रणनीति के तहत काम किया है। 21वीं सदी की शिक्षा कैसी होनी चाहिए, शिक्षा नीति के लिए पहले सोचा तक नहीं गया, जो चलता है चलने दो, जैसा होता है होता रहे। करीब तीन दशक के अंतराल के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर के हम आए। इस नीति के तहत बहुत सारे इनीशिएटिव है, उसमें एक की में चर्चा करता हूं, पीएम श्री स्कूल। ये पीएम श्री स्कूल आज करीब 10-12000 स्कूल ऑलरेडी बना चुके हैं, और नए बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
आदरणीय सभापति जी,
एक महत्वपूर्ण निर्णय हमने शिक्षा नीति में बदलाव लेकर आए हैं। मातृभाषा में पढ़ाई और मातृभाषा में परीक्षा, इस पर हमने बल दिया है। देश आजाद हुआ, लेकिन ये कुछ गुलामी की मानसिकता कहीं-कहीं जकड़ के रखा था ना, उसमें ये हमारी भाषा भी थी। हमारी मातृभाषा के साथ के साथ घोर अन्याय हुआ है और गरीब का बच्चा, दलित का बच्चा, आदिवासी का बच्चा, वंचित का बच्चा, वो इसलिए रुक जाएं ताकि उसको language नहीं आती है। यह उसके साथ घोर अन्याय था और सबका साथ, सबका विकास का मंत्र मुझे चैन से सोने नहीं देता था और इसी वजह से मैंने कहा कि देश में मातृभाषा में शिक्षा, मातृभाषा में डॉक्टर बने, मातृभाषा में इंजीनियर बने। जिनको अंग्रेजी भाषा पढ़ने नसीब नहीं हुई, उनके सामर्थ्य को हम रोक नहीं सकते। हमने बहुत बड़ा बदलाव किया है और उसके कारण आज गरीब मां का, विधवा मां का वो बच्चा आज डॉक्टर, इंजीनियर के सपने देखने लगा। आदिवासी युवाओं के लिए एकलव्य मॉडल स्कूलों का हमने विस्तार किया है। 10 साल पहले करीब डेढ़ सौ एकलव्य विद्यालय थे। आज चार सौ सत्तर हो गए हैं और अब हम दो सौ और ज्यादा एकलव्य स्कूल की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
आदरणीय सभापति जी,
हमने सैनिक स्कूलों में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म किया और सैनिक स्कूलों में हमने बेटियों को भी प्रवेश की व्यवस्था की है। आप स्वयं सैनिक स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं। पहले बेटियों के लिए उसके दरवाजे बंद थे और आप भी जानते हैं कि सैनिक स्कूलों का महात्मय क्या होता है, उसका सामर्थ्य क्या होता है, जिसने आप जैसे व्यक्तियों को जन्म दिया है। अब वो अवसर मेरे देश की बेटियों को भी मिलेगा। हमने सैनिक स्कूल के दरवाजे खोल दिए हैं। और अभी हमारी सैकड़ों बेटियां देशभक्ति के इस माहौल में अपनी पढ़ाई कर रही हैं और देश के लिए जीने का जज्बा सहज रूप से उनके भीतर पनप रहा है।
आदरणीय सभापति जी,
युवाओं की ग्रूमिंग में एनसीसी की बहुत बड़ी भूमिका है। हममें से जो भी एनसीसी के संपर्क में रहा है, उसे मालूम है कि उस उम्र में और उस कालखंड में एक बहुत सुनहरा अवसर होता है व्यक्ति के विकास में, सर्वांगीण विकास में, उसको एक एक्सपोजर मिलता है। बीते वर्षों में एनसीसी में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है, हम उसको भी जकड़ करके बैठ गए थे। 2014 तक एनसीसी में करीब 14 लाख कैडेट हुआ करते थे, आज वो संख्या 20 लाख पार कर गई है।
आदरणीय सभापति जी,
देश के युवाओं में जो उमंग है, उत्साह है, नया कुछ कर गुजरने की इच्छा है, रूटीन काम से भी हटकर के कुछ करने का उनका इरादा है, ये साफ नजर आता है। जब मैंने स्वच्छ भारत अभियान चलाया, मैंने देखा कि आज भी कई शहरों की नौजवानों की टोलियां अपने तरीके से, स्वयं प्रेरणा से स्वच्छता के अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। कोई झुग्गी-झोपडी में जाकर के शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं, कई नौजवान कुछ न कुछ कर रहे हैं। इन सारी बातों को देखकर के हमें लगा कि देश के युवाओं के एक अवसर मिलना चाहिए। संगठित रूप से प्रयास होना चाहिए और इनके लिए हमने MyBharat एक आंदोलन शुरू किया है। मेरा युवा भारत, MyBharat! आज करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा युवाओं ने उसमें अपनी रजिस्ट्री करवाई है और देश के वर्तमान विषयों पर चर्चा करना, मंथन करना, समाज को जागरूक करना, सक्रियता से ये नौजवान अपनी प्रेरणा से कर रहे हैं। उनको SpoonFeeding की जरूरत नहीं पड़ रही है, वो अपने सामर्थ्य से अच्छी चीजों को हाथ लगाकर के आगे बढ़ रहे हैं।
आदरणीय सभापति जी,
खेल का क्षेत्र, स्पोटर्समेन स्पिरिट को जन्म देते हैं और जिस देश में स्पोटर्स जितना व्यापक होता है, उस देश में वो स्पिरिट अपने आप पनपता है। खेल प्रतिभा को बल देने के लिए हमने अनेक आयामों पर काम शुरू किया है। खेल के लिए जो infrastructure की जरूरत हो, उसके लिए जो Financial Support की आवश्यकता हो, उसमें अभूतपूर्व हमने मदद की है ताकि देश के नौजवानों को एक अवसर मिले। Target Olympic Podium Scheme (TOPS) और खेलों इंडिया अभियान हमारे स्पोटर्स इकोसिस्टम को पूरी तरह ट्रांसफ़ॉर्म करने की ताकत रखते हैं और हम अनुभव भी कर रहे हैं। पिछले दिनों 10 साल में जितने भी इंटरनेशनल स्पोटर्स इवेंट हुए हैं, भारत ने अपना झंडा गाड़ दिया है, भारत ने अपना सामर्थ्य दिखा दिया है, भारत के नौजवानों ने अपना लोहा मनवा लिया है और उसमें हमारी बेटियां भी उतनी दम-खम के साथ दुनिया के सामने भारत की ताकत का प्रदर्शन कर रही हैं।
आदरणीय सभापति जी,
किसी भी देश को विकासशील से विकसित की जो यात्रा होती है, उसमें जनकल्याण के कामों का अपना महत्व है, लोक कल्याण के कामों का अपना महत्व है, लेकिन infrastructure एक बहुत बड़ा कारण होता है, बहुत बड़ी ताकत होता है और विकासशील से विकसित की यात्रा infrastructure से गुजरती है और हमने infrastructure के इस महत्व को समझा है और हमने इस पर बल दिया है। आज जब infrastructure की बात होती है, तो ये भी जरूरी है कि वो समय से पूरे हों, जिसकी हम कल्पना करें, योजना करें, आवश्यकता समझें लेकिन लटके रहें तो उसका फायदा नहीं मिलता है, उससे टैक्सपेयर का पैसा भी बर्बाद होता है और देश उस लाभ से वंचित रह जाता है। अनेक सालों तक इंतजार करता है, उसका बहुत बड़ा भारी नुकसान होता है, जिसको शब्दों में गिना नहीं जा सकता है। कांग्रेस के कालखंड में अटकाना, भटकाना, लटकाना, ये उनका कल्चर बन गया था और उसके कारण और ये उनकी राजनीति का हिस्सा था, किस प्रोजेक्ट को करने देना, नहीं करने देना उसमें राजनीतिक का तराजू रहता था। सबका साथ, सबका विकास का मंत्र नहीं होता था। इस कांग्रेस कल्चर से मुक्ति पाने के लिए हमने एक प्रगति नाम की व्यवस्था बनाई और उसे नियमित रूप से मैं स्वयं इस प्रगति platform के माध्यम से infrastructure के प्रोजेक्ट्स की detailed monitoring करता हूं। कभी ड्रोन से भी उस एरिया की videography और live interaction करता हूं, काफी मैं उसमें involve रहता हूं। करीब-करीब 19 लाख करोड़ रुपये के ऐसे जो प्रोजेक्ट अटके पड़े हुए थे, किसी न किसी कारण से, राज्य और केंद्र का coordination नहीं होगा, एक department का दूसरे department से coordination नहीं होगा, फाइलों में कहीं लटका पड़ा होगा। इन सारी चीजों का रिव्यू करता हूं और OxfordUniversity ने उस पर अध्ययन किया है उस प्रगति पर, हमारे initiative पर और बहुत बड़ा उसने अच्छा रिपोर्ट दिया है और उसमें उसने एक बहुत बड़ा सुझाव दिया है। उनसे कहा है, प्रगति के initiative के बारे में कहा है। उन्होंने कहा है कि प्रगति के अनुभवों से सीखते हुए अन्य विकासशील देशों के पास भी infrastructure के विकास में क्रांति लाने का एक मूल्यवान अवसर है, ये प्रगति के ऊपर है। सभी Developing Countries के लिए उन्होंने ये सुझाव दिया है। पहले काम कैसे होते थे, मैं तथ्यों के साथ कुछ उदाहरण देना चाहता हूं ताकि पता चले कि कैसे देश को नुकसान किया गया है। मैं ये नहीं कह रहा हूं हर कोई एक ही व्यक्ति ने जानबूझकर किया होगा, लेकिन एक कल्चर Develop हो गया और उसका परिणाम हुआ, अब देखिए उत्तर प्रदेश में हम एग्रीकल्चर किसान भाषण तो बहुत बढ़िया दे देते हैं, अच्छा लगता है, भड़काने का काम करने में क्या जाता है? कुछ investment तो है ही नहीं, भड़काते रहो दुनिया को, कोई काम तो करना नहीं है। उत्तर प्रदेश में कृषि के लिए एक योजना थी सरयू नहर परियोजना। सरयू नहर परियोजना 1972, सोचिए साहब! 1972 में स्वीकृत हुई थी। 5 दशक तक लटकी रही थी। 1972 में जिस योजना को सोचा गया, योजना बनी, फाइल पर स्वीकृत हो चुकी थी, 2021 में हमने आकर के इसको पूरा किया।
आदरणीय सभापति जी,
जम्मू-कश्मीर की उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइऩ, 1994 में स्वीकृत हुई थी, 1994 में यह रेललाइन भी वर्षों तक लटकी रही, तीन दशक बाद आखिरकार हमने 2025 में इसे पूरा किया।
आदरणीय सभापति जी,
उड़ीसा की हरिदासपुर-पारादीपरेललाइन 1996 में स्वीकृति हुई थी, यह भी बर्सों तक अटकी रही और यह भी 2019 में हमारे कार्यकाल में पूरी हुई।
आदरणीय सभापति जी,
असम का बोगीबील ब्रिज, 1998 में स्वीकृत हुआ था। यह भी हमारी सरकार ने 2018 में पूरा किया। और मैं ऐसे आपको सैकड़ों उदाहरण दे सकता हूं, अटकाना, लटकाना, भटकाना, इस कल्चर ने कितना देश को बर्बाद किया है, ये सैकड़ों उदाहरण मैं दे सकता हूं। आप कल्पना कर सकते हैं, कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में देश के लिए, देश जिसके लिए हकदार था, जो होने की संभावनाएं भी थी, इस प्रगति का न करते हुए कितनी बर्बादी की है, इसका आप अंदाज लगा सकते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सही प्लानिंग और समय सही एग्जीक्यूशन, इसके लिए पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान बनाया है। पीएम गति शक्ति में जो लोग डिजिटल वर्ल्ड में इंटरेस्टेड हैं, उनके लिए जरूरी है समझना और मैं तो चाहूंगा इसको राज्यों को भी उपयोग करना चाहिए। पीएम गति शक्ति प्लेटफॉर्म में 1600 डेटा लेयर्स है, हमारे देश के अलग-अलग कामों के और निर्णय प्रक्रिया को तेज करते हैं, सरल करते हैं और उसको लागू करने में भी बहुत तेजी से उसको लागू किया जा सकता है, तो आज गति शक्ति प्लेटफार्म अपने आप में एक बहुत बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर के काम को गति देने वाला आधार बन गया है।
आदरणीय सभापति जी,
आज के नौजवानों को यह जानना बहुत जरूरी है कि उनके मां-बाप को मुसीबतों से जिंदगी क्यों गुजारनी पड़ी। देश की ऐसी हालत क्यों हुई, उनको जानना बहुत जरूरी है। अगर बीते दशक में डिजिटल इंडिया के लिए हम प्रोएक्टिव ना होते, हम कदम न उठाते, तो आज जैसी सुविधाएं लेने में हमें कई साल इंतजार करना पड़ता। ये हमारे प्रोएक्टिव डिसीजन और प्रोएक्टिव एक्शन का परिणाम है कि आज हम समय से, समय के साथ या कहीं-कहीं समय से आगे चल रहे हैं। आज देश में 5जी टेक्नोलॉजी दुनिया में सबसे तेज गति से व्याप्त हमारे देश में है।
आदरणीय सभापति जी,
मैं अतीत के अनुभवों से कह रहा हूं। कंप्यूटर हो, मोबाइल फोन हो, एटीएम हो, ऐसी कई टेक्नोलॉजी, दुनिया के कई देशों में हमारे से बहुत पहले पहुंच चुकी थी, लेकिन भारत में आते-आते दशकों बीत गए, तब जाकर के पहुंचा। अगर मैं हेल्थ की बात करूं, बीमारी की बात करूं, टीकाकरण की बात करूं, जैसे चेचक, बीसीजी का टीका, जब हम गुलाम थे, तब दुनिया में वह टीकाकरण हो रहा था। कुछ देशों में हो चुका था, लेकिन भारत में यह दशकों बाद आया। पोलियो की वैक्सीन हमें दशकों तक इंतजार करना पड़ा, दुनिया आगे बढ़ चुकी थी, हम पीछे रह गए थे। कारण यह था कांग्रेस ने देश की व्यवस्था को ऐसे जकड़ करके रखा था, उनको लगता था सारा ज्ञान सरकार में जो बैठे उन्ही को है, वही सब कर लेंगे और उसी का एक परिणाम था, लाइसेंस परमिट राज, मैं देश के नौजवानों को कहूंगा, लाइसेंस परमिट राज का कितना जुल्म था, देश विकास नहीं कर सकता था और लाइसेंस परमिट राज, यही कांग्रेस की पहचान बन गई थी।
आदरणीय सभापति जी,
कंप्यूटर का जब शुरुआती दौर था, तो कंप्यूटर कोई इंपोर्ट करना चाहता है, तो उसके लिए लाइसेंस लेना होता था, कंप्यूटर लाने के लिए और कंप्यूटर लाने के लाइसेंस पाने में भी सालों लग जाते थे।
आदरणीय सभापति जी
वो दिन थे, मकान बनाने के लिए सीमेंट चाहिए, तो सीमेंट के लिए भी परमिशन लेना पड़ता था, मकान बनाने के लिए… इतना ही नहीं सभापति जी शादी ब्याह में अगर चीनी की जरूरत हो, चीनी! चाय पिलानी हो, तो भी लाइसेंस लेना पड़ता था। मेरे देश के नौजवानों को पता होना और मैं ये आजाद भारत की बात कर रहा हूं, मैं अंग्रेजों के कालखंड की बात नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस के कालखंड की बात कर रहा हूं और कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री जो अपने आप को बहुत ज्ञानी मानते हैं, उन्होंने माना था कि लाइसेंस परमिट के बिना कोई काम होते नहीं है। सारे काम लाइसेंस परमिट के रास्ते से ही गुजरते हैं और उन्होंने यह भी कहा था कि लाइसेंस परमिट बिना रिश्वत के नहीं होता है। मैं कांग्रेस के वित्त मंत्री ने जो कहा, वह कह रहा हूं। बिना रिश्वत के नहीं होता है। अब कोई जान, बहुत आसानी से समझ सकता है, उस जमाने में रिश्वत मतलब, हाथ की सफाई कौन करता था भाई, ये कौन पंजा था? वो पैसा कहां जाता था, देश का नौजवान भली भांति समझ सकता है। यही इस सदन में कांग्रेस के एक माननीय सदस्य हैं, मौजूद हैं, जिनके पिताजी के पास खुद के पैसे थे, खुद के पैसे थे, किसी से लेना नहीं था और कार खरीदना चाहते थे। यहां मौजूद एक एमपी हैं कांग्रेस के, उनके पिताजी खुद के पैसे से कार खरीदना चाहते थे। 15 साल तक उनको कार के लिए इंतजार करना पड़ा था, कांग्रेस के राज में।
आदरणीय सभापति जी,
हम सब जानते हैं स्कूटर लेना हो, तो बुकिंग करवाकर पैसा देना, 8-8, 10-10 साल एक स्कूटर खरीदने में लग जाता था और अगर मजबूरी में स्कूटर मानों बेचना पड़ा, तो उसके लिए सरकार से परमिशन लेनी पड़ती थी। यानी कैसे देश चलाया इन लोगों ने और इतना ही नहीं गैस सिलेंडर एमपी को कूपन दिया जाता था, एमपी को कूपन दिया जाता था कि तुम इलाके में 25 लोगों को गैस कनेक्शन दे सकते हो। गैस सिलेंडर के लिए कतार लगती थी। टेलीफोन कनेक्शन, नाकों दम आ जाता था टेलीफोन कनेक्शन के लिए, देश के नौजवानों को पता होना चाहिए, ये जो आज बड़े-बड़े भाषण झाड़ रहे हैं, उन्होंने क्या किया था देश को पता होना चाहिए।
आदरणीय सभापति जी,
यह सारी पाबंदियां और लाइसेंस राज की नीतियों ने भारत को दुनिया की सबसे धीमी आर्थिक वृद्धि दर में धकेल दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस कमजोर वृद्धि दर को, इस विफलता को, दुनिया में किस नाम से कहने की शुरुआत हो गई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहने लगे। एक समाज का पूरा अपमान, विफलता सरकार में बैठे हुए लोगों की, काम न करने के सामर्थ्य बैठे हुए लोगों का, समझ शक्ति का अभाव बैठे हुए लोगों का, दिन रात भ्रष्टाचार में डूबे हुए लोगों का और गाली पड़ी एक बहुत बड़े समाज को, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ…
आदरणीय सभापति जी,
शाही परिवार के आर्थिक कुप्रबंधन और गलत नीतियों के कारण, पूरे समाज को दोषी ठहराया गया और दुनिया भर में बदनाम किया गया। जबकि हम इतिहास देखें तो भारत के लोगों का तरीका और नीतियां, भारत के स्वभाव में लाइसेंस राज नहीं था, परमिट नहीं थी। भारत के लोग सदियों से हजारों साल से खुले में विश्वास करते थे और हम उन समुदाय में सबसे पहले थे जो दुनिया भर में मुक्त व्यापार, फ्री ट्रेड, उसमें मेहनत करते थे, काम करते थे।
सदियों पहले भारतीय व्यापारी दूर दराज के देशों तक व्यापार करने के लिए जाते थे, कोई बंधन नहीं थे, कोई रुकावटे नहीं थीं। यह हमारी प्राकृतिक संस्कृति थी, हमने उसको तबाह करके रख दिया है। आज जब पूरी दुनिया भारत की आर्थिक क्षमता को पहचानने लगी है, आज दुनिया तेज गति से आगे बढ़ने वाले देश के रूप में देख रही है, तो आज दुनिया भारत रेट ऑफ ग्रोथ, दुनिया देख रही है और हर भारतीय को इसका गौरव है और हम अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार कर रहे हैं।
आदरणीय सभापति जी,
आदरणीय सभापति जी,
कांग्रेस के पंजे से मुक्त होकर अब देश चैन की सांस ले रहा है और ऊंची उड़ान भी भर रहा है। कांग्रेस के लाइसेंस राज और उसकी कुनीतियों से बाहर निकलकर, हम मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए हमने पीएलआई स्कीम शुरू की, एफडीआई से जुड़े रिफॉर्म्स किए। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल प्रोडक्शन वाला देश बना है। पहले हम ज्यादातर फोन बाहर से इंपोर्ट कर रहे थे, अब हमारी पहचान एक मोबाइल एक्सपोर्टर के रूप में बनी है।
आदरणीय सभापति जी,
आज भारत की पहचान डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग की बनी है। 10 साल में हमारा डिफेंस प्रोडक्ट 10 गुना एक्सपोर्ट बढा है। 10 साल में 10 गुना बढा है।
आदरणीय सभापति जी,
भारत में सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग भी 10 गुना बढ़ गए हैं। आज हमारा देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील प्रोड्यूसर देश है। 10 सालों में हमारा मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट तेजी से आगे बढ़ा है। बीते 10 सालों में भारत का टॉयज एक्सपोर्ट तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। इन्हीं 10 सालों में एग्रो केमिकल एक्सपोर्ट भी बढ़ा है। कोरोना के कालखंड में हमने 150 से ज्यादा देशों को वैक्सीन और दवाइयां सप्लाई की- मेड इन इंडिया। हमारे आयुष और हर्बल प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी बहुत तेज गति से बढ़ा है और बढ़ रहा है।
आदरणीय सभापति जी,
खादी जो कांग्रेस ने की तो सबसे बड़ा एक काम करते न खादी के लिए, तो भी मुझे लगता कि हां यह आजादी के आंदोलन के लोगों से कुछ प्रेरणा आगे बढ़ा रहे हैं, वो भी नहीं किया। खादी और विलेज इंडस्ट्री का टर्नओवर पहली बार डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा का हुआ है। 10 साल में इसका प्रोडक्शन भी चार गुना हुआ है। इस सारी मैन्युफैक्चरिंग का बहुत बड़ा लाभ हमारे एमएसएमई सेक्टर को मिला है। इससे देश में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर तैयार हुए हैं।
आदरणीय सभापति जी,
हम सभी जनता के प्रतिनिधि हैं। हम जनता-जनार्दन के सेवक हैं, जनप्रतिनिधि के लिए देश और समाज का मिशन ही सब कुछ होता है और सेवा व्रत लेकर के ही जनप्रतिनिधियों के लिए काम करना, उनका दायित्व होता है।
आदरणीय सभापति जी,
देश की हम सभी से अपेक्षा है कि हम विकसित भारत को आत्मसात करने के लिए कोई कमी हमारी तरफ से नहीं रहनी चाहिए। हम सबका सामूहिक दायित्व होना चाहिए। ये देश का संकल्प है, ये किसी सरकार का संकल्प नहीं है, किसी व्यक्ति का संकल्प नहीं है, 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है और सभापति जी, मेरे शब्द लिख करके रखिए, जो लोग विकसित भारत के संकल्प से अपनों को अछूता रखेंगे, देश उनको अछूता कर देगी। हर किसी को जुड़ना पड़ेगा, आप बच करके नहीं रह सकते, क्योंकि भारत का मिडिल क्लास, भारत का नौजवान पूरी ताकत के साथ देश को आगे बढ़ाने में जुट चुका है।
आदरणीय सभापति जी,
जब प्रगति की राह पर देश चल पड़ा है। विकास की नई ऊंचाइयों को देश अर्जित कर रहा है, तब हम सब की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। सरकारों में विरोध होना, लोकतंत्र का स्वभाव है। नीतियों का विरोध होना, लोकतंत्र की जिम्मेदारी भी है, लेकिन घोर विरोधवाद, घोर निराशावाद और अपनी लकीर लंबी नहीं करनी, दूसरी लकीर को छोटा करने की कोशिशें विकसित भारत में रुकावट बन सकती हैं, हमें उनसे मुक्त होना होगा और हमें आत्ममंथन भी करना होगा, निरंतर मंथन करना होगा। मुझे भरोसा है कि सदन में जो चर्चा हुई है, उसमें से जो उत्तम चीजें हैं, उसको लेकर के हम आगे बढ़ेंगे और हमारा मंथन जारी रहेगा, हमें निरंतर ऊर्जा राष्ट्रपति जी के उद्बोधन से मिलती रहेगी। एक बार फिर राष्ट्रपति जी का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं और सभी माननीय सांसदों का भी आभार व्यक्त करता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!
Speaking in the Rajya Sabha. https://t.co/OZKM3x0CEX
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Sabka Saath, Sabka Vikas is our collective responsibility. pic.twitter.com/j7mNeSiiyC
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The people of the country have understood, tested and supported our model of development. pic.twitter.com/YVuNTSMgZY
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Santushtikaran over Tushtikaran. pic.twitter.com/CbXeCWerM7
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The mantra of our governance is – Sabka Saath, Sabka Vikas. pic.twitter.com/8w9qmoUfhy
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India's progress is powered by Nari Shakti. pic.twitter.com/1bIFRlfBcC
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Prioritising the welfare of the poor and marginalised. pic.twitter.com/lqBg0oqCQc
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Empowering the tribal communities with PM-JANMAN. pic.twitter.com/QKppDDRbaY
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25 crore people of the country have moved out of poverty and become part of the neo middle class. Today, their aspirations are the strongest foundation for the nation's progress. pic.twitter.com/0AIXj8znqC
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The middle class is confident and determined to drive India's journey towards development. pic.twitter.com/VPilrdUE9l
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We have focused on strengthening infrastructure across the country. pic.twitter.com/yUhe2xKuK7
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Today, the world recognises India's economic potential. pic.twitter.com/JrhzIUox5Z
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