प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर वीडियो संदेश के जरिए संबोधित किया। नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा देश आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर आदरपूर्वक याद कर रहा है। नेताजी सुभाष बोस को श्रद्धांजलि देते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस वर्ष पराक्रम दिवस का भव्य समारोह उनके जन्म स्थान ओडिशा में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर ओडिशा के लोगों और वहां की सरकार को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ओडिशा के कटक में नेताजी के जीवन की विरासत पर आधारित एक विशाल प्रदर्शनी लगाई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि कई कलाकारों ने नेताजी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को कैनवास पर उकेरा है। उन्होंने कहा कि नेताजी पर आधारित कई पुस्तकें भी एकत्रित की गई हैं। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि नेताजी की जीवन यात्रा की ये सभी विरासतें मेरे युवा भारत को एक नई ऊर्जा देंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज जब हम विकसित भारत के संकल्प को प्राप्त करने में जुटे हैं, तो ऐसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन की विरासत हमें निरंतर प्रेरित करती रहेगी।” उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष बोस का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण लक्ष्य आज़ाद हिंद था। श्री मोदी ने कहा कि इस संकल्प को प्राप्त करने के लिए वे एक ही मानदंड – आज़ाद हिंद पर अपने निर्णय पर अडिग रहे। उन्होंने बताया कि नेताजी एक समृद्ध परिवार में पैदा हुए थे और सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद, वे ब्रिटिश सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी बन सकते थे और एक आरामदायक जीवन जी सकते थे। लेकिन, नेताजी ने भारत और अन्य देशों में भटकने के साथ-साथ स्वतंत्रता की खोज में कठिनाइयों और चुनौतियों का रास्ता चुना। उन्होंने कहा, “नेताजी सुभाष आराम के दायरे से बंधे नहीं थे।” प्रधानमंत्री ने आग्रह किया, “आज, हम सभी को विकसित भारत बनाने के लिए अपने आराम के दायरे से बाहर निकलने की जरूरत है।” उन्होंने विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनने, उत्कृष्टता को चुनने और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने बताया कि नेताजी ने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था, जिसमें हर क्षेत्र और वर्ग के वीर पुरुष और महिलाएं शामिल थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अलग-अलग भाषाएं होने के बावजूद, उनकी भावना देश की आजादी थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह एकता आज के विकसित भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। उन्होंने कहा कि जिस तरह स्वराज के लिए एकता जरूरी थी, उसी तरह आज के विकसित भारत के लिए भी एकता जरूरी है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर भारत की प्रगति के लिए अनुकूल माहौल पर प्रकाश डाला और कहा कि दुनिया देख रही है कि भारत 21वीं सदी को कैसे अपना बना रहा है। उन्होंने नेताजी सुभाष से प्रेरणा लेने और भारत की एकता पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने देश को कमजोर करने और इसकी एकता को तोड़ने की कोशिश करने वालों से सतर्क रहने की भी चेतावनी दी।
श्री मोदी ने कहा कि नेताजी सुभाष को भारत की विरासत पर बहुत गर्व था और वे अक्सर भारत के समृद्ध लोकतांत्रिक इतिहास के बारे में बोलते थे तथा लोगों को इससे प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज भारत औपनिवेशिक मानसिकता से उभर रहा है तथा अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास कर रहा है। प्रधानमंत्री ने आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले पर तिरंगा फहराने पर गर्व व्यक्त किया, जो एक अविस्मरणीय ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा कि नेताजी की विरासत से प्रेरित होकर सरकार ने 2019 में दिल्ली के लाल किले में नेताजी सुभाष को समर्पित एक संग्रहालय की स्थापना की, साथ ही उसी वर्ष सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कारों की शुरुआत की। श्री मोदी ने कहा, “2021 में सरकार ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा कि इंडिया गेट के पास नेताजी की भव्य प्रतिमा की स्थापना, अंडमान में एक द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखना तथा गणतंत्र दिवस परेड में आईएनए सैनिकों को सलामी देना उनकी विरासत का सम्मान करने की सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
श्री मोदी ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में देश ने यह दिखा दिया है कि तेज विकास से आम आदमी का जीवन आसान होता है और सैन्य शक्ति भी बढ़ती है।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पिछले दशक में 25 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया, जो एक बड़ी सफलता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गांव हो या शहर, हर जगह आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने भारतीय सेना की ताकत में अभूतपूर्व वृद्धि और विश्व मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा। उन्होंने सभी से नेताजी सुभाष से प्रेरित होकर एक लक्ष्य, एक उद्देश्य के साथ विकसित भारत के लिए निरंतर काम करते रहने का आग्रह किया और कहा कि यही नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री ने सभी को शुभकामनाएं दीं।
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