नमस्कार फ्रैंडस,
आप सभी के बीच आकर आज एक अलग ही खुशी महसूस कर रहा हूं। शायद ऐसी खुशी बहुत rare occasion पर होती है। जब तन मन खुशियों से भर गया हो और व्यक्ति के जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं घटती है कि उस पर बेसब्री हावी हो जाती है। इस बार मेरे साथ भी ऐसे ही हुआ है, इतनी बेसब्री। मैं साउथ अफ्रीका में था फिर ग्रीस का कार्यक्रम था तो वहां चला गया लेकिन मेरा मन पूरी तरह आपके साथ ही लगा हुआ था। लेकिन कभी-कभी लगता है कि मैं आप लोगों के साथ अन्याय कर देता हूं। बेसब्री मेरी और मुसीबत आपकी। इतनी सवेरे-सवेरे आप सभी को और इतना टाइम लेकिन बस मन कर रहा थ जाऊं आपको नमन करूं। आपको दिक्कत हुई होगी, लेकिन मैं भारत में आते ही जल्द से जल्द आपके दर्शन करना चाहता था। आप सबको सैल्यूट करना चाहता था। सैल्यूट आपके परिश्रम को, सैल्यूट आपके धैर्य को, सैल्यूट आपकी लगन को, सैल्यूट आपकी जीवंतता को, सैल्यूट आपके जज्बे को। आप देश को जिस ऊंचाई पर लेकर गए हैं, ये कोई साधारण सफलता नहीं है। ये अनंत अंतरिक्ष में भारत के वैज्ञानिक सामर्थ्य का शंखनाद है।
India is on the Moon. We have our national pride placed on the Moon. हम वहां पहुंचे, जहां कोई नहीं पहुंचा था। हमनें वो किया जो पहले कभी किसी ने नहीं किया था। ये आज का भारत है, निर्भीक भारत, जुझारू भारत। ये वो भारत है, जो नया सोचता है, नए तरीके से सोचता है। जो डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फैला देता है। 21वीं सदी में यही भारत दुनिया की बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान करेगा। मेरी आंखों के सामने 23 अगस्त का वो दिन, वो एक-एक सेकेंड, बार-बार घूम रहा है। जब टच डाउन कंफर्म हुआ तो जिस तरह यहां इसरो सेंटर में, पूरे देश में लोग उछल पड़े वो दृश्य कौन भूल सकता है, कुछ स्मृतियां अमर हो जाती हैं। वो पल अमर हो गया, वो पल इस सदी के सबसे प्रेरणादायी क्षणों में से एक है। हर भारतीय को लग रहा था कि विजय उसकी अपनी है। खुद महसूस करता था। हर भारतीय को लग रहा था कि जैसे वो खुद एक बड़े एग्जाम में पास हो गया है। आज भी बधाइयां दी जा रही हैं, संदेशें दिए जा रहे हैं, और ये सब मुमकिन बनाया है आप सबने, आपने। देश के मेरे वैज्ञानिकों ने ये मुमकिन बनाया है। मैं आप सबका जितना गुणगान करूं वो कम है, मैं आपकी जितनी सरहाना करूं वो कम है।
साथियों,
मैंने वो फोटो देखी, जिसमें हमारे Moon Lander ने अंगद की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमाया हुआ है। एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। हमारा प्रज्ञान लगातार चंद्रमा पर अपने पद चिह्न छोड़ रहा है। अलग-अलग कैमरों से ली गई जो तस्वीरें अभी रिलीज हुई और मुझे देखने का सौभाग्य मिला है, वो अद्भूत है। मानव सभ्यता में पहली बार धरती के लाखों साल के इतिहास में पहली बार उस स्थान की तस्वीर मानव अपनी आंखों से देख रहा है। और ये तस्वीर दुनिया को दिखाने का काम भारत ने किया है, आप सभी वैज्ञानिकों ने किया है। आज पूरी दुनिया भारत की scientific spirit का, हमारी टेक्नोलॉजी का और हमारे scientific temperament का लोहा मान चुकी है। चंद्रयान महाअभियान सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सफलता है। हमारा मिशन जिस क्षेत्र को एक्सप्लोर करेगा, उससे सभी देशों के लिए मूल मिशंस के नए रास्ते खुलेंगे। ये चांद के रहस्यों को तो खोलेगा ही साथ ही धरती की चुनौतियों के समाधान में भी मदद करेगा। आपकी इस सफलता के लिए मैं एक बार फिर सभी वैज्ञानिकों को, Technicians, Engineers और चंद्रयान महाभियान से जुड़े सभी सदस्यों को बधाई देता हूं।
मेरे परिवारजनों,
आप जानते हैं कि स्पेस मिशन्स के touchdown प्वाइंट को एक नाम दिए जाने की वैज्ञानिक परंपरा है। चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है, भारत ने उस स्थान के भी नामकरण का फैसला लिया है। जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस पॉइंट को, ‘शिवशक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और ‘शक्ति’ से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट, हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है। हमारे ऋषियों ने कहा है- येन कर्माण्यपसो मनीषिणो यज्ञे कृण्वन्ति विदथेषु धीराः। यदपूर्व यक्षमन्तः प्रजानां तन्मे मनः शिव-संकल्प-मस्तु। अर्थात्, जिस मन से हम कर्तव्य-कर्म करते हैं, विचार और विज्ञान को गति देते हैं, और जो सबके भीतर मौजूद है, वो मन शुभ और कल्याणकारी संकल्पों से जुड़े। मन के इन शुभ संकल्पों को पूरा करने के लिए शक्ति का आशीर्वाद अनिवार्य है। और ये शक्ति हमारी नारीशक्ति है। हमारी माताएं बहनें हैं। हमारे यहाँ कहा गया है- सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। अर्थात्, निर्माण से प्रलय तक, पूरी सृष्टि का आधार नारीशक्ति ही है। आप सबने देखा है, चंद्रयान-3 में देश ने हमारी महिला वैज्ञानिकों ने, देश की नारीशक्ति ने कितनी बड़ी भूमिका निभाई है। चंद्रमा का ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट, सदियों तक भारत के इस वैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन का साक्षी बनेगा। ये शिवशक्ति प्वाइंट, आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि हमें विज्ञान का उपयोग, मानवता के कल्याण के लिए ही करना है। मानवता का कल्याण यही हमारा सुप्रीम कमिटमेंट है।
साथियों,
एक और नामकरण काफी समय से लंबित है। चार साल पहले जब चंद्रयान-2 चंद्रमा के पास तक पहुंचा था, जहां उसके पदचिन्ह पड़े थे, तब ये प्रस्ताव था कि उस स्थान का नाम तय किया जाए। लेकिन उन परिस्थितियां में निर्णय लेने के स्थान पर, हमने प्रण लिया था कि जब चंद्रयान-3, सफलता पूर्वक चांद पर पहुंचेगा, तब हम दोनों प्वाइंट्स का नाम एक साथ रखेंगे। और आज मुझे लगता है कि, जब हर घर तिरंगा है, जब हर मन तिरंगा है, और चांद पर भी तिरंगा है, तो ‘तिरंगा’ के सिवाय, चंद्रयान 2 से जुड़े उस स्थान को और क्या नाम दिया जा सकता है? इसलिए, चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान 2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े हैं, वो प्वाइंट अब ‘तिरंगा’ कहलाएगा। ये तिरंगा प्वाइंट, भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा। ये तिरंगा प्वाइंट, हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती, अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सफलता मिलकर के ही रहती है। यानि, मैं फिर दोहरा रहा हूं। चंद्रयान 2 के पदचिन्ह जहां हैं, वो स्थान आज से तिरंगा प्वाइंट कहलाएगा। और जहां पर चंद्रयान 3 का मून लैंडर पहुंचा है, वो स्थान, आज से शिव-शक्ति प्वाइंट कहलाएगा।
साथियों,
आज भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन चुका है, जिसने चन्द्रमा की सतह को छुआ है। ये सफलता तब और अधिक बड़ी हो जाती है, जब हम ये देखते हैं कि भारत ने अपनी यात्रा कहाँ से शुरू की थी। एक समय था, जब भारत के पास जरूरी तकनीक नहीं थी, सहयोग भी नहीं था। हमारी गिनती ‘थर्ड वर्ल्ड’ यानि ‘थर्ड रो’ में खड़े देशों में होती थी। वहाँ से निकलकर आज भारत दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। आज ट्रेड से लेकर टेक्नोलॉजी तक, भारत की गिनती पहली पंक्ति, यानी ‘फ़र्स्ट रो’ में खड़े देशों में हो रही है। यानि ‘थर्ड रो’ से ‘फर्स्ट रो’ तक की इस यात्रा में हमारे ‘इसरो’ जैसे संस्थानों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। आपने आज Make in India को चाँद तक पहुंचा दिया है।
मेरे परिवारजनों,
मैं आज आपके बीच आकर विशेषतौर पर देशवासियों को आपकी मेहनत के बारे में बताना चाहता हूं। जो मैं बातें बता रहा हूं वो आपके लिए नयी नहीं है। लेकिन आपने जो किया है, जो साधना की है वो देशवासियों को भी पता होना चाहिए। भारत के दक्षिणी हिस्से से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक चंद्रयान की ये यात्रा आसान नहीं थी। मून लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने इसरो की रिसर्च फैसिलिटी में artificial moon तक बना डाला। इस artificial moon पर विक्रम लैंडर को अलग-अलग तरीके की सरफेस पर उतारकर उसका टेस्ट किया गया था। अब इतने सारे एग्जाम देकर हमारा Moon Lander वहां गया है, तो उसे सक्सेस मिलनी ही मिलनी थी।
साथियों,
आज जब मैं देखता हूं कि भारत की युवा पीढ़ी, साइंस को लेकर, स्पेस को लेकर, इनोवेशन को लेकर, इतनी एनर्जी से भरी हुई है, तो उसके पीछे हमारे ऐसे ही स्पेस मिशंस की सफलता है। मंगलयान की सफलता ने, चंद्रयान की सफलता ने, गगनयान की तैयारी ने, देश की युवा पीढ़ी को एक नया मिजाज दे दिया है। आज भारत के छोटे-छोटे बच्चों की जुबान पर चंद्रयान का नाम है। आज भारत का हर बच्चा, आप वैज्ञानिकों में अपना भविष्य देख रहा है। इसलिए आपकी उपलब्धि सिर्फ ये नहीं है कि आपने चांद पर तिरंगा लहराया। लेकिन आपने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। और वो उपलब्धि है, भारत की पूरी की पूरी पीढ़ी को जागृत करने की, उसे नई ऊर्जा देने की। आपने एक पूरी पीढ़ी पर अपनी इस सफलता की गहरी छाप छोड़ी है। आज से कोई भी बच्चा, रात में जब चंद्रमा को देखेगा, तो उसको विश्वास होगा कि जिस हौसले से मेरा देश चांद पर पहुंचा है, वही हौसला, वही जज्बा, उस बच्चे के भीतर भी है, उस युवा के भीतर भी है। आज आपने भारत के बच्चों में आकांक्षाओं के जो बीज बोए हैं, कल वो वटवृक्ष बनेंगे और विकसित भारत की नींव बनेंगे।
हमारी युवा पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा मिलती रहे, इसके लिए एक और निर्णय़ लिया गया है। 23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब हिन्दुस्तान National Space Day के रूप में मनाएगा। अब हर वर्ष देश National Space Day साईंस, टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन की स्पिरिट को सेलिब्रेट करेगा, तो ये हमें हमेशा – हमेशा के लिए प्रेरित करता रहेगा।
मेरे परिवारजनों,
आप भी जानते हैं कि स्पेस सेक्टर का जो सामर्थ्य है, वो सैटेलाइट लॉन्च करने या अंतरिक्ष की खोज से कहीं ज्यादा बड़ा है। स्पेस सेक्टर की एक बहुत बड़ी ताकत है, जो मैं देखता हूं, वो है Ease of Living और Ease of Governance. आज देश में Space Applications को, Governance के हर पहलू से जोड़ने की दिशा में बहुत बड़ा काम हुआ है। आप लोगों ने जब मुझे प्रधानमंत्री के रूप में काम करने का दायित्व दिया तो प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल के ऑफीसर्स की, स्पेस साइंटिस्ट्स के साथ एक वर्कशॉप करवाई थी। और इसका मकसद यही था कि Governance में, शासन व्यवस्था में Transparency लाने में, स्पेस सेक्टर की ताकत का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कैसे करें। तब किरण जी शायद हम लोगों के साथ काम करते थे। इसी का नतीजा था, जब देश ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया, शौचालयों का निर्माण शुरू किया, करोड़ों घरों को बनाने का अभियान चलाया, तो इन सबके मॉनिटरिंग के लिए, उसकी प्रगति के लिए स्पेस साइंस ने बहुत मदद की। आज देश में दूर दराज के इलाके में Education, Communication और Health Services पहुंचाने में स्पेस सेक्टर की बहुत बड़ी भूमिका है। इन दिनों आजादी के अमृत महोत्सव के निमित्त जो जिले-जिले में अमृत सरोवर बन रहे हैं। उसका भी टैगिंग, उसके भी मॉनिटरिंग स्पेस के द्वारा ही हो रही है। बिना स्पेस टेक्नोल़ॉजी के हम टेली-मेडीसीन और टेली-एजुकेशन की कल्पना तक नहीं कर सकते। स्पेस साइंस ने देश के resources के optimum Utilisation में भी बहुत मदद की है। हमारे देश के एग्रीकल्चर सेक्टर को ताकत देने में, मौसम का अनुमान लगाने में स्पेस सेक्टर जो मदद करता है, वो देश का हर किसान जानता है। आज वो देख लेता है अपने मोबाइल पर, अगले सप्ताह मौसम का क्या हाल है। देश के करोड़ों मछुवारों को आज ‘नाविक’ सिस्टम से जो सटीक जानकारी मिल रही है, वो भी आपकी ही देन है। आज जब देश में बाढ़ आती है, कोई प्राकृतिक आपदा आती है, भूकंप आता है, तो हालात की गंभीरता का पता लगाने में आप सबसे पहले आगे आते हैं। जब सायक्लोन आता है, तो हमारी सैटेलाइट्स उसका सारा रूट बताती हैं, सारी टाइमिंग बताती हैं, और लोगों की जान भी बचती है, संपत्ति भी बचती है और सिर्फ सायक्लोन के कारण जो संपत्ति बचती है ना उसका अगर जोड़ लगा दें, तो आज स्पेस का जो खर्चा है उससे वो ज्यादा हो जाता था। हमारे पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान का आधार भी स्पेस टेक्नोलॉजी ही है। और आज दुनिया भारत के इस गतिशक्ति प्लेटफॉर्म का अध्ययन कर रही है कि प्लानिंग और मैनेजमेंट में ये प्लेटफॉर्म कितना उपयोगी हो सकता है। इससे प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग, execution और मॉनिटरिंग में काफी मदद मिल रही है। समय के साथ बढ़ता हुआ Space Application का ये दायरा हमारे युवाओं के लिए Opportunities भी बढ़ा रहा है, अवसर बढ़ा रहा है। और इसलिए आज मैं एक सुझाव भी देना चाहता हूं। और मैं चाहूंगा कि आपके यहां से जो रिटायर्ड लोग हैं वे इसमें काफी मदद कर सकते हैं। अब ये मत बोलिएगा कि इतनी सुबह-सुबह मोदी जी यहां आए और कुछ काम भी देकर के जा रहे हैं।
साथियों,
मैं चाहूंगा कि इसरो, केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ मिलकर ‘गवर्नेंस में स्पेस टेक्नोलॉजी’ पर एक नेशनल हैकाथॉन का आयोजन करें। इस हैकॉथ़ॉन में ज्यादा से ज्यादा युवा, ज्यादा से ज्यादा युवा शक्ति, ज्यादा से ज्यादा नौजवान, वो शामिल हों, जुड़ें। मुझे विश्वास है, ये नेशनल हैकॉथॉन, हमारी गवर्नेंस को और प्रभावी बनाएगा, देशवासियों को मॉर्डन सॉल्यूशंस देगा।
और साथियों,
आपके अलावा मैं अपनी युवा पीढ़ी को एक और Task अलग से देना चाहता हूं। और होमवर्क दिए बिना बच्चों को काम करने का मजा नहीं आता है। आप सब जानते हैं कि भारत वो देश है, जिसने हजारों वर्ष पूर्व ही धरती के बाहर अनंत अन्तरिक्ष में देखना शुरू कर दिया था। हमारे यहाँ सदियों पहले अनुसंधान परंपरा के आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर और भाष्कराचार्य जैसे ऋषि मनीषी हुए थे। जब धरती के आकार को लेकर भ्रम था, तब आर्यभट्ट ने अपने महान ग्रंथ आर्यभटीय में धरती के गोलकार होने के बारे में विस्तार से लिखा था। उन्होंने axis पर पृथ्वी के rotation और उसकी परिधि की गणना भी लिख दी थी। इसी तरह, सूर्य सिद्धान्त जैसे ग्रन्थों में भी कहा गया है- सर्वत्रैव महीगोले, स्वस्थानम् उपरि स्थितम्। मन्यन्ते खे यतो गोलस्, तस्य क्व ऊर्ध्वम क्व वाधः॥ अर्थात्, पृथ्वी पर कुछ लोग अपनी जगह को सबसे ऊपर मानते हैं। लेकिन, ये गोलाकार पृथ्वी तो आकाश में स्थित है, उसमें ऊपर और नीचे क्या हो सकता है? ये उस समय लिखा गया था। ये मैंने सिर्फ एक श्लोक बताया है। ऐसी अनगिनत रचनाएं हमारे पूर्वजों ने लिखी हुई हैं। सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के एक दूसरे के बीच में आने से ग्रहण की जानकारी हमारे कितने ही ग्रन्थों में लिखीं हुई पाई जाती हैं। पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों के आकार की गणनाएं, उनके मूवमेंट से जुड़ी जानकारी भी हमारे प्राचीन ग्रन्थों में मिलती है। हमने ग्रहों और उपग्रहों की गति को लेकर इतनी सूक्ष्म गणनाएँ करने की वो काबिलियत हासिल की थी, कि हमारे यहाँ सैकड़ों वर्ष आगे के पंचांग, यानी कैलेंडर्स बनाए जाते थे। इसलिए मैं इससे जुड़ा एक Task अपनी नई पीढ़ी को देना चाहता हूं, स्कूल-कॉलेज के बच्चों को देना चाहते हूं। मैं चाहता हूं कि भारत के शास्त्रों में जो खगोलीय सूत्र हैं, उन्हें साइंटिफिकली प्रूव करने के लिए, नए सिरे से उनके अध्ययन के लिए नई पीढ़ी आगे आए। ये हमारी विरासत के लिए भी जरूरी है और विज्ञान के लिए भी जरूरी है। आज जो स्कूल के, कॉलेज के, यूनिवर्सिटीज के Students हैं, रिसर्चर्स हैं, उन पर एक तरह से ये दोहरा दायित्व है। भारत के पास विज्ञान के ज्ञान का जो खजाना है, वो गुलामी के लंबे कालखंड में दब गया है, छिप गया है। आजादी के इस अमृतकाल में हमें इस खजाने को भी खंगालना है, उस पर रिसर्च करनी है और दुनिया को भी बताना है। दूसरा दायित्व ये कि हमारी युवा पीढ़ी को आज के आधुनिक विज्ञान, आधुनिक टेक्नोलॉजी को नए आयाम देने हैं, समंदर की गहराईयों से लेकर आसमान की ऊंचाई तक, आसमान की ऊंचाई से लेकर अंतरिक्ष की गहराई तक आपके लिए करने के लिए बहुत कुछ है। आप Deep Earth को भी देखिए और साथ ही Deep Sea को भी explore करिए। आप Next Generation Computer बनाइये और साथ ही Genetic Engineering में भी अपना सिक्का जमाइये। भारत में आपके लिए नई संभावनाओं के द्वार लगातार खुल रहे हैं। 21वीं सदी के इस कालखंड में जो देश साइंस और टेक्नोलॉजी में बढ़त बना ले जाएगा, वो देश सबसे आगे बढ़ जाएगा।
साथियों,
आज बड़े-बड़े एक्स्पर्ट्स कह रहे हैं कि अगले कुछ वर्षों में भारत की space industry 8 बिलियन डॉलर से बढ़कर 16 बिलियन डॉलर की हो जाएगी। सरकार भी इस बात की गंभीरता को समझते हुए स्पेस सेक्टर में लगातार रिफार्म कर रही है। हमारे युवा भी कमर कसकर तैयार हैं। आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि पिछले चार साल में स्पेस सेक्टर में काम करने वाले स्टार्ट अप्स की संख्या 4 से बढ़कर करीब-करीब डेढ़ सौ हो गई है। हम कल्पना कर सकते हैं कि अनंत आकाश में कितनी अनंत संभावनाएं भारत का इंतज़ार कर रही हैं। वैसे कुछ दिन बाद, 1 सितंबर से MyGov हमारे चंद्रयान मिशन को लेकर बहुत बड़ा क्विज़ कंपीटिशन लॉन्च करने वाला है। हमारे देश के स्टूडेंट्स, इससे भी शुरुआत कर सकते हैं। मैं देशभर के स्टूडेंट्स से आग्रह करूंगा कि आप सभी बड़ी संख्या में इससे जुड़ें।
मेरे परिवारजनों,
देश की भावी पीढ़ी को आपका मार्गदर्शन बहुत आवश्यक है। आप जो इतने सारे Important Missions पर काम कर रहे हैं, वो आने वाली पीढ़ी ही आगे ले जाने वाली है। आप उन सभी के रोल मॉडल हैं। आपकी रिसर्च और आपकी वर्षों की तपस्या, मेहनत ने साबित किया है, कि आप जो ठान लेते हैं, वो आप करके दिखाते हैं। देश के लोगों का विश्वास आप पर है, और विश्वास कमाना छोटी बात नहीं होती है दोस्तों। आपने अपनी तपस्या से ये विश्वास कमाया है। देश के लोगों का आशीर्वाद आप पर है। इसी आशीर्वाद की ताकत से, देश के प्रति इसी समर्पण भाव से भारत साइन्स एंड टेक्नॉलॉजी में ग्लोबल लीडर बनेगा। और मैं आपके बीच बड़े विश्वास के साथ बताता हूं। इनोवेशन की हमारी यही स्पिरिट ही 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार करेगी। इसी विश्वास के साथ, मैं फिर एक बार आप सबके दर्शन करके पावन हुआ हूं। देशवासी गौरव से भरे हुए हैं। सपने बहुत तेजी से संकल्प बन रहे हैं और आपका परिश्रम उन संकल्पों को सिद्धि तक ले जाने के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बन रहा है। आपको जितनी बधाई दूं कम है, जितना अभिनंदन करूं, कम है। मेरे तरफ से करोड़ों-करोड़ों देशवासियों की तरफ से, दुनियाभर की Scientific Community की तरफ से अनेक-अनेक धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
भारत माता की – जय,
भारत माता की – जय,
भारत माता की – जय,
धन्यवाद!
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DS/ST/DK
Interacting with our @isro scientists in Bengaluru. The success of Chandrayaan-3 mission is an extraordinary moment in the history of India's space programme. https://t.co/PHUY3DQuzb
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
India is on the moon!
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
We have our national pride placed on the moon! pic.twitter.com/yzwlEWqOwo
Unforgettable moments as the Chandrayaan-3 touchdown was confirmed on the Moon, the way our space scientists rejoiced at the @isro centre, the way people celebrated all over the country: PM @narendramodi pic.twitter.com/QFfT5mzIYZ
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
Our 'Moon Lander' has firmly set its foot on the Moon like 'Angad'. pic.twitter.com/IykRwSzgdc
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
Today, the entire world is witnessing and accepting the strength of India's scientific spirit, our technology and our scientific temperament. pic.twitter.com/glYABIMc1K
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
The point where the moon lander of Chandrayaan-3 landed will now be known as 'Shiv Shakti'. pic.twitter.com/C4KAxLDk22
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
In the success of Chandrayaan-3 lunar mission, our women scientists, the country's Nari Shakti have played a big role. pic.twitter.com/iTD82erd9s
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
The point on the Moon where Chandrayaan 2 left its imprints will now be called 'Tiranga'. pic.twitter.com/lQENujwiyk
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
Today, from trade to technology, India is being counted among the countries standing in the first row.
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
In the journey from 'third row' to 'first row', institutions like our 'ISRO' have played a huge role. pic.twitter.com/9w7PHxyQhV
Today, the name of Chandrayaan is resonating among children of India. Every child is seeing his or her future in the scientists. pic.twitter.com/R42SIXIMRM
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
Now onwards, every year, 23rd August will be celebrated as the National Space Day. pic.twitter.com/R2sR56bvst
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
A task for the youngsters... pic.twitter.com/T27UkHzdoB
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
In this period of the 21st century, the country which takes the lead in science and technology, will move ahead. pic.twitter.com/IwOcBOPilP
— PMO India (@PMOIndia) August 26, 2023
Grateful for the warm welcome in Delhi. https://t.co/o9LUiDcojf
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
India is on the moon!
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
We have our national pride placed on the moon! pic.twitter.com/lQXBybPMNo
The world has taken note of India’s scientific spirit, technological prowess and scientific temperament. pic.twitter.com/mUVibe1keL
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
चंद्रमा के जिस हिस्से पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस Point को ‘शिवशक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े हैं, वो Point अब ‘तिरंगा’ कहलाएगा। pic.twitter.com/AvtPhsxXez
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब National Space Day के रूप में मनाया जाएगा। अब हर वर्ष यह दिन साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की स्पिरिट को सेलिब्रेट करने के साथ ही देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा। pic.twitter.com/WDKol3mORd
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
The space sector plays a key role in boosting ‘Ease of Living’ and ‘Ease of Governance.’ pic.twitter.com/B2Sx7AyfOR
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
मैं चाहता हूं कि भारत के शास्त्रों में जो खगोलीय सूत्र हैं, उन्हें साइंटिफिकली प्रूव करने और नए सिरे से उनके अध्ययन के लिए हमारी युवा पीढ़ी आगे आए। pic.twitter.com/cFD5JiUOua
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023