मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। बीते सप्ताह हमने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की, जिसने हम सबको गर्व से भर दिया। आपने सुना होगा कि भारत ने पिछले सप्ताह 400 बिलियन डॉलर, यानी, 30 लाख करोड़ रुपये के export का target हासिल किया है। पहली बार सुनने में लगता है कि ये अर्थव्यवस्था से जुड़ी बात है, लेकिन ये, अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा, भारत के सामर्थ्य, भारत के potential से जुड़ी बात है। एक समय में भारत से export का आँकड़ा कभी 100 बिलियन, कभी डेढ़-सौ बिलियन, कभी 200 सौ बिलियन तक हुआ करता था, अब आज, भारत 400 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है। इसका एक मतलब ये कि दुनिया भर में भारत में बनी चीज़ों की demand बढ़ रही है, दूसरा मतलब ये कि भारत की supply chain दिनों-दिन और मजबूत हो रही है और इसका एक बहुत बड़ा सन्देश भी है। देश, विराट कदम तब उठाता है जब सपनों से बड़े संकल्प होते हैं। जब संकल्पों के लिये दिन-रात ईमानदारी से प्रयास होता है, तो वो संकल्प, सिद्ध भी होते हैं, और आप देखिये, किसी व्यक्ति के जीवन में भी तो ऐसा ही होता है। जब किसी के संकल्प, उसके प्रयास, उसके सपनों से भी बड़े हो जाते हैं तो सफलता उसके पास खुद चलकर के आती है।
साथियो, देश के कोने-कोने से नए-नए product जब विदेश जा रहे हैं। असम के हैलाकांडी के लेदर प्रोडक्ट (leather product) हों या उस्मानाबाद के handloom product, बीजापुर की फल-सब्जियाँ हों या चंदौली का black rice, सबका export बढ़ रहा है। अब, आपको लद्धाख की विश्व प्रसिद्द एप्रिकोट(apricot) दुबई में भी मिलेगी और सउदी अरब में, तमिलनाडु से भेजे गए केले मिलेंगे। अब सबसे बड़ी बात ये कि नए-नए products, नए-नए देशों को भेजे जा रहे हैं। जैसे हिमाचल, उत्तराखण्ड में पैदा हुए मिलेट्स(millets)मोटे अनाज की पहली खेप डेनमार्क को निर्यात की गयी। आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिले के बंगनपल्ली और सुवर्णरेखा आम, दक्षिण कोरिया को निर्यात किये गए। त्रिपुरा से ताजा कटहल, हवाई रास्ते से, लंदन निर्यात किये गए और तो और पहली बार नागालैंड की राजा मिर्च को लंदन भेजा गया। इसी तरह भालिया गेहूं की पहली खेप, गुजरात से Kenya और Sri Lanka निर्यात की गयी। यानी, अब आप दूसरे देशों में जाएंगे, तो Made in India products पहले की तुलना में कहीं ज्यादा नज़र आएँगे।
साथियो, यह list बहुत लम्बी है और जितनी लम्बी ये list है, उतनी ही बड़ी Make in India की ताकत है, उतना ही विराट भारत का सामर्थ्य है, और सामर्थ्य का आधार है – हमारे किसान, हमारे कारीगर, हमारे बुनकर, हमारे इंजीनियर, हमारे लघु उद्यमी, हमारा MSME Sector, ढ़ेर सारे अलग-अलग profession के लोग, ये सब इसकी सच्ची ताकत हैं। इनकी मेहनत से ही 400 बिलियन डॉलर के export का लक्ष्य प्राप्त हो सका है और मुझे खुशी है कि भारत के लोगों का ये सामर्थ्य अब दुनिया के कोने-कोने में, नए बाजारों में पहुँच रहा है। जब एक-एक भारतवासी local के लिए vocal होता है, तब, local को global होते देर नहीं लगती है। आइये, local को global बनाएँ और हमारे उत्पादों की प्रतिष्ठा को और बढायें।
साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को यह जानकर के अच्छा लगेगा कि घरेलू स्तर पर भी हमारे लघु उद्यमियों की सफलता हमें गर्व से भरने वाली है। आज हमारे लघु उद्यमी सरकारी खरीद में Government e-Market place यानी GeM के माध्यम से बड़ी भागीदारी निभा रहे हैं। Technology के माध्यम से बहुत ही transparent व्यवस्था विकसित की गयी है। पिछले एक साल में GeM portal के जरिए, सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चीजें खरीदी हैं। देश के कोने-कोने से करीब-करीब सवा-लाख लघु उद्यमियों, छोटे दुकानदारों ने अपना सामान सरकार को सीधे बेचा है। एक ज़माना था जब बड़ी कम्पनियां ही सरकार को सामान बेच पाती थीं। लेकिन अब देश बदल रहा है, पुरानी व्यवस्थाएँ भी बदल रही हैं। अब छोटे से छोटा दुकानदार भी GeM Portal पर सरकार को अपना सामान बेच सकता है – यही तो नया भारत है। ये न केवल बड़े सपने देखता है, बल्कि उस लक्ष्य तक पहुँचने का साहस भी दिखाता है, जहां पहले कोई नहीं पहुँचा है। इसी साहस के दम पर हम सभी भारतीय मिलकर आत्मनिर्भर भारत का सपना भी जरुर पूरा करेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, हाल ही में हुए पदम् सम्मान समारोह में आपने बाबा शिवानंद जी को जरुर देखा होगा। 126 साल के बुजुर्ग की फुर्ती देखकर मेरी तरह हर कोई हैरान हो गया होगा और मैंने देखा, पलक झपकते ही, वो नंदी मुद्रा में प्रणाम करने लगे। मैंने भी बाबा शिवानंद जी को झुककर बार-बार प्रणाम किया। 126 वर्ष की आयु और बाबा शिवानंद की Fitness, दोनों, आज देश में चर्चा का विषय है। मैंने Social Media पर कई लोगों का comment देखा, कि बाबा शिवानंद, अपनी उम्र से चार गुना कम आयु से भी ज्यादा fit हैं। वाकई, बाबा शिवानंद का जीवन हम सभी को प्रेरित करने वाला है। मैं उनकी दीर्घ आयु की कामना करता हूँ। उनमें योग के प्रति एक Passion है और वे बहुत Healthy Lifestyle जीते हैं।
जीवेम शरदः शतम्।
हमारी संस्कृति में सबको सौ-वर्ष के स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएँ दी जाती हैं। हम 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाएंगे। आज पूरे विश्व में health को लेकर भारतीय चिंतन चाहे वो योग हो या आयुर्वेद इसके प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है। अभी आपने देखा होगा कि पिछले ही सप्ताह कतर में एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें 114 देशों के नागरिकों ने हिस्सा लेकर एक नया World Record बना दिया। इसी तरह से Ayush Industry का बाजार भी लगातार बड़ा हो रहा है। 6 साल पहले आयुर्वेद से जुड़ी दवाइयों का बाजार 22 हजार करोड़ रुपए के आसपास का था। आज Ayush Manufacturing Industry, एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुँच रही है, यानि इस क्षेत्र में संभावनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। Start-Up World में भी, आयुष, आकर्षण का विषय बनता जा रहा है।
साथियो, Health Sector के दूसरे Start-Ups पर तो मैं पहले भी कई बार बात कर चुका हूँ, लेकिन इस बार Ayush Start-Ups पर आपसे विशेष तौर पर बात करूँगा। एक Start-Up है Kapiva ! (कपिवा)। इसके नाम में ही इसका मतलब छिपा है। इसमें Ka का मतलब है- कफ, Pi का मतलब है- पित्त और Va का मतलब है- वात। यह Start-Up हमारी परम्पराओं के मुताबिक Healthy Eating Habits पर आधारित है। एक और Start-Up, निरोग-स्ट्रीट भी है , Ayurveda Healthcare Ecosystem में एक अनूठा Concept है। इसका Technology-driven Platform, दुनिया-भर के Ayurveda Doctors को सीधे लोगों से जोड़ता है। 50 हजार से अधिक Practitioners इससे जुड़े हुए हैं। इसी तरह, Atreya (आत्रेय) Innovations, एक Healthcare Technology Start-Ups है, जो, Holistic Wellness के क्षेत्र में काम कर रहा है। Ixoreal (इक्जोरियल) ने न केवल अश्वगंधा के उपयोग को लेकर जागरूकता फैलाई है, बल्कि Top-Quality Production Process पर भी बड़ी मात्रा में निवेश किया है। Cureveda (क्योरवेदा) ने जड़ी-बूटियों के आधुनिक शोध और पारंपरिक ज्ञान के संगम से Holistic Life के लिए Dietary Supplements का निर्माण किया है।
साथियो, अभी तो मैंने कुछ ही नाम गिनाए हैं, ये लिस्ट बहुत लंबी है। ये भारत के युवा उद्यमियों और भारत में बन रही नई संभावनाओं का प्रतीक है। मेरा Health Sector के Start-Ups और विशेषकर Ayush Start-Ups से एक आग्रह भी है। आप Online जो भी Portal बनाते हैं, जो भी Content create करते हैं, वो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त सभी भाषाओँ में भी बनाने का प्रयास करें। दुनिया में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहाँ अंग्रेजी न इतनी बोली जाती है और ना ही इतनी समझी जाती है। ऐसे देशों को भी ध्यान में रखकर अपनी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें। मुझे विश्वास है, भारत के Ayush Start-Ups बेहतर Quality के Products के साथ, जल्द ही, दुनिया भर में छा जायेंगे।
साथियो, स्वास्थ्य का सीधा संबंध स्वच्छता से भी जुड़ा है। ‘मन की बात’ में, हम हमेशा स्वच्छता के आग्रहियों के प्रयासों को जरूर बताते हैं। ऐसे ही एक स्वच्छाग्रही हैं चंद्रकिशोर पाटिल जी। ये महाराष्ट्र में नासिक में रहते हैं। चंद्रकिशोर जी का स्वच्छता को लेकर संकल्प बहुत गहरा है। वो गोदावरी नदी के पास खड़े रहते हैं, और लोगों को लगातार नदी में कूड़ा-कचरा न फेंकने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें कोई ऐसा करता दिखता है, तो तुरंत उसे मना करते हैं। इस काम में चंद्रकिशोर जी अपना काफी समय खर्च करते हैं। शाम तक उनके पास ऐसी चीजों का ढेर लग जाता है, जो लोग नदी में फेंकने के लिए लाए होते हैं। चंद्रकिशोर जी का ये प्रयास, जागरूकता भी बढ़ाता है, और, प्रेरणा भी देता है। इसी तरह, एक और स्वच्छाग्रही हैं – उड़ीसा में पुरी के राहुल महाराणा। राहुल हर रविवार को सुबह-सुबह पुरी में तीर्थ स्थलों के पास जाते हैं, और वहाँ plastic कचरा साफ करते हैं। वो अब तक सैकड़ों किलो plastic कचरा और गंदगी साफ कर चुके हैं। पुरी के राहुल हों या नासिक के चंद्रकिशोर, ये हम सबको बहुत कुछ सिखाते हैं। नागरिक के तौर पर हम अपने कर्तव्यों को निभाएं, चाहे स्वच्छता हो, पोषण हो, या फिर टीकाकरण, इन सारे प्रयासों से भी स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आइये बात करते है केरला के मुपट्टम श्री नारायणन जी की। उन्होंने एक project के शुरुआत की है जिसका नाम है – ‘Pots for water of life’. आप जब इस project के बारे में जानोगे तो सोचेंगे कि क्या कमाल का काम है।
साथियो, मुपट्टम श्री नारायणन जी, गर्मी के दौरान पशु-पक्षियों, को पानी की दिक्कत ना हो, इसके लिए मिट्टी के बर्तन बांटने का अभियान चला रहे हैं। गर्मियों में वो पशु-पक्षियों की इस परेशानी को देखकर खुद भी परेशान हो उठते थे। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना वो खुद ही मिट्टी के बर्तन बांटने शुरू कर दें ताकि दूसरों के पास उन बर्तनों में सिर्फ पानी भरने का ही काम रहे। आप हैरान रह जाएंगे कि नारायणन जी द्वारा बांटे गए बर्तनों का आंकड़ा एक लाख को पार करने जा रहा है। अपने अभियान में एक लाखवां बर्तन वो गांधी जी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम में दान करेंगे। आज जब गर्मी के मौसम ने दस्तक दे दी है, तो नारायणन जी का यह काम हम सब को ज़रूर प्रेरित करेगा और हम भी इस गर्मी में हमारे पशु-पक्षी मित्रों के लिए पानी की व्यवस्था करेंगे।
साथियो, मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं से भी आग्रह करूंगा कि हम अपने संकल्पों को फिर से दोहराएं। पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए हम जो भी कुछ कर सकते हैं, वो हमें जरूर करना चाहिए। इसके अलावा पानी की Recycling पर भी हमें उतना ही जोर देते रहना है। घर में इस्तेमाल किया हुआ जो पानी गमलों में काम आ सकता है, Gardening में काम आ सकता है, वो जरुर दोबारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। थोड़े से प्रयास से आप अपने घर में ऐसी व्यवस्थाएं बना सकते हैं। रहीमदास जी सदियों पहले, कुछ मकसद से ही कहकर गए हैं कि ‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून’। और पानी बचाने के इस काम में मुझे बच्चों से बहुत उम्मीद है। स्वच्छता को जैसे हमारे बच्चों ने आंदोलन बनाया, वैसे ही वो ‘Water Warrior’ बनकर, पानी बचाने में मदद कर सकते हैं।
साथियो, हमारे देश में जल संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा, सदियों से समाज के स्वभाव का हिस्सा रहा है। मुझे खुशी है कि देश में बहुत से लोगों ने Water Conservation को life mission ही बना दिया है। जैसे चेन्नई के एक साथी हैं अरुण कृष्णमूर्ति जी ! अरुण जी अपने इलाके में तालाबों और झीलों को साफ करने का अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 150 से ज्यादा तालाबों-झीलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई और उसे सफलता के साथ पूरा किया। इसी तरह, महाराष्ट्र के एक साथी रोहन काले हैं। रोहन पेशे से एक HR Professional हैं। वो महाराष्ट्र के सैकड़ों Stepwells यानी सीढ़ी वाले पुराने कुओं के संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं। इनमें से कई कुएं तो सैकड़ों साल पुराने होते हैं, और हमारी विरासत का हिस्सा होते हैं। सिकंदराबाद में बंसीलाल -पेट कुआँ एक ऐसा ही Stepwell है। बरसों की उपेक्षा के कारण ये stepwell मिट्टी और कचरे से ढक गया था। लेकिन अब वहाँ इस stepwell को पुनर्जीवित करने का अभियान जनभागीदारी से शुरू हुआ है।
साथियो, मैं तो उस राज्य से आता हूँ, जहाँ पानी की हमेशा बहुत कमी रही है। गुजरात में इन Stepwells को वाव कहते हैं। गुजरात जैसे राज्य में वाव की बड़ी भूमिका रही है। इन कुओं या बावड़ियों के संरक्षण के लिए ‘जल मंदिर योजना’ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। पूरे गुजरात में अनेकों बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया। इससे इन इलाकों में वाटर लेवेल(water level) को बढ़ाने में भी काफी मदद मिली। ऐसे ही अभियान आप भी स्थानीय स्तर पर चला सकते हैं। Check Dam बनाने हों, Rain Water Harvesting हो, इसमें Individual प्रयास भी अहम हैं और Collective Efforts भी जरूरी हैं। जैसे आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जा सकते हैं। कुछ पुराने सरोवरों को सुधारा जा सकता है, कुछ नए सरोवर बनाए जा सकते हैं। मुझे विशवास है, आप इस दिशा में कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे।
मरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ उसकी एक खूबसूरती ये भी है कि मुझे आपके सन्देश बहुत सी भाषाओं, बहुत सी बोलियों में मिलते हैं। कई लोग MYGOV पर Audio message भी भेजते हैं। भारत की संस्कृति, हमारी भाषाओं, हमारी बोलियाँ, हमारे रहन-सहन, खान-पान का विस्तार, ये सारी विविधताएँ हमारी बहुत बड़ी ताकत है। पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक भारत को यही विविधता, एक करके रखती हैं , एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनाती हैं । इसमें भी हमारे ऐतिहासिक स्थलों और पौराणिक कथाओं, दोनों का बहुत योगदान होता है। आप सोच रहे होंगे कि ये बात मैं अभी आपसे क्यों कर रहा हूँ। इसकी वजह है “माधवपुर मेला”। माधवपुर मेला कहाँ लगता है, क्यों लगता है, कैसे ये भारत की विविधता से जुड़ा है, ये जानना मन की बात के श्रोताओं को बहुत Interesting लगेगा।
साथियो, “माधवपुर मेला” गुजरात के पोरबंदर में समुद्र के पास माधवपुर गाँव में लगता है। लेकिन इसका हिन्दुस्तान के पूर्वी छोर से भी नाता जुड़ता है। आप सोच रहे होंगें कि ऐसा कैसे संभव है ? तो इसका भी उत्तर एक पौराणिक कथा से ही मिलता है। कहा जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व भगवान् श्री कृष्ण का विवाह, नार्थ ईस्ट की राजकुमारी रुक्मणि से हुआ था। ये विवाह पोरबंदर के माधवपुर में संपन्न हुआ था और उसी विवाह के प्रतीक के रूप में आज भी वहां माधवपुर मेला लगता है। East और West का ये गहरा नाता, हमारी धरोहर है। समय के साथ अब लोगों के प्रयास से, माधवपुर मेले में नई- नई चीजें भी जुड़ रही हैं। हमारे यहाँ कन्या पक्ष को घराती कहा जाता है और इस मेले में अब नार्थ ईस्ट से बहुत से घराती भी आने लगे हैं| एक सप्ताह तक चलने वाले माधवपुर मेले में नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों के आर्टिस्ट(artist) पहुंचते हैं, हेंडीक्राफ्ट(handicraft) से जुड़े कलाकार पहुंचतें हैं और इस मेले की रौनक को चार चाँद लग जाते हैं। एक सप्ताह तक भारत के पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों का ये मेल, ये माधवपुर मेला, एक भारत – श्रेष्ठ भारत की बहुत सुन्दर मिसाल बना रहा है| मेरा आपसे आग्रह है, आप भी इस मेले के बारे में पढ़ें और जानें।
मेरे प्यारे देशवासियो, देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव, अब जन भागीदारी की नई मिसाल बन रहा है। कुछ दिन पहले 23 मार्च को शहीद दिवस पर देश के अलग – अलग कोने में अनेक समारोह हुए। देश ने अपनी आज़ादी के नायक- नायिकाओं को याद किया श्रद्धा पूर्वक याद किया। इसी दिन मुझे कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में बिप्लॉबी भारत गैलरी के लोकार्पण का भी अवसर मिला। भारत के वीर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजली देने के लिए यह अपने आप में बहुत ही अनूठी गैलरी(gallery) है। यदि अवसर मिले, तो आप इसे देखने ज़रूर जाइयेगा। साथियो, अप्रैल के महीने में हम दो महान विभूतियों की जयंती भी मनाएंगे। इन दोनों ने ही भारतीय समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। ये महान विभूतियाँ हैं- महात्मा फुले और बाबा साहब अम्बेडकर। महात्मा फुले की जयंती 11 अप्रैल को है और बाबा साहब की जयंती हम 14 अप्रैल को मनाएंगे। इन दोनों ही महापुरुषों ने भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी। महात्मा फुले ने उस दौर में बेटियों के लिए स्कूल खोले, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने जल – संकट से मुक्ति दिलाने के लिए भी बड़े अभियान चलाये।
साथियो, महात्मा फुले की इस चर्चा में सावित्रीबाई फुले जी का भी उल्लेख उतना ही ज़रूरी है। सावित्रीबाई फुले ने कई सामाजिक संस्थाओं के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई। एक शिक्षिका और एक समाज सुधारक के रूप में उन्होंने समाज को जागरूक भी किया और उसका हौंसला भी बढाया। दोनों ने साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की। जन-जन के सशक्तिकरण के प्रयास किए। हमें बाबा साहब अम्बेडकर के कार्यों में भी महात्मा फुले के प्रभाव साफ़ दिखाई देते हैं। वो कहते भी थे कि किसी भी समाज के विकास का आकलन उस समाज में महिलाओं की स्थिति को देख कर किया जा सकता है। महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, बाबा साहब अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, मैं सभी माता –पिता और अभिभावकों से अनुरोध करता हूँ कि वे बेटियों को ज़रूर पढ़ायें। बेटियों का स्कूल में दाखिला बढ़ाने के लिए कुछ दिन पहले ही कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव भी शुरू किया गया है, जिन बेटियों की पढाई किसी वजह से छूट गई है, उन्हें दोबारा स्कूल लाने पर फोकस(focus) किया जा रहा है।
साथियो, ये हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमें बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थ के लिए कार्य करने का भी अवसर मिला है। उनका जन्म-स्थान महू हो, मुंबई में चैत्यभूमि हो, लंदन का उनका घर हो, नागपुर की दीक्षा भूमि हो, या दिल्ली में बाबासाहेब का महा-परिनिर्वाण स्थल, मुझे सभी जगहों पर, सभी तीर्थों पर जाने का सौभाग्य मिला है। मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं से आग्रह करूँगा कि वे महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबासाहेब अम्बेडकर से जुड़ी जगहों के दर्शन करने जरुर जाएँ। आपको वहाँ बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार भी हमने अनेक विषयों पर बात की। अगले महीने बहुत से पर्व-त्योहार आ रहे हैं। कुछ ही दिन बात ही नवरात्र है। नवरात्र में हम व्रत-उपवास, शक्ति की साधना करते हैं, शक्ति की पूजा करते हैं, यानी हमारी परम्पराएं हमें उल्लास भी सिखाती हैं और संयम भी। संयम और तप भी हमारे लिए पर्व ही है, इसलिए नवरात्र हमेशा से हम सभी के लिए बहुत विशेष रही है। नवरात्र के पहले ही दिन गुड़ी पड़वा का पर्व भी है। अप्रैल में ही Easter भी आता है और रमजान के पवित्र दिन भी शुरू हो रहे हैं। हम सबको साथ लेकर अपने पर्व मनाएँ, भारत की विविधता को सशक्त करें, सबकी यही कामना है। इस बार ‘मन की बात’ में इतना ही। अगले महीने आपसे नए विषयों के साथ फिर मुलाकात होगी। बहुत-बहुत धन्यवाद !
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DS/LP/VK
Tune into this month's #MannKiBaat. https://t.co/K0Y33TlDRo
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The Prime Minister begins this month's #MannKiBaat by congratulating the people of India for a momentous feat. #MannKiBaat pic.twitter.com/insPTz5EGa
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India is now thinking big and working to realise that vision! #MannKiBaat pic.twitter.com/j5JgULUeGL
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Taking massive steps towards economic progress. #MannKiBaat pic.twitter.com/83hIrfCPfh
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New products are reaching new destinations and this is a great sign! #MannKiBaat pic.twitter.com/PZRI20KF65
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I applaud our farmers, youngsters, MSMEs says PM @narendramodi. #MannKiBaat pic.twitter.com/Pnw3kLcInY
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Earlier it was believed only big people could sell products to the Government but the GeM Portal has changed this, illustrating the spirit of a New India! #MannKiBaat pic.twitter.com/GnNmYt6gnh
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A distinguished Padma Awardee has won the hearts the several Indians... #MannKiBaat pic.twitter.com/qrl37HinDb
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One of the encouraging trends in the recent years is the rise and success of several start-ups and enterprises in the AYUSH sector. #MannKiBaat pic.twitter.com/SP7cBAyRxZ
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Inspiring efforts in Maharashtra and Odisha to further cleanliness... #MannKiBaat pic.twitter.com/seOr5wBT2v
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Here is how a unique effort in Kerala can inspire the nation on the subject of water conservation and on caring for birds... #MannKiBaat pic.twitter.com/2F8hQLr3GT
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Emphasising on water conservation, PM @narendramodi talks about efforts in Gujarat like Jal Mandirs. Also urges making Amrit Sarovars across India. #MannKiBaat pic.twitter.com/HRuqV9DEEI
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Every #MannKiBaat is enriched by creative and diverse inputs... #MannKiBaat pic.twitter.com/4MuRLRDPDP
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How many of know about a fair in the coastal part of Gujarat which is a manifestation of a spirit of Ek Bharat, Shreshtha Bharat! #MannKiBaat pic.twitter.com/cXGeuMi4ZA
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In the month of April we remember Mahatma Phule and Dr. Babasaheb Ambedkar. #MannKiBaat pic.twitter.com/QB1qNrOJyV
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The greatness of Mahatma Phule... #MannKiBaat pic.twitter.com/7KPYpGmfmb
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During #MannKiBaat, PM @narendramodi paid tributes to the great Savitribai Phule. #MannKiBaat pic.twitter.com/C7EvHpTBUQ
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I feel honoured to have gone to the Panch Teerth associated with Dr. Ambedkar. I would also urge you all to visit these inspiring places. #MannKiBaat pic.twitter.com/7YcEQzmmGv
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Let us further girl child education and strengthen women empowerment. #MannKiBaat pic.twitter.com/eH8BPlmKM1
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India’s ambitions are soaring high and so is the determination to fulfil them…a prime example is our nation achieving the target of $400 Billion of goods exports. @makeinindia is a trusted brand and unique products are reaching new destinations. #MannKiBaat pic.twitter.com/5rIOUK16J5
— Narendra Modi (@narendramodi) March 27, 2022
The special milestone achieved by @GeM_India of crossing order values of Rs. 1 Lakh Crore in a year illustrates a paradigm shift. Gone are the days when only a select few could do business with the Government. A new culture of openness and enterprise has been set. #MannKiBaat pic.twitter.com/0A5kXOSaoh
— Narendra Modi (@narendramodi) March 27, 2022
The entire nation is inspired by Swami Sivananda Ji. His life and exemplary work gives important lessons in health and fitness. #MannKiBaat pic.twitter.com/cI1wSV6g3e
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At a time when the world is looking at Indian traditions for guidance on fitness and well-being, our Ayush sector has risen to the occasion with a jump in exports and a growth in start-ups in this sector. #MannKiBaat pic.twitter.com/r4rkpgafSa
— Narendra Modi (@narendramodi) March 27, 2022
I call upon more start-ups to focus on Ayush related themes. To those who are already in this field, I assure continuous support. I also request them to put content in all UN recognised languages to ensure maximum reach. #MannKiBaat @moayush
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During #MannKiBaat, paid tributes to Mahatma Phule, Savitribai Phule, Dr. Babasaheb Ambedkar and recalled their contributions to our society. pic.twitter.com/DcyvDbdSJd
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