जम्मू कश्मीर में, सितंबर में जो, बाढ़ के कारण गंभीर समस्या पैदा हुई, मैं तुरंत 7 सितंबर को यहां आया था और 1000 करोड़ रुपए का पैकेज उसी दिन दिया था। डेढ़ महीने के बाद मैं स्थिति का जायजा लेने आया हूं।
आज मेरा प्रयास रहा था कि नागरिकों से मिलना, भिन्न-भिन्न सामाजिक-व्यापारिक संगठनों से मिलना, उनकी समस्याओं को समझना, उनके सुझावों पर ध्यान देना और एक प्रकार से आज मेरा पूरा दिन यहां की स्थितियों को समझने के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है।
यहां के नागरिकों की एक प्रमुख मांग यह रही है कि जो भी मदद मिले, हो सके तो जो पीड़ित परिवार है, उनको सीधी मदद पहुंचे। मैंने उनको विश्वास दिलाया है कि सरकार उस दिशा में गंभीरता से सोचेगी। खास करके मकानों का जो नुकसान हुआ है, उनकी मदद उनके बैंक अकाउंट में सीधे जमा हो, तो शायद उनको ज्यादा सुविधाजनक होगा। आज जितनी जानकारी मिली है, तो तत्काल काम करने हेतु से मकानों की मरम्मत करने के लिए 570 करोड़ रुपए, Five Hundred and seventy crores rupees।
दूसरा, एक विषय आया, अस्पतालों के संबंध में। क्योंकि उस दिन आया था तो देखा एक अस्पताल पूरा पानी में डूबा देखा था। लेह में भी अस्पताल, जम्मू में भी अस्पताल है और श्रीनगर में भी अस्पताल, मेजर 6 अस्पताल हैं, जिनमें कुछ न कुछ तत्काल काम करने की आवश्यकता है। इसके लिए 175 करोड़ रुपए, जिससे इन 6 अस्पतालों का तत्काल, आवश्यक नई Machines, latest equipment’s लाने हों, तो तुरंत हो जाए।
एक विषय मेरे सामने आया है कि बच्चे जो स्कूल में पढ़ते हैं, उनकी पुस्तकें, किताबें नष्ट हो चुकी हैं। तो मैंने तत्काल कहा उन सभी बच्चों को नोट बुक, किताब उनकी जो भी आवश्यकताएं हैं, उन सभी बच्चों को तत्काल मुहैया करायी जाएं, ताकि उनकी शिक्षा की दिशा में कोई रुकावट न हो।
बाकी जो बातें हैं, राज्य सरकार ने जो कहा है, उसका Verification चल रहा है।
मैंने पहले दिन से कहा है, मेरे प्यारे कश्मीर वासियों, यह पीड़ा आपकी नहीं है, पूरे देश की है। आपके दुख के साथ पूरा हिंदुस्तान है। आपको किसी चीज की कमी नहीं पड़ने दी जाएगी, पूरी शक्ति के साथ, पूरे मनोयोग से, सरकार, आपके पुनर्वासन के काम में, आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगी।
धन्यवाद।